Saturday 18 April 2020

सफलता व कामयाबी पाने के महत्वपूर्ण मंत्र-उपाय तथा पढाई में ध्यान और एकाग्रता कैसे लाएं ? success and how to bring attention

सफलता व कामयाबी पाने के महत्वपूर्ण मंत्र-उपाय तथा पढाई में ध्यान और एकाग्रता कैसे लाएं?
Important mantras of success and success and how to bring attention and concentration in studies?
Dhyan

छात्रों को प्रेरित करने का नियम
Rules for motivating students

दोस्तों यह बहुत ही जरूरी है कि हम सफल कैसे बने? हमारी मेहनत सफल कैसे हो? क्या है सफलता पाने का मंत्र? छात्रों के लिए सबसे कठिन चीजों में से एक है पढ़ाई पर ध्यान कैसे लगाएं? और पढाई के दौरान distractions से कैसे बचें? यह हर स्टूडेंट के लिए जरूरी है, क्योंकि किसी भी एग्जाम में टॉप करने या अच्छी रैंक लाने के लिए study पर concentrate करना जरूरी है। इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि How to concentrate on study in hindi? हम सफलता कैसे हासिल करें?

यह बहुत जरूरी है,कोई भी स्टूडेंट जो स्कूल/कॉलेज में हो या किसी अन्य एग्जाम की तैयारी कर रहा हो, उसे कहीं न कहीं पढाई से ध्यान भटकने की समस्या जरूर होती है और वो पढाई में मन नहीं लगा पाता है। स्टूडेंट्स study में trik lack of concentration की समस्या का सामना विशेषकर उस समय करते है।
Study me Man Kaise Lagaye यह एक ऐसा टॉपिक है जिसे अक्सर वे सभी छात्र Students सोचते रहते है जो पढाई के जरिये कुछ बनना चाहते है, और जीवन में सफल होना चाहते है, Students पढना तो चाहते है और पढने के लिए बैठते भी है लेकिन Students का मन कुछ देर तक पढने के बाद बोरियत महसूस होने लगती है ।प्रत्येक student अलग होता है और उसकी अपनी अध्ययन रणनीति (study plan) होती है लेकिन कई ऐसे स्टडी टिप्स है, जो आपके दिमाग को पढाई में केंद्रित करने में कठिनाई होने पर मददगार हो सकते हैं। और आप सफलता अवश्य ही प्राप्त कर लेंगे।
इस आर्टिकल में सफलता पर आधारित महान लोगों के हिंदी सुविचार, Success Quotes in Hindi and सफलता सुविचार व अनमोल वचन  with Success Images photos  to download and share, Here we are adding some best motivational quotes in hindi, on success and best quotes on success in hindi for students to inspire, ऐसे ही super विचार आपके मन में नकारात्मक विचारों को दूर करके आपके भीतर जोश, उत्साह, उमंग, और गहरा आत्मविश्वास पैदा करेगा जिससे आप नकारात्मक विचार (negative thinking)छोड़कर सफलता के पथ पर अग्रसर हो जाएंगे,और खासकर विद्यार्थी जीवन के लिए,Best Success Quotes thoughts in Hindi for studentsसफलता पर अनमोल विचार और प्रसिद्द हस्तियों के कथन,बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगाIndian womens in hindi gyansadhna.com

ध्यान और एकाग्रता कैसे लाएं 
How to bring attention and concentration

परिभाषा (definition)

( ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मनि आत्मना - गीता ) 
अर्थात् - 
कुछ लोग ध्यान के द्वारा उस परम तत्त्व को आत्मा में ही देखते हैं ।

