Thursday 2 January 2020

पिता क्या होता है? ( father of importens) Fathers day, मेरे जीवन मे पिता का महत्व,पिता के आदर्श, पिता का दर्द, पिता पर निबन्ध

पिता क्या होता है? 

 father of importens

Fathers day

मेरे जीवन मे पिता का महत्व,पिता के आदर्श, पिता का दर्द, पिता पर निबन्ध(पिता बनना आशान नही होता)


"बेमतलब सी दुनिया में पिता ही एक मात्र  शान हैं
बचपन्न,जवानी, बुढापा गुजरा आखिर पिता ही  पहचान हैं"


"समय का पता ना रात का,पथ पर  जिम्मेदारि ही दिखाई देती है।
शीशे से हृदय पर अक्सर ओ पत्थर ढोया करते है।"


"बेटों की खुशी में पिता हारकर बाज़ी में मुस्कुराया है,
ना समझ शतरंज की उस जीत को मैं अब समझ पाया ।"


मुझको हिम्मत देने वाले मेरा हैं अभिमान पिता
सारे रिश्ते उनके दम से सारे नाते उनसे हैं।
पिता है तो सारा बाजार अपना है और सारी मंजिल अपनी है।
पिता ईश्वर का अनुपम उपहार है।

मेरे जीवन मे माता-पिता का बडा महत्व है, ये दोनों एक ही पहलु है, मां ममता से परिवार को संवारती है तो पिता कई परीक्षाओं से गुजर कर परिवार की खुशियों को पूरा करता है। व्यक्ति के जीवन में हर चीज की एक परिभाषा होती हैं Fathers day
  ये परिभाषाएं तथ्य पर आधारित होती हैं। लेकिन भारत ऐसा देश है जहाँ कुछ परिभाषाएं भावनाओं से बन जाती हैं। ऐसी भावना जो हृदय के तार मिल जाते है दूर रहकर भी अपनो के सुख-दुख को महसूस करना है। जिस तरह से प्यार की परिभाषा, भावनाओं की परिभाषा की जाती है। प्रेमी और प्रेमिका एक दूसरे पर न्यौछावर होने के लिए तत्पर होते है एक दूसरे को दुख प्रकट नही होने देते है,और अगर कुछ तकलीफ हो भी जाती है तो दोनो विचलित हो जाते है डट कर परस्थिति का सामना करते है जिस कारण दुख भी डर कर भाग जाता है।
Fathers day
ठीक ऐसी ही परिभाषा पिता की भी होती है जो अपने आप अपार कष्टों और दुखों को उढेलकर भी अपने परिवार पर दुख का साया नही आने देता है। हम कई बार पिता पर शायरी या पिता पर सुविचार या पिता पर निबन्ध से तो प्रेरित होते है लेकिन उस पिता को दिल की गहराई से समझने की कोशिश करोगे तभी तभी पिता का दर्द महशूस हो पायेगा कि पिता की हमारे जीवन मे क्या उपयोगिता है। “ पिता क्या है ?” इसके रूप में मै आज अपना अनुभव और दिल का हाल बयां कर रहा हूं।
Fathers day
पिता पर एक लेख लिखने की कोशिश कहां तक लाभदायक सिद्ध होगा लेकिन कोशिश यही है कि हर कोई उनकी भावनाओं से जुड सके। पिता जो हमारी जिंदगी में वो महान शख्स है जो हमारे सपनों को पूरा करने के लिए अपनी सपनो की धरती बंजर ही छोड़ देता है। आइये पढ़ते हैं उसी पिता के बारे में और गहराई से व अपने पिता के त्याग को महसूस कीजिए।

दोस्तों पिता के त्याग के बारे मे जितना कहा जाए कम है,शायद हम उस लायक नही है लेकिन हर किसी की यही कोशिस रहती है कि वह अपने पापा जैसा बने लेकिन लाख कोशिसों के बाद भी वह वैसा नही बन पाता लेकिन इतना आभास उसे जरूर हो जाता है कि पिता बनना आशान नही होता है।

पिता से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य-Important facts related to father

