Friday 3 April 2020

हिन्दी व्याकरण सम्पूर्ण (सन्धि) का विस्तृत वर्णन ,sandhi Detailed description of the Hindi grammar whole (treaty)

हिन्दी व्याकरण सम्पूर्ण (सन्धि) का विस्तृत वर्णन 
(अर्थ,परिभाषा,उदाहरण,विवेचन)
Detailed description of the Hindi grammar whole (treaty)
 (Meaning, definition, example, interpretation)
Sandhi


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परिभाषा (definition)
संधि शब्द का अर्थ है - मेल - मिलाप । दो समीपी ध्वनियों के आपस में मिलने से उत्पन्न विकार ( परिवर्तन ) को संधि कहते हैं । 
जैसे – ' विद्यार्थी ' । विद्यार्थी शब्द दो शब्दों ( विद्या + अर्थी ) के मेल से बना है । 
विद्या का अंतिम दीर्घ ' आ ' और अर्थी का आरम्भिक ह्रस्व ' अ ' इतने पास - पास आ गए कि उनमें अनिवार्य रूप से संधि की स्थिति बन गई है । यह संधि का ही परिणाम है कि दीर्घ स्वर आ और ह्रस्व स्वर अ दोनों मिलकर ' आ ' बन गए हैं , जिससे समस्त शब्द ' विद्यार्थी ' बन गया । ध्यान रहे कि संधि ध्वनियों के बीच होती है , शब्दों के बीच नहीं ।

संस्कृत,हिन्दी में संधि के मुख्य रूप से तीन भेद हैं --
1- स्वर संधि (अच् संधि)
2- व्यंजन संधि (व्यंजन संधि)
3- विसर्ग संधि 

1- स्वर संधि (परिभाषा)
 स्वर के साथ स्वर के मिलने पर जो विकार ( परिवर्तन ) होता है , उसे स्वर संधि कहते हैं ।
जैसे - परम + ईश्वर = परमेश्वर ( अ + ई = ए )

विशेष- यहाँ परम शब्द के म में अ के साथ ईश्वर शब्द का ई मिल गया है । इन दोनों के मिलने से विकार हुआ ' ए ' ।

2- व्यंजन संधि (परिभाषा)
व्यंजन के पश्चात् स्वर या व्यंजन के आने पर व्यंजन में जो विकार ( परिवर्तन ) होता है , उसे व्यंजन संधि कहते हैं ।
जैसे - सम् + योग = संयोग , उत् + ज्वल = उज्ज्वल ।

विशेष- 
यहाँ सम् के म् व्यंजन ने अनुस्वार का रूप धारण कर लिया है और उत् के त् ने ज्वल के ज् का रूप धारण करके ' ज्वल ' के ज् में द्वित्व बनकर ' व ' में मिल गया । इन परिवर्तनों के साथ संयोग और उज्जवल शब्द बन गए , म् , त् व्यंजनों में आए विकार ( परिवर्तन ) के कारण ये व्यंजन संधि की श्रेणी में आ गए ।

3- विसर्ग संधि (परिभाषा)
विसर्ग के पश्चात् स्वर या व्यंजन के आने पर विसर्ग में जो विकार परिवर्तन होता है , उसे विसर्ग संधि कहते हैं ।
जैसे - दु : + बल = दुर्बल , नमः + ते = नमस्ते । 

विशेष- 
यहाँ दुः और नमः के साथ आए विसर्गों ने क्रमशः र् और स् का रूप धारण कर लिया । विसर्गों में इस तरह से हुए परिवर्तनों के आधार पर दुर्बल और नमस्ते शब्द विसर्ग संधि की श्रेणी में आ गए ।

स्वर संधि के भेद 

स्वर संधि के मुख्यतः पांच (5) भेद है--

1- दीर्घ स्वर संधि
यदि दो सवर्ण स्वर ( अ , आ , इ , ई , उ , ऊ ) पास - पास आ जाएँ , तो मिलकर दीर्घ ( आ , ई , ऊ ) हो जाते हैं ।
उदाहरण-
(क) अ + अ = आ   
वेद + अंत = वेदांत
सत्य + अर्थ = सत्यार्थ 
पर + अधीन = पराधीन  
भाव + अनुसार = भावानुसार 
क्रम + अनुसार = क्रमानुसार 
चर + अचर = चराचर 

(ख) अ + आ = आ 
हिम + आलय = हिमालय 
देव + आलय = देवालय 
शिव + आलय = शिवालय 
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय 

(ग) आ + आ + आ 
महा + आत्मा = महात्मा 
वार्ता + आलाप = वार्तालाप 
विद्या + आलय = विद्यालय 

(घ) आ + अ = आ  
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी 
परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी 
रेखा + अंकित = रेखांकित 
यथा + अर्थ = यथार्थ 

