Wednesday 6 May 2020

हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त परिचय भक्तिकालीन साहित्य का विस्तृत वर्णन ,Hindi Literature Detailed description of devotional literature

हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त परिचय (भाग-7)
भक्तिकालीन साहित्य का विस्तृत वर्णन 
Brief Introduction to Hindi Literature (Part-7)
Detailed description of devotional literature

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भक्तिकालीन साहित्य ---
भक्तिकालीन साहित्य का निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया जा सकता है--

} भक्तिकालीन साहित्य --
          1- सगुण भक्तिकाव्य धारा 
                             > रामभक्ति धारा
                             > कृष्णभक्ति धारा
           2- निर्गुण भक्तिकाव्य धारा 
                          > ज्ञानमार्गी धारा (संतकाव्य)
                         > प्रेममार्गी धारा (सूफीकाव्य)
           3- नीति , प्रकृति , वीरता परक काव्यधारा 

1- सगुणभक्ति धारा --
ईश्वर के सगुण , साकार रूप के समर्थक इस काव्यधारा के अंतर्गत आते हैं । इनके अनुसार ईश्वर धर्म की स्थापना तथा उसकी रक्षा , असुरों के विनाश तथा अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए अवतार लेते हैं । सगुण भक्ति में ' मर्यादा भाव ' तथा ' सख्यभाव ' प्रधान रहे । ' मर्यादाभाव ' की प्रधानता तथा मर्यादा पुरूषोत्तम ' राम ' की उपासना हेतु रामभक्तिधारा का आविर्भाव हुआ । दूसरी ओर ' सख्यभाव ' तथा ' माधुर्यभाव ' की प्रधानता को अंगीकार करके लीला बिहारी ' कृष्ण ' की उपासना हेतु कृष्ण भक्ति धारा का आविर्भाव हुआ ।

रामभक्तिधारा से संबंध भक्त कवियों तथा उनकी रचनाओं का नामोल्लेख इस प्रकार है - गोस्वामी तुलसीदास - रामचरितमानस , कवितावली , दोहावली , गीतावली तथा विनयपत्रिका आदि । नाभादास - भक्तमाल , अष्टयाम । ईश्वरदास - सत्यवती कथा । अग्रदास - रामभजनमंजरी , उपासना बावनी , पदावली , अष्टयाम । केशवदास तथा सेनापति आदि कई अन्य कवियों ने भी रामभक्ति से संबद्ध रचनाओं का सृजन किया है । डॉ . माता प्रसाद गुप्त के शब्दों में कहें तो , ' रामभक्ति धारा के अनेक कवि हुए किंतु रामभक्ति धारा का साहित्यिक महत्त्व अकेले तुलसीदास के कारण है । धारा के अन्य कवियों और तुलसी में अंतर तारागण और चंद्रमा का नहीं है , तारागण और सूर्य का है । ' कृष्ण भक्तिधारा से संबद्ध भक्त - कवियों तथा उनकी रचनाओं का नामोल्लेख इस प्रकार है - सूरदास - सूरसागर , सूरसारावली ।

कुंभनदास - इनके किसी स्वतंत्र ग्रंथ का उल्लेख नहीं मिलता । रागकलपद्रुम , रागरत्नाकर , वर्षोत्सव तथा वसंत धमार कीर्तन आदि ग्रंथों में इनके कुछ पद संकलित हैं । परमानंददास - परमानंद सागर , परमानंद के पद , बल्लभसंप्रदायी कीर्तन पद - संग्रह ।