1- पिता जीवन है, पिता शक्ति है---

यह एक ऐसा विश्वसनीय सत्य है ,जिसे कोई ठुकरा नही सकता क्योंकि पिता से ही बच्चे का जीवन निर्धारित होता है,और पिता से ही शक्ति भी प्राप्त होती है। जब बच्चा छोटा होता है तो उसे कुछ भी मालूम नही होता है। धीरे धीरे वो अपने पिता को माध्यम बना करके सीखता रहता है,उसे मालूम होता है कि पिता कभी गलत राह नही दिखा सकता । दुनिया की सभी बाते झूटी हो सकती है साहित्य ग्रंथ भी झूठे हो सकते है परन्तु पिता के द्वारा दी गयी सीख कभी गलत नही हो सकती, और उसे यह भी मालूम होता है कि पिता जो पुत्र के लिए करता है,वह बातें कहीं लिखी नही होती है वह पिता के अपने बच्चे के प्रति मन के भाव होते है। और मन के भाव कभी झूठे नही हो सकते।

बच्चे को शक्ति भी पिता से ही प्राप्त होती है,जब कभी भी वह अपने पथ से हट जाता है तो बच्चा कभी अपने को अकेला महसूस नही करता उसे पता होता है,कि सब उसका साथ छोड देंगे परन्तु पिते कभो साथ छोडने वाला नही है। और पिता मुस्किल समय में अगर सर पर हाथ भो रख देता है तो उसे आभास हॅ जाता है कि उसकी समस्या हल हो गयी है।

यह बात उसी तरह सत्य है जैसे--- अगर हम साल मे अगर एक बार भी गंगा नहाने तीर्थ मे जाते है तो स्नान करने के बाद हम अपने आप को बहुत हल्का महसूस करते है,ऐसा लगता है जैसा कि हमारे सभी पाप धुल गये होंगे लेकिन यह सत्य है या नही परन्तु कुछ समय कृ लिए आदमी का मन शान्त हो जाता है""
यही पिता की तपस्या कै भो फल होता है वह कितना प्रभाव करता है या नही लेकिन (जैसा आप जिसके बारे मे सोचते है आप वहो बन जाते है।


2
- पिता सृष्टि निर्माण की अभिव्यक्ति है---

दोस्तों इतना तो हम मानते ही है कि इस सृष्टि का आधार मनुष्य ही है, और यह भी शास्त्रों मे वर्णित है कि (ब्रह्मा,बिष्णु,महेश) ही निर्माण करता है,लेकिन वह भी एक पिता ही है, भगवान का श्वरूप होते हुए भी उन्होने पिता का पूरा कर्तव्य निभाया है,और दुनिया को सीख दी कि ---एक पिता का क्या कर्तव्य है? एक पुत्र/पुत्री का क्या कर्तव्य है? कैसे संस्कार दोने के होने चाहिए। 

हमने ईस्वर को तो नही देखा परन्तु (ईश्वर के रूप मे पिता को देखा है) वही पिता जो शिव थे। वही पिता जो बिष्णु थे । और वहो पिता जो ब्रह्मा थे ।

हर पिता अपने पुत्र को आज्ञाकारी देखना चाहता है, पिता ना होता तो शायद सृष्टि का निर्माण भी सम्भव न होता। क्योकि (पिता के सुक्राणुओं से सन्नतति की पूराप्ति होती है,) माता-पिता दोनो ही महत्वपूर्ण है। यानी बच्चे का जन्म कर्ता पिता ही है और पिता से ही संसार का अस्तित्व बचा हुआ है।


3-
पिता अंगुली पकडे बच्चे का सहारा होता है--- 

दुनियां मे हर व्यक्ति को किसी न किसी सहारे की जरूरत होती है,लेकिन दूसरा तभी साथ देता है जब उसका उसके प्रति स्वार्थ छुपा होता है। लेकिन पिता स्वार्थ रहित अपने बच्चे की तरक्कि व जीवन जीने का माध्यम बनता है। व्यक्ति का जन्म अपंग अवस्था मे होता है ,माता-पिता अपनी तपस्या से उसे इस काबिल बना देता है कि वह अपने जीवन को सुख पूर्वक जीता है। उसे चलने का तरीका सिखाता है--क्योंकि माता पिता को ही बच्चे का प्रथम गुरू माना गया है। जो अंधकार से उसे प्रकाश की ओर लाता है और जड से चेतन अवस्था की ओर ले जाता है।

एक पिता कभी यह नही सोचता कि मै इसकी परवरिस अच्छी तरह करूंगा तो यह मेरा बुडापे का कारण बनेगा। वह सिर्फ इस लिए बच्चे का लालन पालन करता है कि यह मेरा प्रमुख कर्तव्य है जिसके लिए ईश्वर ने उसे चिन्हित कर रखा है।

