Monday 23 March 2020

हिन्दी व्याकरण विशेषण व प्रविशेषण परिभाषा,भेद,अन्तर व उदाहरण ,

हिन्दी व्याकरण विशेषण व प्रविशेषण परिभाषा,भेद,अन्तर व उदाहरण 
Hindi grammar adjectives and adjectives Definition, distinction, difference and example

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विशेषण (Adjectives)

हिन्दी भाषा में काव्य की शोभा बढाने के लिए तथा भाषा को शुद्धरूप प्रदान करने के लिए विशेष का बडा महत्व है।

परिभाषा (Definition)

" जिन शब्दों द्वारा किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता का पता चलता है वे ' विशेषण कहलाते हैं । "

उदाहरण-- श्वेत वस्त्र , ढीला करता , नीला आसमान , हरी सब्जी , खट्टा दही , रंगीन टो०वी०  आदि में काले छपे शब्द सम्बन्धित वस्तु की विशेषता बताते हैं ।

इसी प्रकार वह मोटा , यह नीचा , वह मुलायम , मेरा पालतू आदि में मोटे छपे शब्द सम्बन्धित सर्वनामों की विशेषता का बोध कराते हैं ।

विशेषण तथा विशेष्य का सम्बन्ध
The relation of adjectives and nouns

संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतानेवाले शब्द ' विशेषण ' कहलाते हैं, परन्तु ये विशेषण जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उसे ' विशेष्य ' कहते हैं । संक्षेप में , जिसकी विशेषता बतलाई जाती है उसे ' विशेष्य ' कहते हैं ।
जैसे - ' काली भैंस ' या ' दुबली गाय ' में भैंस और गाय को विशेषता क्रमश : - ' काली ' व ' दुबली ' बताई जा रही है इसलिए यहाँ ' भैंस ' और ' गाय ' ' विशेष्य है।

विशेषण के भेद
Distinction of adjectives

हिन्दी में सामान्यतया विशेषण के चार भेद माने गए हैं ----
1- गुणवाचक विशेषण 
2- परिमाणवाचक विशेषण
3-  संख्यात्मक विशेषण 
4- सार्वनामिक विशेषण । 

1- गुणवाचक विशेषण -
   Qualitative adjectives

संज्ञा या सर्वनाम के गुण या दोष , रूप , रंग , आकार - प्रकार , स्थान , काल , दशा , शील , गन्ध , स्थिति , स्वाद आदि का बोध करानेवाले शब्द ' गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं ।

जैसे उदाहरण---
क- गुण - सुन्दर , ईमानदार , भला , कुशल , प्रवीण , स्वच्छ , उचित ।

ख-  दोष - कुरूप , जटिल , गन्दा , असभ्य , बुरा , दोगला , अनुचित ।

ग- आकार - प्रकार -  लम्बा , चौड़ा , चौकोर , तिकोना , गोल . सपाट ।

घ-  रंग - लाल , पीला , हरा , नीला , काला , सफेद , उजला ।

ङ-  स्थिति - भीतर , बाहर , पिछला , अग्रिम , पश्चात् , अगला ।

च-  अवस्था , दशा - पतला , गाढ़ा , गोला , मजबूत , कमजोर , बलवान , रोगी , वद्ध , यवा , किशोर ।

छ- काल / समय - आधुनिक , प्राचीन , नवान , नवीनतम , अधुनातन , नया , पराना । 

ज- स्थान - पंजाबी , जापानी , विहारी , रूसी , कनपुरिया , रामपुरी , देहलवी , बंगाली, भारतीय ।

झ-  स्वाद - मीठा , तिक्त , नमकीन , कसैला , फीका , कड़वा , खट्रा ।

ञ-  गन्ध - भीनी , खुशबू , बदबू , सुगन्ध । 

2- परिमाणवाचक विशेषण ---
    Quantitative adjectives

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की माप - तौल या परिमाण को प्रकट करते हैं वे ' परिमाणवाचक विशेषण ' कहलाते हैं ।
ये दो प्रकार के होते हैं---
( क ) निश्चित परिमाणवाचक 
( ख ) अनिश्चित परिमाणवाचक । 

( क ) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण ---
किसी संज्ञा या सर्वनाम का निश्चित परिमाण बतानेवाले विशेषण ' निश्चित परिमाणवाचक विशेषण ' कहलाते हैं ; जैसे ---
पाँच पृष्ठ , तीन हाथ , आधी बालटी , सौ प्रतिशत , दस मीटर आदि ।
निम्नलिखित वाक्य - प्रयोग से इन शब्दों को भली - भांति समझा जा सकता है ।
1- कल दस लीटर दूध लाना ।
2- पाँच हाथ कपड़ा दे दो ।
3- तीन इंच वर्षा हुई है ।

( ख ) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण---
किसी संज्ञा या सर्वनाम का अनिश्चित परिमाण बतानेवाले अथवा माप - तौल का निश्चित ज्ञान न करानेवाले विशेषण ' अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण ' कहलाते हैं ।

