हिन्दी साहित्य की प्रमुख रचनाएँ एवं काल विभाजन
Major compositions and time division of Hindi literature
हिन्दी साहित्य के विकास तथा विस्तार के बाद इतिहास लेखन की प्रवृत्ति 19वीं शताब्दी में सामने आई । जार्ज ग्रियर्सन , शिवसिंह सेंगर , मिश्र - बन्धुओं ने हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखा , किन्तु आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने सर्वाधिक मानक इतिहास ' हिन्दी साहित्य का इतिहास ' लिखा । इनके द्वारा हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन अधिक प्रासंगिक और मान्य हुआ । आचार्य शुक्ल ने प्रवृत्तियों तथा कालक्रम के वैज्ञानिक आधार पर हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखा तथा काल विभाजन सामने रखा ।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का काल विभाजन इस प्रकार है ----
1- आदिकाल ( वीरगाथा काल )-- सम्वत् (1050) से सम्वत् 1375 तक।
2- मध्यकाल (2)
( i )- पूर्व मध्यकाल ( भक्तिकाल ) सम्वत् 1375 से सम्वत् 1700 तक।
( ii )- उत्तर मध्यकाल ( रीतिकाल ) सम्वत् 1700 से सम्वत् 1900 तक।
3- आधुनिक काल
सम्वत् 1900 से सम्वत् 1984 तक ।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के इतिहास में आधुनिक काल का विभाजन भारतेन्दुकाल , द्विवेदीकाल तथा छायावाद के रूप में हुआ है , जबकि 1936 ई० के बाद छायावाद के अवसानोपरान्त प्रगतिवाद नामक काव्यधारा का अभ्युदय हुआ । प्रगतिवाद के बाद प्रयोगवाद , नई कविता , सठोत्तरी कविता , समकालीन कविता का दौर आया है ।
आदिकाल के दौरान रचना की प्रवृत्तियों में वीरगाथात्मकता की बहुलता को ध्यान में रखकर आचार्य राम चन्द्र शुक्ल ने इसे वीरगाथा काल भी कहा है । इस दौर में चन्दबरदाई की " पृथ्वीराज रासो ' , जगनिक की ' परमाल रासो ' , जज्वल की ' हम्मीरदेव रासो ' जैसी रचनाएँ रासो साहित्य के अन्तर्गत आती हैं । विद्यापति , अमीर खुसरो तथा सिद्ध - नाथ सन्तों की रचनाएँ भी इस काल की हैं ।
आदिकाल के रासो साहित्य में वीरगाथा की प्रधानता थी तो विद्यापति , अमीर खुसरो , सिद्ध - नाथों के यहाँ धार्मिकता . शृंगारिकता जैसी प्रवृत्तियाँ भी मिलती हैं , जिस कारण आदिकाल ' को वीरगाथाकाल कहना विवाद का विषय भी है ।
आदिकाल की प्रमुख साहित्यिक रचनाएँ --
रचना रचनाकार1- पृथ्वीराज रासो चन्दबरदाई
2- बीसलदेव रासो नरपति नाल्ह
3- खुमानमल रासो दलपत विजय
4- हम्मीरदेव रासो जज्वल
5- परमाल रासो जगनिक
6-कीर्तिलता,कीर्तिपताका- विद्यापति
भक्ति काल में तीन प्रकार की काव्यधारा का विकास हुआ---
1- निर्गुण ,
2- सगुण
3- सूफी कवि
इन्होंने इस काल में रचनाएँ की । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने पूर्व मध्यकाल को " भक्ति काल कहा है । भक्तिकाल में धार्मिकता प्रमुख प्रवृत्ति रही है । कबीर निर्गण भक्त सन्त थे , तो तुलसी तथा सूरदास ने सगुण ईश्वर की भक्तिपरक रचनाएँ की । जायसी जैसे कवि सूफी दर्शन से प्रभावित थे ।
भक्ति काल }--
1-सगुण काव्यधारा--
- कृष्ण भक्ति
- राम भक्ति
2- सूफी काव्यधारा ( प्रेमाख्यानक काव्यधारा )
3- निर्गुण काव्यधारा ( संत काव्यधारा )
भक्तिकाल की साहित्यिक रचनाएँ-
रचना रचनाकार
1- सूरसागर सूरदास
2- रामचरित मानस तुलसीदास
3- बीजक कबीरदास
4- पद्मावत मलिक मुहम्मद
जायसी
5- मृगावती कुतुबन
6- मधुमालती मंझन
7- चित्रावली उस्मान
