Tuesday 7 May 2019

वास्तविक सच /मनुष्य जीवन का सच जीवन का कडवा सच

मनुष्य जीवन का सच

जीवन का कडवा सच

Truth of human life
The bitter truth of life

1)-- यह एक जीवन का तजुर्बा है,कि वक्त गुजरत जाता है, परन्तु हम जो करना चाहते थे , उसे कर नही पाते। यही आसक्ति हमे खुशी से जीने नही देती ।


2)-- मानव भी अजीब होता है , जो वह करता है ,या सोचता है। वही सब वह दूसरे के बारे मे भी सोचता है , और करता है। यही बात उस मानव की सच्चाई बयां करता है।


3)-- अक्सर मनुष्य सब से कहता रहता है। कि इस दुनियां मे क्या रखा है,जो आया है उसे जाना ही है।इसीलिए सद कर्मो को महत्व दो।लेकिन वह कभी उस राह पर नही चलता,या उस सच्चाई को वह खुद ही महसूस नही कर पाता ।


4)-- मनुष्य कभी कभी-कभार दूसरों को ऐसी नसीहत दे देता है कि उस व्यक्ति को जीने की राह मिल जाती है।लेकिन जब अपना वक्त खराब चल रहा हो तो उसे सहारे की जरूरत पडती है।


5)-- इन्सान की कमजोरी है कि वह अपना फैसला खुद नही ले पाता। जबकी उसके हृदय से जो पुकार निकलती है वही उसे उस मंजिल तक पहुँचा सकती है।लेकिन हम दूसरों के मार्गदर्शन पर अधिक निर्भर रहते है।


6)--मनुष्य जब एक रूपए का दान करता है तो ढिंढोरा पीटने लगता है। लेकिन जब कोई लाखों रूपए की चोरी करता है तो किसी को खबर नही होती।यानी  अगर हमसे कोई अच्छा या बुरा कर्म हुआ हो हमे उसका आंकलन करके हम अपने जीवन को सुधार सकते है ।


7)मनुष्य जैसा सोचता है वह वैसा कभी नही बन सकता लेकिन वह जैसा सोचता है और उसी अनुसार कर्म करता है। वह वैसा ही बन जाता है ।


8)सन्त का सही अर्थ यह नही कि वह चोला पहने घूमते रहे।बल्कि सच्चा सन्त वही है जो दूसरों को सही मार्ग पर ले जाये और लोगों की धारणा बदल सके। तथा सृष्टि के कल्याण के लिए हर समय तत्पर रहे। और उसके लिए भेसधारी होना जरूरी नही है।


9)मनुष्य जब तक अपने मन को साफ नही करेगा  तभी तक वह किसी भी चीज को हासिल नही कर सकता क्योंकि इस दुनियां हर चीज उस ईश्वर की है और वह ईश्वर हर चीज मे समाये हुए है। और ईश्वर स्वच्छ हृदय मे ही निवास करते है।


10)सच्चा प्रेमी वही है जो निस्वार्थ और बिना किसी लालसा के हर सुख दुख मे साथ दे। तथा उसे अपने प्रेमी के हर दुख दर्द का एहसास हो। वर्ना जो स्वार्थ वश प्रेम करता है या इच्छा पूर्त के लिए प्रेम करता है वह तो अनन्य मिल जाते है।



मनुष्य का श्रेष्ठ कर्म  (Best deeds of man)


एक सवाल जिससे मनुष्य अनजान है अगर वह इन सवालों के अर्थ को समझ सके तो उसका जीवन सफल हो सकता है ।
लेकिन काम वश तथा भोग-विलास जीवन मे इस तथ्य को समझ पाना मुमकिन नही है ।आइये मेरे स्वयम के ज्ञान से अभिभूत कुछ तथ्य ।

1-(पथ)- 
जीवन का वह रास्ता जिस पर योगी तथा महान लोग चलकर मनुष्य निर्माण के लिए कार्य करते हुए इस संसार को सार्थक बनाते है।वही रास्ता जीवन मे श्रेष्ठ है ।

2-(कर्म )-
 ऐसा कर्म जिसमे सत्य, अहिंसा, धर्म, परोपकार तथा परहित भावना समाहित हो जो निस्वार्थ तथा कर्तव्य परायण हो जिस कर्म मे ईश्वर का अंश निहित हो वही कर्म श्रेष्ठ है ।

3-(समय)- 
वह समय जो हर वक्त देश हित तथा जीव हित के लिए कर्म निष्ठ हो तथा सही समय पर सही कार्य करना व कार्य की सार्थकता को समझना तथा  समय की अहमियत को समझे और उसका सदुपयोग करे वही सही समय है ।

4-(आश्चर्य )- 
किसी कार्य को ये समझ कर टाल देना कि इसका समय अभी नही है ।फिर वह कभी नही आता मनुष्य का जन्म -मरण भी एक आश्चर्यजनक ही है जिसका होना या मरना निश्चित नही है । इसी लिये जो जीवन मिला है उसी स्वीकार करके सत्यनिष्ठा से कर्म करते रहो ।नही तो वह भी आश्चर्य बन जायेगा।


