Tuesday 25 February 2020

भारतीय संवत्सर,सृष्टि की उत्पत्ति दिवस Indian Samvatsar, creation day

भारतीय संवत्सर,सृष्टि की उत्पत्ति दिवस
Indian Samvatsar, creation day of creation

संवत्सर महत्व,नामावली,कालगणना,समयज्ञान,तिथियाँ
Samvatsar importance, nomenclature, census, timetables, dates


सर्वमङ्गलमङ्गल्ये        शिवे     सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये  त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।

भारत माता की जय मित्रो आज हम बात कर रहे है। हिन्दु संवत्सर की जिसकी मान्यता है कि यह वैदिक काल से प्रचलित है । पूरे विश्व को भारत ने ही काल गणना सिखायी। लोग अनजान थे कि समय को कैसे निर्धारित करे । क्योंकि बिना समय के जीवन चर्या चलना बहुत असम्भव था। आखिरकार विश्व गुरु भारत होने के कारण इसकी जिम्मेदारी भी भारत की ही थी । बाकी सभी देश सिर्फ  और सिर्फ भारत के अनुयायी  रहे है । भले ही आज तरक्की  के मामले मे अन्य देश काफी आगे होंगे परन्तु जिस क्षेत्र मे भी दुनिया आगे बड़ी है । वह ज्ञान भारत ने ही पूरे विश्व को दिया है ।

इतनी महानता होने के कारण भी आज हम अपने आप को कमजोर क्यो मान रहे है।इसका कारण है हम अपनी शक्तियो से अनजान है ।हम अंग्रेजो द्वारा बनाये गये साल को तो मनाते है ,परन्तु जिन अंग्रेजो ने हमारे संवत्सर की नकल की जो हमारे संवत्सर से काफी बाद का संवत्सर है ।हम  उसी को बडी धूम धाम  से मनाते है । और अपने संवत्सर की हमको याद भी नही रहती कि कब आता है। हम जनवरी को तो पहला महीना मानते है लेकिन चैत्र मास की हमे जानकारी नही होती।

भारतीय संवत्सर का महत्वImportance of indian culture

भारत का संवत्सर अपने आप में बडा महत्व रखता है। यह भारत का सर्वमान्य संवत विक्रम संवत है, जिसका प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा होता है, ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था और इसी दिन भारतवर्ष में कालगणना प्रारंभ हुई थी । भारत ही वह देश है जिसे सृष्टि के आदि और अन्त का भी ज्ञान है।

हमारे यहां चैत्र मास का बडा महत्व है,नौ देवियों की आराधना से शुरू होकर कयी सारी मान्यताएँ इस माह विख्यात है। चैत्र प्रतिपदा से ही सृष्टि सहित कई मान्यताएँ प्रचलित है।

(१)- इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
(२)- सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर विक्रमी संवत का पहला दिन प्रारंभ होता है ।
(३)- मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था ।
(४)- मां दुर्गा के नौ रूपों की शक्ति और भक्ति यानी नवरात्र का पहला दिन भी आज से ही शुरू होता है ।
(5)- नव संवत्सर ही नहीं अपितु यह है सृष्टि का जन्मदिवस के रूप में भी है।

संवत्सर का पौराणिक महत्व-Mythological significance of Samvatsara-

भारतीय संवत्सर बहुत प्राचीन सभ्यता को बांधे हुआ रखा है।शक संवत भारतीय संवतों में सबसे ज्यादा वैज्ञानिक, सही तथा त्रुटिहीन हैं, शक संवत प्रत्येक साल 22 मार्च को शुरू होता है, इस दिन सूर्य विश्वत रेखा पर होता हैं तथा दिन और रात बराबर होते हैं।

शक संवत में साल 365 दिन होते हैं और इसका ‘लीप इयर’ ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ के साथ-साथ ही पड़ता है। ‘लीप इयर’ में यह 23 मार्च को शुरू होता हैं और इसमें ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ की तरह 366 दिन होते हैं।

पश्चिमी ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ के साथ-साथ, शक संवत भारत सरकार द्वारा कार्यलीय उपयोग लाया जाना वाला आधिकारिक संवत है। शक संवत का प्रयोग भारत के ‘गज़ट’ प्रकाशन और ‘आल इंडिया रेडियो’ के समाचार प्रसारण में किया जाता है। भारत सरकार द्वारा ज़ारी कैलेंडर, सूचनाओं और संचार हेतु भी शक संवत का ही प्रयोग किया जाता है।

