Saturday 18 May 2019

नारी संस्कारो की जननी भारतीय नारी के संस्कार

  नारी संस्कारों की जननी 
भारतीय नारी के संस्कार

Essay on Indian Woman in Hindi


संस्कारो की जननी

भारतीय नारी की अगर बात करे तो अनादी काल से इन्होने अपने स्वरूप के चलते संस्कारों की पद्धति को अपनाया है। पुरूष की शक्ती का निर्माण भी इसी से निर्मित है , और यह सत्य है कि जिसकी भावना देने की होती है। वह लेने की चाह कभी नही रखता। जिसके व्यवहार मे परोपकारी भावना हो वह कभी किसी को कष्ट नही दे सकता या किसी का अनहित नही सोच सकता। वही स्वरूप नारी का है।

अनेकों कलाओं से विभूषित नारी हर रूप मे प्यार त्याग और तपस्या का निर्वाह करती है। संस्कारो को प्रदान करने वाली नारी ही प्रथम गुरू के रूप मे है ,  जिस सौम्यता के साथ वह अपनी सन्तान को संस्कारो से प्रोत्साहन करती है वह भूमिका पुरूष अदा नही कर सकता। हमारे देश मे नारी को अनेकों  रूपों मे  अलंकृत मानते है और प्राचीन काल से यह प्रथा के रूप मे शोभायमान है।

आधुनिक वैश्विय सभ्यता में प्राचीन काल में नारी की दशा एवम् स्तिथियों की प्रतिक्रिया में नारी की गतिशीलता अतिवादी के हत्थे चढ़ गयी. नारी को आज़ादी दी गयी, तो बिलकुल ही आजाद कर दिया गया. पुरुष से समानता दी गयी तो उसे पुरुष ही बना दिया गया. पुरुषों के कर्तव्यों का बोझ भी उस पर डाल दिया गया। यानी वह अब एक मशीन बनकर रह गयी है  पुरूष का काम भी हल्का हो गया है जो कार्य पुरूष ने करना था वह अब निश्चित हो गया है। उसे अधिकार बहुत दिए गए मगर उसका नारीत्व छीन लिया गया है। उसके पास अपने संस्कारो को न्यौछावर करने कामरेड समय ही नही है। उसके पास ममता बरसाने कामरेड समय ही नही है। वह कामों के बोझ तले दब चुकी है। इस सबके बीच उसे सौभ्ग्य्वाश कुछ अच्छे अवसर भी मिले. अब यह कहा जा सकता है की पिछले डेढ़ सदी में औरत ने बहुत कुछ पाया है, बहुत तरक्की की है, बहुत सशक्त हुई है. उसे बहुत सारे अधिकार प्राप्त हुए हैं।

 कौमों और राष्ट्रों के उत्थान में उसका बहुत बड़ा योगदान रहा है जो आज देख कर आसानी से पता चलता है. लेकिन यह सिक्के का केवल एक पहलू है जो बेशक बहुत अच्छा, चमकीला और संतोषजनक है. लेकिन जिस तरह सिक्के के दुसरे पहलू को देखे बिना यह फ़ैसला नहीं किया जा सकता है कि वह खरा है या खोटा. हमें औरत के हैसियत के बारे में कोई फ़ैसला करना भी उसी वक़्त ठीक होगा जब हम उसका दूसरा रुख़ भी ठीक से, गंभीरता से, ईमानदारी से देखें. अगर ऐसा नहीं किया और दूसरा पहलू देखे बिना कोई फ़ैसला कर लिया जाये तो नुक्सान का दायरा ख़ुद औरत से शुरू होकर समाज, व्यवस्था और पूरे विश्व तक पहुँच जायेगा।

नारी ने अनेकों रूपों मे इस सृष्टि को संस्कारों से पिरोया है।

Essay on Indian Woman in Hindi

=बेटी के रूप मे-
अक्सर हम मानते है कि पुत्र प्राप्ति हो गयी तो हमने कुबेर का धन प्राप्त कर लिया है। और बेटी के उत्पन्न होते ही हमारे जहन से आवाज निकलती है कि हम  बोझों से जकड़ गये है। जबकी मनुष्य इसके ठीक विपरीत सोचता है जबकी सत्य तो यह है कि बेटी हर किसी को नसीब नही होती हर किसी के हक मे यह अमूल्य रत्न प्राप्त नही होता क्योंकि यह लक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती है जिससे परिवार की खुशिया बड़ने लगती है। लेकिन हमारी मानसिकता सहन नही कर पाती और हम उसे बोझ समझने लगते है। लेकिन यह भी सत्य है कि जब बेटी बिदा होती है तो हर मां बाप अपने को बहुत कष्टमय प्रतीत करते है वह जानते है कि आज उनकी आत्मा मानो उससे दूर हुयी है। बेटी से ही कुल की मर्यादा अक्षुण्ण रहती है वह कभी भी कुल के विपरीत कार्य नही करती हमेशा अपने परिवार को खुश देखना चाहती है।

