Saturday 4 May 2019

तनाव दूर करें/क्रोध आने का कारण कौनसी बात कब होगी फायदेमंद किससे नही करनी चाहिए मन की बात

तनाव दूर कैसे करे ?

तनाव दूर करने के उपाय एवं टिप्स

How to relieve stress

Tips and tips to relieve stress


How to be stress free in Hindi 

आज हर व्यक्ति खुद को सफलता के लिए तैयार कर रहा है. अपनी life को बेहतर बनाने में लगा हुआ है. एक विद्यार्थी जहाँ अपनी परीक्षा में अच्छा करना चाहता है वही एक बिजनेसमेन अपने बिजनेस में मुनाफा कमाना चाहता है. हम सब लोग एक Better Life के लिए Preparing करने में लगे हुए है।

Tips and tips to relieve stress आज के जीवन मे तनाव मे रहना आम बात हो गयी है। किसी किसी ने तो इसे फैशन जैसा ही बना दिया है। अधिकतर लोग अकेलेपन का शिकार होते जा रहे है। यही कारण उन्हे समाज से बहुत दूर लेजा रहा है । यह समस्या आज हर वर्ग मे फैली हुयी है , इसका कारण है कि हमारे अन्दर तालमेल की कमी होती रही है , जिस कारण हम अपने आप को समायोजित नही कर पाता रहे है।Tips and tips to relieve stress


इसका मुख्य कारण है की हर किसी को आज अपने काम को जल्दी खत्म (समाप्त ) करने आदत से है। चाहे जो भी हो ,बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर वर्ग मे यह समस्या है। 

Tips and tips to relieve stress

उसका दिमाग उसी काम मे छिपा हुआ है , कि जब तक वह पूरा न हो जाये , हमने उस काम को बोझ की तरह अपने जीवन मे लिया है । हमारे सोचने के ही नजरिये नजरे उसे कठिन बना दिया है ।

Tips and tips to relieve stress जबकी हमे मालूम है कि पहले के लोग हमसे जादा काम किया करते थे । लेकिन वे लोग हंसी खुशी उसे पूरा करने देते थे। कारण यह था कि वे लोग कार्य को बोझ नही बल्कि खेल के रूप मे अपनाते थे।और वे कभी भी तनाव मे नही रहते थे ।


तनाव अक्सर हमारे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कल्याण के लिए  दुर्भावनापूर्ण होता है। क्योंकि वह अपने लिये तो खराब है ही , समाज के लिए भी अभावग्रस्त है। इसका कारण यही है कि जब हम अपनी जरूरतों को पूरा होते नही देख पाते है , या अपेक्षाओं और दबाव ,जो या तो बाहरी दुनिया या हमारे भीतर हो हम प्रभावी ढंग से उससे सामना नही कर पाते है।  जब हम उससे विपरीत चलते दिखाई देते है तो फिर हमे तनाव से होकर गुजरना पढता है। और यही तनाव जब लम्बे समय तक चलता है तो यह हमारे शरीर,मन,सोच,आचार , विचार , भावना ,व्यवहार आदि मे काफी परिवर्तन आ जाता है। और परिवर्तन पक्ष मे नही बल्कि विपक्ष मे अधिक चलता है।

Tips and tips to relieve stress हालांकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए तनाव का अनुभव दूसरों से अलग हो सकता है। क्योकि परिस्थितियों से सामना करने की जितनी उसकी छमता होगी । वह उसी पर निर्भर करती है। तनाव को अक्सर पुरूष जहां तक होगी सके छुपाने की कोशिश करते है , लेकिन स्त्री कभी उसी छुपाती नही है । यही मुख्य कारण है ,तनाव को जितना जादा दबाने की कोशिश करोगे वह उतना ही गहरा होता जायेगा । मै समझता हूं कि तनाव कार कोई इलाज भी सम्भव नही है।


तनाव मे आने के मुख्य लक्षण---Main symptoms of stress



  • अपने आप से ग्लानि, हीन भावना आ जाना।
  • समाज मे उचित सम्मान न मिलना या उसकी बातो का अनादर करना।
  • घर परिवार मे कलह होना ,या किसी इच्छा की पूर्ती न हो पाना।
  • परीक्षा परिणामों उचित सफलता हासिल न कर पाना।
  • परीक्षा परिणामों मे अच्छी-खासी  उपलब्धि प्राप्त न कर पाना।
  • समाज व दोस्तो के बीच भेद भाव होना।
  • किसी नशे का या बुरी आदत का शिकार होना ।
  • प्रेम प्रसंग मे सफलता या मन के मुताबिक काम सफल न हो पाना।
  • कार्य क्षेत्र मे समानता कामरेड अवसर प्राप्त न हो पाना।
  • गरीबी व लाचारी तथा जीवन चर्या डगमगाना ।
  •  आर्थिक तंगी या जेब खर्च का संकट मंडराना ।
  • गलत संगती या समाज का दुष्प्रभाव हो जाना।


