Friday 7 February 2020

आपका सबसे बड़ा दुश्मन आलस्य, आलस क्यूँ आता है,इसे कैसे दूर करें?

आपका सबसे बड़ा दुश्मन आलस्य,
आलस क्यूँ आता है,इसे कैसे दूर करें?

Your greatest enemy is laziness, Why does laziness come, how to overcome it?


दोस्तों आज हम सभी का एक सबसे बड़ा शत्रु,सबसे बड़ा बाधा परक हमने खुद अपने अन्दर पाल रखा है वह है आलस्य, जी हां यह एक ऐसा दुश्मन है जो कभी भी आपकी तरक्की नही चाहता वह हमारे शरीर मे रहते हुए भी हमारा ही अहित चाहता है, जरूरत है इसे बाहर फेंकने की।
नीतीशतक में कहा गया है----

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः ।
नास्त्युद्यमसमो बन्धुर्यं कृत्वा नावसीदति ।।

अर्थात---आलस्य मनुष्यों के शरीर में रहने वाला महान शत्रु है। तथा परिश्रम के समान कोई दूसरा सहायक नहीं है। मनुष्य परीश्रम (मेहनत) करने के कारण ही कभी रास्ते से भटकता नही (पथभ्रष्ट) नही होता है।
(Laziness is a great enemy living in human bodies.  And there is no other assistant like toil.  A human never deviates from the path due to working hard.)


क्या होता है आलस्य
(What happens laziness--

दोस्तों आलस्य वह शत्रु है जो मनुष्य की इन्द्रियों को सुसुप्त अवस्था मे ले जाता है। व्यक्ति करना तो बहुत कुछ चाहता है परन्तु उसका आलस्य उसे करने की अनुमती नही देता है। अगर वह उस आलस्य को एक निमित मात्र मानकर उसे अनदेखा कर दे तो वह व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, वरना कयी लोग ऐसे भी होते है जो आलस्य मे आकर अपने कार्य को को कल के भरोसे छोड़ देते है।उनकी यही भावना होती है कि---आज करे सो कल करे कल करे सो परसों,                       इतनी जल्दी क्या है जब जीना है बरसों। 
If you do it today, do it tomorrow, do it tomorrow, what day after tomorrow, when you have to live for years.

दोस्तों यही लब्ज और आदत उसकी परेशानी बन जाती है ना तो वह कल आता है और ना ही वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाता है। और जब उसे एहसास होता है कि उसने बहुत कुछ खो दिया है तो तब समय उसकी मुट्ठी से रेत की तरह फिसल जाता है।
हमारे नीतीशतकम् मे कहा गया है कि---
आलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम् ।
अधनस्य कुतो मित्र, अमित्रस्य कुतो सुखम ।।

अर्थात---आलस्य परक व्यक्ति को तो न विद्या प्राप्त होती है। न धन की प्राप्ति होती है और जिसके पास दोनों न हो उसके कोई मित्र भी नही होता है। यानी यह महान शत्रु हर तरह से हमारे ऊपर इसकदर हावी हो जाता है कि यह हमे न सोचने समझने के लायक रखता है और न ही दुनियाँ मे अपनी पहचान बनाने के लायक।

आलस बहुत बडा अवगुण है (Sloth is very bad

दोस्तों आलस को मनुष्य का सबसे बडा अवगुण माना गया है देखा जाए तो एक व्यक्ति हर दिन कम से कम 5 (पांच) घण्टे आलस के कारण बरबाद करता है और यही पांच घण्टे अगर वह सही तरीके से व्यतीत करे तो उसका जीवन बदल सकता है। हम भले ही समय की कीमत नही जानते होंगें लेकिन उस आलस को हमारे महत्वपूर्ण समय को बर्बाद करने में मजा आता है। वह चाहता है कि उस व्यक्ति का शरीर उसका हमेशा का घर हो।वह व्यक्ति की शक्तियों को इतना कमजोर करदेता है कि उसके अन्दर काम करने की छमता नही होती है।

आलस आने का प्रमुख कारण क्या है (What is the main reason for laziness) ---

दोस्तों आलस कोई बीमारी नही है,और ना ही कोई वाइरल है यह तो हमारे अन्दर उत्पन्न होने वाले भाव है जो हमें अपनी ओर आकर्षित करता है। यह उस व्यसन की तरह है जो पहले लालच देता है और बाद मे हम उसके आधीन हो जाते है। बडे से बडे कम्पनी के ऑनर भी कभी रोड पर आ जाते है। और ज्ञानी से ज्ञानी भी महा मूर्ख बन जाते है। आइए जानते हैं इसके प्रमुख कारण कौन से है और इससे कैसे निपटा जा सकता है।