=पत्नी के संस्कार 
पत्नी या बहू हमेशा अपने परिवार की खुशियों के लिए ही जीती है वह यही चाहती है कि उसका परिवार हमेशा प्रसन्न रहे और समाज मे उसकी प्रतिष्ठा बने। वह कभी भी ऐसा न करती है न सोचती है कि उसका परिवार किसी संकट  पडे या उसपर कोई विपदा आये। वह अपने परिवार को संस्कार वान बनाने मे भरसक प्रयास करती है और कष्टो को सहते हुये भी वह कभी अपने मार्ग से पथभ्रष्ट नही होती। उसे मालूम है कि उस परिवार की भावना को भी उसी ने सही राह दिखानी है।

=मां के संस्कार 

नारी का यह रूप सबसे विचितर तथा निराला है इसकी व्याख्या करना सायद किसी के बस मे नही है क्योंकि मां ही है अपनी सन्तान को तथा परिवार को संस्कारो से पिरोया करती है। अगर मां अच्छी शिक्षित है तो उसका परिवार कभी गलत मार्ग पर नही जा सकता। और मां कैसी भी हो वह कभी भी अपनी सन्तान को कुमार्ग पर जाने की राह नही दिखाती।

कितने कष्टो के झेलने के बाद भी वह अपनी ममता से विमुख नही होती सन्तान कितनी भी निरूठी क्यो न हो उसकी ममता कभी कम नही होती। मां उम्र चाहे अन्तिम पर क्यो ही नही हो उसकी चिन्ता हमेसा अपनी सन्तान पर ही टिकी रहती है। जिस घर मे मां का सम्मान होता है उनकी सभी सन्तान गुणवान बनती है।

=नारी के रूप मे मां सीता के संस्कार --
भगवान श्रीराम की धर्मपत्नी माता सीता आधुनिक समाज की नारी के लिए प्रेरणास्त्रोत व आदर्श हैं। उन्ही  ने नारी के त्याग और तपस्या को दुनिया के सामने परसतु किया है जिसे देखकर के उसकी तपस्या का निर्वाह कोई नही कर सकता। यदि नारी मां सीता के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात कर ले तो उसका जीवन भी आनंदमय होकर संकट मुक्त हो जाएगा। हर मां अगर उनके आदर्शो पर चले तो यह सृष्टि सद कर्मो के वशीभूत हो जायेगी और कही भी कुकर्मों का लेष मात्र भी नही रहेगा।

लवकुश जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में वाल्मीकि आश्रम सीतामढ़ी में चल रहे अखिल भारतीय रामायण मेला में साध्वी साधना त्रिपाठी ने प्रवचन करते हुए कहीं। कहा कि मां सीता का जीवन आधुनिक परिवेश में भी अनुकरणीय है। पतिव्रत धर्म का पालन करते हुए उन्होंने राजमहल का ऐश्वर्य का त्याग कर वन में संघर्षशील जीवन बिताया। इतना ही नहीं पति के आदेशानुसार अपने द्वितीय निर्वासन के दौरान वन में साधारण स्त्री की तरह रहते हुए व एक मां का कर्तव्य निभाते हुए उच्च आदर्श स्थापित किया। बताया कि आज के समाज में उन आदर्शों का लोप होता जा रहा है। आज समाज में जब पति संकटग्रस्त होता है उसकी पत्नी उसका साथ देने के बजाय ताने देकर कष्ट पहुंचाने का कार्य करती है। हमने मां सीता व मां सती सावित्री के देश में जन्म लिया है।

नारी की महिमा का बखान नही किया जा सकता जिसने भी इनकी अलौकिकता को सराहा है वे परम पुरूष कहलाये है।

    नारी के आदर्श 

Essay on Indian Woman in Hindi

 आदर्श नारी

नारी समाज का वह रूप है जो हमे जीवन की राह देती है वह हमारे जीवन मे एक शिक्षिका का रोल भी अदा करती है एक ऐसी मोटिवेशन स्पीकर जो भटके हुए को सही राह पर ला सकती है। लेकिन हमने कभी उसे शक्ती  के रूप मे नही देखा बल्की हमेशा उसका अपमान ही किया है और वह हमारे लिए अनेकों कष्ट का प्रत्यस्मरण करती रही।

