Friday 27 March 2020

हिन्दी व्याकरण महत्वपूर्ण (वाक्य- भेद,उपवाक्य,पदबंध) परिभाषा,भेद,अंग व तत्व, Kinds of sentences in hindi

हिन्दी व्याकरण महत्वपूर्ण (वाक्य- भेद,उपवाक्य,पदबंध) 
परिभाषा,भेद,अंग व तत्व

Hindi Grammar Important (Sentences, Phrases, Phrases)
 Definitions, distinctions, organs and elements


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Kinds of sentences in hindi


वाक्य की परिभाषा-
(Definition of sentence)

"सार्थक शब्दों का व्यवस्थित समूह जिससे अपेक्षित अर्थ प्रकट हो , वाक्य कहलाता है ।"

वाक्य के छः तत्व अनिवार्य हैं ---
The six elements of the sentence are compulsory

1- सार्थकता                  2- योग्यता 
3- आकांक्षा                   4- निकटता      
5- पदक्रम                     6- अन्वय

1- सार्थकता- (Significance)
वाक्य का कुछ न कुछ अर्थ अवश्य होता है । अतः इसमें सार्थक शब्दों का ही प्रयोग होता है ।

2- योग्यता-(Qualification)
वाक्य में प्रयुक्त शब्दों में प्रसंग के अनुसार पेक्षित अर्थ प्रकट करने की योग्यता होती है ।
जैसे — ' चाय बाई यह वाक्य नहीं है क्योंकि चाय खाई नहीं जाती बल्कि पी जाती है ।

3- आकांक्षा- (Aspiration)
आकांक्षा ' का अर्थ है ' इच्छा ' , वाक्य अपने आप में पूरा होना चाहिए । उसमें किसी ऐसे शब्द की कमी नहीं होनी चाहिए जिसके कारण अर्थ की अभिव्यक्ति में अधूरापन लगे ।
जैसे — पत्र लिखता है , इस वाक्य में क्रिया के कर्ता को जानने की इच्छा होगी । 
अतः पूर्ण वाक्य इस प्रकार होगा - राम पत्र लिखता है ।

4- निकटता- (Proximity)
 बोलते तथा लिखते समय वाक्य के शब्दों में परस्पर निकटता का होना बहुत आवश्यक है , रूक - रूक कर बोले या लिखे गए शब्द वाक्य नहीं बनाते । अतः वाक्य के पद निरंतर प्रवाह में पास - पास बोले या लिखे जाने चाहिए ।

5- पदक्रम- (Gradation)
वाक्य में पदों का एक निश्चित क्रम होना चाहिए । " सुहावनी है रात होती चाँदनी ' इसमें पदों का क्रम व्यवस्थित न होने से इसे वाक्य नहीं मानेंगे ।
इसे इस प्रकार होना चाहिए – ' चाँदनी रात सुहावनी होती है ' ।

6- अन्वय- (End)
अन्वय का अर्थ है - मेल । वाक्य में लिंग , वचन , पुरुष , काल , कारक आदि का क्रिया के साथ ठीक - ठीक मेल हाना चाहिए ।
जैसे — ' बालक और बालिकाएँ गई ' , इसमें कर्ता । क्रिया अन्वय ठीक नहीं है । अतः शुद्ध वाक्य होगा ' बालक और बालिकाएँ गए ' । 

वाक्य के अंग 
(Parts of the sentence)

वाक्य के दो अंग हैं ----
1- उद्देश्य        
2- विधेय 

1- उद्देश्य ( Subject ) 
जिसके बारे में कुछ बताया जाता है , उसे उद्देश्य कहते हैं ।
जैसे-
        - अनुराग खेलता है । 
        - सचिन दौड़ता है । 

इन वाक्यों में ' अनुराग ' और ' सचिन ' के विषय में बताया । अतः ये उद्देश्य हैं । इसके अंतर्गत कर्ता और कर्ता का विस्तार आता है ।

 जैसे — 
  - परिश्रम करने वाला व्यक्ति सदा सफल ता है । 

इस वाक्य में कर्ता ( व्यक्ति ) का विस्तार ' परिश्रम करने वाला ' है ।

2- विधेय ( Predicate ) 
वाक्य में उद्देश्य के बारे में जो कुछ । उसे विधेय कहते हैं ।
जैसे - अनुराग खेलता है । 

इस वाक्य में ' खेलता है ' विधेय है । दूसरे शब्दों में वाक्य के कर्ता ( उद्देश्य ) को अलग करने के बाद वाक्य में जो कुछ भी जाता है , वह विधेय कहलाता है । शेष रह जाता है , वह विधेय कहलाता है।

 इसके अंतर्गत विधेय और विधेय का विस्तार आता है ।
जैसे - लंबे - लंबे बालों वाली लड़की 
(अभी-अभी एक बच्चे के साथ दौड़ते हुए उधर गई)

