Saturday 21 March 2020

शब्द रचना हिन्दी-संस्कृत प्रत्यय का विस्तृत वर्णन,(परिभाषा,अर्थ कृत्-तद्धित-संस्कृत-हिन्दी-उर्दू-प्रत्यय)

शब्द रचना हिन्दी-संस्कृत प्रत्यय का विस्तृत वर्णन
Detailed description of Hindi-Sanskrit suffixes

(परिभाषा,अर्थ कृत्-तद्धित-संस्कृत-हिन्दी-उर्दू-प्रत्यय)  

नए शब्द की रचना करने के लिए शब्दों के अंत में जोड़े जाने वाले शब्दांश या अक्षर को ' प्रत्यय ' कहते हैं । जो प्रत्यय संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण और अविकारी शब्दों में जोडे जाते हैं , उन्हें तद्धित ' प्रत्यय कहा जाता है , परंतु जो प्रत्यय क्रियाओं में जुड़ते हैं , वे ' कृत प्रत्यय ' कहलाते हैं ।
यहाँ यह ध्यान दिए जाने योग्य है कि शब्दों के अंत में जो कारक विभक्तियों के चिह्न ( ने , को , से , के , के लिए , में , पर आदि ) लगाए जाते हैं तथा इसी तरह क्रियाएँ बनाते समय धातुओं के आगे ( आ , या , इया आदि ) शब्दांश जोड़े जाते हैं उन्हें क्रमशः ' कारक प्रत्यय ' और ' क्रिया प्रत्यय ' कहा जाता है ।

इसी प्रकार जो शब्द या शब्दांश पुल्लिग शब्दों के अंत में जुड़कर उन्हें स्त्रालिंग में बदल देते हैं , उन्हें ' स्त्री प्रत्यय ' कहा जाता है ।

कृत् प्रत्यय 
क्रिया के मूल धातु के अंत में जुड़कर जो प्रत्यय उस मूल धातु को संज्ञा या विशेषण के रूप में बदल देते हैं , उन्हें ' कृत् प्रत्यय ' कहा जाता है । कृत् प्रत्यय से बनने वाले शब्द ' कृदंत ' कहलाते हैं ।
जैसे - लिख = लिखाई , सज = सजावट , पठ = पठनीय इत्यादि । 

कृत् प्रत्यय मुख्य रूप से पाँच प्रकार के होते हैं ---

1-कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय ---
जिन प्रत्ययों के जोड़ने से क्रिया से कर्ता का बोध होता है , उन्हें कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं । हार , सार , इयल , अक्कड़ , आका , आकू . आरी , आड़ी , आलू , एरा , आक , क , ऐया , आऊ , ओड़ , आवना , ओड़ा , ओरा आदि ऐसे ही प्रत्यय हैं ।

प्रत्यय -- मूल धातु  -- कृदंत प्रत्यय 
हार--     पाल,हो --      पालनहार,होनहार 
सार---   मिल  -----      मिलनसार
इयल --- मर ,अड,सड----मरियल,अडियल
अक्कड़--भूल,पी---भुलक्कड़,पियक्कड़ 
आका -- लड़------ लड़ाक 
आकू--- उड़,लड़,पढ़ ---लड़ाकू,पढ़ाकू आड़ी-आरी-- खेल,काट-- खिलाडी कगरी 
आलू--       झगड--             झगड़ालू 
 एरा--        लूट,बस--          लुटेरा,बसेरा
आक--       तैर--                   तैराक 
क---      पाल,लिख,गा--   पालक,लेखक, गायक 
ऐया --     खे,गा --            खिवैया,गवैया 
आऊ --    टिक,जड़,कमा,बेच-- टिकाऊ, जड़ाऊ,कमाऊ,बिकाऊ 
ओड़ा,ओरा--  भाग,चाटना -- भगोड़ा,चटोरा 
ओड़ा--      हँस---              हंसोडा
आवना---डर,सुहा --        डरावना,सुहावना