आदी कयी कारण है जिससे व्यक्ति तनाव मे आ जाता है । ऐसे मे उस व्यक्ति से क्रोध न करके उससे सौम्य वा मधुर शब्दो मे बात करनी चाहिए । नही तो उसका तनाव उसको इस दुनिया से कही और जगह लेजा सकता है । यानी वह व्यक्ति अपना सन्तुलन खो करके दिमागी हालात से हारकर पागलपन का शिकार  हो सकता है । इसे जल्दी से जल्दी दूर करने की कोशिश कीजिए अन्यथा देर हो गयी तो आजीवन उसका सुधार नहि हो सकता है। क्योंकि यह वह बिमारी है जिसका कोई इलाज शायद सम्भव नही है। इसका यही इलाज है कि वह परिवार उसकी पूर्ण जिम्मेदारी ले करके उसे प्यार तथा सौहार्द देने की कोशिश करे।


तनाव मे शारीरिक लक्षण--- Physical symptoms of stress ---



सीने मे तेज दर्द होना ,
● सांस लेने मे अत्यधिक कठिनाई महसूस होना,
● वजन मे कमी आ जाना,

●  -सिर मेकअप अधिक तेज दर्द होना,
● कामवासना की पूर्ती न कर पाना या उसके प्रति रूची न लेने पाना,
● पूरे शरीर में अकढन या दर्द महसूस होना,
● अपच हो जाना,
● बार बार चक्कर आना,

इसके आदी कयी लक्षण हो सकते है। तनाव का सबसे बुरा प्रभाव यह है कि इसमे नींद बिल्कुल ही गायब हो जाती है। या वह सीमित समय से जादा भी सो सकता है यह उसकी आवश्यकता पर निर्भर करता है।लेकिन वे किसी भी मौसम में अपने आपको ताजगी महसूस नही कर पाते ।


जीवन मे कोई थकान की  भावना------तनाव को दूर भगाने के उपाय----

●हर समय तैयार रहे-----
जीवन मे कैसी भी समस्या क्यों न आये उसके लिये हर समय तैयार रहे। अपने को हर समय चुस्त-दुरुस्त रखे। किसी भी कार्य मे नकारात्मक भाव पहले ही न आने दे इससे आपको मजबूती मिलेगी।


जीवनशैली -----
यह जरूरी है कि अपने जीवन को हर प्रस्थिती से जूझने के लिए प्रेरित करे।प्रतिदिन व्यायाम करे शुबह जल्दी उठे और दो पल के लिए ईश्वर का ध्यान जरूर करे।


विश्वास रखे---
किसी भी कार्य मे पहले ही हार मानना सही नही है भले ही उसमे असफलता मिले लेकिन पहले उसे इस तरह शुरू करे किसी आपको इसमे सफलता ही हासिल होगी।

व्यक्ति अगर थोडा भी मेहनत करता है तो उसे लगता है किसी उसकी जान ही निकल गयी है । क्योंकि उसकी अन्दर की इन्द्रियां सोयी हुयी है , थकान तो महसूस होगी ही। वह निरंतर कमजोरी महसूस करता है जिस कारण वह काम ध्यान नही दे पाता है।वह व्यक्ति चाहे कितना भी सोले लेकिन कभी भी तरोताजा महसूस नही कर पाता।

क्रोध आने के प्रमुख कारण---
(1)---हठ करना---

पहला कारण यही है कि हमारी हठ यह साबित कर देती है कि गलत भी सही है लेकिन किसी कारणवश जब हमारी बात स्वीकार नही होती तो हमे गुस्सा आने लगता है। ऐसे लोग किसी को भी नुकसान पहुचा सकते है।

(2)--चुगली करना---
मनुस्मृति मे कहा गया है कि चुगली करना भी मनुष्य की एक बुरी आदत है। जब हम दूसरो की चुगली करते है और अगर दोषी पाये जाते है तो फिर हमे एकदम क्रोध आ जाता है। क्रोध हमेशा व्यर्थ का ही होता है क्योंकि उसका कोई औचित्य नही होता है।चुगली करने से मानसिक सन्तुलन तथा मान-सम्मान मे भी कमी आती है और लोग भी उससे दूरी बनाने लगते है। यह भी क्रोध का ही कारण है।

(3)--साहसी---
साहसी होना बहुत अच्छी बात है किन्तु क्रोध मे आकरके मनुष्य दुस्साहसी बन जाता है। वह ऐसा कर्म करने मे भी नही घबराते जो समाज तथा खुद के लिए घातक हो।