 इस वाक्य में विधेय ( गई ) का विस्तार ' अभी - अभी एक बच्चे के साथ दौड़ते हुए उधर ' है । 

वाक्य के भेद -
(Distinction of sentence)

वाक्य अनेक प्रकार के हो सकते हैं । उनका विभाजन हम दो आधारों पर कर सकते हैं ।

1- अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
Distinguish sentences based on meaning

अर्थ के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद हैं ---

1- विधानवाचक        2- निषेधवाचक
3- आज्ञावाचक         4- प्रश्नवाचक
5- इच्छावाचक         6- संदेहवाचक
7- विस्मयवाचक       8- संकेतवाचक

1- विधानवाचक 
( Assertive Sentence )  
जिन वाक्यों में क्रिया के करने या होने की सूचना मिले , उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते हैं ।
जैसे - मैंने दूध पिया । 
         वर्षा हो रही है । 
         राम पढ़ रहा है । 

2- निषेधवाचक 
( Negative Sentence ) 
जिन वाक्यों से कार्य न होने का भाव प्रकट होता है , उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं ।
जैसे — मैंने दूध नहीं पिया । 
           मैंने खाना नहीं खाया । 
           तुम मत लिखो । 

3- आज्ञावाचक 
( Imperative Sentence ) 
जिन वाक्यों से आज्ञा , प्रार्थना , उपदेश आदि का ज्ञान होता है , उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं ।
जैसे - बाज़ार जाकर फल ले आओ ।
         मोहन तुम बैठ कर पढ़ो । 
         बड़ों का सम्मान करो । 

4- प्रश्नवाचक 
( Interrogative Sentence )
जिन वाक्यों से किसी प्रकार का प्रश्न पूछने का ज्ञान होता है , उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं ।

जैसे - सीता तुम कहाँ से आ रही हो?
         तुम क्या पढ़ रहे हो ? 
         रमेश कहाँ जाएगा ? 

5- इच्छावाचक 
( Illative Sentence ) 
जिन वाक्यों से इच्छा , आशीष एवं शुभकामना आदि का ज्ञान होता है , उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं ।

जैसे -तुम्हारा कल्याण हो । 
       आज तो मैं केवल फल खाऊँगा।
       भगवान तुम्हें लंबी उमर दे । 

6- संदेहवाचक 
( Sentence indicating Doubt ) 
जिन वाक्यों से संदेह या संभावना व्यक्त होती है , उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं ।

जैसे - शायद शाम को वर्षा हो जाए ।  
         वह आ रहा होगा,पर हमें क्या मालूम । 
          हो सकता है राजेश आ जाए । 

7- विस्मयवाचक 
( Exclamatory Sentence )
जिन वाक्यों से आश्चर्य , घृणा , क्रोध , शोक आदि भावों की अभिव्यक्ति होती है , उन्हें विस्मयवाचक वाक्य कहते हैं ।
जैसे - वाह ! कितना सुंदर दृश्य है । 
         हाय ! उसके माता - पिता दोनों ही चल बसे । 
         शाबाश ! तुमने बहुत अच्छा काम किया । 

8- संकेतवाचक 
( Conditional Sentence ) 
जिन वाक्यों से शर्त ( संकेत ) का बोध होता है यानी एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है , उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते है ।

जैसे - यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होगे । 
         पिताजी अभी आते तो अच्छा होता । 
         अगर वर्षा होगी तो फ़सल भी होगी ।

2 - रचना के आधार पर वाक्य के भेद
Distinguish sentences based on composition

 रचना के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित तीन भेद होते है--- 
1- सरल वाक्य/साधारण वाक्य ( Simple Sentence ) 
 वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधय हा उन्हें सरल वाक्य या साधारण वाक्य कहते है । सरल वा एक ही समापिका क्रिया ( करता है . किया , करेगा आदि ) हाती है।

जैसे — मुकेश पढ़ता है । 
           शिल्पी पत्र लिखती है । 
           राकेश ने भोजन किया ।

2- संयुक्त वाक्य 
( Compound Senternes ) 
जिन दो या दो से अधिक सरल वाक्य योजकों ( और , एवं , तथा , या , अथवा , इसलिए , अतः , फिर भी , तो , नहीं तो , किन्तु , परन्तु , लेकिन , पर आदि ) से जुड़े हों . उन्हें संयुक्त वाक्य कहते है ।

जैसे - वह सुबह गया और शाम को लौट आया । 
प्रिय बोलो पर असत्य नहीं । 
उसने बहुत परिश्रम किया किंतु सफलता नहीं मिली । 