उत्तर मध्यकाल को ' रीतिकाल ' कहा गया है । रीतिकाल में काव्य का उद्देश्य राजदरबारों के माध्यम से अर्थोपार्जन रह गया था । राजा तथा सामन्त अपने दरबार में कवियों को आश्रय प्रदान करना गौरव की बात समझते थे , वहीं इस काल के कवि कविता को राजदरबार की शोभा मानते थे । आचार्यत्व तथा काव्य की शिक्षा देने के लिए काव्यशास्त्रीय विवेचन के दौरान काव्य - रचना की गई , जिसमें श्रृंगार , शोभा , चमत्कार को अधिक स्थान दिया गया । वस्तुत : रीतिकाल ने कविता को भक्तों की कुटिया से निकाल कर राजदरबारों में कैद कर दिया ।
रीति काल}--
1- रीतिबद्ध--
- काव्यांग विवेचन
- शृंगारिकता
2- रीतिसिद्ध
3- रीतिमुक्त
रीतिबद्ध कवि लक्षण ग्रन्थों की रचना कर रहे थे । वे साहित्य की परम्परागत प्रवृत्तियों यथा (रस , अलंकार , छन्द) इत्यादि पर अधिक जोर देते रहे । शृगार और प्रेम उनका वर्ण्य विषय रहा । रीतिसिद्ध कवियों की कविता रीतिबद्ध कवियों की तुलना में अधिक उत्कृष्ट रही , क्योंकि वे काव्यांगों के चक्कर में नहीं रहे । रीतिमुक्त कवि स्वाधीन चिन्तन दृष्टि द्वारा कविता करते हैं , उनकी कविता रूढ़िवादिता के विरुद्ध विद्रोह भी है ।
1- रीतिबद्ध कवि = केशव , चिन्तामणि , मतिराम , देव , रसलीन इत्यादि।
2- रीतिसिद्ध कवि = बिहारी ।
3- रीतिमुक्त कवि = घनानन्द , ठाकर , आलम , बोधा , भूषण इत्यादि ।
रीतिकाल की साहित्यिक रचनाएँ--
रचना रचनाकार
1- बिहारी सतसई बिहारी
2- शिवाबावनी,शिवराज भूषण
3- कवि-प्रिया रामचन्द्रिका केशवदास
4- भाव विलास,अष्टयाम देव
5- सुजान विलास कोकसार घनानन्द
6- जगद् विनोद रामरसायण पद्माकर
आधुनिक काल में गद्य का विकास प्रमुख प्रवृत्ति रही है । भारतेन्दु काल से पूर्व फोर्ट विलियम कॉलेज के लेखकों तथा शिवसिंह सेंगर ने हिन्दी गद्य को विकसित किया । भारतेन्दु काल नवजागरण चेतना के विकास का काल है । इस समय राष्ट्रवाद के विकास का साहित्यिक स्वरूप सामने आता है । भारतेन्दु ने कविता , नाटक तथा निबन्धों के द्वारा जनजागरण को साहित्य का उद्देश्य निर्मित किया ।
1903 ई० में महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा (सरस्वती) पत्रिका के प्रकाशन का हिन्दी साहित्य पर विशेष प्रभाव पड़ा । (1900 से 1918 ई) तक की साहित्यिक प्रवृति को (द्विवेदी युग) द्वारा अभिहित किया जाता है ।
द्विवेदी युग के बाद छायावाद (1918 -1936) का प्रादुर्भाव हुआ । यह राष्ट्रीय जनजागरण तथा स्वतन्त्रता आन्दोलन की साहित्यिक अभिव्यक्ति है । (1936 ई०) के बाद भारत में ' प्रगतिवाद ' काव्यधारा के रूप में सामने आया । (प्रगतिवाद) मार्क्सवाद की विचारधारा से प्रभावित था । यह रूस की क्रान्ति तथा वैश्विक स्तर पर (श्रमिक-किसान आन्दोलनों) की चेतना से जुड़ता है । (प्रगतिवाद) के बाद यूरोप की (न्यू पोयट्री) से प्रभावित (प्रयोगवाद) तथा (नई कविता) का विकास हुआ । नई कविता यरोप में आई अस्तित्ववादी विचारधारा से प्रभावित है ।
नई कविता आन्दोलन ' समकालीन कविता की प्रवृत्तियों में समाहित हो गया । देश में आजादी के बाद वर्ग विषमता , जातिवाद , सम्प्रदायवाद , (राजनीतिक-प्रशासनिक) भ्रष्टाचार ने कवियों को प्रभावित किया । इस दौर में अकविता , जनवादी कविता , नवगीत जैसी काव्य प्रवत्तियाँ भी सामने आयीं । कविता के साथ - साथ भारतेन्दु काल से (उपन्यास ,नाटक कहानी ,निबन्ध) जैसी साहित्यिक विधाओं का विकास हुआ ।