ध्यान महत्व - 
Success 

शीर्षक में उल्लिखित ' ध्यान और एकाग्रता ' ये दोनों शब्द एक - दूसरे से इस प्रकार जुड़े हैं कि इन्हें एक - दूसरे का पूरक भी कहा जा सकता है । एक ओर ध्यान से एकाग्रता सधती है तो दूसरी ओर एकाग्रता के बिना ध्यान संभव नहीं है । अपने अवधान को एकाग्रता पूर्वक किसी निश्चित धारणा बिन्दु पर केन्द्रित करने से अन्त : ऊर्जा स्थिरीभूत एवं सुदृढीभूत होती है ।
बाह्य संसार के व्यवहार से मन विचलित होता रहता है । इन्द्रियों के सांसारिक विषय - सेवन करते रहने से हम जाने - अनजाने काफी थकित हो जाते हैं । ऐसी स्थिति में अन्तर्मुखी  होकर हम शक्ति एवं शांति अर्जन करने के उद्देश्य से ध्यान का अभ्यास करते हैं । यह अभ्यास ऊर्जा एवं ताजगी प्रदान करता है तथा हम एक नयी शांति एवं शक्ति का अनुभव करते हैं ।

गीता में सामान्य अभ्यास एवं शारीरिक कार्यों से ज्ञान को श्रेयस्कर बताया गया है । ज्ञान से ध्यान को विशिष्ट कहा गया है , ध्यान से कर्मफल के त्याग को श्रेष्ठ कहा गया है । इस प्रकार शुद्ध त्याग भावना से ही शांति प्राप्त होती है।

शास्त्रों में कहा गया है-----
श्रेयोहि ज्ञानमभ्यासात् ज्ञानाद्ध्यानं विशिष्यते । ध्यानात्कर्मफल - त्याग : त्यागात्शांति निरंतरम् ॥ - गीता

अर्थात् - अभ्यास कार्य से ज्ञान श्रेयस्कर है , ज्ञान से ध्यान तथा ध्यान से कर्मफल का त्याग उत्तम है और त्याग से सतत् शांति की प्राप्ति होती है ।

ध्यान कैसे करें ? ध्यान करने के महत्वपूर्ण व आसान तरीके--
How to meditate  Important and easy ways to meditate

जिस प्रकार शारीरिक शक्ति संवर्धन के लिए तथा आरोग्य लाभ के लिए योगाभ्यास , व्यायाम आदि आवश्यक है , उसी प्रकार मानसिक प्रखरता एवं आन्तरिक स्फूर्ति के लिए ध्यान का अभ्यास लाभदायक होता है । अनेकानेक आध्यात्मिक साधनाओं में ध्यान - चिंतन की अलग - अलग पद्धतियाँ प्रचलित हैं ।

किन्तु हर प्रकार के ध्यान में निम्नलिखित बिन्दुओं पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ---
१- स्वच्छ शुद्ध आसन पर , जो न तो अधिक नीचा हो और न अधिक ऊँचा बैठकर ध्यान करें ।

2- ध्यान के लिए बैठने का आसन ( मुद्रा ) ध्यान मुद्रा होनी चाहिए । यानी सुखासन में , कमर सीधी करके और आँखें बंद करके शांतचित्त होकर बैठे ।

३- शरीर स्थिर करके मन की भटकन व विचलन को रोकने की कोशिश करें ।

४- सामने रखे दीपक , ॐ कार या बिम्ब विशेष पर ध्यान लगाने की कोशिश करें ।

५- सबसे अच्छा तो यही है कि उगते हुए सूर्य का ध्यान किया जाये ।

६- मन को निर्विचार एवं निर्विकार बनाने की कोशिश करें ।

७- ऐसा करते हुए मन के साथ जबरदस्ती या संघर्ष न किया जाये ।

८- कोई भी विचार आये , कोई भी दृश्य दिखे तो , उसे आने और जाने दिया जाये ।

९- शरीर , मन , बुद्धि और चित्त शांत एवं स्थिर रखें ।

१०- प्रकाश किरणों का ध्यान करते हुए अपने अन्तर में भी प्रकाश के प्रवेश की कल्पना करें ।

११-  ऐसी प्रतीति हो कि अन्दर का अंधकार मिट रहा है । हम प्रकाश से ओत प्रोत होकर बाहर - भीतर से प्रकाशमय हो रहे हैं ।

१२- प्रसन्नता , प्रफुल्लता , जागृति का अनुभव करें । चेहरे पर भी वही भाव लाएँ ।

१३- दिव्य चेतन सत्ता में अपने आपको लीन करते हुए आत्मसमर्पण , आत्म विसर्जन और आत्म विलय की भावना करें ।