2-कर्मवाचक कृत् प्रत्यय --
जो प्रत्यय मूल धातु के साथ जुड़कर कर्म का बोध कराते हैं , उन्हें कर्मवाचक कृत् प्रत्यय कहा जाता है ।
जैसे-- 
प्रत्यय -- मूल धातु -- कृदंत प्रत्यय 
औना--     बिछ,खेल --     बिछौना,खिलौना
नी--     कर,कतर,ओढ़--    करनी,कतरनी,ओढ़नी 
आ--    झूल,घेर,ठेल--       झूला,घेरा,ठेला 
ई--      फाँस,खाँस--         फाँसी,खाँसी 
नी--    कतर,चट,सूंघ --    कतरनी,चटनी, सूंघनी 
ऊ--     झाड़ --                 झाडू 
न--     बेल,ढक--             बेलन,ढक्कन 
औटी--  कस--                 कसौटी 
आवा-- भूल,दिख,बुला -- भुलावा,दिखावा,बुलावा 
आव -- घिर,चढ़,बह,बच-- घिराव,चढ़ाव,बहाव,बचाव 
आई--   पढ़,चढ़,सिल,लिख-- पढ़ाई, चढ़ाई,लड़ाई,
आन--   उठ,मिल,उड़--       उठान,मिलान, उड़ान 
ई--      बोल,हँस,कह,सुन--  बोली,हँसी, कही,सुनी
आवट - बन,गिर,मिल,सज- बनावट,गिरावट,मिलावट
आहट--  घबरा,मुसकरा,जगमगा-- घबराहट,मुसकराहट 
ती--      गिन,भर,बढ़,चढ़ --    गिनती, भरती,बढ़ती
ओति--  कट,चुन,फिर,       --कटौती, चुनौती,फिरौती
आ-- झगड़ा,झटक,जोड़--     झगड़ा झटका,। 
न--    चल,ले,दे,गा --          चलन,लेना,देना, गाना 
नी--     कर,भर --               करनी,भरनी  
अंत --   गढ़ भिड़ --            गढ़त,भिड़त 
त --     बच,खप--              बचत,खपत 
आन -- लग,चढ़,उठ --        लगान,चढ़ान, उठान 

3-क्रियावाचक कृत् प्रत्यय --
जिन प्रत्ययों को जोड़ने से धातुएँ विशेषण रूप में प्रयुक्त होती हैं उन्हें क्रिया - वाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं ।
इसके दो भेद हैं ---

( क ) वर्तमानकालिक(At present)
मूल धातु के साथ ता , ते , ती जोड़कर वर्तमानकालिक कृदंत विशेषण बनते हैं । कभी - कभी लिंगानुसार हुआ , हुए , हुई का भी प्रयोग होता है ।
जैसे - ता , ते . ती , चल , गा , हँस , बह , दौड़ , चलता , गाता , हँसता हुआ , बहता हुआ , दौड़ती हुई . बहती हुई आदि । 

( ख ) भूतकालिक (Past time)
मूल धातु के साथ ' आ ' या ' या ' प्रत्यय जोड़ने पर भूतकालिक कृदंत विशेषण बनते हैं ।
जैसे - ' आ ' कभी - कभी हुआ , हुई लिंगानुसार प्रयुक्त होते हैं । जैसे - पढ़ = पढ़ा , पढ़ा हुआ , सुन = सुना हुआ . पढ़ी = पढ़ी हुई , सुनी हुई । 

ध्यान देने योग्य बातें ----
1-धातुओं के आगे प्रत्यय जोड़ते समय मूल धातु के रूप में कुछ विकार भी हो जाता है । कभी - कभी हस्व स्वर को दीर्घ या दीर्घ स्वर को ह्रस्व कर दिया जाता है ।
जैसे - काट - कटौती , मान - मनौती , पूज - पुजापा , सूझ - सुझाव । 

2-कभी - कभी ' ई ' के स्थान पर ' ए ' तथा ' ए ' के स्थान पर ' ई ' कर दिया जाता है ।
जैसे - मिल - मेला , घेर - घिराव । 

