Thursday 30 May 2019

नशा मुक्ति --विश्व तम्बाकू निर्मूलन दिवस

(नशा मुक्ति)
Draks day
 विश्व तम्बाकू निर्मूलन दिवस  (31मई)
nasha mukti
Nasha mukti

दोस्तो मनुष्य इस सृष्टि का सबसे सुन्दर तथा ज्ञानी प्राणी है। है जिसके अन्दर सोचने समझने की शक्ती है। वह अपना भला बुरा सोच सकता है। फिर भी मनुष्य नशे को अपनी आदत बना देता है। मनुष्य जीवन चौरासी लाख योनियों के बाद नसीब होता है। और उसके अन्दर ईश्वर आत्मा के रूप विद्यमान रहता है लेकिन जब मनुष्य नशे को अपनी आदत बना देता है तो वह ईश्वर भी उससे रुष्ट हो जाता है वह भी उसका साथ नही देता है।

क्योकि हमारे शास्त्रों मे कहा गया है कि शराब सबसे गन्दा पदार्थ है अगर इसे सोने के कलुष मे भरा दिया जाये, तो वह लाख यज्ञ करने के बाद भी शुद्ध नही हो सकता। तो विचार कीजिए कि वह मनुष्य कितना गन्दा होगा और उसके विचार तथा उसकी भावना कितनी गन्दी होगी ।

दोस्तो  संघर्ष को मानव जीवन का दूसरा नाम कहा जाता है। इसी संघर्ष से व्यक्ति कुंदन की तरह शुद्ध और पवित्र बन जाता है जिन लोगों का ह्रदय कमजोर होता है या जिनका निश्चय सुदृढ नहीं होता है वे संघर्ष के आगे घुटने टेक देते हैं। वे अपनी सफलता से बचने के लिए नशे को सहारा बनाते हैं। और कुछ लोग अपने शौक को पूरा करने के लिए इसका शिकार बन जाता है, या सोचता है कि जीवन मे मौज मस्ती के अलावा क्या रखा है। या वह गलत संगती के कारण भी  इस बुरी आदत का शिकार हो जाते है।

  अक्सर लोग सोचते है कि दो दिन की जिन्दगी है खुश होकर जिओ लेकि कुछ लोग कह देते हैं कि हम गम को भुलाने के लिए पीते हैं। इसी से हमारे मन को शांति मिलती है। नशा करने से दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है लेकिन क्या सचमुच नशा करने से व्यक्ति दुखों से मुक्त हो जाता है? अगर ऐसा होता तो पूरे विश्व में कोई भी दुखी और चिंताग्रस्त नहीं होता। सभी इसका सहारा लेकर अपने दुख को कम कर देते। लेकिन यह एक ऐसा विषाक्त दुश्मन है जो मनुष्य जीवन को नष्ट कर देता है, और उसके अनुसार हमारा खान पान मे काफी बदलाव आ जाता है। हमारी सोचने समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है, और हमे कुश भी अच्छा महसूस नही होता है।

सद्गति व दुर्गति:
मानव जीवन बहुत ही निर्मल होता है। इसे ईश्वर का उपहार माना जाता है और  मानव जीवन में सात्विकता, सज्जनता, उदारता और चरित्र का उत्कर्ष होता है। वह खुद का ही नहीं बल्कि अपने संपर्क में आने वाले का भी उद्धार करता है। पूरा समाज और परिवार उसी पर निर्भर है। इसके विरुद्ध तामसी वृत्तियाँ मनुष्य को पतनोन्मुखी करती हैं उनका मजाक करती हैं। उसकी समाज मे बहुत मानहानि होती है सभी उसे देखकर थू थू करने लगते है।

एक पतनोन्मुख व्यक्ति समाज और राष्ट्र के लिए भी बहुत ही घातक सिद्ध होता है। क्योंकि उसमे सोचने समझने की शक्ति नही होती है। वह किसी के लिए भी अनिष्टकारी बन सकता है। इसलिए समाज सुधारक और धार्मिक नेता समय-समय पर दुष्प्रवृत्तियों की निंदा करते हैं और उन से बचने के लिए भी प्रेरणा देते हैं। मदिरापान और नशा सब बुराईयों की जड़ होते हैं। यह मनुष्य को नर्क मे धकेल देता है। उसका जीवन नर्क जैसा बन जाता है।
नशा छुड़ाने का आसान तरीका, नहीं होगा एक भी पैसा खर्च।