हिन्दी मे एक कहावत है-
(दूर के ढोल सुहावने होते है।)

सच ढोल की मधुर ध्वनि दूर से ही अच्छी लगती है, परन्तु सामने वह कान काटने को दौड़ता है।
यही बात है जो शक्ति हमारे पूर्वजो द्वारा हमे प्रदत्त की गयी है हम उससे अनजान है।

आईये जानते है हमारा अद्वितीय इतिहास -----


विश्व की प्रमुख कालगणनाओं की प्राचीनता 

The antiquity of major world census -

●भारतीय काल गणना  ( कल्प संवत)---१९७२९४९१२१
●चीन की कालगणना --९९६००२३९६
●खताई की कालगणना --८८८३८३९०
●मिस्र की कालगणना --२७६०७२
●पारसी कालगणना --९८९९७७
●तुर्की की कालगणना --९६२७
●यहूदी की कालगणना --५६२७
●ईरानी की कालगणना --६०२५
●यूनानी की कालगणना --३५९१
●रोमन की कालगणना --२७६६
●ईस्वी कालगणना --२०१९
●हिजरी कालगणना --१४४०
●विक्रमी संवत--२०७६

अब आप ही खुद महसूस कीजिये कि हम बाकी अन्य से भिन्न है।अंग्रेज़ी संवत भारतीय संवत से 57 साल पहले से विराजमान है। इतने सालो बाद उन्हे आभास हुआ क्यो न हम नये तरीके से इसका अवलोकन करे जबकि यह शिक्षा उन्हे भारत से ही प्राप्त हुयी।

ये हम भारतीयो का दुर्भाग्य है कि हम दूसरे की दी हुयी नसीहत पर कार्य कर रहे है ।जबकि यह नसीहत उन्हे भारत से ही प्रा हुयी । वे लोग यहा से ज्ञान चुराते गये और हमे उसके ठेकेदार बनते गये और अब समय आया है कि हम उनकी नसीहत के कर्जगार बन चुके है।

भारतीय समय ज्ञान --
Indian time knowledge -


●२४ घण्टे का एक दिन-रात होती है।
●६० घड़ी की एक दिन-रात  अर्थात २४ घण्टे ।
●२:३० यानी ढाई घड़ी का एक घण्टा =६० मिनट।
●२४ पल की १ घड़ी =६०पल ।
●६० पल की १ घड़ी ।
●२४ पल का १ मिनट।
●६० सेकेंड का १ मिनट।
●२४ सेकेंड का १ पल ।

यह है हमारे भारत का समय ज्ञान जिसके अनुसार अंग्रेज़ी सभ्यता ने इसे नया रूप दिया ।

भारती संवत्सरों की नामावलीNomenclature of bharti promoters


भारती संवत्सरों में हर वर्ष को अलग नाम दिया गया है। संवत्सर, संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ 'वर्ष' होता है। हिन्दू पंचांग में ६० संवत्सर होते हैं। जो निम्न प्रकार से हैं---

