Sunday 22 March 2020

साक्षात्कार,भाषण,वाद-विवाद,कार्यक्रम-प्रस्तुति के महत्वपूर्ण नियम व विशेषताएं

साक्षात्कार,भाषण,वाद-विवाद,कार्यक्रम-प्रस्तुति के महत्वपूर्ण नियम व विशेषताएं
Important rules and features of interviews, speeches, debates, program-presentations


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 साक्षात्कार लेना - देना

विद्यालय में प्रवेश , किसी नौकरी या पद के लिए प्रायः साक्षात्कार ( Interview ) लिया जाता है । साक्षात्कार में उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता , उसके स्वभाव , उसकी व्यवहार कुशलता , उसकी हाजिरजवाबी , उसके आत्मविश्वास , उसकी रुचियों के संबंध में जानकारी प्राप्त की जाती है । साक्षात्कार लेना एक कला है , जिसका उद्देश्य अभ्यर्थी को निराश या हताश करना नहीं अपितु जिस पद के लिए उसका साक्षात्कार हो रहा है , उसके लिए उसकी उपयुक्तता की जाँच करना होता है ।

साक्षात्कार लेने वाले को निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए--
The interviewer should keep in mind the following points

1- ऐसे प्रश्न न पूछे जिनसे अभ्यर्थी का आत्मविश्वास डगमगा जाए तथा वह घबराकर निराश या हताश हो जाए ।

2-  साक्षात्कारकर्ता को अभ्यर्थी द्वारा गलत उत्तर दिए जाने पर उसे निराश नहीं होने देना चाहिए ।

3- साक्षात्कारकर्ता को अभ्यर्थी के उत्तर ध्यानपूर्वक सुनने चाहिएँ । ठीक उत्तर न मिलने पर भी उनके मुख पर ऐसे भाव नहीं आने चाहिए जिनसे अभ्यर्थी का मनोबल गिरे । उन्हें कोई बात नहीं ' , ' चलो छोड़िए ' जैसे वाक्यों का प्रयोग करके अगला प्रश्न पूछना चाहिए ।

4- अभ्यर्थी द्वारा ठीक उत्तर दिए जाने पर उसकी प्रशंसासूचक शब्द अवश्य कहे जाये ।

5- साक्षात्कार के अंत में भी साक्षात्कार का अभ्यर्थी को सकारात्मक मूड में जाने के लिए कहें।

साक्षात्कार देते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए --

1- अपना आत्मविश्वास बनाए रखें ।

2- यदि किसी प्रश्न का उत्तर न आता हो , तो साफ शब्दों में क्षमा कीजिए , मैं इसका उत्तर देने में असमर्थ हूँ या मुझे इसका ज्ञान नहीं है । ' कहकर उत्तर देने से इंकार कर दीजिए ।

3- आपकी वाणी में शिष्टाचार तथा विनम्रता हो । साक्षात्कार लेने वालों को नमस्कार करें ।

4- गलत उत्तर दिए जाने पर भी अपना मनोबल न गिरने दें ।

5- साक्षात्कार के समय कोई असत्य सूचना न दें ।

6- साक्षात्कार में जाते समय वांछित प्रपत्र , प्रमाणपत्र आदि लेकर जाएँ ।

7- आपकी वेशभूषा सादी परंतु उपयुक्त हो ।

8- साक्षात्कार कक्ष में प्रवेश करने से पूर्व अनुमति लें - क्या मैं अंदर आ सकता हूँ ? ' अनुमति मिलने पर जब बैठने के लिए कहा जाए , तब बैठें तथा कुर्सी पर बैठने के बाद धन्यवाद देना न भूलें ।

9- अपने प्रमाणपत्रों को क्रम से लगाकर रखें ।

10- किसी भी मुद्दे पर अड़ियल रुख न अपनाएँ ।

11- उत्तर देने में जल्दबाजी न करें । - यदि आप जानते हैं कि आपका उत्तर सही है , तो दृढ़ता से अपनी बात समझाएँ ।

2- भाषण देना (Give speeches)
अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के साधनों में भाषण ' बहुत महत्त्वपर्ण है । भाषण देना एक कला है । भाषण ' और ' बातचीत ' में अंतर होता है । बातचीत ' मन बहलाने का साधन है , जबकि भाषण में श्रोताओं पर अपनी बात का प्रभाव डालने के लिए वक्ता को अपनी बातचीत कुछ औपचारिकताओं से प्रारंभ करनी पड़ती है और बीच - बीच में कुछ बातें इस प्रकार की अवश्य की जाती हैं , जिनसे श्रोता प्रभावित हो , करतल ध्वनि करे और अपनी खुशी का इज़हार करे ।

अछे भाषण की महत्वपूर्ण विशेषताएँ --

1- भाषण के प्रारंभ में कुछ औपचारिकताओं का निर्वाह करना आवश्यक होता है । जैसे - श्रोताओं के लिए उचित संबोधन , भाषण के विषय का परिचय आदि ।

2- भाषण के बीच - बीच में किसी घटना , चुटकले , मुहावरे , लोकोक्तियों , उद्धरण , मार्मिक प्रसंग , कविता , शेर - ओ - शायरी आदि के उल्लेख से भाषण रोचक बन जाता है तथा श्रोताओं पर इसका प्रभाव भी पड़ता है ।

3- भाषण की विषय - वस्तु रोचक होनी चाहिए तथा भाषा सरल , सजीव तथा प्रवाहपूर्ण होनी चाहिए ।

4- भाषण के विषय के अनुरूप कुछ घटनाओं और समाचारों आदि के समावेश से वह अत्यंत प्रभावशाली बन जाता है ।

5- भाषण देते समय भाषणकर्ता को अनुतान , बलाघात तथा उतार - चढ़ाव का ध्यान रखना चाहिए ।

6- भाषणकर्ता को भाषण की विषय - वस्तु के सभी बिंदुओं को पहले से निश्चित करके उन्हें एक क्रम से प्रस्तुत करने का प्रयास करना चाहिए ।

7- भाषण सारगर्भित होना चाहिए , ऊबाऊ अथवा अधिक लंबा न हो ।

8-  भाषण में कोई भी बात , विचार अथवा प्रसंग अप्रासंगिक नहीं होने चाहिए ।

9- भाषण के बीच - बीच में भी अध्यक्ष अथवा सभापति को , वहाँ उपस्थित पुरुषों , महिलाओं , बच्चों तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते रहना चाहिए , इससे भाषण का प्रभाव बढ़ जाता है ।

3- वाद - विवाद (Litigation)
वाद -विवाद की प्रमुख विशेषताएँ--- किसी एक विषय पर वक्ताओं द्वारा पक्ष और विपक्ष में अपने विचार व्यक्त करने को वाद - विवाद के नाम से जाना जाता है ।

 1- वाद - विवाद किसी विषय के पक्ष - विपक्ष में विचार व्यक्त करने का साधन है ।

2- वाद - विवाद संबंधी प्रतियोगिताएँ विद्यालयों , महाविद्यालयों तथा अन्य संस्थाओं में आयोजित की जाती हैं ।

3-  वाद - विवाद में एक सभापति / अध्यक्ष होता है तथा निर्णायक मंडल होता है जो वक्ताओं की विषय - वस्तु / भाषा / उच्चारण / भाषण - शैली / तर्क तथा श्रोताओं पर पड़ने वाले प्रभाव आदि के अनुसार प्रथम , द्वितीय , तृतीय स्थान पाने वाले वक्ताओं को चुनता है जिन्हें पुरस्कृत किया गया है ।

4-  वाद - विवाद के अंत में निर्णायक मंडल का निर्णय सुनाया जाता है तथा अध्यक्ष या निर्णायक मंडलों से कोई सदस्य वाद - विवाद प्रतियोगिता के स्तर / परिणाम आदि के संबंध में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करता है ।

5-  वाद - विवाद में प्रत्येक वक्ता प्रारंभ में ही यह स्पष्ट करता है कि वह विषय के पक्ष में अपने विचार व्यक्त कर रहा है अथवा विपक्ष में ।

4- कार्यक्रम- प्रस्तुति (Program- Presentation)

विद्यालयों तथा संस्थाओं में समय - समय पर अनेक कार्यक्रम होते रहते हैं । इन कार्यक्रमों में उद्घोषक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है , क्योंकि वही अपनी वाणी के जादू से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता है तथा कार्यक्रम प्रस्तुत करता है । उद्घोषणा करना सरल कार्य नहीं है । इसके लिए सतत अभ्यास , वाणी की स्पष्टता आदि के साथ उद्घोषक की योग्यता का भी बहुत महत्त्व है ।

कार्यक्रम प्रस्तुति महत्वपूर्ण विशेषताएँ

1- उद्घोषक का वाचन एवं स्वर स्पष्ट तथा शुद्ध हो ।

2- उसे कार्यक्रमों की पूरी जानकारी हो तथा प्रत्येक कार्यक्रम के संदर्भ , महत्त्व एवं उससे मिलने वाले संदेश आदि का भी ज्ञान हो ।

3- उसमें प्रत्येक कार्यक्रम की भूमिका बाँधने की योग्यता हो ।

4- उद्घोषक को विभिन्न विषयों पर कवियों की पंक्तियाँ , सूक्तियाँ , उद्धरण , चुटकुले , शेर - ओ - शयरी तथा प्रेरणादायक प्रसंग कंठस्थ होने चाहिए जिन्हें वह कार्यक्रमों के बीच - बीच में सुनाकर श्रोताओं को बाँधे रखे ।

5- उद्घोषक हाज़िरजवाब तथा परिस्थिति के अनुकूल कुछ कह सकने की योग्यता रखता हो ।

6 - उसकी वाणी में मधुरता तथा चेहरे पर मुसकान हो ।

• कार्यक्रम प्रस्तुति मे ध्यान देने योग्य बाते-- -


1- उसके पास प्रस्तुत किए जाने वाले कार्यक्रम की पूरी सूची होनी चाहिए ।

2-  कार्यक्रम में किसी प्रकार के परिवर्तन की जानकारी उसके पास होनी चाहिए ।

3- कार्यक्रम में पधारे सभी विशिष्ट अतिथियों का परिचय भी उसके पास होना चाहिए ।

4- उसके पास कार्यक्रमों का क्रम , प्रस्तुत करने वाले का नाम , उसमें लगने वाले समय आदि की जानकारी होनी चाहिए ।

5-  एक कार्यक्रम की समाप्ति के बाद उसकी प्रशंसा में कुछ शब्द उसे अवश्य कहने चाहिए ।

6-  सभी कार्यक्रमों से पूर्व तथा उनके बाद क्या बोलना है '- यदि इसे लिख लिया जाए , तो बेहतर रहता है ।

7- उद्घोषक को अपनी बात कम से कम समय में समाप्त करनी चाहिए ।

8- दो कार्यक्रमों के बीच में जब थोड़ा अंतर हो जाता है , तो उद्घोषक इस समय का पूरा उपयोग करे श्रोताओं को बाँधे रखे ।

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