1-- जब आदमी के पास कोई काम नही होता  (When a man has no work--

यह एक प्रमुख कारण है आलस को न्यौता देने का जब आदमी सोचता है की उसके जीवन में कोई उद्देश्य नही है,उसके पास कोई ऐसी वजह नही है जिसके लिए वह मेहनत कर सके, जब उसके पास सोचने के लिए कोई आधार नही होता,जब वह समय को बेकार में गवांता है,जब वह सोचता है कि इस दुनियां में उसकी कोई अहमियत नही है,(There is no purpose in life, he has no reason for which he can work, when he has no basis for thinking, when he is wasting time, when he thinks that in this world his  Is not important)तब उसके अन्दर आलस का प्रकोप अधिक होता है। इस दुनिया मे कम ही लोग है जो अपने जीवन में सफल हो पाते है, क्यूंकि वे आलस को भी मात देते है और समय को भी जीत लेते है, सफल होना तो सभी चाहते है किन्तु सभी सफल नहीं हो पाते है उसका प्रमुख कारण आलस ही होता है।

2-- समय नियोजन (निर्धारित) न कर पाना (Time planning (not scheduled) ---

ऐसे भी लोग होते है जो समय का चयन नही कर पाते है जो काम अभी होना था उसे कल पे छोड देते है, और सफल न होने पर भाग्य को कोसते रहते है कि शायद हमारे भाग्य मे यह नही है, लेकिन ऐसा नही है भाग्य तो बनाने से बनता है, वह खैरात में नही मिला करता है,(Luck is made by making, it does not mix in the bailout,)अक्सर यह होता है कि जब हम किसी बडे काम के प्रति आतुर होते है तो तब वह आलस हमे पीछे की तरफ धकेल देता है, वह चाहता है कि इसका दिमाग बदल जाए और यह उस कार्य को न कर पाये उस आलस को भय रहता है कि कहीं उसका यह घर भी न छूट जाए, इसी लिए वह व्यक्ति को बार-बार पीछे धकेलने कोशिश करता है।

आपने कभी खुद मे आजमाया होगा कि जब आप किसी अहम कार्य को करना सुरू करते है तो वही आलस तुम्हे प्रेरित करता है कि पहले अपना फोन चेक करले और हम वही करते है पहले थोडा फोन,मेल या अन्य गतिविधियों में ध्यान बंटा देते है और समय का पता ही नहीं चलता जो समय उस कार्य को करने के लिए चुना था वह फालतू के कार्यों में गुजर जाता है।
 वास्तव में हमारा दिमाग कांम नहीं करना चाहता है वह आराम पसंद करता है(Our mind doesn't really want to work)


3-- इच्छाशक्ति का न होना (Lack of will

यह भी आलस का एक प्रमुख कारण है जब हम।किसी कार्य को अनिच्छा से करते है तो आलस हमारे ऊपर और अधिक हावी हो जाता है क्योंकि न तो हमारा दिमाग उसे करना चाहता है, और न हमारा शरीर बस हम उसे मजबूरी मे करते है तो आलस का हावी होना जायज है। दोस्तों जब भी किसी कार्य को शुरू करें तो उस कार्य के प्रति पहले से ही योजना तय करे बिना योजना के वह रास्ते से भटक सकता है और आलस का शिकार हो सकता है।

4-- जीवन मे योजना का न होना (Lack of plan in life

 अक्सर वही व्यक्ति लक्ष्य की प्राप्ति नही कर पाता है जिसकी कार् के प्रति कोई योजना नही होती है।  बिना योजना के कोई भी कार्य सफल हो पाना सम्भव नही है। चाहे छोटा व्यापारी हो या बडा व्यापारी वह उठने से पहले पूरी दिनचर्या बना देता है, और चाहे घर की गृहिणी क्यों न हो वह भी रात को ही योजना बना देती है कि कल उसने कौन-कौन से कार्य करने है । अचानक से किसी कार्य को हम करते है तो भले ही हम उसे पूरा करले लेकिन न तो हम उसे सीख पाते है और न ही हमारा मन उस कार्य के प्रति होता है।

आलस्य दूर करने के महत्वपूर्ण उपाय


(1)- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे--
Wake up in Brahma Muhurta in the morning

 सुबह की सुरूआत अगर सही हो तो पूरे दिन ताजगी बनी रहती है।इसीलिए सुबह जल्दी ब्रह्म मुहूर्त में उठने का प्रयास करें और नहा लें
उसे बाद थोड़ी व्यायाम करें। इससे आप चुस्त और ताज़ा महसूस करेंगे। और आपका आलस्य भी दूर होगा।