(ङ) इ + इ = ई  
रवि + इंद्र = रवींद्र 
मुनि + इंद्र = मुनींद्र 
अभि + इष्ट = अभीष्ट 
गिरि + इंद्र = गिरींद्र

(च) इ +  ई = ई  
कपि + ईश = कपीश 
गिरि + ईश = गिरीश 
परि + ईक्षा = परीक्षा 
क्षिति + ईश = क्षितीश 

(छ) ई + ई = ई 
नदी + ईश = नदीश
सती + ईश = सतीश 
मही + ईश = महीश 
रजनी + ईश = रजनीश 

(झ) ई + इ = ई 
शची + इंद्र = शचींद्र 
नारी + इच्छा = नारीच्छा 
मही + इंद्र = महींद्र 
पत्नी + इष्ट = पत्नीष्ट 

(ञ) उ + उ = ऊ  
सु + उक्ति = सूक्ति 
लघु + उत्तर = लघूत्तर 
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश 
भानु + उदय = भानूदय

(ट)  उ + ऊ = ऊ  
अंबु + ऊर्मि = अंबूर्मि
सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि 

(ठ) ऊ + ऊ = ऊ 
भू + ऊर्जा = भूर्जा

2- गुण संधि-
अ या आ के बाद इ या ई के मिलने पर ' ए ' , उ या ऊ के मिलने पर ' ओ ' और ऋ या ऋ के मिलने पर ' अर् ' विकार ( परिवर्तन ) हो जाता है ।

उदाहरण--
(क) अ + इ = ए  
नर + इंद्र = नरेंद्र 
देव + इंद्र = देवेंद्र 
सुर + इंद्र = सुरेंद्र 
स्व + इच्छा = स्वेच्छा 

(ख) अ + ई = ए  
नर + ईश = नरेश 
दिन + ईश = दिनेश 
सुर + ईश = सुरेश 
राम + ईश्वर = रामेश्वर 

(ग) आ + इ = ए   
रमा + इंद्र = रमेंद्र 
महा + इंद्र = महेंद्र 
राजा + इंद्र = राजेंद्र 
यथा + ईश = राकेश 

(घ) आ + ई = ए 
लंका + ईश = लंकेश 
राका + ईश = राकेश 
रमा + ईश = रमेश 
उमा + ईश = उमेश 

(ङ) अ + उ = ओ 
सूर्य + उदय = सूर्योदय 
चंद्र + उदय = चंद्रोदय 
पर + उपकार = परोपकार 
वसंत + उत्सव = वसंतोत्सव 

(ङ) अ + ऊ = ओ 
जल + ऊर्मि = जलोमि 
नव + ऊढ़ा = नवोढ़ा 

(च) आ + उ = ओ 
महा + उत्सव = महोत्सव 
महा + उदधि = महोदधि 
गंगा + उदक = गंगोदक 
महा + उदय = महोदय 

(छ) आ + ऊ = ओ 
गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि 
महा + ऊर्जा = महोर्जा 
राज + ऋषि = राजर्षि 
ब्रह्म + ऋषि = ब्रह्मर्षि 

(ज) आ + ऋ = अर् 
राजा + ऋषि = राजर्षि 
महा + ऋषि = महर्षि

3- वृद्धि संधि - 
अ या आ के पश्चात् ए या ऐ आए , तो दोनों के स्थान पर ऐ और अया अ के पश्चात् ओ या औ हो तो दोनों के स्थान पर औ हो जाता है ।

उदाहरण--
(क)  अ + ए = ऐ  
एक + एक = एकैक 
लोक + एषणा = लोकैषणा 

(ख) आ + ए = ऐ 
तथा + एव = तथैव 
सदा + ए = सदैव 

(ग) अ + ऐ = ऐ 
मत + ऐक्य = मतैक्य 
देव + ऐश्वर्य = देवैश्वर्य 

(घ) आ + ऐ = ऐ 
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य 
सदा + एव = सदैव 