(4)--विद्रोह की भावना ----
क्रोध से विद्रोह की भावना भी जागृत होती है। यानी अपनी बात को मनाने के लिए दूसरो से क्रोध मे आकरके झगडा मोल लेना।यह भी एक बुरी आदत है। क जब बात सामान्य हो जाती है तो फिर आपको शर्मिन्दा होना पडता है। सिर खुद को ही दोशी मानने लगते हो।

(5)---जलन की भावना ---
दूसरो के प्रति द्वेष भावना रखना यानी अपना ही नुकसान करना। क्योकि यही एक बुरी आदत है। हम किसी का सुख सहन नही कर पाते और जो हमारे पास खुशी है हम उसे भोजन खो देते है। ऐसे लोग दूसरो की तरक्की देख नही सकते वे दूसरो को नुकसान पहुंचाने मे भी कोई कसर नही छोडते।

(6)---गाली गलौज करना---
किसी व्यक्ति की आदत होती है कि जबतक किसी को गाली न दे , उसका खाना पाचन ही नही होता है। और यह उसकी दिनचर्या बन जाती है। वह समाज मे अपनी प्रतिष्ठा तो खोता हो है लेकिन अपना अमूल्य समय भी नष्ट कर देता है। दूसरो को गाली देते समय वह अपना आपा खो देता है तथा अपने शब्दों पर काबू नही रख पाता है।

(7)---दूसरो मे दोष देखना---
यह भी एक बुरी आदत है कि हम दूसरों हमेशा दोस ही देखते है जिससे हमारी भावना भी दोष युक्त हो जाती है। जो दोष हम दूसरो मे देखते है दरसल वे अवगुण हमारे खुद के अन्दर होते है तभी हम दूसरो को भी उसी मे तोलते जाते है। जबकी यह भी एक बुरी आदत है।

(8)---बुरा व्यवहार करना---
यह भी एक गलत आदत ही है कि हम दूसरो से गलत व्यवहार करते है।हम खुद को श्रेष्ठ मानते है। जो भी है हमी है। दूसरा कुछ नही जानता ऐसी भावना मनुष्य को बहुत दुर्बल बना देता है।

इन 5 लोगों से करना चाहिए कठोर व्यवहार -
These 5 people should be treated harshly -----

(1)---दुर्जन व्यक्ति से---

दुर्जन व्यक्ति से आप जितनी सौम्यता से बात करोगे वह तुम्हारे लिए उतना ही घातक होगा। क्योंकि उसके स्वभाव मे अच्छी या प्रेम की बाते नही समायी हुयी है। वह सोचता जैसा मेरा व्यवहार है पूरी दुनिया का वैसा ही व्यवहार है। उसे अच्छी बाते बुरी लगती है और कटु बाते प्रिय।
इसीलिए यदि आपको उससे अपना काम निकालना पडे तो उससे कठोरता से ही निकाला जा सकता है।

(2)---दुष्ट नारी ----
दुष्ट नारी जब अपने पती व परिवार की नही सो सकती तो वह तुम्हारी क्या होगी। ऐसी नारियों से हमेशा बचना चाहिए। वैसे तो हमारे समाज मे नारियों को सम्मान दिया जाता है चाहे वह कैसे ही स्वभाव की क्यों न हो, परन्तु कुछ तो शैतान प्राणियों जैसा व्यवहार करती है फिर उनसे सौम्यता से पेश आना मूर्खता है। इनसे भी अपना काम निकालने के लिए कठोरता से हि पेश आना चाहिए नही तो यह तुम पर भारी पड़ सकती है।

(3)---दासी या नौकर---
इस प्रकार के लोग थोड़ा नरमी स्वभाव के होते है। इन्हे जरा सी प्रेम से बात क्या करलो कि ये मित्र जैसा समझने लगते है। और फिर उनसे काम कराना मुस्किल हो जाता है।
अपना काम निकालने के लिए इनसे भी कठोरता से ही पेश आना चाहिअः।

(4)---कारीगर व मजदूर ----
कारीगरी करने वाले कुछ तो प्रेम स्वभाव के होते है किन्तु अधिकतर दिल से हठी व कामचोर होते है। ये लोग बहाना बना करके काम को अधिक लम्बे समय तक खींचते है।यदि आप इनसे प्रेम जायेगे तो ये आपका काम व्यवधान कर सकते है।

(5)---ढोलक व अन्य वाद्य यंत्र ---
ये वाद्य यंत्र भी ऐसे ही होते है कि अगर इन्हे धीरे-धीरे बजायेगे तो शुर मे उतना मजा नही आयेगा क्योंकि अच्छे संगीत के लिये इन्हे भी जोर से पीटना पडता है । यानी ये भी प्रेम की भाषा नही समझते है।

किन लोगों से करनी चाहिए कैसी बातें ----
Who should talk to whom?