(2)- पोषण युक्त आहार करें---
Eat a nutritious diet

कहा गया है जैसा खाओगे अन्न,वैसा होगा मन।( As you eat food, so will your mind)
जितना सुन्दर व पौष्टिकता वाला आहार हम करेंगे शरीर में ऊर्जा उतनी ही तीव्र आयेगी।जो आलस्य को दूर कर देगी। अक्सर हम सुनते आए हैं कि अत्यधिक जंक फूड और तीखा खाना खाने से आपका इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है। सेहत के लिए हानिकारक होने वाला भोजन खाने से वासा बढ़ जाता है जिससे आप अधिक बिमारियों के शिकार होते हैं। और वह आलस्य को भी न्यौता देता है।

(3)- पर्याप्त नींद लें---
Get enough sleep-

नींद मनुष्य के लिए संजीवनी का काम करती है। और कहा भी गया है कि- एक वयस्क (स्वस्थ व्यक्ति) को दिन में 8 घंटे की नींद लेना आवश्यक होता है। (An adult (healthy person) is required to sleep 8 hours a day)
अनियमित नींद लेने से आपके शरीर में थकान और उर्जा की कमी हो जाती है जिससे आप सुस्त महसूस करते हैं। नींद पूरी न ले पाने के कारण उसके अन्दर शुस्तता आ जाती है, और यही आलस का प्रमुख कार बनता है, इसलिये नींद पूरी करें।

(4) प्रतिदिन व्यायाम करें--
Exercise daily

योग भगाए रोग- (Yoga away diseases) यह सही कहा गया है, जो नियमित योग साधना करता है उसके सभी अवगुण दूर हो जाते है। व्यायाम शरीर को तंदरुस्त रखने के लिए आवश्यक होता है। रोज़ 30 या 15 मिनट व्यायाम करना आपके शरीर में उर्जा का संतुलन बनाये रखता है। और आलस्य को दूर करता है। और इसका प्रमुख फायदा यह होताषहै कि-इसके करने से आपके शरीर से एंडोर्फिन रिलीज़ होते हैं जो आपको अधिक उर्जावान महसूस कराते हैं और मेटाबोलिज्म का स्तर सुधारते हैं। इसलिए व्यायाम राम-बाण है।


(5)- अपना वातावरण साफ़ रखें--
Keep your environment clean

 जी हां कहा भी गया है कि आसन शुद्ध तो मंत्र शुद्ध (If the posture is correct then the mantra is pure) अपने घर को साफ-सुथरा रखें । और यह भी निर्भर करता है,कि आप किस जगह पर अपना समय व्यतीत कर रहे हैं और कहाँ अधिक समय बिता रहे हैं ये बहुत हद्द तक इस बात पर निर्भर करता है कि आपका आस पास का वातावरण कैसा है। इससे आपका आलस्य दूर होगा और आपके अन्दर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होगा।
 साफ़ वातावरण न सिर्फ आपके शरीर को बल्कि आपके मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखता है।


(6)- आलस हटाकर कुछ उपयोगी कार्य करें--- Do some useful things with laziness

कहा भी गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर।(Empty mind Devil's house) आपको बता दे कि जब भी आपके पास खाली समय हो कुछ न कुछ कार्य अवश्य करें या फिर वह कार्य करे जो बहुत उपयोगी हो। यदि आप अपना खाली समय फालतू बैठे हुए व्यतीत करेंगे तो इससे आपके अन्दर उदासी रहेगी और आप उर्जाहीन महसूस करेंगे। आप के विचार भी विपरीत दिशा की ओर जा सकते है, और आप आलस्य की चपेट में आ सकते हैं।

(7)-- रचनात्मक भाव रखें---
Be creative

जी हां आलस्य को समाप्त करने का असरदारक विचार है। जब हम किसी के बारे में कल्पना करने लगते है तो हमारा दिमाग तरोताजा रहता है और आलस्य तो कभी फटके भी नही पढता है।दूसरा यह कि रचनात्मक  लोगों के साथ रहे यदि आप ऐसे लोगो के साथ रहेंगे जिन्हें अपनी ज़िन्दगी में कुछ भी नहीं करना है तो आप में नकारात्मकता आएगी। जैसा साथ वैसा विकास (As development)
समय बर्बाद करने से आप केवल उदास रहेंगे और आपको कुछ करने का मन नहीं करेगा।



8. सकारात्मकता सोचें--
Think positivity

जैसा हमारा भाव होगा वैसा ही हमारे साथ घटित होगा, (As we feel, it will happen to us) यानी आपका दिन कैसा रहेगा ये काफी हद्द तक इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपने दिन की शुरुआत किस प्रकार कर रहे हैं। कहीं आपके मन में द्वंद्व का भाव तो विस्थापित नही हो रहा है,क्या आप अपना दिन सकारात्मक सोच के साथ शुरू करते हैं और यह निश्चय कर लेते हैं कि आप जो चाहते हैं वो हासिल कर लेंगे तो आप अवश्य ही सफल होंगे। इसलिए अपना दिन मुस्कराहट के साथ शुरू करें। और अपने आलस को दूर भगाएं।

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