|| मां ||
पूरी दुनिया को खरीद करके,
फिर भी तुमने कुछ नही खरीदा।
अगर इक मां का दिल ना जीता तो फिर क्या जीता।
मां-बाप की दवाई की पर्ची,
अक्सर कहीं गुम हो जाती है ।
इन औलाद की शक्सियत भी देखो,
जो वसीयत के कागजात सम्भाल रखते है ।
खुशकिस्मत होते है, वो लोग,
जिन्हे मां के आंचल की छांव मिलती है।
उसके स्पर्श मे हर परिस्थिति से हमे,
जीवन से जूझने की दुवा मिलती है।
उस घर मे कभी बरकत नही होती है,
जिस घर मे कभी मां-बाप की इज्जत नही होती है।
आंखे नम रहती है उसकी हर दम,
चिन्ता बच्चों की सताती है।
मिले खुशी इस जहां मे सारी उसको,
चाहे जीवन को गवांदू मै,
खुद की परवाह नही मुझको उसकी हसी न थमने पाये,
लाख जतन करना भी पडे तो, हर जतन को शीश नवाऊं मै।
मां के आंखों की नमी को,
अपने दामन से सोख लेना तुम।
क्योंकि सच कहते है फरिश्ते,
मां के एक बूंद आंसू मे भी दरिया होता है।
लोग न जाने क्यूं प्यार तलाशा करते है,
जबकी मां के आंचल मे ही प्यार का दरिया होता है ।
जब दो शब्द भी जुबान पर नही निकलते थे,
हमारे बोले बिना ही मां सब समझ लेती थी।
लेकिन आज हम कहते फिरते है,
झोडो भी मां आप नही समझोगी।
मां की उंगली पकड़े चलते थे,
वह हमे रास्ता दिखाया करती थी ।
आज हर मां कहती है ----------
कि मुझे किस तरह से जीना है,
ये अब बच्चे हमे सिखाते है।
Tag: mother day/ man/ मां की ममता
पूरी दुनिया को खरीद करके,
फिर भी तुमने कुछ नही खरीदा।
अगर इक मां का दिल ना जीता तो फिर क्या जीता।
मां-बाप की दवाई की पर्ची,
अक्सर कहीं गुम हो जाती है ।
इन औलाद की शक्सियत भी देखो,
जो वसीयत के कागजात सम्भाल रखते है ।
खुशकिस्मत होते है, वो लोग,
जिन्हे मां के आंचल की छांव मिलती है।
उसके स्पर्श मे हर परिस्थिति से हमे,
जीवन से जूझने की दुवा मिलती है।
उस घर मे कभी बरकत नही होती है,
जिस घर मे कभी मां-बाप की इज्जत नही होती है।
आंखे नम रहती है उसकी हर दम,
चिन्ता बच्चों की सताती है।
मिले खुशी इस जहां मे सारी उसको,
चाहे जीवन को गवांदू मै,
खुद की परवाह नही मुझको उसकी हसी न थमने पाये,
लाख जतन करना भी पडे तो, हर जतन को शीश नवाऊं मै।
मां के आंखों की नमी को,
अपने दामन से सोख लेना तुम।
क्योंकि सच कहते है फरिश्ते,
मां के एक बूंद आंसू मे भी दरिया होता है।
लोग न जाने क्यूं प्यार तलाशा करते है,
जबकी मां के आंचल मे ही प्यार का दरिया होता है ।
जब दो शब्द भी जुबान पर नही निकलते थे,
हमारे बोले बिना ही मां सब समझ लेती थी।
लेकिन आज हम कहते फिरते है,
झोडो भी मां आप नही समझोगी।
मां की उंगली पकड़े चलते थे,
वह हमे रास्ता दिखाया करती थी ।
आज हर मां कहती है ----------
कि मुझे किस तरह से जीना है,
ये अब बच्चे हमे सिखाते है।
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