१४- ध्यान के अन्त में धीरे - धीरे नेत्र खोलें और सामान्य स्थिति में आयें ।

सफलता के लिए एकाग्रता वृद्धि के आसान उपाय---
Easy ways to increase concentration for success 
Success mantra 

मन का विचलन तथा भटकन आज की आपाधापी भरा जिन्दगी की मुख्य समस्या है । मन थोड़ी देर के लिए भी एक निश्चित विषय पर टिक ही नहीं पाता । इसके लिए एकाग्रता - वृद्धि के निमित्त भी कुछ प्रयास किए जाने चाहिये । ध्यान को एक जगह टिकाए रखना या एक निश्चित उद्देश्य हेतु लगाना ही एकाग्रता है । मन की एकाग्रता के बिना अपना कोई भी कार्य हम कुशलता एवं दक्षतापूर्वक नहीं कर पाते ।

परिणामस्वरूप सफलता भी उसी के अनुरूप ढ़ग नहीं मिल पाती । इसलिए मनोयोग पूर्वक कार्य करने के लिए एकाग्रता बहुत जरूरी है । ध्यान के नियमित अभ्यास से एकाग्रता में वृद्धि होती है तथा एकाग्रता के बढ़ने पर ध्यान का अभ्यास सहज व सरल हो जाता है । एकाग्रता वृद्धि के लिए निम्नांकित उपायों का अभ्यास लाभदायक हो सकता है----

१- नित्यप्रति किसी दीप ज्योति या बिन्दु विशेष को लक्ष्य करके त्राटक योग का अभ्यास करना चाहिए । इसके लिए दोनों नेत्रों के मध्य में लगभग तीन फीट की - दूरी पर कोई जलता हुआ दीपक या मोमबत्ती रखकर अथवा दीवाल पर कोई बिन्दु निर्धारित करके उस पर कुछ देर ( १० - १५ मिनट ) ध्यान केन्द्रित करने का अभ्यास करें ।

२-  प्रतिदिन गायत्री मंत्र का नियमित जप करते हुए जप काल में सूर्य का ध्यान करें । जप करते समय भावना की जाय कि सृष्टि के प्राण एवं प्रकाशदाता सूर्य के सान्निध्य में हम अंधकार से प्रकाश की ओर असत्य से सत्य की ओर तथा विनाशरूपी मृत्यु से विकास रूपी अमरत्व की ओर बढ़ रहे हैं ।

गायत्री महा मंत्र - -
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् । 
भावार्थ - 
उस प्राण स्वरूप , दुखनाशक , सुख स्वरूप , श्रेष्ठ , तेजस्वी , पापनाशक , देव स्वरूप , परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करतें हैं , वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करे ।

३- सद्गुण - वृद्धि करते हुए सत्कर्म व सेवा का कुछ न कुछ कार्य प्रतिदिन करे ।

४- विकारयुक्त चिंतन तथा अश्लील साहित्य सेवन से बचें ।

५- आचार - विचार में शिष्टता , सौम्यता , विनम्रता का व्यवहार करें ।

६- समय का सदुपयोग करते हुए अपने आपको व्यस्त रखें तथा मस्त रहा।

 ७-  साधना , स्वाध्याय , संयम और सेवा जीवन के इन चारों सूत्रों को दृढ़ता स पकड़े रखें ।

८-  अंत में इस उद्घोष पर भी ध्यान दें और ऐसे ही बनें । नित्य सूर्य का ध्यान करेंगे - अपनी प्रतिभा प्रखर करेंगे ।

व्यावहारिक ध्यान एवं एकाग्रता कैसे करे-- 
How to do practical meditation and concentration--
ध्यान तथा एकाग्रता के आध्यात्मिक विवचन के बाद आइए थोड़ा इसके व्यावहारिक एवं लौकिक स्वरूप को भी समझता विद्यार्थी समुदाय एवं युवावर्ग के लिए ध्यान और एकाग्रता का यही स्वरूप आधक विचारणीय एवं अनुपालनीय है ।