3- कुछ मूल धातुएँ बिना प्रत्यय के ही भाववाचक कृदंत का रूप धारण कर लेती है ।
जैसे - लूट , खेल , चमक , दौड़ , खोज , पुकार , हार , पकड़ ।

संस्कृत के कुछ कृत् प्रत्यय--
1-अन =  भवन ,जलन ,चलन ,गमन । 
2-अना -  भावना ,वंदना ,कामना , रचना । 
3-आ,या = पूजा ,इच्छा ,प्रथा ,विद्या, कथा । 
4- ति = गति ,मति ,नीति ,शक्ति ।
5- अक = सेवक ,पाठक ,गायक, चालक । 
6- उक = भिक्षुक ,भावुक । 
7- ता = दाता ,कर्ता ,धर्ता ,वक्ता, नेता ,विधाता । 
8- य = देय ,गेय ,पेय । 

तद्धित प्रत्यय --
क्रिया को छोड़कर शेष सभी ( संज्ञा , सर्वनाम , अव्यय ) शब्दों में जुड़ने वाले शब्दांश या अक्षर को तद्धित प्रत्यय कहते हैं । इनके योग से बनने वाले शब्दों को तद्धितांत शब्द कहते हैं ।

( क )कर्तृवाचक (कर्ता का बोध कराने वाले शब्द) 
1- आर = सुनार ,लुहार ,चमार, कुम्हार । 
2- आरा = बनजारा ,हत्यारा । 
3-आरी ,आड़ी = जुआरी ,पुजारी, भिखारी ,खिलाड़ी । 
4-:एरा = चितेरा ,सँपेरा ,अँधेरा ,लुटेरा । 
5- हार ,हारा = सिरजनहार ,होनहार, लकड़हारा । 
6- ऐत = लठैत ,टिकैत ,डकैत । 
7- इया = मुखिया ,दुखिया ,बिचौलिया,आढ़तिया । 
8- कार ,कारी = गीतकार ,कलाकार, जानकार ,गुणकारी ,हितकारी , । 

(ख)भाववाचक(भाववाचक संज्ञा का बोध कराने वाले शब्द) 
1- पन = बचपन ,लड़कपन, पागलपन । 
2- आहट = चिकनाहट ,कड़वाहट, लिखावट ,बनावट । 
3- त्व = मनुष्यत्व ,देवत्व ,अपनत्व, ममत्व । 
4- = बुराई ,भलाई ,महँगाई, अच्छाई ,गरमी ,नरमी । 
5-आस = मिठास ,खटास ,भड़ास ।
6- कार = जयकार ,अहंकार, तिरस्कार ,हाहाकार । 
7- ता = मानवता ,दानवता ,पशुता, लघुता । 
8- = रंगत ,संगत । 
9- = ठंडक ,कड़क । 

( ग ) लघुतावाचक (कमी या छोटेपन का बोध कराने वाले शब्द) 
1- = टोकरी ,खुरपी ,रस्सी ,कोठरी , प्याली। 
2- डी = टुकड़ी ,पंखुड़ी ,संदूकड़ी, गठड़ी । 
3- इया = खटिया ,बछिया ,बिटिया । 

( घ ) संबंधवाचक (व्यक्ति या वस्तु के संबंध दर्शाने वाले शब्द) 
1- हाल ,आल = ननिहाल ,ससुराल ।
2- औती = बपौती ,मनौती ,कटौती ।
3- एरा = फुफेरा ,ममेरा ,चचेरा ।
4- इक = धार्मिक ,आर्थिक ,नैतिक , सामाजिक । 
5- = बंगाली,मद्रासी ,गुजराती, लखनवी । 

( ङ ) क्रमवाचक (जिनमें क्रम का बोध हो) 
1- वां = आठवाँ ,पाँचवाँ ,दसवाँ । 
2- सरा = दूसरा ,तीसरा । 