दोस्तों मनुष्य का जन्म कयी पुण्य कर्मो के बाद ही नसीब होता है और अगर इसे भी वर्थ मे गवां दिया जाये तो फिर उसका जीना ही बेकार है।कहते है लत बुरी चीज है, वो शराब की हो, बीड़ी सिगरेट की या फिर गुटखे की। या कोई भी अन्य नशा हो नशा कोई भी अच्छा नही होता है। वह मनुष्य का पतन ही करता है। यह एक बार शुरू हो जाती है तो फिर इससे पीछा छुड़ाने मे पूरा जीवन ही मिट जाता है पर इससे पीछा नही छूटता है। लोगों को इसे छोड़ने में बड़ी परेशानी होती है। पर आपको बता दें, कि नशा छुड़ाने या लत को दूर करने के लिए कोइ दवा नहीं बनी है। यदि नशे की लत छोड़नी है, तो बस एक उपाय है। यदि आप मन में ठान लें, तभी नशा छोड़ सकते हैं। क्योंकि कि जितना आप अपने लिए सोच सकते है। जितना आप अपने बारे मे जानते है। जितना आप अपना हित समझते है। उतना कोई और नही सोच सकता। आपको अपनी संकल्प शक्ति को तीव्र करना होगा , अपनी संकल्प शक्ति को मजबूत करना होगा तभी आपको इस पर विजय प्राप्त कर सकते है। अन्यथा कोई भी आपकी लत को सुधार नही सकता।

नशा को बढावा देने के लिए बाजार मे भी कही साधन है। हितकारी  नाम से एक चूरन दुकानों पर आम तौर पर मिल जाता है। इस चूरन में भांग होती है। नव ज्योति नशा मुक्ति केन्द्र के संचालक अरुण बताते हैं कि टीनएजर्स की भी नशा मुक्ति केन्द्र में 25 फीसद संख्या रहती है। इसमें सबसे अधिक टीनएजर्स स्प्रिट और पेट्रोल से नशा करने वाले आते हैं। जहां तक हो सके अपने मन से इसका नाम तक निकाल फेक दीजिए। अपना समय अच्छे कामों मे या परोपकार मे अधिक लगाइए इससे भी आपको कुछ सहायता प्रदान होगी।

  और  ऐसा पता लगाएं कि पड़ गई है लत शराब, सिगरेट, ड्रग्स या गुटखा, खैनी का सेवन थोड़ी मात्रा में भी शरीर को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन जब यह लत बन जाता है तो स्थिति काबू से बाहर होने लगती है। लत का मतलब है कि जिस चीज की लत है, वह जब तक न मिले, पीड़ित बेचैन  रहता है। जब वह चीज उसे मिल जाए तो वह सामान्य लगने लगता है, लेकिन असल में वह अंदर से बेहद कमजोर और बीमार हो चुका होता है।

मदिरापान सभी बुराईयों की जड़ :
दोस्तों किसी विद्वान् ने यह बात बिलकुल सत्य कही है कि मदिरापान सब बुराईयों की जड़ होती है। और यह शास्त्रो ने भी सिद्ध किया है कि नशा एक ऐसो चीज है जो व्यक्ति को अपने स्वभाव मे ढाल देता है। और उसे राक्षस प्रवृति पर्व उतारू देता है।  मदिरा मनुष्य को असंतुलित बनाती है। शराबी व्यक्ति से किसी भी समाज की बुराई की अपेक्षा की जा सकती है। इसी कारण से हमारे शास्त्रों में मदिरापान को पाप माना जाता है। और पापी मनुष्य समाज ही क्या अपनी आत्मा के लायक भी नही होता।

  हर मनुष्य यही सोचता है कि नशा खराब नही होता और  शुरू में तो व्यक्ति शौक के तौर पर नशा करता है। उसके दोस्त उसे मुफ्त में शराब पिलाते हैं। कुछ लोग ये बहाना बनाते हैं कि वे थोड़ी-थोड़ी दवाई की तरह शराब को लेते हैं लेकिन बाद में उन्हें लत पड़ जाती है। जिन लोगों को शराब पीने की आदत पड़ जाती है उनकी शराब की आदत फिर कभी भी नहीं छूटती। और वह इस सुन्दर जीवन को तबाह कर देता है। इसकी उपयोगिता को नष्ट कर देते है।

शराबी व्यक्ति शराब को पीकर विवेकशून्य हो जाता है और बेकार, असंगत और अनिर्गल प्रलाप करने लगता है।  वह अपनी सन्तान को भी नही बरसता तथा अपनी सारी जीवन पूंजी लुटा देता है। उसकी चेष्टाओं में अशलीलता का समावेश होने लगता है। वह शिक्षा, सभ्यता, संस्कार और सामाजिक मर्यादा को तोडकर अनुचित व्यवहार करने लगता है। गाली-गलोंच और मारपीट उसके लिए आम बात हो जाती है। और यही आदत उसको बर्बादी की ओर ले जाता है।