जैसे - कितना , उतना , जितना , बहुत , कम , थोड़ा , अधिक , ढेर - सारा , बहुत कम अत्यन्त आदि । कभी - कभी शब्दों के पश्चात सा / सारा शब्द लगाकर भी अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषणों की रचना की जाती है ।
नीचे कुछ वाक्य - प्रयोग दिए जा रहे हैं जिनसे इस प्रकार के शब्दों को भली - भाँति समझा जा सकता है ।
1- पहाड़ों पर बहुत वर्षा होती है ।
2- इस साल कम उपज हुई है ।
3- वहाँ थोड़े - से लोग थे ।
4- मजदूर भारी बोझ से दबे जा रहे थे ।

( 3 ) संख्यावाचक विशेषण ---
        Numeric adjectives
जिन शब्दों द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की गिनती या संख्या का बोध होता है या गणना का वाचन सम्भव होता है उन्हें ' संख्यावाचक विशेषण ' कहते हैं । इसके दो भेद होते हैं ---
( क ) निश्चित संख्यावाचक
( ख ) अनिश्चित संख्यावाचक ।

क-  निश्चित संख्यावाचक विशेषण -
ये विशेषण संज्ञा या सर्वनाम को किसी निश्चित संख्या का बोध कराते हैं ।
जैसे - सौ , पचास , दस , दर्जन आदि ।
इसके सात भेद किए जा सकते हैं जो निम्नलिखित हैं--
( i ) पूर्ण संख्यावाचक विशेषण ---
ये विशेषण पूरी संख्या का बोध कराते हैं । इन्हें ' गणनावाचक विशेषण ' भी कहा जाता है ।
उदाहरण---
तीन दिन , पाँच रात , सात वर्ष आदि ।
वाक्य-प्रयोग-- उनको आने में अभी पन्द्रह दिन शेष हैं ।

( ii ) अपूर्ण संख्यावाचक विशेषण---
इनके द्वारा अपूर्ण संख्या का बोध होता है ।
जैसे - तीन - चौथाई , पाव भर , आधा , डेढ़ , सवा आदि ।
ये विशेषण मुख्यतया नाप - तौल में प्रयोग में आते हैं ।
उदाहरण--- उसके पास आधे पैसे रह गए ।

( iii ) क्रमवाचक विशेषण--
ये विशेषण क्रम में अपने स्थान का बोध कराते हैं ।
जैसे-- पहला , दूसरा , प्रथम , तृतीय , सातवाँ , सौवा आदि ।
उदाहरण-- खेल प्रतियोगिता में मोहन तीसरे स्थान पर आया ।

( iv ) आवृत्तिवाचक विशेषण--
जिन विशेषणों से विशेष्य की आवृत्ति या तहों या गणन का ज्ञान होता है वे ' आवृत्तिवाचक विशेषण ' कहलाते हैं । उदाहरण-- दोहरा , तिहरा , चौहरा , दुगना तिगुना , चौगुना , प्रथम आवृत्ति आदि ।

( v )--समुदायवाचक विशेषण--
जहाँ संख्या के समुदाय को विशेषण के रूप में प्रयोग किर जाता है वहाँ उसे ' समुदायवाचक विशेषण ' कहते हैं ।
उदाहरण--- दोनों , तीनों , चारों , पाँचों , छह सातों - के - सातों आदि ।

( vi ) समुच्चयवाचक विशेषण--
जहाँ विशेष्य के समूह अथवा समुच्चय को प्रकट करनेवाल विशेषण का प्रयोग किया जाता है वहाँ ' समच्चयवाचक विशेषण ' होता है ।
 उदाहरण--- जोडा जोड़ी , दर्जन , शतक , सैकड़ा ।

( vii ) प्रत्येकबोधक विशेषण--
ये शब्द ( विशेषण ) संज्ञा के पृथक् होने अथवा पृथक अस्तित्व का बोध कराते हैं ।
जैसे-- प्रति , हर , प्रत्येक आदि । 
उदाहरण-– प्रतिदिन , हर साल प्रत्येक वर्ष आदि ।
वाक्य-प्रयोग---मैं प्रति / प्रत्येक / हर दिन मन्दिर जाता हूँ ।

( ख ) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण---
ये विशेषण , संज्ञा या सर्वनाम की अनिश्चिर संख्या का बोध न कराके केवल उसका अस्पष्ट अनुमान भर प्रस्तुत करते हैं ।
जैसे-- कई , कुछ सैकड़ों , हजारों , दस - बारह आदि ।
उदाहरण--- इस स्कूल में कई लड़कियों ने प्रतियोगिता जीती ।

( 4 ) सार्वनामिक विशेषण---
        Universal adjectives
वे सर्वनाम , जो अपने सार्वनामिक रूप में ही संज्ञा के विशेषण रूप में प्रयुक्त होते हैं , “ सार्वनामिक विशेषण ' कहलाते हैं ।
ये चार प्रकार के होते हैं----
( क ) निश्चयवाचक
( ख ) अनिश्चयवाचक
( ग ) प्रश्नवाचक
( घ ) सम्बन्धवाचक ।

( क ) निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण---
ये विशेषण संज्ञा की ओर निश्चयात्मक संकेत करते हैं इसलिए इन्हें ' निश्चयात्मक / निश्चयवाचक / संकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण ' कहते हैं ।
उदाहरण--
1- यह कलम मेरी है ।
2- इसने कल भी उसे मारा था ।
3- उस पार मल्लाहों की बस्ती है ।

( ख ) अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण-
ये विशेषण संज्ञा की ओर अनिश्चय अथवा अनिश्चितता का संकेत करते हैं इसलिए इन्हें ' अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण ' कहते हैं।
जैसे---
1- आपको कोई पूछ रहा है ।
2- कुछ दिनों से वह अनुपस्थित है । 
3- कई पत्र भेजे हैं पर उत्तर नहीं आया ।

( ग ) प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण---
ये विशेषण संज्ञा की प्रश्न सम्बन्धी विशेषता के प्रकट करते हैं इसलिए इन्हें प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण ' कहते हैं ।
जैसे--
1- कितने आदमी आ चुके हैं ?
2- कौन - कौन पकड़ा गया ?
3- किसको खीर अच्छी लगती है ?
4- यह कोट किसका है ?
5- क्या खाकर जाओगी ?

(घ) सम्बन्धवाचक सार्वनामिक विशेषण--
ये विशेषण वाक्य में प्रयक्त एक संज्ञा य सर्वनाम का सम्बन्ध दूसरे सज्ञा या सर्वनाम से होना प्रकट करते हैं ।

1- जिसने भोजन कर लिया वह पढ़ने बैठे ।
2- जिसको पूछो वही गायब है ।
3- जो पुस्तक खो रही थी वह यह रही ।

निश्चयवाचक सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अन्तर
Difference between definitive pronouns and pronouns

 निश्चयवाचक सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में सूक्ष्म - सा अन्तर होता है । निश्चयवाचक सर्वनाम किसी व्यक्ति , प्राणी वस्तु आदि की निश्चितता का ज्ञान कराता है , जबकि सार्वनामिक विशेषण से व्यक्ति , प्राणी , वस्तु आदि की विशेषता का पता चलता है ।

जैसे---
1---- ( i ) यह मोहन का घर है ।
       ( ii ) वह शीला की पुस्तक है ।

2-----( i ) यह घर मोहन का है ।
       ( ii ) वह पुस्तक शीला की है ।

उपर्युक्त ( बिन्दु - 1 ) के अन्तर्गत वाक्य ( i ) और ( ii ) में ' यह ' और ' वह ' क्रमश : ' मोहन के . घर ' और ' शीला की पुस्तक ' की निश्चितता का बोध कराते हैं । अत : ये निश्चयवाचक सर्वनाम हैं , जबकि ( बिन्दु - 2 ) के अन्तर्गत वाक्य ( i ) और ( ii ) में ' यह घर ' और ' वह पुस्तक ' में ' यह घर की और ' वह ' पुस्तक की विशेषता बता रहे हैं , इसलिए सार्वनामिक विशेषण हैं ।

प्रविशेषण ( Entry)
परिभाषा
कुछ शब्द विशेषणों की भी विशेषता प्रकट करते हैं , ऐसे शब्द ' प्रविशेषण ' कहलाते हैं
उदाहरण--
1- आपने मुझ पर बहुत बड़ी कृपा की ।
2- मोहन बड़ा ईमानदार व्यक्ति है ।
3- कारखानों से अत्यन्त विषैला पदार्थ निकलता है ।
4- मेरा भाई अत्यन्त कुशल और अति सक्षम अधिकारी है ।
5- चन्द्रशेखर आजाद बड़े पराक्रमी क्रान्तिकारी थे ।

संक्षेप में , प्रविशेषण न केवल संज्ञा की विशेषता बताते हैं बल्कि क्रियाओं की भी विशेषता प्रकट करते हैं । प्रविशेषण प्रायः क्रिया या क्रिया - विशेषण से पूर्व लगते हैं । ये विशेषण की निश्चितता अथवा अनिश्चितता भी बतलाते हैं ।

हिन्दी में प्रविशेषण के रूप में प्रयोग होनेवाले कुछ प्रचलित शब्द निम्नलिखित हैं ----
 बहुत , बहुत अधिक , बड़ा , अत्यधिक , अति , अत्यन्त , बिलकुल , खूब , थोड़ा , कम , पूर्णतः , तनिक , लगभग आदि ।
प्रविशेषण का वाक्य-प्रयोग---
1- सीता अत्यन्त पवित्रहृदया थीं ।
2- राम - सा महान् त्यागी नहीं देखा ।
3- रावण बड़ा पराक्रमी था ।
4- सोहन बहुत अधिक घमण्डी है ।
5- खूब जी भरकर खाना खाओ ।
6- थोड़ा चुप रहना भी ठीक है ।
7- रजिया बहत चतुर है ।
8- मैं ठीक चार बजे भोर में उठता हूँ । 
9- रमन का स्वास्थ्य कुछ खराब है । 
10- आप तो बड़े जिद्दी हैं ।

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