Thursday 26 March 2020

जानिए क्या होता है पित्रदोष? इन उपायों से मिलेगी पित्रों को मुक्ति, गरूडपुराण की फलस्तुती है असरदार

जानिए क्या होता है पित्रदोष?
इन उपायों से मिलेगी पित्रों को मुक्ति।
गरूडपुराण की फलस्तुती है असरदार
Know what is patriarchy?
 These measures will give freedom to the Patriots.
 Garudpurana's fruitfulness is impressive


दोस्तों हम सभी भारतीय धार्मिक परम्पराओं से जुडे हुए है और हमारे यहां पित्रो को सभी देवों से ऊपर माना जाता है। हमारी भावना इतनी विकसित हो चुकी है कि हम महसूस करते हैं जैसे हमारे पितर हमारी रक्षा कर रहे है,वही हमारे रक्षक है। आश्विन नवरात्रों के तुरन्त बाद से 16 दिनों तक पित्रों का होता है,जिसे हम पित्रपक्ष के नाम से भी जानते है। आपके मन में भी सवाल उठता होगा। पितर जब शान्त नही हो पाते है,तो बडा कष्ट भी देते है। ऐसे में सवाल यह खडा होता है कि (पित्रों की शान्ति कैसे होगी?, कैसे पित्रों को मुक्ति मिल पाएगी?, कैसे हमारे पितर हमारी रक्षा करेंगे?, पितर दोष को कैसे मिटाएं?, पितर दोष क्या होता है?, मरने के बाद पितर कहां जाते है?, क्या वास्तव में पितर दोष होता है?,) आदि हमारे मन में उठते है। इन सभी सवालों का जवाब लेकर हम आए है।
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पितर दोष का अर्थ--

पितर दोष का अर्थ है- मरे हुए प्राणी की सही प्रकार से शान्ति न हो पाने पर आश्रितों पर बाधाएं पैदा करना। जी हां जब किसी की अकाल मृत्यु या दुर्घटना मे मृत्यु या अन्य वजह से मृत्यु हो जाने पर जब उस प्रेत आत्मा को स्थायित्व (मुक्ति) नही मिल पाती है तब दोष उद्घटित होता है।
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जानिए कैसे दिखता है पितृदोष का प्रभाव---

पितृ दोष से श्रेष्ठ व्यक्ति के कार्यों में बाधाएं उत्पन्न होने लगती है,जिससे स्वास्थ्य व आमदनी पर भी असर पढता है। आप निम्न प्रकार से जान सकते है कि आप पर आपके पितरों का दुष्प्रभाव पढ रहा है।

● घर के सदस्य में पितृदोष के कारण अक्सर कोई ना कोई बीमार रहता है।

●  पितृदोष के कारण घर के बच्चों व पती-पत्नी में बेवजह हमेशा कलह होता रहता है ।

● जहां पितृदोष होता है वहां संतान पैदा होने में विलंब होता है।या फिर तब तक नही हो पाती है जबतक उनकी शान्ति न हो पाए।

● बिजनेस में लाभ नहीं होता, उधारी बहुत ज्यादा होती है, मानसिक रोगों से घिर जाता है।

● इंसान के पैसे उधारी में डूब जाते हैं या बेकार कामों में खर्च हो जाते हैं, जिससे घर व बाहर कहीं भी मन स्थिर नहीं हो पाता है।

पितृ दोष शान्ति के बहुत ही सरल उपाय--

 दोस्तों पितृ दोष निवारण या पिण्डदान करने के लिए सबसे पवित्र स्थान (गया व हरिद्वार) को माना गया है, गंगा नदी में पिण्डदान करने से पित्रो को मुक्ति मिल जाती है, हरिद्वार में ही पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए एक प्रसिद्ध स्थान है नारायण सिद्ध मंदिर हरिद्वार जो कि पितरों का पवित्र स्थल है।