मदिरापान परिवार की बर्बादी का कारण :
दोस्तों नशा एक ऐसा शत्रु है जो मनुष्य को कुमार्ग पर जाने के लिए प्रेरित करता है। और कहा जाता है कि अगर शराब को कम मात्रा में शराब दवाई का काम करती है। डॉ और वैद्य भी इसकी सलाह देते हैं लेकिन ज्यादा तो प्रत्येक वस्तु का बुरा है। अति किसी भी चीज की अच्छी नही होती है । यह विनाश की ओर ले जाता है।  ज्यादा पीने से ये शराब जहर बन जाती है। नशे की लत से हमने बड़े-बड़े घरों को उजड़ते हुए देखा है। कयी लोगों ने अपने परिवार को भी दाव पर लगा दिया है। अपने जीवन साथी यानी पत्नी को भी अपनी लत पूरी करने के लिए बेच देते है। कितनी नकारात्मक भाव उसमे प्रवेश होती है। कितना अधर्मी वह बन जाता है।

जिस पैसे को व्यक्ति खून-पसीना एक करके सुबह से लेकर शाम तक कमाता है जिसके इंतजार में पत्नी और बच्चे बैठे होते हैं वह नशे की हालत में लडखडाता हुआ घर पहुंचता है। तो वह मासूम पत्नी और नादान बच्चे इसी मानसिक पीडा के शिकार होते है कि अगर पड़ोसी उसे देखेंगे तो उसका मजाक उड़ाते रहेगें और समाज मे उनकी बहुत हानी होगी,कोई भी उनकी सहायता करने को हाथ नही बडायेगा। मोहल्ले वाले उसकी बुराई करते हैं लेकिन बेचारी पत्नी कुछ नहीं कह पाती है। वह अपने आंसु अन्दर ही छुपा देती है। अपने दर्द को कैसे बयां करे जिसने उसे समझना था वह तो खुद ही दुख देने पर्व उतारू है। और वह केवल एक ही  बात से डरती रहती है कि उसका शराबी पति उसे आकर बहुत पीटेगा। उसके बच्चो के साथ क्रूरता अपनायेगा।  इसलिए वह बेचारी दिल पर पत्थर रखकर जीवन को गुजार देती है।  सिर्फ इस लिए कि उसके बच्चो का क्या होगा अगर उसने कोई गलत कदम उठाया तो उसके बच्चे भी उसके पिता की तरह ही बन जायेगे। इसी डर के कारण वह हर दुख सहन कर लेती है। आखिर एक नारी होने का अभिशाप वह स्वीकार कर लेती है।

निष्कर्ष :

दोस्तो आपके पास इसी संसार मे सब कुछ है आपका सुन्दर परिवार आपकी प्रतीक्षा मे है। आपकी जीवन संगिनी जो हर पल आपकी लम्बी उम्र के लिए प्रार्थना करती है। आप कितने ही दुष्ट प्रवृति के क्यों न ।ओ आपकी पत्नी के लिए आपको सबसे खास है। उसकी भावना को समझे एक उसकी खुशियों को महसूस करे। अपने बच्चों की भावना को समझने की कोशिश करे।

नशे से सबसे कुछ नष्ट हो जाता है आपकी एक आपके अपनों की खुशी भी दूर हो जाती है। मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए जीता है। क्या आपकी अपने परिवार के लिए एक खुशी कुर्बान नही करते सकते। अपनी मानवता को सिद्ध कीजिये आपका परिवार आपकी खुशहाली चाहता है। आप भी उन्हे खुश रखने की कोशिश करें नशा को अलविदा करे।

●● यह भी जाने ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नशे का सेवन करने वाले महिला-पुरुष के आंकड़े-------


नशे का प्रकार                                   पुरुष          महिला          ग्रामीण          शहरी            कुल
 तम्बाकू  खाने वाले                          47.9%          20.3%         38.4%          25.3%          34.6%         सिगरेट एवं बीड़ी पीने वाले              18.3%          2.4%            11.6%           8.4%           10.7%           खैनी                                              19%             4.7%            9.6%             4.5%           13.1%         गुटखा                                           12.1%           2.9%            5.3%             8.4%           9.5%

लिंग                   तम्बाकू  खाने वाले         तम्बाकू  पीने वाले        दोनों प्रकार का नशा करने वाले              पुरुष                  23.6                             15.6                           9.3                                                      महिला               17.3                             1.9                              1.1

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