(ङ) अ + ओ = औ 
दंत + ओष्ठ = दंतौष्ठ 
परम + ओज = परमौज 

(च) आ + ओ = औ 
महा + ओज = महौज 
महा + ओजस्वी = महौजस्वी 

(छ) अ + औ = औ 
परम + औदार्य = परमौदार्य 
परम + औषध = परमौषध 

(ज) आ + औ = औ 
महा + औषध = महौषध 
महा + औदार्य = महौदार्य

4- यण संधि 
(1) इ , ई के बाद भिन्न स्वर के आने पर इ . ई को य हो जाता है । 

उदाहरण-
(क)  इ + अ = य 
अति + अधिक = अत्यधिक 
यदि + अपि = यदयपि 

(ख) इ + आ = या 
अति + चार = अत्याचार 
अति + आवश्यक = अत्यावश्यक 

(ग) ई + अ - य 
नदी + अर्पण = नद्यर्पण 
देवी + अर्पण = देव्यर्पण 

(घ) ई + आ = या 
सखी + आगमन = सख्यागम 
देवी + आगमन = देव्यागमन 

(ङ) इ + उ = यु 
उपरि + उक्त = उपर्युक्त 
प्रति + उपकार = प्रत्युपकार 

(च) इ + ऊ = यू 
नि + ऊन = न्यून 
वि + ऊह = व्यूह 

(छ) इ + ए = ये 
प्रति + एक = प्रत्येक 
अधि + एता = अध्येता 

(ज) इ + ऊ = यं 
प्रति + अं = प्रत्यंग 
प्रति + ऊंचा = प्रत्यंचा 

(2) उ , ऊ के बाद भिन्न स्वर के आने पर उ , ऊ का व् हो जाता है । 
उदाहरण--
(क)  उ + अ = व 
सु + अस्ति = स्वस्ति 
सु + अच्छ = स्वच्छ 
सु + अल्प - स्वल्प 
अनु + अय = अन्वय 

(ख) उ + आ = वा 
सु + आगत = स्वागत 
गुरु + आदेश = गुर्वादेश 

(ग) ऊ + आ = वा 
वधू + आगमन = वध्वागमन 
भू + आदि = भ्वादि 
अनु + इति = अन्विति

(घ)  उ + ई = वी 
अनु + ईक्षा = अन्वेक्षण 
अन + ईशान 

(ङ) उ + ए = वे 
अनु + एषण = अन्वेषण 

(च)उ + ऊं = वं  
तनु + अंगी - तन्वंगी 

(छ) ऋ + अ = र 
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा 
मातृ + आदेश = मात्रादेश 

(ज) ऋ + इ = रि 
मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा 

(झ) ऋ + उ = रु 
भ्रातृ + उक्तम् = भ्रात्रुक्तम् 

(5)- अयादि संधि - 
ए , ऐ , ओ , औ के पश्चात् यदि भिन्न स्वर आएँ तो ए को अय् , ऐ को आय , ओ को अव् और औ को आव् हो जाता है ।
जैसे- रौ + वण = रावण ( औ | + अ = अव ) , हो + अन = हवन ( ओ + अ = अव )

(क) ए + अ = अय 
ने + अन = नयन 
शे + अन = शयन 

(ख) ऐ + अ = आय 
नै + अक = नायक 
गै + अक = गायक 

(ग) ऐ + इ = आयि 
नै + इका = नायिका 
कै + इक = कायिक 

(घ) ओ + अ = अव 
भो + अन = भवन 
पो + अन = पवन 

(ङ) औ + अ = आव 
पौ + अक = पावक 
पौ + अन = पावन 

(च) औ + उ = आवु 
भौ + उक = भावुक 

(छ) औ + इ = आवि 
नौ + इक = नाविक 

2- स्वर संधि (व्यंजन सन्धि )
व्यंजन से स्वर अथवा व्यंजन के मेल से उत्पन्न विकार को व्यंजन सन्धि कहा जाता है ।

(1) यदि क् , च , ट् , त् , के बाद किसी वर्ग का तृतीय या चतुर्थ वर्ण आता है या य , र , ल , व तथा कोई स्वर आये तो क , च , ट , त , प के स्थान पर इसी वर्ग का तीसरा वर्ण आ जाता है ।

उदाहरण--
 दिक् - गज = दिग्गज       ( क् + ग = ग ) 
सत् + वाणी = सद्वाणी      ( त् । व = द् ) 
दिक् + अन्त = दिगंत        ( क् + अ = ग ) 

(2) यदि क् , च् , ट् , त् , प् के बाद न् या म् के मेल से क् , च , ट् , त् , प् अपने वर्ग के पंचम वर्ण में रूपान्तरित हो जाता है ।

उदाहरण--
वाक् + मय  =  वाङ्मय       ( क् + म = ङ ) 
उत् + नति - उन्नति           ( त् + न = न ) 
जगत् + नाथ जगन्नाथ      ( त् + न = न )

(3) त् या ट् के बाद यदि च् या फ् हो तो त् या ट् के बदले च् ; ज या झ हो तो ज ; ट् या ट् हो तो ट ; ड् या न हो तो ड तथा ल् हो तो ल हो जाता है ।

उदाहरण--
उत् + चारण = उच्चारण           ( त् + च = च ) 
सत् + जन = सज्जन                ( त् + ज = ज ) 
उत् + डयन = उड्डयन                ( त् + ड = ड ) 
उत् + लास = उल्लास               ( त् + ल = ल ) 

