Thursday 16 May 2019

बेटी विदाई

                           बेटी विदाई 
बेटी होना आसान नही होता।

""हंसी खुशी सब काम हुआ जब,
फिर समय विदायी का आया ।
पूछ पडी जब बेटी रोकर,
क्या छोड दिया अब सदा के लिए ।
बेटी के लफ्जों को सुनकर,
न कर सका सहन जब एक पिता।
पलकों पर लेकर ओ आंसू,
बदहवास होकर दौड पडा।
लगती है बछिया सी बेटी,
जब बेटी से लिपट गया।
अपने विरह के आंसू से मानों ,
वो पिता का हृदय धोती चली।
हो गई आज क्यों बेटि पराई,
दिल की धड़कन प्यारी दुलारी ।
कहां गयी वो समय की रेखा,
जिसमे थी तू और तेरा चेहरा ।
उड कर पंछी चला है गगन मे,
छोड के सारे रिश्ते नाते ।
बेटी पराया धन होती है,
फिर क्यों ममता बांध रही है ।
दो दिन का सुख बांध चली वो ,
अब रैन बसेरा यादें हुयी ।
यादें हुयी,यादें हुयी ।
टूटे जीवन फिर जुड़ जावे,
बेटि का दर्द न जुड़ पावेगा।
क्यों होती है बेटी परायी,
आंख की तारी मन की दुलारी ।
बेटी है तो घर घर लगता,
बेटी गयी तो हो गया बंझर।
कैसी लीला है प्रभु ने रचाई,
दो दिल आज है बिखरे बिखरे ।
बचपन बीता मां की गोदी मे,
पिता की उंगली पकड़ कर सीखी ।
हर खुशियों को मंनत समझी,
हर संकट को पार किया है ।
हो गई आज क्यों सबसे परायी,

Tag: beti ki duniyan/ jeevan se joojhti beti/ beti ka dard / beti vidayi

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