उच्चारण संबंधी अशुद्धियाँ और उनका निराकरण Uchcharan sambandhit asudhiyan in hindi
भाषा का शुद्ध लेखन उसके शुद्ध उच्चारण पर निर्भर करता है क्योंकि हम जैसा उच्चारण करते हैं, वैसा ही लिखते हैं। व्याकरण के नियमों की सही जानकारी न होने तथा क्षेत्रीय प्रभाव के कारण अनेक अशुद्धियाँ हो जाती हैं। अत: इनके प्रति सावधानी बरतनी चाहिए। नीचे कुछ प्रचलित अशुद्धियाँ दी गई हैं—
(क) ह्रस्व स्वर के स्थान पर दीर्घ और दीर्घ के स्थान पर ह्रस्व का प्रयोग-
(1) अ-आ
अशुद्ध शुद्ध
अलोचना आलोचना
अज़ादी आज़ादी
अगामी आगामी
अहार आहार
अवश्यक आवश्यक
अलौकिक आलौकिक
अत्याधिक अत्यधिक
नराज़ नाराज़
चहिए चाहिए
परिवारिक पारिवारिक
सप्ताहिक साप्ताहिक
अनाधिकार अनधिकार
आपना अपना
(2) इ-ई
अशुद्ध शुद्ध
मुनी मुनि
नदीयाँ नदियाँ
कवी कवि
अभीनेता अभिनेता
हानी हानि
क्योंकी क्योंकि
दिपावली दीपावली
परिक्षा परीक्षा
बिमारी बीमारी
श्रीमति श्रीमती
निर्दयी निर्दयी
पहिला पहला
अशिर्वाद अशीर्वाद
उन्नती उन्नति
दिवाली दीवाली
कवियित्री कवयित्री
(3) उ-ऊ
अशुद्ध शुद्ध
पुज्य पूज्य
पुनिया पूजनीय
प्रभू प्रभु
जरुर जरूर
साधू साधु
पशू पशु
मधू मधु
अनुकुल अनुकूल
(4) ए-ऐ
अशुद्ध शुद्ध
देनिक दैनिक
एश्वर्य ऐश्वर्य
एसा ऐसा
नैन नयन
एक्य ऐक्य
एतिहासिक ऐतिहासिक
सैना सेना
(5) ओ औ
अशुद्ध शुद्ध
ओद्योगिक औद्योगिक
पारलोकिक पारलौकिक
पोधा पौधा
अलोकिक अलौकिक
(6) अल्पप्राण- महाप्राण
अशुद्ध शुद्ध
झूट झूठ
घनिष्ट घनिष्ठ
निष्टा निष्ठा
श्रेष्ट श्रेष्ठ
धोका धोखा
लठ्ठा लट्ठा
पथ्थर पत्थर
गढ्ढा गड्ढा
भूका भूखा
(7) नासिक्य - व्यंजन
अशुद्ध शुद्ध
शरन शरण
रनभूमि रणभूमि
हिरन हिरण
रामायन रामायण
चरन चरण
प्रनाम प्रणाम
कलयान कल्याण
कारन कारण
तृन तृण
(8) चंद्रबिंदु ( ँ) और अनुस्वार (•)
अशुद्ध शुद्ध
उंगली उँगली
सांप साँप
दांत दाँत
पांचवा पाँचवाँ
महंगा महँगा
आंख आँख
बांसुरी बाँसुरी
अंधेरा अँधेरा
चांद चाँद
गूंगा गूँगा
हंसमुख हँसमुख
ऊंट ऊँट
(9) ऋ - र
अशुद्ध शुद्ध
रितु ऋतु
श्रंगार श्रृंगार
रिशि ऋषि
ग्रहस्थ गृहस्थ
प्रथक पृथक
रिण ऋण
घ्रणा घृणा
मात्रि मात्र
(10) ज्ञ-ग्य
अशुद्ध शुद्ध
ग्यान ज्ञान
कृतग्य कृतज्ञ
योज्ञ योग्य
प्रतिग्या प्रतिज्ञा
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