हम नारी स्वरूप को केवल नव रातों  मे ही पूजते है वो भी स्वार्थ वश क्योंकि उस दिन हमे यह सिखाया जाता है कि नारी ही शक्ती का रूप है और उसकी पूजा करने से घर मे खुशहाली तथा लक्ष्मी का वास होता है। क्या हमे सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ही उसका सम्मान कर रहे है। वह घर को सम्भालने मे सहयोग करती इसीलिए उसकी जगह हृदय मे है अन्यथा वह सिर्फ नारी है ।

अपनी सोच और नजरिये को बदलिए और उसके आदर्शो को अपने जीवन मे उतारने की कोशिश करें

  "● नारी के स्वभाव के अनुरूप उसे प्रेम, सौहार्द, सद्भावना, सम्मान मिलते रहना चाहिए । तभी उसके आत्मसम्मान मे वृद्धि होती है। इसके बिना वह परिवार का सही प्रकार से सहयोग और निर्माण नही कर सकती।""

""●नारी के अन्दर विशेष गुण होते है-जो बच्चो के लिए ममता, पती के लिए चरित्र व संस्कार, समाज के लिए शीलता ,मित्र के लिए सहयोगी ए गुण उसे महान बनाती है ।""

""●नारी वह शक्ति है जिसकी मुस्कान से स्नेह, ममता और अमृत झलकता है उसका कभी अपमान नही करना चाहिए ।""

""●नारी का जीवन एक पवित्र ज्योति के समान है जिसमे अलौकिक शक्ति विद्यमान है , जो खुद कष्ट भोग कर दूसरो को जीवन देती है।""

""●गृहस्थ जी भी गाडी के पहिये के समान है जिसकी सफलता और असफलता नारी के ही आचरण पर निर्भर करती है।वह परिवार को स्वर्ग  और नर्क दोनो बना सकती है।""

""●पती पत्नी को आपस मे ऐसा सामानजस्य निर्धारित करना चाहिए जिससे उनकी आपसी आशंका और उद्वेग दूर हो सके। आपस मे अच्छा प्रेम स्थापित हो तथा एक दूसरे की भावनाओ को समझे तो गृहस्थ जीवन मे ही स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है।""

""●जो व्यक्ति नारी मे सिर्फ दोश और कामवासना देखता है। उसका कभी हित नही हो सकता क्योंकि नारी का रूप देवतुल्य है। जो विकारों को दूर करती है उसके प्रति सम्मान की भावना रखे अन्यथा उससे नीच प्राणी अन्य कोई और न होगा।""

""●जिस जाती के अन्दर मां के प्रति सम्मान नही। वह सबकुछ प्राप्त करते हुए भी कुछ प्राप्त नही करता क्योंकि यह नारी का वह रूप है। जो मनुष्य का जीवन और मरण तय करती है।""

""●नर और नारी को सुविचार पूरक होना चाहिए क्योकि असंतुलन से पूरे समाज मे विसंगति पैदा होती है। जो समाज का निर्माण नही कर सकती।""

""●एक नारी ने पुत्र को अपने जहन का रक्त पिला क।रके उसमे भावना तथा सद् आचरण को मिला करके एक ऐसा जीवन तैयार किया जो समाज का घोतक बनेगा और यह वही कर सकता है जिसने उसकी कद्र समझी हो।""

       भारतीय नारी संस्कार शाला

Essay on Indian Woman in Hindi


 नारी ही संसार की संस्कृति सभ्यता  और संस्कार की देवी मानी जाती है नारी है तो घर भी संस्कारों का मन्दिर बन जाता है और नारी है। तो समाज और देश को भी नयी दिशा मिल जाती है । नारी आज ही नही प्राचीन काल से इस धरती की उपमा को बनाए रखने मे बडा योगदान दिया है।

नारी चाहे किसी भी देश की हो किसी भी धर्म की कुछ ऐसे गुण और स्वभाव है जो लगभग सभी मे एक समान दिखाई देता है। दूसरों के प्रति सम्मान,  सद्भावना, सद्विचार,  तथा लज्जा यह हर नारी की सुन्दरता को चार चांद लगा देती है। चाहे कोई कितना भी कठोर स्वभाव का क्यों न होगा पर नारी के आंसू के सामने वह भी पत्थर बन जाता है। लेकिन देखा जाए तो भारतीय नारियों की उपयोगिता सभी देशों से बढ़कर रही है। जब यहां की नारी का अलौकिक रूप दुनिया के सामने आता है तो वे भी उसकी तुलना अपने यहां की नारी से नही कर सकते क्योंकि जो भावनाओं से तथा विचारों से भारत की नारी का अवतरण हुआ है वह अन्य किसी मे देखने को नही मिल सकता।

यहां की नारी हर क्षेत्र मे आगे है और आज की ही नही चाहे प्राचीन इतिहास देख लो यहां की नारियों का परचम सबसे आगे रहा है और अन्य नारियों को भी सन्देश दिया है।


