Thursday 30 April 2020

मै हूँ धरती धरती माता पर कविता I am earth Earth day Poem on mother earth

 मै हूँ धरती
धरती माता पर कविता 
I am earth
Earth day
 Poem on mother earth
Earth day

मै धरती हूं ,मैं हूँ रागिनी
मैं हूं स्वर्ग की इक अप्सरा, 
अपने वचनों को न भुला पायी हूं,
वर्षों से अडिग हूं अपने कर्तव्यों पर ।
झकझोर दिया है मानव ने मुझको,
घाव दिए सीने पर इतने,
मेरे लहू का जर्रा-जर्रा,
मानव की भूख मिटाता गया,
क्योंकि----------
मैं हूँ जीवन दायिनी,प्राणवासिनी ।
बेईमानी बस गयी है जिनके रगों में, 
जग-विध्वंस का लगा है रोग उन्हें। 
धरती ही स्वर्ग मिला है हमको,
क्यों शमशान बना दिया तूने इसको ।
अपने रक्त से सींचकर ,
देती है फल-जल-अन्न-हवा हमें ।
सुन्दरता रहे सलामत इस मां की,
कुछ ऐसे कर्म करें हम सब।
आओ हम सब मिल-जुल कर ,
इस धरती को स्वर्ग बना देंगे।
संकल्प ले अपने मन में, 
इस मां को उसका स्वाभिमान लौटाएंगे ।
धरती ने जो दिया है हम सबको,
अब हम सब उसके रक्षक बन जाएं। 
भक्षक प्रवृत्ति को छोडकर,
अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को समझ पाएं ।


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