आजकल भावनाओं मे संकीर्णता आयी है कि पिता पुत्र की तो अच्छी परवरिश करता है लेकिन पुत्री की नही। इसका मै सरासर विरोधाभाष करता हूं एक पिता के लिए पुत्र और पुत्री दोनो महत्वपूर्ण है, वह दोनो को ईश्वर का वरदान मानकर उनकी खुशियों के लिए प्रयत्नशील रहता है। पिता की हमेशा यही कोशिश रहती है कि जिस रास्ते पर मै अपने बच्चे को लेजाना चाहता हूं वह उसी रास्ते को चुने क्योकि वह सही रास्ता होता है। बच्चा बार बार गलती करता है फिर भी वह कभी उसे निराश नही करता है क्योकि उसका एक ही लक्ष्य होता है कि उसकी सन्तान उससे भी पद हासिल करे। इसीलिए पिता ही बच्चे का एकमात्र सहारा होता है।


4-
पिता कभी कुच्छ खट्टा तो कभी खारा है---- 

आपने एक कहावत जरूर सुनी होगी कि" बिमारी को अगर जड से समाप्त करनी है तो कडवी दवाई पीनी ही पढेगी तभी उससे मुक्ति मिल सकती है।" वही पिता भी होता है, वह कभी भी अपने बच्चे के प्रति एक सा व्यवहार नही रखता है। क्योकि उसे पता है कि अगर एक ही व्यवहार रखा तो बच्चा हावी हो जाएगा वह आपकी एक भी नही सुनेगा फिर उसे सही राह पर लाना सम्भव नही होगा। इसी लिए "पिता कभी खारा तो कभी खट्टा पन अपनाता है। इसका मतलब यह है कि पिता का बच्चे के प्रति स्वार्थ प्रेम नही बल्की वास्तविक प्रेम छलक रहा है।

बेटा गलत फहमी मे रहता है कि पिता का रुख मेरे प्रति सही नही है,पिता से बात करना बन्द कर देता है,लेकिन पिता फिर भी वही व्यवहार अपनाता है, क्योंकि इसी मे बच्चे की भलाई छुपी होती हैऔर यह भी एक बहुत बडा कडुवा सत्य है कि " जो जितना नफरत या चिडचिडा पन तुमसे ईरता है वही तुमसे सबसे ज्यादा प्रेम करता है।" यही बात जब एक ब्च्चे को महसूस होती है तो उसका जीवन सफल हो जाता है वह जिन्दगी के तौर तरीके जान पाता है। (इसीलिए कभी अपने माता-पिता से नफरत मत कीजिए  वे हरपल आपकी खुशी के बारे मे सोचते है।"

अक्सर मीठा पन तो वे लोग दिखाते है जो तुम्हारा अहित चाहते है तुम्हे कामयाब नही देखना चाहते है।


5-
पिता पालनहार है, पोषणकर्ता है,अनुशासन है--- 

हमारे जीवन मे मां का कर्तव्य है बच्चे की खुशियों को बुनना और पिता का कर्तव्य है उन खुशियों को पूरा करना। बच्चे का पालनहार पिता ही है वह खुद भूखा रहकर भी अपने बच्चे को कभी भूखा रहने नही देगा। खुद हजारों दुख-दर्द सहलेगा लेकिन बच्चे को कोई दुख आने ही नही देगा,और इसका कभी बच्चे को एहसास भी नही होने देगा। पिता से ही बच्चे का संस्कार भी निहित होता है,अनुशासन की सीढी भी वही तैयार करता है।

 तभी तो कहा गया है कि ---(बच्चे के अन्दर 90% गुण वंशानुक्रम से आता है पिता जितना संस्कारवान  होगा बच्चे भी वही नीती को अपनाएंगे। पिता है तो बच्चे का भविस्य सुरक्षित माना जाता है। और वह समाज का हिस्सा बन पाता है। हम कही बार ऐसे बच्चों को भी देखते है जो पिता के साये से दूर रहते है,उनके जीवन मे कहीं न कहीं पिता की कमी खलती है वे उतना सक्षम नही हो पाते है।
इसीलिए जिनके पास पिता है वही उनका सच्चा धन है, उनका साथ रहना ही अपने आप मे बहुत बडी उपलब्धी है।


6-
पिता रोटी,कपडा है,मकान है--- 

जिनके सर पर पिता का साया होता है, जन्नत की सैर भी वह कर लेता है,क्योकि पिता है तो जीवन की सभी जरूरते पूरी हो जाती है। उसे आभास भी नही होता कि यह पैसा कितनी मुस्किलों से उभर कर आया है।

 एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी--"कि सपने और इच्छाएं तो पिता के पैसों से ही पूरे होते है,अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें ही पूरी होती है।"
लेकिन यह एक पिता की सक्शियत है जो बेटे को इसका आभास नहीं होने देता कि पैसा पसीना बहा कर प्राप्त हुआ है। पिता की कमी और कीमत उन लोगों से पूछिए जिनसे पिता बहुत दूर होते है वे खुद ही अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं। और बार-बार पिता को याद करते है, कि पिता होते तो ऐसा न होता, वही लोग पिता के दर्द और महत्व को समझ पाते है। लेकिन जिनके पास पिता होता है वे इस भाव से नही बल्कि इस भाव से पिता को देखते है कि यह पिता का फर्ज है, बच्चो की जरूरतों को पूरा करना उनका कर्व्य है। जबतक यह भाव दिलोदिमाग से नही निकल पाता तबतक पिता की कद्र करना या उनके उपकारों को समझ पाना मुस्किल है।

एक पिता दिन-रात मेहनत करता है और यह भी तमन्ना रखता है कि अगर ईश्वर ने रात न बनाई होती तो वह रात को भी काम करता और अपने परिवार की ख्वाईशों को पूरा करता। पिता को अपने बच्चों के पीछे अपनी जरूरत और खुशियां कही दिखाई ही नही देती है। अगर अपने लिए कुछ सोचता भी है तो यह समझकर उसे टाल लेता है कि पहले बच्चे की जरूरत को पूरा करूंगा फिर अपने लिए सोचूंगा। लेकिन उसका पूरा जीवन व्यतीत हो जाता है पर अपनी अधूरी ख्वाइश पूरी नही कर पाता बच्चे की खुशी मे ही खुश हो लेता है।

7- पिता छोटे से परिंदे का बडा आसमान होता है--- 

मनुष्य जीवन भी बडा कश्मकश का होता है और उसमे पिता का जीवन ताउमर कश्मकश मे गुजर जाता है। दुनियां की तमाम खुशियां न्यौछावर कर देता है।

 बेटे के लिए शास्त्रों मे कहा गया है----- ( पिता वह शक्ति है जो अपने बच्चे के लिए एक बार सोचता है उसे पूरा करने के लिए खुद को भी दाव पर लगा लेता है।)
यानी पिता की अपने बच्चे की खुशी के पीछे की जिद्द मे वह ताकत होती है कि वह हार को भी हरा देता है। नामुमकिन को भी मुमकिन कर देता है । पिता चाहे तो पूरे जहां की खुशियां बच्चे के कदमों मे लाकरदे और पिता चाहे तो चांद सितारों को भी उसकी झोली मे डाल दे। दुनियां की कोई दुआ काम करे ना करे लेकिन पिता ने सोचा तो वह उसका मकसद बन जाता है। सच मे पिता एक ईश्वर होता है जिस कद्र करना हर बच्चे का फर्ज है। उस पिता को यह ना देखना पढे कि जिसे उसने आंसुओं नहलाया है उसी ने उसका जीवन आंसुओं से भर दिया।

8-  पिता का अप्रदर्शित व अनंत प्रेम है-- 

अक्सर बच्चों कि यह गलत फहमी होती है कि " पिता अपने बच्चों को प्यार नही करतेहै। लेकिन यह शास्त्रों तथा शिवपुराण मे भी कहा गया है कि---"पिता माता से ज्यादा अपने बच्चो से प्यार करता हैलेकिन वह इस लिए अभिव्यक्त नही करना चाहता क्योंकि उसे पता है कि बच्चे अपना वसूल तथा मर्यादावों को भूल जाएंगे।"

और जिसके जीवन मे कोई वसूल या मर्यादाएं नही है उसका जीवन पशु के समान है। वह जीता तो है लेकिन उसके जीने का कोई मकसद नही होता है। एक पिता अपने बच्चों के लिए ऐसे सपना बुनता है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नही की होगी। लेकिन परिस्थिति के अनुसार कुछ मे तो वह पिता कामयाब हो जाता है लेकिन कुछ मे निराश ही होना पडता है। इसका मतलब यह नही कि ऐसे कोई-कोई पिता सोचते है जबकी यह हर पिता की तमन्ना होती है। मां तो अक्सर आंसुओं को बहाकर अपना दुख हल्का कर लेती है किन्तु पिता को ऐसा कर पाना सम्भव नही होता है।
वह दुनियां मे जो भी कुछ नया देखता है उसे अपने बच्चे के लिए चुनता है, और यह भी सत्य है कि वह चुनता पहले है और सोचता बाद मे है;
,और जिसको एक बार चुनता है उसे पाने के लिए दिन रात मेहनत करता है।
सच मे अगर पिता का यह प्रेम बच्चे को महशूस हो सके तो कोई भी पिता अपने अंतिम छणों को अनाथालयों मे व्यतीत नही करना पढेगा इसलिए अपने माता-पिता की मावनाओं को समझे वो हर पल आपके लिए ही जीते है।