भारतीय नारी जब गृहिणी की छवि में रहते हुए पतिव्रत धर्म को पालन करने के लिए उसने बड़े से बड़े कष्टों को सहा और अपने निश्छल प्रेम में भी कोई अन्तर नहीं आने दिया। उसने समाज को संदेश दिया है कि वह अगर प्रेम कर सकती है तो नफरत उसमे उतना ही भरा है जो अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए उसके हथियार का प्रयोग करेगी। राज्य को लात मारकर तथा स्वयं को बेचकर पतिॠण चुकाने वाली महारानी शैव्या, वन में सोती हुई को अकेली छोड़ जाने वाले महाराज नल को अपने कौशल से पुनः प्राप्त करने वाली श्रीमती दमयन्ती, यम के बन्धनोंं से भी पति को छुड़ा लाने वाली श्रीमती सावित्री, पति के अपमान के कारण पिता के यज्ञ में अपना शरीर होम देने वाली देवी सती, कोढ़ी ब्राह्मण कि पतिव्रता पत्नी जो पति की इच्छा को पूरा करने के लिये उसे वेश्या के पास ले गई थी, पतिव्रता शिरोमणि कुष्ठी विप्र की पत्नी जिसने पति के जीवन की रक्षा के लिये सूर्य को उदित होने से भी रोक दिया और जगत जननी माता सीता आदि के ऐसे चरित्र हैं जो संसार की स्त्रियों के लिये सदा अनुकरणीय रहेंगे।

भारती नारी की उपयोगिता यही समाप्त नही होती उसने हर युग को अपना साथी बनाया और इस समाज की धारणा को बदल करे ही रख दिया उसकी सोच को सकारात्मक दिशा प्रदान की। यही नहीं भगवद् भजन द्वारा जिन्होंने सर्वशक्तिमान भगवान को अपने वशीभूत कर लिया, इसके उदाहरण स्वरूप हैं माता यशोदा, कौशल्या, देवकी, रोहिणी, देवहुति, शची देवी, वृज की गोपियां, मीरा बाई, गंगा माता गोस्वामिनी, दुःखिनी माता, कर्माबाई आदि।

दुनियां के किसी भी क्षेत्र की बात करें, चाहे वो राजनीति है, चाहे मनोरंजन, चाहे नृत्य, चाहे व्यवसाय, चाहे शिक्षा, चाहे संगीत, आदि, भारतीय नारी कहीं भी पीछे नहीं है। धन्य है भारत की देवियां! जिनकी गाथाओं से ग्रन्थ भरे पड़े हैं और जिनके चरित्र संसार की सभी स्त्रियों के लिये दीप स्तम्भ के समान हैं।

           भारतीय नारी के आदर्श

Essay on Indian Woman in Hindi


"●इनमे इतनी छमता है कि वह बिना किसी सहयोग के ही पूरे परिवार का बोझ उठा सकती है।"

"●अगर नारी चाहे तो काल भी अपनों से जुदा करने मे समर्थ नही हो सकता इसकी शक्ति के सामने वह भी हार जाता है।"

"●यहां की नारी पतिव्रता होती है किसी अन्य पुरूष काल भाव भी इन्हे अपवित्र कर देता है।"

"●ए नारी हर प्रस्थिती को अपने हस्ताक्षर मे करके समय को भी अपने अनुकूल करके देती है।"

"●इन नारी ने समाज मे फैली कुरीतियों को दूर करने मे अहम भूमिका निभाई है ।"

"● अगर ए चाहे तो पूरा जीवन दूसरों को समर्पित करके मानवता को सिद्ध करदे।"

"● इनमे इतना अथाह प्रेम भरा है कि प्रकृति भी इनकी गोद मे खेलने को लालायित होती है।"

"●ए अपनी सन्तान को स्वावलंबी बनाने मे कोई कसर नही छोडती तथा अपनी सन्तान को आदर्श नागरिक के रूप मे देखना ही इसका सपना होता है।"

"●परिवार की खुशी के लिए यह अपनी तमाम खुशियों को भी न्यौछावर कर देती है उसकी खुशी परिवार की खुशी ही होती है।"

"●यहा की नारी सभी बच्चों को अपने बच्चों के समान ही समझती है कही पर बच्चा रोता दिखाई दे तो उसकी ममत्व उभर कर आ जाता है।"

"●ए नारी चाहे तो पती के संकट को दूर कर उसकी दशा ही बदलकर रख दे।"

"●यहां नारी जब अपने सहनशीलता की सीमा पार होती देखती है तो काली और महाकाली का रूप धारण करती है।"

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