5-(धर्म )-  
मनुष्य का एक ही धर्म है जीवो पर दया करना लेकिन वह तो जाती बन्धन मे पड करके अपनी दिव्य शक्ति को खो रहा है जो उसका मूल् धन्य है उससे विमुख होता जा रहा लेकिन जिसने इसकी सार्थकता को समझा वही सही मे धर्म है।


6-(संस्कार )-
संस्कार वही है जो हमे महापुरुष बनाते है हमे ही यह सोचना चाहिए कि हमे  अपना निर्माण कहां तक करना हमे अपने अन्दर की शक्ति को जगाना है और जो ऐसा करने मे सफल है वहीं संस्कार है।

7-(आत्मा)- 
 यह सत्य है कि  यह ईश्वर का ही स्वरूप है  फिर भी क्यो इससे अनजान रहता है और दूसरे की आत्मा को दुखित करता जबकि उसमे भी वही आत्मा स्वरूप  ईश्वर है ।




जो न कभी मरता है न कभी उसका अंत होता है यह तो साश्वत है। जो इस बात को ध्यान रखे उसी मे सच्ची आत्मा का वास है ।

सच्ची साधन क्या है?What is true means?


वास्तव मे साधना ही ज्ञान की पूंजी है । वे साधक (जो साधना मे लीन हो ) जिन्होंने  इस भौतिक युग के भाग दौड भरे जीवन मे साधना का मार्ग चुना है वे सभी धन्य है ।निश्चित ही उनमे कोई अलौकिक शक्ति निहित है, जो उन्हे दूसरे से हटकर बनाते है।
इस संसार मे सभी अपने सुखो को भोग रहे है , जबकी उपभोग मे असली सुख नही है, जितना हम भौतिक सुख के पीछे भागेंगे उतना अधिक कष्ट हमे प्राप्त होगा। और जो साधना करके अपने बुरे कर्मो का पश्चाताप करते है । उन्हे सही मार्ग चुनने मे कभी परेशानी नही होती ।

जो साधना मे लीन रहते है ,
उनका सौभाग्य  इससे भी सहस्त्र गुना  अधिक  हो जाता है । यानी अगर वह व्यक्ति थोड़ा भी सदस्य कर्म करता है तो उस साधना  उसे दुगुना फल प्राप्त होता है ।उन्हे  अपने जीवन मे कोई ऐसा गुरू मिल जाता है , जो उसकी दशा और दिशा दोनो बदल कर रख देता है। 

और ये ही सत्य है कि मनुष्य का उद्धार सद कर्मो से ही होता है, जिस ईश्वर ने हमे यह जीवन दिया है , उसकी भक्ति  और भजन का मार्ग ही उसे मुक्त करता है । यानी अन्य मुक्ती का मार्ग और कोई नही है । इसी लिये किसी कोई भी अपना परम गुरु या आदर्श मानकर उसके निमित्त साधना करना व उसके आदर्शो का पालन करना।

● साधना ही जीवन का वो श्रेयस्कर तथा श्रेष्ठ विधा है जिसको अपनाने से ही जीवन मे सफलतायें मिलने के साथ-साथ  अद्वितीय व्यक्तित्व तथा चारित्रिक का निर्माण होता है ।

● साधना की महत्ता को समझने के लिए किसी गुरू की आवश्यकता होती है , गुरु का अभिप्राय सिर्फ मानव मात्र ही नही अपितु वह जड,चेतन,पशु,पक्षी,प्रकृति कोई भी हो सकता है। साधना मे लीन व्यक्ति के मन मे कभी भी  बुरे भाव,विचार, चेष्टा,लोभ,कर्म का आगमन नही होना चाहिए । इससे साधना करने वाले व्यक्ति की साधना का कोई प्रभाव या महत्व नही रह जाता।

साधना मे गुरु का महत्व Importance of Guru in Sadhana

गुरू का हमारे जीवन मे बडा महत्व है, गुरु ही हमे वो ज्योति प्रदान करते है , जिससे हम सफल व्यक्ति कहलाते है ।
वेदो मे कहा गया है ---(तमसो मा ज्योतिर्मय )अर्थात गुरु ही हमे अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते है।
आप अपने मन मस्तिष्क मे गुरु का स्मरण करके प्रार्थना करना कि मेरी बुद्धि को सदन मार्ग पर ले जाना  और मेरे द्वारा कोई भी बुरा कर्म न हो
आप प्रार्थना करे आपके हृदय मे गुरु स्थापित हो ,हाथ जोडकर गुरू मंत्र का उच्चारण करे---
● गुरूर्बिष्णु गुरूर्देवो महेश्वरः ।गुरू: साक्षात् पर ब्रह्मा तस्मै श्री गुरवे नमः ।।
●ध्यान मूलं गुरो मूर्ति: पूजा मूलं गुरो पदम् ।मंत्र मूलं गुरूर्वाक्यं मोक्ष मूलं गुरो : पा  ।।
अपने हृदय मे गुरू का सच्चा स्वरूप स्थापित करे आपको सद गति प्रदान होगी।



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