9- पिता है तो बच्चों का इन्तजार है--If there is a father, there is a wait for children


बच्चे इस दुनियां की सर्वश्रेष्ठ रचना है, बच्चों को कहीं न कहीं आभास हो जाता है कि उनके पिता उनका अहित नही चाहते है या उन से प्यार नही करते है। उन्हे सबकुछ मालूम होते हुए भी वे यह स्वीका नही कर पाते कि यही सत्य है कहीं न कहीं उन्हें दिखावा चाहिए आज का समाज वह नही रहा जो पिता के आंतरिक मन को टटोल सके उन्हे जो शाश्वत दिख रहा है।

यह शही सत्य है लेकिन पिता का प्यार कभी ऐसा नही हो सकता अगर ऐसा हुआ तो उसमे भावात्मक नही बल्कि सिर्फ बिशेषण ही नजर आयेगा जो समय के अनुसार बदलता रहता है। दुनिया कितनी भी तरक्की क्यों न करे पिता का प्रेम अपने बच्चो के प्रति वही सतयुग मे था वही त्रेता युग मे था और वही कलियुग मे रहेगा। वह तो शाश्वत है जो कभी मरा नही।
इसीलिए पिता के प्रेम को आजमाने नही बल्कि आत्मसात करने की जरूरत होती है तभी मन के तार उनसे मिल सकेंगे अन्यथा यह जीवन भी आपका समझो बेकार ही गया है।

10-- पिता से ही डेर सारे सपने है--- Only my father has dreams

यह पूर्ण सत्य है कि पिता है तो सभी सपने पूर्ण हो सकेंगे वह कभी भी उसमे रुकावट नही बनेंगे।  बच्चे अक्सर बचपन मे कयी सपने बुनते है लेकिन उस पिता के अन्दर यह खूबी होती है कि वह अपने बच्चे की हर सीच को कैंच कर लेता है उसे मालूम होता है कि उसका बच्चा क्या चाहता है और बिन कुछ बात किए उसे पूरा करने मे जुट जाता है बेटे को आभास भी नही होता है कि जो उसने सोचा है वह हकीकत भी बन गया।  वह हकीकत स्वतः ही नही बना उसमें पिता के कयी वो अहम पहलू थे जो उसने अपने सुकून को त्याग कर तैयार किया है, और बेटे को कभी एहसास भी नही होने देता है।
दोस्तों यही सच्चा प्रेम है दुनियां मे सभी अपने स्वार्थ के लिए जीते है।
-- बैटा पिता से इसलिए प्रेम करता है क्योंकि उसे पता है कि यही उसका आजीविका का साधन है।
--पत्नि इसलिए प्रेम करती है क्योंकि वह कर्तव्य से बंधी हुयी है।
--परिवार इसलिये करता है क्योंकि वही आजीविका का सहारा है।

लेकिन पिता निस्वार्थ वश प्रेम करता है इसलिए अपने पिता को महत्व दीजिए वही ईश्वर भी है और परमात्मा भी है। वरना यह संसार तो मिथ्या है अगर तुम्हारे पास कुछ है तो दोस्त हजारों मिल जाते है नही है तो अकेला पन ही व्यतीत करना पढता है पिता के प्रेम को समझे और उनकी कद्र कीजिए। हम कभी भी अपने पिता का दर्द महसूस नहीं कर पाते है।उनके त्याग, तपस्या को नही समझ पाते है, हम पिता का महत्व नही समझ पाते है,पिता को सिराफ fathers dy पर समझने की कोशिस करते है वो भी कुछ पल के लिए अपने दिल मे पिता के लिए जगह बनाइए उनसे बडा प्रेमी शायद इस दुनिया मे कोई और न होगा।

यह भी पढे-----

पुरूष का जीवन

> पुरूष होना आसन नही

> मां की महानता/मां के उपकार

> बेटी विदाई

पिता पर अनमोल वचन/सुविचार


1 comment:

  1. बेहत ख़ूबसूरत 🙏💐👌👌bhawnao की अभिव्यक्ति अनमोल अद्भूत है

    ReplyDelete