(1) प्रभव     1974-1975ई.     (2) विभव     1975-1976ई.
(3) शुक्ल    1976-1977 ई.
(4 ) प्रमोद      1977-1978 ई.
(5) प्रजापति    1978-1979 ई.
(6) अंगिरा      1979-1980 ई.
(7) श्रीमुख      1980-1981 ई.
(8) भाव           1981-1982 ई.
(9) युवा           1982-1983 ई.
(10) धाता        1983-1984 ई.
(11) ईश्वर         1984-1985ई.
(12 ) बहुधान्य   1985-1986 ई.
(13) प्रमाथी    1986-1987 ई.
(14) विक्रम      1987-1988ई.
(15) वृषप्रजा    1988-1989 ई.
(16) चित्रभानु   1989-1990 ई.
(17 ) सुभानु       1990-1991 ई.
(18) तारण       1991-1992 ई.
(19) पार्थिव       1992-1993 ई.
(20 ) अव्यय       1993-1994 ई.
(21) सर्वजीत      1994-1995 ई.
(22) सर्वधारी    1995-1996 ई.
(23 ) विरोधी       1996-1997 ई.
(24) विकृति      1997-1998 ई.
(25) खर           1998-1999 ई.
(26) नंदन          1999-2000 ई.
(27) विजय         2000-2001 ई.
(28 ) जय            2001-2002 ई.
(29) मन्मथ        2002-2003 ई.
(30 ) दुर्मुख           2003-2004 ई.
(31) हेमलंबी        2004-2005 ई.
(32) विलंबी         2005-2006 ई.
(33) विकारी         2006-2007 ई.
(34) शार्वरी          2007-2008 ई.
(35) प्लव           2008-2009 ई.
(36 ) शुभकृत        2009-2010 ई.
(37 ) शोभकृत       2010-2011 ई.
(38) क्रोधी            2011-2012 ई.
(39 ) विश्वावसु        2012-2013 ई.
(40 ) पराभव          2013-2014 ई.
(41) प्ल्वंग          2014-2015ई.
(42 ) कीलक          2015-2016 ई.
(43 ) सौम्य            2016-2017 ई.
(44) साधारण       2017-2018 ई.
(45) विरोधकृत      2018-2019 ई.
(46 ) परिधावी        2019-2020 ई.
(47) प्रमादी            2020-2021 ई.
(48 ) आनंद            2021-2022 ई.
(49) राक्षस            2022-2023 ई.
(50 ) आनल            2023-2024 ई.
(51) पिंगल            2024-2025 ई.
(52 ) कालयुक्त         2025-2026 ई.
(53) सिद्धार्थी         2026-2027 ई.
(54) रौद्र                2027-2028 ई.
(55) दुर्मति             2028-2029 ई.
(56) दुन्दुभी           2029-2030 ई.
(57 ) रूधिरोद्गारी       2030-2031 ई.
(58 ) रक्ताक्षी            2031-2032 ई.
(59 ) क्रोधन            2032-2033 ई.
(60) क्षय                2033-2034 ई.


भारतीय तिथियां
Indian dates


अंग्रेज़ी सभ्यता ने बहुत सारी नकल भारतीय ज्ञान की की है। लेकिन ऐसे बहुत रहस्य है जिसे वे लोग समझ नही पाये।
भारत के हर महीने मे दो पक्ष होते है और दोनो पक्षो मे तिथियाँ होती है।
1 प्रतिपदा,2 द्वितीया,3 तृतीया,4 चतुर्थी,5 पंचमी,6 षष्ठी,7 सप्तमी,8अष्टमी ,9 नवमी ,10 दशमी ,11एकादशी ,12 द्वादशी,13 त्रयोदशी ,14 चतुर्दशी,15 पूर्णिमा,अमावस्या

● पक्ष side

१ शुक्ल पक्ष
२ कृष्ण पक्ष

■ शुक्ल पक्ष मे पूर्णिमा होती है और कृष्ण पक्ष मे अमावस्या ।

●आयन  Ion

१उत्तरायण
२ दक्षिणायन
■माघ से आषाड तक उत्तरायण और श्रावण से पौष तक दक्षिणायन

भारतीय महीने और ऋतु
Indian months and seasons--


●चैत्र,वैशाख- बसन्त ऋतु ।
●जेष्ठ,आषाढ-ग्रीष्म ऋतु ।
●श्रावण,भाद्रपद बर्षा ऋतु ।
●आश्विन, कार्तिक -शरद ऋतु ।
●मार्गशीर्ष, पौष -हेमन्त ऋतु ।
●माघ ,फाल्गुन -शिशिर ऋतु ।

भारतीय परम्परा के अनुसार जिस तरीके से प्रकृति अपना रंग बदलती है, उसी प्रकार  ऋतु परिवर्तन होती है ।

निष्कर्ष -Conclusion ---

 हम भारतीय दूसरे पर अधिक भरोसा करते है और अपनी हकीकत से हम अनजान रहते । यही हमारे भारत का दुर्भाग्य है ।हमा मानते है कि दूसरे की दी हुयी नसीहत बहुत अच्छी होती है ।किन्तु वह पूर्ण रूप से सही भी नही होती है । अपनी शक्ति को जगाइये  और तभी यह भारत भी जगेगा अन्यथा हमे फिर से गुलाम होने से कोई नही रोक सकता है ।


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