3- मिश्रित / मिश्र वाक्य ( Complex Sentener ) 
जिन वाक्यों में एक प्रधान ( मुख्य ) उपवाक्य हो और अन्य आश्रित ( गौण ) उपवाक्य हों तथा जो आपस में ' कि ' , ' जो ' : ' क्योंकि ' ; ' जितना . . . उतना . . . , ' जैसा . . . वैसा . . . . ' जब . . . तब . . . . ' जहाँ . . . वहाँ . . . , ' जिधर . . . उधर . . . , ' अगर यदि . . . तो . . . , ' यद्यपि . . . तथापि , आदि से मिश्रित ( मिले - जुले ) हों , उन्हें मिश्रित वाक्य कहते हैं । इनमें एक मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक से अधिक समापिका क्रियाएँ होती हैं ।

जैसे - मैं जानता हूँ कि तुम्हारे अक्षर अच्छे नहीं बनते । 
         जो लड़का कमरे में बैठा है वह मेरा भाई है । 
         यदि परिश्रम करोगे तो उत्तीर्ण हो जाओगे । 

4- वाक्य - विग्रह 
( Analysis ) 
वाक्य के विभिन्न अंगों को अलग - अलग किये जाने की प्रक्रिया को वाक्य - विग्रह कहते हैं । इसे ' वाक्य - विभाजन ' या ' वाक्य - विश्लेषण ' भी कहा जाता है ।

सरल वाक्य का विग्रह करने पर एक उद्देश्य और एक विधेय बनते हैं । संयुक्त वाक्य में से योजक को हटाने पर दो स्वंतत्र उपवाक्य ( यानी दो सरल वाक्य ) बनते हैं । मिश्र वाक्य में से योजक को हटाने पर दो अपूर्ण उपवाक्य बनते हैं ।

सरल वाक्य  = 1 उद्देश्य + 1 विधेय संयुक्त वाक्य = सरल वाक्य + सरल वाक्य मिश्र वाक्य = प्रधान उपवाक्य + आश्रित उपवाक्य 

उपवाक्य ( Clause ) 
यदि किसी एक वाक्य में एक से अधिक समापिका क्रियाएँ होती हैं तो वह वाक्य उपवाक्यों में बँट जाता है और उसमें जितनी भी समापिका क्रियाएँ होती हैं उतने ही उपवाक्य होते हैं । इन उपवाक्यों में से जो वाक्य का कद्र होता है , उसे मुख्य या प्रधान उपवाक्य ( Main clause ) कहते हैं और शेष को आशित उपवाक्य ( Subordinate clause ) कहत है ।

आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं ।

1-  संज्ञा उपवाक्य 
जो आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य  की क्रिया के कर्ता , कर्म अथवा क्रिया पूरक के रूप में प्रयन हा उपावाक्य कहते हैं ।

जैसे — मैं जानता हूँ कि वह बहत ईमानदार है । 
           उसका विचार है कि राम सच्चा शमिम ने कहा कि उसका भाई पटना गया है । 
इन रंगीन अक्षरों वाले अंश संज्ञा उपवाक्य हैं । 

पहचान--- संज्ञा उपवाक्य का प्रारंभ ' कि ' से होता है।

2- विशेषण उपचावय --
जब कोई आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की संज्ञा पद की विशेषता बताते हैं ,उन्हें विशेषण उपवाक्य कहते है।

जैसे--- मैंने एक व्यक्ति को देखा जो बहुत मोटा था ।
           वे फल कहाँ है जिन को आप लाए थे । 
           इन रगीन अक्षरों वाले अंश विशेषण उपवाक्य हैं । 

पहचान--- विशेषण उपवाक्य का प्रारभ जो अथवा इसके किसी रूप ( जिसे . जिस को , जिसने , जिन को आदि ) से होता । 

3- कियाविशेषण उपवाक्य --
जो आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की किया की विशेषता बताए , उसे क्रियाविशेषण उपवाक्य कहते हैं । ये प्रायः किया का काल , स्थान , रीति परिमाण, कारण आदि के सूचक क्रियाविशेषणों के द्वारा प्रधान वाक्य से जुड़े रहते हैं ।

जैसे - मैं उससे नहीं बोलता , क्योंकि वह बदमाश है । 
        जब वर्षा हो रही थी तब मैं कमरे में था । 
        जहाँ जहाँ वे गए , उनका स्वागत हुआ । 
        यदि मैंने परिश्रम किया होता तो अवश्य सफल होता          यधपि वह गरीब है , तथापि ईमानदार है । 

इन वाक्यों में रंगीन अक्षरों वाले अंश क्रियाविशेषण उपवाक्य है।

पहचान- क्रियाविशेषण उपवाक्य का प्रारंभ ' क्योंकि ' जितना ' , ' जैसा ' , ' जब ' , ' जहाँ ' , ' जिधर ' . ' अगर / यदि ' , ' यद्यपि आदि से होता है ।

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