(1)--मूर्खों से कभी विनती न करे---
मूर्ख व्यक्ति से विनती करना भी एक मूर्खता है क्योंकि कि उसे किसी की भावनाओ की कदर पनपी होती है , उसे हर चीज मजाक लगती है।उसेसे आग्रह की बात करना वह कभी नही समझता बल्कि आपकी मजाक बनाने लगेगा। इनसे सकती से ही पेश आना चाहिए।


(2)---कुटिल व्यक्ति से प्रेम की बाते ---
प्रेम अपने आप मे एक शक्ति है जो सबको समाहित कर देती है लेकिन कुटिल व्यक्ति कभी भी प्रेम की बात नही समझता है। ये लोग स्वभाव से बेईमान होते है तथा हर समय दूसरो को कष्ट देने का षड्यंत्र ही रचते रहते है।ये लोग भरोसेमंद नही होते है। दूसरो को कभी भी कष्ट देने सकते है।

(3)--कामी से भक्ति की बात ---
कामवासना चाहे स्त्री मे हो या पुरूष मे दोनों को कमजोर बना देती है। उन्हे सेक्स के अलावा कुछ भी नही दिखता है। इनसे भगवान या भक्ति की बात करना मूर्खता है। क्योकि ये इसको व्यर्थ मानते है।अति कामी रिश्तों मे भी दरार डाल देते है।

(4)--क्रोधी से शांती से बात करना----
क्रोधी व्यक्ति आवेश मे आकरके सब कुछ भूल जाता है। उससे शान्ति की बात करना भी मूर्खता है क्योकि उससे चुप रहने मे ही भलाई है। जब उसका गुस्सा शांत हो जाये तब उससे बात करनी चाहिए।

(5)---अधिक लोभी---
अधिक लोभी व्यक्ति से भी कभी ज्यादा बात नही करनी चाहिए क्योंकि वह आपके लिए कब घातक हो जाये कुछ पता नही चलता। क्योंकि उसके मन मे हर समय लोभ की भावना छुपी रहती है। ये कभी भी धन से आगे नही सोचते ये लोग अपनो को भी धोका देने से नही घबराते है तो आप क्या चीज है। इनसे जितना हो सके बच के रहना चाहिए।


कुछ ऐसी बाते जो किसी को नही बतानी चाहिए---
(1)--अपने द्वारा किया गया दान--
आप जब भी दान करे तो जितना हो सके उसे गुप्त ही रहने दे। आप दानी तभी कहला पायेंगे। अन्यथा दूसरों को बता करके भी कोई आप पर यकीन नही करेगा बल्की आपकी खिल्ली उठायेगा और दानी रहने योग्य भी नही रह पाओगे।
इसीलिए शास्त्रों मे भी दान को गुप्त रखना ही माना गया है।


(2)--धन हानी होने पर बखान न करे---
कहा गया है कि अगर आपका सबकुछ लुट गया हो या धन हानि हो गयी हो तो किसी भी आदमी को नही बताना चाहिए वरना मुसीबतों का असली सामना तो तब करना पडेगा।
क्योंकि उसके बाद कोई भी मदद नही करता बल्कि आपकी और अधिक बेइज्जती करने लगते है। लोग आपको कमजोर समझने लगते है। जितना हो सके इसे अपने तक ही सीमित रखिए।

(3)--दुख प्रकट न करो---
आज का जमाना बदल चुका है यानी कोई भी बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद नही करता है बल्कि  दुखी व्यक्ति को परेशान करने मे लोगो को और अधिक मजा आता है।
इसीलिए अपना दुख किसी से भी नही कहे वह तुम से ही शान्त होगा। दूसरे उसे बडाने की कोशिश करेगे।

(4)---पत्नी का व्यवहार---
पत्नी घर की लक्ष्मी होती है। चाहे वह कैसी भी हो। उसके चरित्र का बखान दूसरों के सामने नही करना चाहिए। अपना घर का राज जितना हो सके वह अपने तक ही सीमित हो।अगर बात बाहर तक पहुंच गयी तो उतना वह होगी नही जितना लोग उसे बना देंगे।
इसीलिए कभी भी  परिवार और पत्नि की बाते बाहर न बताये।

(5)---बीता हुआ अपमान न बताएं---

तुम्हारे साथ जो अपमान किसी के द्वारा हुआ है उसे किसी को न बताये नही तो लोग आपका मजाक उडायेगे।


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