कृष्णदास - इनका कोई ग्रंथ उपलब्ध नहीं है । यत्र - तत्र पद मिलते हैं । नंददास - मानमंजरी , रसमंजरी , श्यामसगाई , गोवर्धनलीला रासपंचाध्यायी तथा भंवरगीत आदि । गोविंदस्वामी - गोविंदस्वामी के पद । छीतस्वामी - छीतस्वामी पदावली । चतुर्भुजदास - इनका कोई स्वतंत्र ग्रंथ उपलब्ध नहीं है , छुटपुट पदों को ही चतुर्भुज - कीर्तन संग्रह , कीर्तनावली तथा दानलीला आदि शीर्षकों से प्रकाशित किया गया है । इनके अतिरिक्त मीराबाई , रसखान , श्रीभट्ट , हरिव्यासदेव , परशुरामदेव , हितहरिवंश , दामोदरदास , ध्रुवदास , हरिदास , जगन्नाथ स्वामी , रामराय तथा गदाधर भट्ट आदि भी कृष्ण भक्तिधारा के अंतर्गत आते हैं ।

2- निर्गुण भक्ति धारा --
ईश्वर के निर्गुण , निराकार रूप के समर्थक इस काव्यधारा के अंतर्गत आते हैं । इनके अनुसार ईश्वर सर्वव्यापक है , एक है तथा आत्मानुभूति से उसे प्राप्त  किया जा सकता है । निर्गुण भक्ति में ' ज्ञान ' तथा ' प्रेम ' भाव प्रधान रहे । भक्ति में ' ज्ञान ' को महत्व देने वाले ज्ञानमार्गी कहलाए तथा ' प्रेम ' को महत्त्व देने वाले प्रेममार्गी ।

ज्ञानमार्गी धारा से संबद्ध भक्त कवियों तथा उनकी रचनाओं का उल्लेख इस प्रकार है - कबीरदास - कबीर बानी , साखी , बीजक , रमैनी , अगाध मंगल , ब्रह्म - निरूपण आदि । रैदास - स्वतंत्र ग्रंथ उपलब्ध नहीं है । अनेक स्थानों पर स्वतंत्र पद मिलते हैं । नानकदेव - ग्रंथ साहिब , जपुजी , असा दी वार , रहिरास तथा सोहिला आदि । इनके अतिरिक्त दादूदयाल , सींगा , मलूकदास , बाबालाल , सुंदरदास , रज्जब , धर्मदास , सदना , पीपा , धन्ना , गुरु अंगद , गुरू रामदास तथा वीरभान आदि भी संत काव्यधारा अथवा ज्ञानमार्गी धारा के अंतर्गत आते हैं ।

प्रेममार्गी धारा से संबद्ध भक्त कवियों तथा उनकी रचनाओं का नामोल्लेख इस प्रकार है - जायसी - पद्मावत , मंझन - मधुमालती , कल्लोल कवि - ढोला - मारू रा दूहा , कुतुबन - मृगावती , ईश्वरदास - सत्यवती कथा तथा मुल्ला दाऊद - चंदायन आदि । इनके अतिरिक्त गणपति , दामोदर कवि , नारायणदास तथा जटमल आदि ने भी प्रेममार्गी धारा से संबद्ध रचनाएँ लिखी हैं ।

3- नीति , प्रकृति तथा वीरता परक काव्यधारा - 

भक्तिकाल में नीति , प्रकृति तथा वीरता परक रचनाओं का भी स्वतंत्र तथा फुटकल रूप में सृजन मिलता है । नीतिकाव्य से संबद्ध रचनाकार तथा उनकी रचनाओं का नामोल्लेख इस प्रकार है - पद्मनाथ - डूंगर बावनी , छीहल - छीहल बावनी , रत्नावली - रत्नावली दोहा - संग्रह आदि । इनके अतिरिक्त दादू , मलूकदास , कबीर , नानक , पीपा , देवीदास , रहीम , तथा बनारसीदास आदि ने भी नीतिकाव्य का सृजन किया है । प्रकृति काव्य से संबद्ध कवियों का नामोल्लेख इस प्रकार है - सेनापति , पद्माकर , केशवदास , सूरदास , तथा तुलसीदास आदि । वीरकाव्य से संबद्ध रचनाकारों का नामोल्लेख इस प्रकार है - श्रीधर , नल्हसिंह , दुरसा जी आढा , दयाराम , कुंभकर्ण तथा न्यामत खां ज्ञान आदि ।

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