(च) स्थानवाचक (जिनसे स्थान का बोध हो) 
1- वाला = शहरवाला ,गाँववाला, दिल्लीवाला । 
2- = शहरी ,देहाती ,परदेशी, पंजाबी ,गुजराती ।
3- वी = देहलवी ,लखनवी, लुधियानवी ,हरियाणवी । 
4- इया = अमृतसरिया ,जयपुरिया, जौनपुरिया । 

(छ) गुणवाचक (जिनसे गुण का बोध हो) 
1- = पापी ,त्यागी ,जंगली ,धनी, मानी । 
2- = प्यासा ,भूखा ,ठंडा ,पगला, प्यारा । 
3- लु = दयालु ,कृपालु । 
4- आलू = झगड़ालू । 
5- = बाजारू ,पेटू । 
6- ईला = चमकीला ,पथरीला, रंगीला ,रसीला । 
7- आरी = पुजारी ,भिखारी । 

( ज ) अपत्य चावक (संतान का बोध कराने वाले शब्द) 
1- = वासुदेव, पांडव ( पांड की संतान )
2- इय =  गांगेय, कौंतेय (कुंती की संतान राधेय ( राधा की संतान ) ।
3- = आदित्य (अदिति की संतान )
4-   = दाशरथी , मारुति । 

शैव , वैष्णव , शाक्त , जैन , बौद्ध शब्द भी क्रमशः शिव , विष्णु , शक्ति , जिन , बुद्ध - साथ संस्कृत के क्त अथवा अनुयायी - अर्थक तद्धित प्रत्ययों के योग से बनते हैं । हिन्दी में इस अर्थ में ' ' प्रत्यय आता है ।

जैसे - कबीरपंथी , आर्यसमाजी , सनातनधर्मी शब्द सी प्रकार बनते हैं ।

 संस्कृत के तद्धित प्रत्यय --
1-इमा = महिमा, कालिमा ,लालिमा , गरिमा ,लघिमा । 
2- नीय = पूजनीय ,वंदनीय , आदरणीय ,मानवीय । 
3- वान = गुणवान ,बलवान ,धनवान , ज्ञानवान । 
4- मान = गतिमान ,श्रीमान, मूर्तिमान ,बुद्धिमान । 
5- = साम्राज्य ,काव्य ,धैर्य ,सभ्य, आलस्य । 
6- = मांसल ,शीतल ,ऊर्मिल । 
7- इल = जटिल ,फेनिल ,पंकिल । 
8- ता = कोमलता ,तरलता ,चपलता, चंचलता । 
9- त्व = कवित्व ,देवत्व ,मातृत्व ।
10- आलु = दयालु ,कृपालु । 
11- ईय = शासकीय ,भारतीय , राजकीय ,विद्यालयीय ।
12- = लाघव ,शैशव ,गौरव , वैष्णव, मानव ,दानव ।

उर्दू के प्रत्यय --
1- आना = सालाना ,मेहनताना, रोजाना । 
2- = जवानी ,रोशनी । 
3- दान = कलमदान ,पानदान ,पीकदान । 
4- वान = गाड़ीवान , बागवान ,कोचवान ।
5- मंद =  मतिमंद ,अक्लमंद ,दौलतमंद ।
6- बाज =  धोखेबाज ,चालबाज, मुकदमेबाज । 
7- इश = कोशिश ,फरमाइश, आजमाइश । 

शब्द--  उपसर्ग /  शब्द -- प्रत्यय 
असामाजिक-- अ  /   समाज --  इक
अधार्मिक--     अ  /    धर्म --      इक
बेचैनी--           बे  /     चैन--       ई
उपकारक--     उप /    कार--     अक
अपमानित --   अप /   मान --    इत
अनुदार--        अन  /   उदार---   ता
निर्दयता---      निर्  /    दय--      ता
दुस्साहसी---    दुस् /    साहस --- ई
बेकारी--          बे    /    कार--     ई

~~~~~~~~~~~~~~~~~

0 comments: