Saturday 7 March 2020

गरूडपुराण के प्रेरणादायक व अमूल्य श्लोक,आत्मा और जीव का रहस्य

गरूडपुराण के प्रेरणादायक व अमूल्य श्लोकInspirational and priceless verses of Garudpuranआत्मा और जीव का रहस्यMystery of soul and creature


गरूडपुराण में अथाह ज्ञान भरा हुआ है,जो मनुष्य को प्रेरित करता है, मनुष्य के जन्म-मरण से सम्बंधित सभी बाते इसमें समयी हुयी है। मै आपको उन्ही श्लोकों से अवगत करा रहा हूं जिसका हमें गहनता से विचार करने की जरूरत है।Mystery of soul and creature in hindi

 गरूडपुराण में मृत्यु शब्द की व्युत्पत्ति से मृत्यु का रहस्य मालूम होता है। मृत्यु भी दो तरह की होती है--एक तो स्वेच्छा देहत्याग और दूसरी साधारण मृत्यु। स्वेच्छा देहत्याग करने वाले का जन्म नहीं होता है,क्योंकि वे ज्ञान द्वारा अपने कर्मों को भस्म कर देते है। पञ्चमहाभूतात्मक हमारा यह शरीर जब प्राण छोड देता है,तो जीव को (आतिवाहिक शरीर) प्राप्त होता है।Mystery of soul and creature in hindi
कुछ महर्षियों का यह भी मत है कि इस भौतिक शरीर  के अन्दर तेजस शरीर यानी आत्मा जो नश्वर है वह रहती है। और मृत्यु के समय यमदूत उसे बलपूर्वक शरीर से नीकाल लेते हैं।,और उसी को स्वर्गीय सुख अथवा नरकीय यातनाएं भोगनी पडती है।
कहा भी गया है---
अङ्गुष्ठमात्रं पुरूषं निश्चकर्ष यमो बलात ।
धर्मी पुण्येन स्वर्याति पापी निरयं व्रजेत ।।

अर्थात- इससे यह मालूम होता है कि मृत्यु के बाद तत्क्षण कर्मानुसार उसको स्वर्ग या नर्क भोग प्राप्त होने लगते हैये स्वर्ग और नर्क के भोग किस प्रकार के होते है ,इसका वर्णन गरूड पुराण मे उपलब्ध है। इसी गरूडपुराण से हमने कुछ महत्वपूर्ण एवं मनुष्य के मार्गदर्शन के लिए चुनकर लाए है आशा आपको पसन्द आएंगे।
Inspirational and priceless verses of Garudpuran in hindi

आपको मेरे इस ब्लॉग पर Motivational Quotes, Best Shayari, WhatsApp Status in Hindi के साथ-साथ और भी कई प्रकार के Hindi Quotes ,संस्कृत सुभाषितानी, सफलता के सूत्र, गायत्री मंत्र का अर्थ आदि शेयर कर रहा हूँ । जो आपको जीवन जीने, समझने और Life में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाते है,आध्यात्म ज्ञान से सम्बंधित गरूडपुराण के श्लोक,हनुमान चालीसा का अर्थ ,ॐध्वनि, आदि कई GAYN SADHANA.COM मे है, क्यूंकि इस fast growing world में लोग अपने जीवन के उद्देश्य को भूल चुके होते है और उन्हें कोई मार्गदर्शक भी नहीं मिलता जो आपके जीवन की कठनाईयो से लड़ने में आपकी मदद कर सके आपको हमारे इस ब्लॉग पर अच्छे विचारो का Top Best Collections प्राप्त कर सकेंगे इन Hindi Life Quotes को  पढ़ेंने से आपको अपने जीवन पर काफी असर पड़ेगा।Inspirational and priceless verses of Garudpuran in hindi

गरुडपुराण श्लोक 
स्त्रीघाती गर्भपाती च पुलिन्दो रोगवान् भवेत् ।
अगम्यागमनात्षण्ढो दुश्चर्मा गुरूतल्पगः ।।

अर्थात- स्त्री का घात करने वाला या गर्भपात करने वाला भिल्ल रोगी ,अयोग्य गमन करने से नपुंसक ,गुरूपत्नी सेवन से चर्मरोगी ,मांस खाने वाले का लाल अंग, मदिरा पीने वाले के काले दांत ,जिह्वा के स्वाद से अभक्ष्य को भक्षण करने वाला ब्राह्मण जलोदरी।

गरुडपुराण श्लोक 
अदत्वा मिष्टमश्नाति स भवेद्गलगण्डवान ।
श्राद्धेऽन्नमशुचिं दत्वा श्वित्रकुष्ठी प्रजायते ।।
गुरोर्गर्वेणावमानदपस्मारी भवेन्नरः ।
निन्दको वेदशास्त्राणां पाण्डुरोगी भवेद् ध्रुवम् ।।
कूटसाक्षी भवेन्मूकः काणः स्यात्पंक्तिभेदकः ।
अनोष्ठः स्याद्विवाहघ्नो जन्मान्धः पुस्तकं हरेत ।।
गोब्राह्मणपदाघातात्खञ्जः पंगुश्च जायते ।
गद्गदोऽनृतवादी स्यात्तच्छ्रोता बघिरो भवेत ।।
गरदः स्याज्जडोन्मतः खल्वाटोऽग्रिप्रदायकः ।
दुर्भगः पलविक्रेता रोगवान परमांसभुक।।
हीनजातौ प्रजायेत रत्नानामपहारकः ।
कुनखी स्वर्णहर्ता स्याद्धातुमात्रहरोऽधनः ।।
अन्नहर्ता भवेदाखुः शलभो धान्यहारकः ।
चातको जलहर्ता स्याद्विषहर्ता च वृश्चिकः ।।

अर्थात- जो दूसरे को न देकर स्वयं मिष्ठान्न खाने वाले को कंठमाला, श्राद्धदिन में अशुध दान देने वाला श्वेत कुष्ठी ,अभिमान से गुरु का अपमान करने वाले को मिरगी, वेदशास्त्र की निन्दा करने वाला पांडुरोगी,झूठी साक्षी देने वाला गूंगा , पंक्तिभेद करनेवाला काणा, विवाह में विघ्न करने वाले का होठ कटा होता है। पुस्तक की चोरी करने वाला जन्मान्ध,गौ तथा ब्राह्मण को लात मारने वाला लंगडा तथा पंगु ,मिथ्या बोलने वाला हकला, , मिथ्या बात सुनने वाला वाधिर होता है। जहर देने वाला मूर्ख तथा पागल होता है, अग्नि लगाने वाला खल्वाटी होता है,मांस बेचने वाला दुर्भाग्यशाली होता है,मांस खाने वाला रोगी होता है,रत्नो की चोरी करने वाला हीन जाति में उत्पन्न होता है,सुवर्ण की चोरी करने वाले के नाखून अच्छे नहीं  होते है,धातुमात्र को हरने वाला निर्धन होता है। अन्न की चोरी करने वाला मूषक,धान्य की चोरी करने वाला शलभ,जल की चोरी करने वाला चातक,विष की चोरी करने वाला बिच्छु होता है।

गरुडपुराण श्लोक 
स्वदत्ता परदत्तां वा यो हरेच्च वसुन्दराम् ।
षष्टिवर्षसहस्त्राणि विष्ठायां जायते कृमिः ।।

अर्थात- वह कभी दाता नही हो सकता,बल्कि सदिव भिखारी बना रहतावहै। ब्राह्मण की अपने द्वारा या अन्य द्वारा दी गयी भूमि का जो हरण करता है, वह साठ हजार वर्ष पर्यन्त विष्ठा का कीडा होता है।

गरुडपुराण श्लोक 
प्रथमेऽहनि चाणाडाली द्वितीये ब्रह्मघातिनी ।
तृतीये रजकी ह्येता नरकागतमातरः ।।

अर्थात- ऋतुकाल के समय प्रथम दिन स्त्री चांडाली ,दूसरे दिन ब्रह्म-घातिनी के तुल्य ,तृतीय दिन धोबिन के समान होती है,इन तीन दिनों में नरक से आये जीव उत्पन्न होते है।


गरुडपुराण श्लोक 
गर्भे व्यार्भाद् बहिर्याति कर्मभोगादनन्तरम् ।
तदैव वैष्णवी माया मोहयत्येव पूरुषम ।।

अर्थात- जिस प्रकार बुद्धि गर्भ में,रोगादि में , शमशान में, पुराणादि सुनने में रहती है, उस समय बिष्णु की माया से वह मोहित हो जाता है।


गरुडपुराण श्लोक 
निर्मानमोहा जितसंगदोषा अध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः ।
द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखखदुखसंज्ञैर्गच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत् ।।

अर्थात- जो मान तथा मोह से रहित है,जिन्होने आसक्तिरूप दोष को जीता  है, अध्यात्म ज्ञान में जो नित्य स्थिर है, जो निष्काम है और सुख-दुख रूपी द्वन्द्वों से मुक्त हो गये हैं ,ऐसे ज्ञानी पुरूष उस परम पद को पाते है।


गरुडपुराण श्लोक 
अयोध्या मथुरा माया कांशी कांची ह्यवन्तिका ।
पुरी द्वारावती ज्ञेयाः सप्तैता मोक्षदायिकाः ।।

अर्थात-  अयोध्या, मथुरा,माया,काशी,काञ्ची ,अवन्तिका , और द्वारका ये सात पुरियां मोक्ष को देने वाली है।


गरुडपुराण श्लोक 
यश्च रौद्रोपजीवी च मार्गे सार्थान विलुम्पति ।
मृगयाव्यसनीयस्तु छागः स्याद्वधिके गृहे ।।

अर्थात--जो मनुष्य हिंसा करता है,और वही आजीविका का साधन है,तथा रास्ते में प्राणियों के धनादि को लूट लेते है, जीव हिंसा कर शिकार खेलते है, ये सब कसाइयों के घर बकरा होते है।


गरुडपुराण श्लोक 
यो मृतो विषपानेन कृष्णसर्पो भवेद गिरौ ।
निरंकुशस्वभावः स्यात कुञ्जरो निर्जने वने ।।

अर्थात- जो मनुष्य जहर पीकर मरते है, वे पर्वत पर कृष्ण सर्प होते है। जो किसी की आज्ञा में नही चलते है,ऐसे मदोन्मत निर्जन वन में हाथी होते है।


गरुडपुराण श्लोक 
गायत्रीं न स्मरेद्यस्तु यो न सन्ध्यामुपासते ।
अन्तर्दुष्टो बहिः साधूः स भवेद् ब्राह्मणो बकः ।।

अर्थात- जो ब्राह्मण गायत्री का जाप नहीं करते है, सन्ध्योपासन नहीं करते ,जो भीतर से दुष्ट है,बाहर से साधु मालूम होते है,वे ब्राह्मण अन्य जन्म में बगुला बनते है।


गरुडपुराण श्लोक 
पात्रे विद्यामदाता च बलीवदों भवेद द्विजः ।
गुरूसेवामकर्ता च शिष्य स्याद गोखरः पशुः ।।

अर्थात- जो सुपात्र को विद्या का दान नहीं देते,वे ब्राह्मण बैल होते है।गुरू की सेवा नही करने वाले दुष्ट पशु होते है।


गरुडपुराण श्लोक 
ब्रह्महा क्षयरोगी स्याद्गोघ्नः स्यात्कुब्जको जडः ।
कन्याघाती भवेत्कुष्ठी त्रयश्चाण्डालयोनिषु ।।

अर्थात- ब्रह्महत्या करने वाला क्षयरोगी, गोहत्या करने वाला मूर्ख ,और कुबडा ,कन्या की हत्या करने वाला कोढी, इनको चाणडाल योनियों मे जानी।


गरुडपुराण श्लोक 
एवं यो विषयासक्त्या नरत्वमतिदुर्लभम ।
वृथा नाशयते मूढस्तस्मात पापतरो हि कः ।।

अर्थात- ऐसे मूर्ख पुरूष जो विषय भोग में आसक्त होकर मनुष्य जीवन का नाश करते है, इनसे अधिक अन्य कौन पापी है।


गरुडपुराण श्लोक 
बालत्वे यच्च कौमारे यत्पापं यौवने कृतम ।
वयः परिणतौ यच्च यच्च जन्मान्तरेष्वपि ।।
यन्निशायां तथा प्रातर्यन्मध्याह्नापराह्णयोः ।
सन्ध्ययोर्यत्कृतं पापं कायेन मनसा गिरा ।।
दत्वा धेनुं सकृत्द्वापि कपिलां क्षीरसंयुताम् ।
सोपस्करां सवत्सां च तपोवृत्तसमन्विते ।।
ब्राह्मणे वेदविदुषे सर्वपापैः प्मुच्यते ।
उद्धरेदन्तकाले सा दातारं पापसञ्चयात् ।।

अर्थात- बाल्यावस्था में,कुमारपन में, युवावस्था में,बुढापे में,  रात्री में तथा प्रातः समय, मध्यान समय, तीसरे प्रहर, संध्या समय और जन्म-जन्मान्तर में भी जो कुछ पाप मन,वचन,काय से किए हों , उसकी निवृत्ति के लिए एक बार भी दूध देने वाली सवत्सा कपिला दक्षिणा सहित तपस्या, व्रत आदि युक्त वेदपाठी ब्राह्मण को दान देने से सब पाप छूट जाते है,और अन्त समय में वही उद्धार करनेवाली होती है।

~~~~~~~~~~~~~~~~
अन्य सम्बन्धित लेख 

0 comments: