Friday, 17 May 2019

बेटी

                   :: बेटी  ::

बेटी का दर्द भी कितना गहरा है ,होते ही जूझती  है जीवन से ।इस दुनियां की इन्सानियत भी देखो,कन्या पूजते वरदान बेटे का लेते है ।मन मे अडिग विश्वास भरा है,मां होती प्रसन्न कन्या पूजन से है।झुक जाते आखिर बेटी के कदमों मे,जो कदम उन्हे लगते भारी है। जिस मां से दर्द बयां करते हो,वो मां भी कभी बेटी होती थी ।जिस पत्नी की चाहत मे चूर हो तुम,वो पत्नी भी हुआ करती बेटी थी।जिस गर्भ मे तुमने सांस भरी,वो गर्भ भी कभी बेटी ही थी।क्या कसूर उस बेजुबान का ,जब होते ही उसे काल दिखा देते । जीवन दिया अगर बेटी को तो,फिर बांध देते है वसूलों की बेडियां ।बेटी का दर्द भी कितना गहरा है, होते ही जूझती है जीवन से ।

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