(4) म के बाद यदि कोई स्पर्श व्यंजन वर्ण आये तो म का अनस्वार तथा बाद वाले वर्ण का रूपान्तरण स्पर्श व्यंजन के वर्ग का पंचम वर्ण हो जाता है।

उदाहरण-- 
अहम् + कार - अहंकार             ( म् + क - इ ) 
सम् + गम - संगम                    ( म + ग - हु ) 
किम् + चित - किचित               ( म् - च - ब )

(5) त वर्ग का च वर्ग से योग में च वर्ग तथा त वर्ग के षकार से योग में ट । वर्ग हो जाता है ।

उदाहरण--
महत् - छत्र - महच्छत्र           ( त् + छ : छ ) 
दृष - ता - द्रष्टा                     ( + त - ट ) 

(6) किसी वर्ग के अन्तिम वर्ण को छोड़कर शेष वर्णो के साथ ' ह ' का मेल होता है तो ह उस वर्ग का चतुर्थ वर्ण हो जाता है तथा ह के साथ जुड़ने वाला वर्ण अपने वर्ग का तीसरा वर्ण हो जाता है।

उदाहरण-- 
उत् + हत - उद्धत             ( त् + ह - ध ) 
उत् + हार - उद्धार            ( त् + ह - ) 

(7) ह्रस्व स्वर के बाद ' छ ' हो तो ' छ ' के पहले ' च ' जुड़ जाता है । दीर्घ स्वर के बाद ' ' होने पर भी ऐसा ही होता है ।

उदाहरण--
अनु + छेद  =अनुच्छेद
परि + छेद = परिच्छेद 
शाला + छादन = शालाच्छादन

3- विसर्ग सन्धि --
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है , उसे विसर्ग सन्धि कहते है । 

(1) यदि विसर्ग के बाद च , छ हो तो विसर्ग का ' श ' ; ' ट , ठ ' हो तो ' क ' और ' त . ' हो तो ' स ' हो जाता है ।

उदाहरण--
निः + चय - निश्चय                ( विसर्ग + च = श ) 
धनुः + टंकार = धनुष्टंकार      ( विसर्ग + ट = ) 
निः + तार = निस्तार              ( विसर्ग + त = स् ) 

(2) यदि विसर्ग के पहले इकार या उकार हो तथा विसर्ग के बाद क , ख , प , फ वर्ण हो तो विसर्ग का ए हो जाता है ।
उदाहरण-- 
निः + कपट  = निष्कपट 
निः + फल  = निष्फल 
निः + पाप =  निष्पाप 

(3) यदि विसर्ग से पहले ' अ ' हो तथा उससे जुड़ने वाला वर्ण क , ख , प , फ कुछ भी हो विसर्ग यथावत् रहता है ।

उदाहरण-- 
प्रातः + काल  = प्रात:काल 
पयः + पान  =   पयःपान 

(4) यदि विसर्ग के पहले ' अ ' हो तथा उससे जुड़ने वाले शब्द का पहला वर्ण भी ' अ ' हो तो विसर्ग ' ओकार ' हो जाता है तथा ' अ ' का लोप हो जाता है।
उदाहरण-- 
प्रथमः - अध्याय = प्रथमोध्याय 
यशः + अभिलाषी = यशोभिलाषी

(5) यदि विसर्ग के पहले ' अ ' हो और उससे जड़ने वाला वर्ण अपने वर्ग का तीसरा , चौथा या पाँचवाँ वर्ण या व , र , ल , व , ह रहे तो विसर्ग ' उ ' हा जाता है , यह ' उ ' पूर्ववतों ' असे मिलकर ' ओ ' हो जाता है ।

उदाहरण-  
मनः + रथ - मनोरथ 
यशः - धरा - यशोधरा 
यशः - दा - यशोदा 

(6) यदि विसर्ग के पहले ' अ ' और ' आ ' को छोड़कर कोई दूसरा स्वर आये अथवा जुड़ने वाले वर्ण में कोई स्वर हो या वह वर्ण अपने व का तीसरा , चौथा तथा पाँचवाँ वर्ण हो या य , र , ल , व , ह हा विसर्ग ' र ' हो जाता है । 
उदाहरण--
निः + उपाय =  निरुपाय 
दुः +  आत्मा  = दुरात्मा
नि : - गुण - निर्गुण 

(7) यदि ' इ ' ' 3 ' के बाद विसर्ग हो और उसके बाद ' र ' आये , तो ' इ । का ' ई ' , ' ऊ ' हो जाता है तथा विसर्ग लुप्त हो जाता है । 
उदाहरण-- 
नि + रव  = नीरव 
निः + रस  = नीरस

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2 comments:

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