ध्यान का सामान्य अर्थ मन लगाकर पूरी तत्परता तन्मयता एवं तल्लीनता से कार्य करना होता है । व्यक्ति जब पूरे मनोयोग से काय हेतु तैयार होकर उस कार्य में पूरी तरह खो जाता है तब उसे तत्पर एवं तन्मा होना कहते हैं । ऐसी स्थिति आने पर व्यक्ति अपने कार्य के साथ एकाकार हो जाता है ।

तब उसे तल्लीन होना कहा जाता है । उपनिषदों में वर्णित एक श्लोक में आत्मा के उस ब्रह्म में तन्मय होने का वर्णन इस प्रकार किया गया है --
"प्रणवोधनुशरो ह्यात्मा ब्रह्म तलक्ष्यमुच्यते । 
अप्रमत्तेन बेधव्यो शरवत तन्मयो भवेत्त ।।

अर्थात्-- 
ॐकार को धनुष तथा आत्मा को तीर मानकर ब्रह्म को लक्ष्य माना जाय । इस प्रकार तीर की तरह तन्मय होकर आत्मा के द्वारा ब्रह्म का लक्ष्यबेधन किया जाय । किसी भी कार्य को चाहे वह अध्ययन हो , लेखन हो , प्रयोगात्मक कार्य हो अथवा विज्ञान - गणित के गहन प्रश्न हों , उनको अच्छी तरह समझने और हल करने के लिए ध्यान तथा मनोयोग की बहुत ही आवश्यकता होती है ।

विद्यार्थी के पाँच महत्वपूर्ण लक्षण --
वकोध्यान ' का उल्लेख किया गया है ।
जिस प्रकार बगुला अपने शिकार को पकड़ने में पूरी तरह खो जाता है , मग्न हो जाता है वैसा ही ध्यानमग्न होकर विद्यार्थी को अध्ययन करना चाहिए । एक समय में एक ही कार्य के बारे में पूरे मन से ध्यान लगाना चाहिये । अनेक तरफ मन को ले जाने से कार्य कुशलतापूर्वक सम्पादित नहीं हो पाता ।

अतः ध्यान के साथ एकाग्रता भी आवश्यक होती है । एक ही लक्ष्य को आगे रखकर कार्य किया जाय तो वह लक्ष्य सिद्ध हो जाता है ।

जिस प्रकार गुरु द्वारा परीक्षा लेते समय अर्जुन को अपने लक्ष्य - चिड़िया की केवल आँख ही दिखाई दी थी जबकि अन्य शिष्यों ने पूरे दृश्य को , पूरी चिड़िया को तथा पूरे परिसर को देखा था । इसलिए मात्र अर्जुन को ही गुरु द्वारा सफल घोषित किया गया था ।

इसी प्रकार हर विद्यार्थी को अपना एक निर्दिष्ट लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए , फिर उसी लक्ष्य की पूर्ति पर अपने मन को एकाग्र करना चाहिए । यही सफलता का स्वर्णिम सूत्र है । कहा भी गया है - ' एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाये । ' अस्तु ध्यान और एकाग्रता को अपने दैनिक जीवन और कार्य - व्यवहार का अभिन्न अंग बनाकर उसका सम्यक् परिपालन करना चाहिये । हर कार्य को पूरे ध्यान और एकाग्रता से ही किया जाना चाहिये । तभी सफलता मिलती है ।

विद्यार्थी में योग्यता बढाने के नियम- -
Rules to increase the student's ability-

१- ध्यान और एकाग्रता में से उन अंशों को छाँटकर लिखो जिनमें ध्यान और एकाग्रता को परस्पर पूरक कहा गया है ?
2- इंद्रियों और ध्यान का परस्पर क्या सम्बन्ध है , पाठ से खोज कर लिखिए ?

३-  ध्यान करते समय मन को कैसे एकाग्र करें ?

४ - यदि मन एकाग्र न हुआ तो व्यक्ति पर क्या प्रभाव होगा ? ।

५- एकाग्रता की कौन - कौन सी विधियाँ हैं , उनमें से आप किसे पसंद करेंगे ।

६- तत्पर , तन्मय और तल्लीन , शब्दों को समझते हुए उनके अर्थ स्पष्ट करें ।

७  " एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाए " का क्या अर्थ है ?

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