भारतेन्द तथा जयशंकर प्रसाद ने हिन्दी नाटक को नयी प्रवृत्ति तथा शैली टाग विकसित किया । भारतेन्दु के नाटकों में जहाँ नवजागरण चेतना की प्रवत्ति प्रसाद के नाटक छायावादी स्वच्छन्दतावाद के साथ राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की प्रवृत्तियों का प्रसार करते हैं । उपन्यास का विकास भारतेन्दु काल में हआ,किन उत्कर्ष छायावाद काल (1918-36) में प्रेमचन्द की रचनाओं से मिला सामाजिक - राजनीतिक समस्याओं को केन्द्र में रखकर (उपन्यासों) की रचना स्वतन्त्रता के बाद हिन्दी ने कविता , नाटक उपन्यास तथा कहानियों की रचना की प्रकिया से चरमोत्कर्ष को प्राप्त किया है । इन रचनाओं के साथ कई विमर्श सामने आ जिसने हिन्दी की विचारधारात्मक चेतना को विकसित किया है।
आधुनिक काल की साहित्यिक कृतियाँ ---
रचना रचनाकार
1- अन्धेर नगरी भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
2- भारत दुर्दशा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
3- परीक्षा गुरु श्रीनिवास दास
4- देवरानी-जेठानी गोपालदास गहमरी
5-चिन्तामणि आ.रामचंद्र शुक्ल
6-अनामिका सूर्यकान्त त्रिपाठी “ निराला '
7-युगवाणी सुमित्रानन्दन पन्त
8-दीपशिखा महादेवी वर्मा
9- प्रेमाश्रम प्रेमचन्द
10-गबन प्रेमचन्द
11-गोदान प्रेमचन्द
12-शेखर-एक जीवनी अज्ञेय
13-नदी के द्वीप(उपन्यास) अज्ञेय
14-चाँद का मुख टेढ़ा है गजानन्द माधव मुक्तिबोध
15-चन्द्रकान्ता देवकीनन्दन खत्री
कंकाल जयशंकर प्रसाद
16-तितली जयशंकर प्रसाद
17-चन्द्रगुप्त जयशंकर प्रसाद
18-स्कन्दगुप्त जयशंकर प्रसाद
19-धुवस्वामिनी जयशंकर प्रसाद
20-राम-रहीम राधिकारमण प्रसाद
21-चन्द हसीनों के खतूत पण्डेय बेचेन शर्मा
22-बाणभट्ट की आत्मकथा- हजारी प्रसाद द्विवेदी
23-बूंद और समुद्र अमृत लाल नागर
24-खंजन नयन अमृत लाल नागर
25-कब तक पुकारूँ रांगेय नागर
26-सुनीता जैनेन्द्र
27-त्यागपत्र जैनेन्द्र
28-तमस भीष्म साहनी
29-पहला राजा जगदीश चन्द्र माथुर
30-कोणार्क जगदीश चन्द्र माथुर
31-आषाढ़ का एक दिन मोहन राकेश
32-लहरों के राजहंस मोहन राकेश
33-मैला आँचल फणीश्वरनाथ रेणु
34-कलिकथा वाया बाइपास अलका सरावगी
35-शेष कादम्बरी अलका सरावगी
36- पहला गिरमिटिया गिरिराज किशोर
37-आगरा बाजार हसीब तनवीर
38-कर्बला ( नाटक ) प्रेमचंद
39-संग्राम ( नाटक ) प्रेमचंद
40-रतिनाथ की चाची नागार्जुन
41-बलचनमा नागार्जुन
42-कुम्भीपाक नागार्जुन
43-हुँकार राधारी सिंह दिनकर
44-रश्मिरथी राधारी सिंह दिनकर
45-परशुराम की प्रतीक्षा राधारी सिंह दिनकर
प्रसिद्ध कविता, कहानी तथा लेखों के रचनाकार
लेख रचनाकार
1- राम की शक्ति पूजा निराला
2- सरोज स्मृति निराला
3- तुलसीदास निराला
4- कफन प्रेमचन्द
5- सदगति प्रेमचन्द्र
6- शतरंज के खिलाड़ी प्रेमचन्द
7- पंच परमेश्वर प्रेमचन्द
8- बड़े घर की बेटी प्रेमचन्द
9- अपनी खबर पाण्डेय बेचन शर्मा'उग्र
10- उसने कहा था चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
11- आकाशदीप जयशंकर प्रसाद
12- चीफ की दावत भीष्म साहनी
13- डिप्टी कलक्टरी,हत्यारे अमरकांत
14- कोशी का घटवार शेखर जोशी
15- रसप्रिया फणीश्वरनाथ रेणु
16- लाल पान की बेगम फणीश्वरनाथ रेणु
17- पंचलैट फणीश्वरनाथ रेणु
18- पंच परमेश्वर प्रेमचंद
19- बड़े घर की बेटी प्रेमचंद
20- एक और जिन्दगी समोहन राकेश
21-अन्धेरे में मुक्तिबोध
22- ब्रह्मराक्षस मुक्तिबोध
23- असाध्य वीणा अज्ञेय
24नदी के द्वीप (काव्य) अज्ञेय
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