Saturday 7 March 2020

दान कैसे करे?कौन सा दान कब करे?दान का अर्थ,महत्व एवं उपयोगिता

दान कैसे करे?कौन सा दान कब करे?
How to donate When to donate
दान का अर्थ,महत्व एवं उपयोगिता 
Meaning, importance and utility of charity


दान के बारे में हमने सुना ही होगा,जो पुण्य को प्रदान करता है।How to donate When to donate in hindi दान की परिभाषा क्या है,और कौन सा दान कब करना चाहिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है।हमारे कर्तव्यों का विशद विवेचन धर्मसूत्रों तथा स्मृतिग्रंथों में मिलता है। वेद, पुराण, गीता और स्मृतियों में उल्लेखित चार पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक सनातनी (हिंदू या आर्य) को कर्तव्यों के प्रति जाग्रत रहना चाहिए, और हमें मालूम है कि न चाहते हुए भी हमसे पाप कर्म हो जाता है। पापों का प्रयाश्चित कैसे करे, किस दान से मुक्ति मिलेगी आदि हमारे विचार में आता है।

How to donate When to donate in hindi  ऐसा हमारे ज्ञानीजनों का कहना है। कर्तव्यों के पालन करने से चित्त और घर में शांति मिलती है। चित्त और घर में शांति मिलने से मोक्ष व समृद्धि के द्वार खुलते हैं,और हमें आभास होता है कि हमने अपने पापों का प्रयाश्चित कर लिया है।

कर्तव्यों के कई मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक कारण और लाभ हैं। समय पर ज्ञान होने से हम वञ्चित रह जाते है, जो मनुष्य लाभ की दृष्‍टि से भी इन कर्तव्यों का पालन करता है, वह भी अच्छाई के रास्ते पर आ ही जाता है।क्योंकि दान ही सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया है दुख कम करने के लिए, दुख: है तो दुख से मुक्ति का उपाय भी कर्तव्य ही है। हमारे धर्म में  प्रमुख कर्तव्य निम्न है:- संध्योपासन, व्रत, तीर्थ, उत्सव, सेवा, दान, यज्ञ और संस्कार।How to donate When to donate in hindi

दान का सर्वश्रेष्ठ महत्व
Best Importance of Donation    

भारतीय शास्त्रों में हर पाप कर्म से बचने का उपाय है,और वह दान ही सर्वश्रेष्ठ है,दान एक ऐसा कार्य है, जिसके जरिए हम न केवल धर्म का ठीक-ठीक पालन कर पाते हैं बल्कि अपने जीवन की तमाम समस्याओं से भी निकल सकते हैं, हमारे कर्मों को भी सही गति प्रदान होती है,हमरे हर कर्म श्रेष्ठ माने जाते है।Best Importance of Donation in hindi आयु, रक्षा और सेहत के लिए तो दान को अचूक माना जाता है, हमारे निमित्त से किसी आत्मा को शांति मिलना वह दान से ही सम्भव है, और दान वही है जो यथा सामर्थ्य किया जाए। जीवन की तमाम समस्याओं से निजात पाने के लिए भी दान का विशेष महत्व है। हर कोई परेशानियों की चपेट में आ ही जाता है,उल्झने मनुष्य का दामन पकडे रहती है।Best Importance of Donation in hindi  दान करने से ग्रहों की पीड़ा से भी मुक्ति पाना आसान हो जाता है,वह सभी कठिन मार्ग भी सही हो जाते है जो उसकी समस्या बनती है।

दान भी कयी प्रकार के माने गये है,ज्योतिष के जानकारों की मानें तो अलग -अलग वस्तुओं के दान से अलग-अलग समस्याएं दूर होती हैं, जैसी समस्या वैसा समाधान हमारे शास्त्रों मे निहित है।Best Importance of Donation in hindi  लेकिन बिना सोचे-समझे गलत दान से आपका नुकसान भी हो सकता है,इसकी जानकी पूरी होना आवश्यक है,वरना हम दान तो कर देते है पर उसका उचित परिणाम नही निकल आता है। कई बार गलत दान से अच्छे ग्रह भी बुरे परिणाम दे सकते हैं,ज्योतिष के जानकारों की मानें तो वेदों में भी लिखा है कि सैकड़ों हाथों से कमाना चाहिए और हजार हाथों वाला होकर दान करना चाहिए, यह कभी न सोचे कि मेरा समय सही चल रहा है, समय किसी की प्रतीक्षा नही करता इसीलिए समय-समय पर दान करना आवश्यक है।

हम आपको दान करने की विषय-सूची बता रहे है, कौन सा दान कब उचित रहेगा। जिसका फल प्राप्त हो सके,क्योकि मृत्यु के कयी कारण हो सकते है,हर कारण का अलग-अलग-अलग उपाय है।

विविध प्रकार से मृत्यु होने पर विविध प्रायश्चित एवं दान
Miscellaneous Atonement and Donation on various types of death


गरूडपुराण के अनुसार---

१- जो सिंह द्वारा मृत हो जाए तो उसके शान्त्यर्थ किसी ब्राह्मण की कन्या का विधि से विवाह करा दे ।

२- सर्प द्वारा मरने पर नागवेलि और सुवर्ण का सर्प बनवाकर दान दे ।

३- हाथी के द् आरा मरने पर चार निष्क परिमाण का हाथी बनवाकर दान करें। 

४- राजा के द्वारा मारने पर सोने का पुरूष बनवा कर दान करे।

५- तस्कर के द्वारा मरने पर प्रत्क्ष सवत्सा गौ का और शत्रु द्वारा मरने पर बैल का दान करे।

६- बैल के द्वारा मरने पर यथा शक्ति  सोने का दान करे।

७- शय्या पर मरने पर निष्क परित सुवर्ण को बिष्णु सहित शय्या दान करे। 

८- अपवित्र अवस्था में  मरने पर दो निष्क सोने का बिष्णु दान करें। 

९- संस्कार हीन की मृत्यु होने पर विप्र कुमार का उपनयन कराये।

१०- घोडी तथा घोडे के द्वारा मर जाने पर तीन निष्क सोने का दान करे।

११- कुत्ते द्वारा मारे जाने पर शक्ति के अनुसार क्षेत्रपाल का स्थापन करे।

१२- सुवर या मगर द्वारा मृत्यु होने पर दक्षिणा सहित महिषि दान करे ।

१३- कृमियों द्वारा मृत्यु  होने पर पञ्च खारी परिमित गेंहू का दान करे।

१४- वृक्ष द्वारा मृत्यु होने पर वस्त्र सहित सोने का दान करे। 

१५- पशु के सींग से मृत्यु होने पर वस्त्र सहित बैल का दान करे।

१६- गाडी के नीचे ,या गाडी गिरने पर मृत्यु होने पर सोपस्कर सहित कुछ द्रव्य दान करे ।

१७- ऊंचे शिखर से गिरकर मरने पर धान्यपर्वत का दान करे।

१८- अग्नि से से निहित होने पर उदपानोत्सर्ग करे।

१९- लकडी द्वारा मरने पर धर्मार्थ सभा कराए ।

२०- शस्त्र से निहित होने पर दक्षिणा सहित महिषि दान करे।

२१- पत्थर द्वारा मरने पर कनकनिर्मित कपि का दान करे।

२२- बैल से मरने पर हेमनिर्मित भूमि का दान करे।

२३- फांसी लगाकर मरने पर कनकनिर्मित कपि का दान करे।

२४- जल आदि में डूबकर मृत्यु होने पर दो निष्क हेमनिर्मित वरुण का दान करे।

२५-शीतला द्वारा मरने पर ब्राह्मणों को स्वादिष्ट भोजन कराए ।

२६- कण्ठ में ग्रास रुक जाने पर जो मरे, उनके लिए घृतधेनु प्रदान करे।

२७- खांसी रोग से मरने पर अष्टकृच्छ्र व्रत करे।

२८- अतिसार रोग से मरने पर एक लक्ष गायत्री का जाप करे।

२९- शाकिन्यादिग्रहों से आक्रमण हो जाने पर जपात्मक महारूद्रादि यज्ञ करे।

३०- बिजली द्वारा मरने पर विद्यादान करे।

३१- अन्तरिक्ष में मरने पर वेदपारायण कराए ।

३२- अस्पृश्य स्पर्श से मरने पर सनातन धर्मानुकूल पुस्तक दान करे।

३३- गिरकर मरने पर षोडश प्राजापत्य करे।

३४- अपत्य रहित मरने पर अतिकृच्छ्र व्रत करे।

३५- पतित के मरने पर सोलह कृच्छ्र करे।

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