 अगर आप वहाँ नही जा सकते है तो घर पर ही पितृ दोष निवारण उपाय के लिए आप सोमवती अमावस्या को पास के पीपल के पेड के पास जाइये, उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीजिये और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये, पीपल के पेड की और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये, और एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की दीजिये, हर परिक्रमा के बाद एक मिठाई जो भी आपके स्वच्छ रूप से हो पीपल को अर्पित कीजिये। परिक्रमा करते वक्त :ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करते जाइये। परिक्रमा पूरी करने के बाद फ़िर से पीपल के पेड और भगवान विष्णु के लिये प्रार्थना कीजिये और जो भी जाने अन्जाने में अपराध हुये है उनके लिये क्षमा मांगिये। सोमवती अमावस्या की पूजा से बहुत जल्दी ही उत्तम फ़लों की प्राप्ति होने लगती है। और आपके पितरों को मुक्ति प्रदान हो पाएगी।
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निम्न प्रकार के उपाय हम बता रहे है--
● यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो उसके घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने पूर्वजों का फोटो लगाकर उस पर हार-माला चढ़ाकर रोज उनका स्मरण करना चाहिए।

● अपने पूर्वजों के निधन की तिथि पर जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को श्रद्धा पूर्वक भोजन कराएं। दान दक्षिणा से साधु सन्तों को सन्तुष्ट करें।

● आमदनी के मुताबिक गरीबों को कपड़े और अन्न का दान करें। जिसका अच्छा फल प्राप्त होगा।

●  पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल चढ़ाएं, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय जनों का स्मरण कर कौवे को भोजन दें ।यह भी पढें👉👉जानिए आत्मा क्या है आत्मा का स्वरूप कैसा है

● शाम के वक्त पीपर वृक्ष या शनि मंदिर में दीप जलाएं और नाग स्तोत्रं, महामृत्युंजय मंत्र अथवा रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र और नवग्रह स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

● सोमवार को शिव मंदिर में आक के 21 फूल, दही, बिल्वपत्र के साथ शिवजी की पूजा करें।

● रोज अपने इष्ट देव व कुल देव की पूजा करें घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढेगा।

● कुंडली में पितृदोष होने पर किसी भी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में मदद करे ।

● पीपल और बरगद का पेड़ लगाएं। विष्णु भगवान के मंत्र जप, श्रीमद्‍भागवत गीता का पाठ करने से भी पितृ शांत होते हैं ।

● घर में श्रीमद्भगवत के गजेंद्र मोक्ष अध्याय का पाठ करें।

सवा किलो चावल लाकर रोज अपने ऊपर से एक मुट्ठी चावल सात बार उतारकर पीपल की जड़ में डाल दें। ऐसा लगातार 41 दिन करें।

काले कुत्ते को उड़द के आटे से बने बड़े खिलाएं हर शनिवार को।

पितरों की शान्ति व मुक्ति के लिए अपनाएं गरूडपुराण की फलश्रुति

श्रीभगवानुवाच

गरूडपुराण श्लोक
इत्याख्यातं मया तार्क्ष्य सर्वमेवौर्ध्वदैहिकम् ।
दशाहाभ्यन्तरे श्रुत्वा सर्वपापैः प्रमुच्यते । । १ । ।

इदं चामुष्पिकं कर्म पितृमुक्तिप्रदायकम् ।
पुत्रवाञ्छितदं चैव परत्रेह च सुखप्रदम् । । २ । ।

इदं कर्म न कुर्वन्ति नास्तिका ये नराधमाः ।
तेषां जलमपेयं स्यात् सुरातुल्यं न संशयः । । ३ । ।

देवताः पितरश्चैव नैवं पश्यन्ति तद्गृहम् ।
भवन्ति तेषां कोपेन पुत्राः पौत्राश्च दुर्गताः । । ४ । ।

ब्राह्मणाः क्षत्रिया वैश्याः शूद्राश्चैवेतरेऽपि च ।
ते चाण्डालसमा ज्ञेयाः सर्वे प्रेतक्रियां विना । । ५ । ।

प्रेतकल्पमिदं पुण्यं शृणोति श्रावयेच्च यः ।
उभौ तौ पापनिर्मुक्तौ दुर्गतिं नैव गच्छतः । । ६ । ।

भावार्थ
फल - श्रुति --- श्रीभगवान् बोले - हे गरुड़ ! जो भी मृत्यु के दस दिन के अन्दर गरुड़ पुराण सुनते हैं , वे सब पापों से मुक्त हो जाते हैं ।। १ ।।

पितरों को मुक्ति देनेवाला , पुत्र को मनोवांछित फल देनेवाला , परलोक तथा इस लोक में सुखदायक है ।।२।।

जो नास्तिक , नराधम पितृकर्म को नहीं करते उनका दिया पानी पीने योग्य नहीं होता , क्योंकि वह मदिरा के तुल्य है ।। ३ ।।

देवता तथा पितर उसके घर को नहीं देखते , उनके कोप से पुत्र - पौत्र दुर्गति को प्राप्त होते हैं । ॥ ४ ॥ 
ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , शूद्र या अन्य जो प्रेतक्रिया नहीं करते उनको चाण्डाल के समान जानना चाहिए।। ५ ।।

प्रेतकल्प को जो सुनाता या सुनता है , वे दोनों पाप से मुक्त हो दुर्गति को नहीं प्राप्त होते ॥ ६ ॥


गरूडपुराण श्लोक
मातापित्रोश्च मरणे सौपर्णं शृणुते तु यः ।
पितरौ मुक्तिमापन्नौ सुतः सन्ततिमान् भवेत् । । ७ ।।

न श्रुतं गारुडं येन गयाश्राद्धं च नो कृतम् ।
वृषोत्सर्गः कृतो नैव न च मासिकवार्षिके ।। ८।।

स कथं कथ्यते पुत्रः ? कथं मुच्येत् ऋणत्रयात् ।
मातरं पितरं चैव कथं तारयितुं क्षमः ।। ९।।

तस्मात् सर्वप्रयत्नेन श्रोतव्यं गारुडं किल ।
धर्मार्थ - काम - मोक्षाणां दायकं दुःखनाशनम् । । १०।।

पुराणं गारुडं पुण्यं पवित्रं पापनाशनम् । 
शृण्वतां कामनापूरं श्रोतव्यं सर्वदैव हि ।। ११ ।।

ब्राह्मणो लभते विद्यां क्षत्रियः पृथिवीं लभेत् ।
वैश्यो धनिकतामेति शूद्रः शुद्ध्यति पातकात् ।। १२ ।।

श्रुत्वा दानानि देयानि वाचकायाखिलानि च । पूर्वोक्तशयनादीनि नान्यथा सफलं भवेत् ।। १३ ।।

भावार्थ
जो माता - पिता के मृत होने पर गरुड़ पुराण सुनता है , उसके माता - पिता मोक्ष प्राप्त करते हैं और वह पुत्र सन्ततिवाला होता है ।। ७ ।।
जिसने न गरुड़पुराण , न गयाश्राद्ध , न वृषोत्सर्ग , न मासिक - वार्षिक श्राद्ध किया ।। ८ ।।
उसको पुत्र कैसे कहा जायेगा ? वह तीन ऋण से कैसे मुक्त होगा ? अपने माता - पिता के तारण में कैसे समर्थ होगा ?
।। ९ ।।
इसलिये सब प्रयत्न से गरुडपुराण सुनने से धर्म , अर्थ , काम तथा मोक्ष प्राप्त होता है और सब दुःख नष्ट हो जाते हैं ।। १० ।।
पुण्यकारक , पवित्र करनेवाला , पापनाशक यह गरुड़पुराण सुननेवालों की इच्छा को परिपूर्ण करनेवाला है ।। ११।।

इसके सुनने मात्र से ब्राह्मण विद्या का ज्ञाता , क्षत्रिय जमींदार , वैश्य धनी , शूद्र पातक से पवित्र हो जाता है ।। १२ ।।

सुनने के बाद गरुडपुराण के पाठ करनेवाले को शय्यादान आदि दे , अन्यथा सुनने का फल नहीं होता ।। १३ ।।

गरूडपुराण श्लोक
पुराणं पूजयेत् पूर्व वाचकं तदनन्तरम् ।
वस्त्रालङ्कारगोदानैर्दक्षिणाभिश्च सादरम् ।। १४ ।।

अन्नैश्च हेमदानैश्च भमिदानैश्च भरिभिः । 
पूजयेद्वाचकं भक्त्या बहुपुण्यफलाप्तय ।। १५ ।।

वाचकस्यार्चनेनैव पूजितोऽहं न संशयः ।
सन्तुष्टे तुष्टितां यामि वाचके नात्र संशयः ।
। १६॥

भावार्थ
पहले पुराण की पूजाकर वस्त्र , अलंकार , गोदान , दक्षिणा आदि से सादर वाचक की पूजा करे ।। १४ ।। 

पुण्य की इच्छ हो तो अन्नदान , सुवर्णदान , भूमिदान दे । भक्ति से पाठ करनेवाले की पूजा करे ।। १५ ॥ 

कथा कहनेवाले की पूजा करने मा से नि : सन्देह मेरी पूजा होती है । उसके सन्तुष्ट होने से नि : संदेह मैं सन्तुष्ट होता हूँ ।। १६॥

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