Friday 8 May 2020

हिन्दी साहित्य (भाग-12) आधुनिक काल तथा आधुनिक शब्द का अर्थ व आधुनिकता का महत्व व एवं अभिप्राय

हिन्दी साहित्य (भाग-12) आधुनिक काल तथा आधुनिक शब्द का अर्थ व आधुनिकता का महत्व व एवं अभिप्राय 

Hindi Literature (Part-12) Modern period and modern word meaning and significance and meaning of modernity


इस ब्लॉग पर हिन्दी व्याकरण रस,और सन्धि प्रकरण,  तथा हिन्दी अलंकारMotivational Quotes, Best Shayari, WhatsApp Status in Hindi के साथ-साथ और भी कई प्रकार के Hindi Quotes ,संस्कृत सुभाषितानीसफलता के सूत्र, गायत्री मंत्र का अर्थ आदि gyansadhna.com शेयर कर रहा हूँ ।

आधुनिक काल--
आधुनिक काल विक्रमी संवत् 1900 से आज तक रचित समस्त साहित्य राशि को विद्वानों ने ' आधुनिक काल ' की परिधि में रखा है । जहाँ ' आधुनिक ' शब्द दो अर्थों - मध्यकाल से भिन्नता और नवीन इहलौकिक दृष्टिकोण की सूचना देता है । आलोच्य काल के प्रवर्तक भारतेंदु हरिश्चंद्र माने जाते हैं । आलोच्य युग में जन - चेतना पुनर्जागरण की भावना से अनुप्राणित थी। जिसके कारण जन - सामान्य भी सामाजिक , सांस्कृतिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में सक्रियता से संबद्ध था । शृंगारिक रसिकता , अलंकरण - मोह , रीति - निरूपण , प्रकृति का उद्दीपक चित्रण आदि रीतिकालीन प्रवृत्तियाँ धीरे - धीरे कम होने लगी ।

मातृभूमि प्रेम , स्वदेशी , गोरक्षा , बालविवाह निषेध , शिक्षा का प्रसार , मद्य - निषेध , भ्रूण हत्या की निंदा आम आदमी की समस्या काव्य के विषय बनाये जाने लगे । ब्रह्मसमाज , आर्य - समाज , रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद के विचारों तथा थियोसॉफिकल सोसायटी का प्रभाव भी जन - सामान्य पर पड़ रहा था । आर्थिक , औद्योगिक और धार्मिक क्षेत्रों में पुनर्जागरण की प्रक्रिया शुरू होने लगी । मुद्रण - यंत्रों के विकास और समाचार पत्रों के प्रकाशन ने भी जन - जागरण में योगदान दिया । यहाँ प्रारंभिक अवस्था में गद्य का विकास प्रमुखता से हुआ । जिसके अंतर्गत नाटक , कहानी , उपन्यास तथा आलोचना आदि विषय प्रमुख रहे । काव्य के क्षेत्र में भी विशिष्ट प्रगति देखी जा सकती है जैसे - भारतेंदु युग , द्विवेदी युग , छायावाद , प्रयोगवाद , नयी कविता , अकविता तथा समकालीन कविता आदि । ध्यात्व्य है कि प्रत्येक वाद अथवा कालावधि अपना - अपना वैशिष्ट्य रखते हैं क्योंकि इनसे साहित्यिक तथा वैचारिक गांभीर्य और नव्यता का सर्वत्र संचार हुआ ।

फलतः आधुनिक काल में विविध रंगी साहित्य का आविर्भाव हुआ । भाषा की दृष्टि से खड़ी - बोली गद्य तथा पद्य दोनों काव्य - रूपों में समान रूप से प्रयुक्त हुई । ' आधुनिक युग का एक वरदान यह है कि विश्व के विभिन्न देश और उनकी भाषाएँ काफी निकट आ गयी हैं । हिंदी को आज न केवल भारतीय वरन् अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में अपनी शक्ति और सीमा का आंकलन करने का अवसर प्राप्त हुआ है । 

आधुनिक ' शब्द का अर्थ
The meaning of the word 'modern'

हिंदी विश्वकोश में ' आधुनिक ' शब्द का अर्थ - अर्वाचीन , अप्राचीन , नया , हाल में पैदा होने वाला आदि दिया गया है । बृहद हिंदी कोश में ' आधुनिक ' शब्द - आजकल का , वर्तमान काल का तथा नये जमाने का आदि अर्थों का द्योतक कहा गया है । हिंदी साहित्य कोश में आधुनिक ' के संबंध में विचार करते हुए लिखा है - ' सामान्य प्रयोग में आधुनिक शब्द को बहुत दूर तक समय - सापेक्ष मान लिया जाता है जैसे इतिहास का विभाजन प्राचीन , मध्यकालीन था आधुनिक कालों में करते समय । परंतु यह ' आधुनिक ' शब्द का सुविधा निष्पन्न और लचीला अर्थ है , जिसके अनुसार हर अगला काल अपने पूर्ववर्ती की अपेक्षा ।

आधुनिक या अधिक आधुनिक होता है । पर अपने विशिष्ट रूप में आधुनिक का अर्थ इससे भिन्न है । आधुनिकता की पहली और अनिवार्य शर्त स्वचेतनता है । ' अंग्रेजी में ' आधुनिक ' के लिए ' MODERN ' शब्द का प्रयोग किया जाता है । अंग्रेजी हिंदी कोश में भी आधुनिक के पर्याय ' MODERN ' शब्द के आधुनिक , आजकल का , अर्वाचीन तथा नवीन आदि अर्थ दिए गए हैं । 

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि ' आधुनिक ' शब्द नतनता का द्योतक है । यह नूतनता अनुभूति सापेक्ष भी है और अभिव्यक्ति सापेक्ष भी ।

साहित्यिक दृष्टि से ' आधुनिक ' शब्द के अर्थ पर विचार करते हुए बच्चन सिंह लिखते हैं - ' आधुनिक ' शब्द दो अर्थों - मध्यकाल से भिन्नता और नवीन इहलौकिक दृष्टिकोण की सूचना देते हैं । स्पष्टतः आधुनिक शब्द से परंपरा विच्छेद , रूढ़ियों का त्याग तथा नई दृष्टि लेकर नई दिशाओं की ओर अग्रसर होने का भाव झलकता है । ' आधुनिक ' का भाव लेकर आधुनिकता का आविर्भाव हुआ । यह काल औद्योगीकरण , नगरीकरण और बौद्धिकता से सम्बद्ध है , जिससे नवीन आशाएँ उभरी और वर्तमान तथा भविष्य को नवीन संदर्भो में देखा जाने लगा । देश , धर्म , मनुष्य , समाज , साहित्य तथा ईश्वर आदि की नई - नई व्याख्याएँ की जाने लगी । '

आधुनिकता का महत्व एवं अभिप्राय --
Importance and intent of modernity

मध्यकाल के उत्तरार्द्ध में युगीन परिस्थितियों में तेजी से परिवर्तन आया । फलतः अनुभूति और अभिव्यक्ति का ढंग भी बदलने लगा । इसके अतिरिक्त ज्ञान - विज्ञान तथा तकनीकी का विकास भी तेजी से हुआ । कहने का अभिप्रायः यह है कि विविध प्रकार के परिवर्तनों को द्योतित करने वाला प्रत्यय ' आधुनिक ' . अथवा आधुनिक काल के रूप में आविर्भूत हुआ । यह काल औद्योगीकरण , नगरीकरण तथा विविध आयामी बौद्धिकता से सम्बद्ध रहा । मनुष्य , समाज , राष्ट्र , धर्म तथा ईश्वर आदि की नूतन व्याख्याएँ की जाने लगी । जीवन तथा उससे सम्बद्ध अनेक क्षेत्रों में अत्यधिक तीव्रता से परिवर्तन हुए , जिनके चलते व्यक्ति या तो व्यवस्था में खो गया अथवा व्यवस्था के पुर्ज मात्र के रूप में सिमट गया । उसका स्वच्छंद व्यक्तित्व समाप्त प्रायः हो गया ।

इसी सिमटे हुए , पुर्ज के रूप में परिवर्तित तथा खोये हुए व्यक्तित्व को नये सिरे से खोजन की प्रक्रिया ' आधुनिकता ' के रूप में सामने आयी । डॉ . बच्चन सिंह के शब्दों में - " आधुनिक ज्ञान - विज्ञान और टेक्नॉलॉजी के फलस्वरूप उत्पन्न मानवीय स्थितियों का नया , गैर रोमैंटिक और अमिथकीय साक्षात्कार ' आधुनिकता ' है । " साहित्यक क्षेत्र में कोई भी नया प्रत्यय इतिहास की विशेष परिस्थिति में जन्म लेता है । स्पष्टतः आधुनिकता को भी एक विशेष वैश्विक प्रवृत्ति के रूप में स्वीकार किया जाता है । भारत में साहित्यिक दृष्टि से आधुनिकता का प्रवेश लगभग 1960 के पश्चात् माना जाता है ।

पश्चिमी आधुनिकता दो - दो महायुद्धों द्वारा विध्वस्त जीवन , अस्तित्व वादी दर्शन , फासीवाद , पूँजीवादी पदार्थीकरण की देन है । वहाँ साहित्यिक क्षेत्र में टी . एस . इलियट , जेम्स ज्वायस काफ्का , बेकेट प्रस्त , रिल्के , लोर्का आदि का नाम विशेष उल्लेखनीय है । भारतीय संदर्भ में आधुनिकता के आरंभ पर प्रकाश डालते हुए बच्चन सिंह ने लिखा है - ' यों तो प्रयोगवादी काव्यांदोलन में आधुनिकता के चिह्न दिखाई पड़ने लगते हैं ।

विशेष रूप से अज्ञेय और शमशेर बहादुर सिंह में वास्तविकता तो यह है कि सन् 1964 में हमारी पुरानी दुनिया और मूल्य लगभग समाप्त हो जाते हैं । सन् 1962 के चीन - भारत युद्ध में रही सही जनतांत्रिक आशाओं की कमर तोड़ दी । सन 1964 में नेहरू की मृत्यु के साथ बहुत सारी चीजें मर जाती है । ' तत्पश्चात साहित्यिक क्षेत्र में अब अनिर्णयात्मकता , आक्रामकता , विडंबना , यौन - विकृति , प्रजातंत्र की खोज , अजनबीपन तथा उपेक्षा का भाव रचनाओं में अधिक उभरकर सामने आता है ।

इस दौर में मुख्य रूप से राजकमल चौधरी ' मुक्तिप्रसंग ' , ' कथावती ' जगदीश चतुर्वेदी - ' इतिहास ' , जगदीश गुप्त , विजयदेव नारायण साही , लक्ष्मीकांत वर्मा , श्रीकांत वर्मा ' मगध ' , ' माया दर्पण ' , ' जलसा घर ' तथा धूमिल ' संसद से सड़क तक ' , ' कल सुनना मुझे ' तथा ' सुदामा पांडे का प्रजातंत्र ' । लीलाधर जगूडी - नाटक जारी है ' । चन्द्रकांते देवताले ' दीवार पर खून से ' , ' हुड्डियों में छिपा ज्वर ' आदि उल्लेखनीय हैं ।

 हिंदी साहित्य कोश ' नामक ग्रंथ में ' आधुनिकता ' के विषय में लिखा है - ' आधुनिकता की पहली और अनिवार्य शर्त स्वचेतनता है । स्वयं इतिहास को यदि लिया जाय तो काल विभाजन की तुलनात्मक विवेचना से स्पष्ट हो सकेगा कि इतिहास के काल , समय की अवधि की दृष्टि से धीरे - धीरे छोटे होते जा रहे हैं । युग प्रवृत्तियों का इतना शीघ्र परिवर्तन और उसका इतना शीघ्र अनुभावन गहरी स्वचेतनता द्वारा ही संभव है । '

स्पष्टतः यहाँ आधुनिकता के मूल में ' स्वचेतनता ' को स्वीकार किया गया है । ' आधुनिकता ' तथा नवजागरण के बीच संबंध स्थापित करते हुए कृष्ण बिहारी मिश्र जी ने लिखा है - ' आधुनिकता भारतीय नवजागरण की सबसे बड़ी उपलब्धि है । आधुनिकता अर्थात् एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण जो पूर्व और पश्चिम के बीच सांस्कृतिक सेतु बना । चूंकि नवजागरण का अनुभव सबसे पहले बंगाल ने किया था इसलिए स्वाभाविक था कि आधुनिकता भारत में बंगाल की खाड़ी से प्रवेश करती । आधुनिकता ने हमारे अंदर एक ऐसी चेतना उत्पन्न की जिससे पश्चिमी जगत को अधिकाधिक जानने समझने के लिए हम उत्सुक हो गए । ' स्पष्टतः आधुनिकता ने जहाँ एक ओर स्वचेतना का बोध जगाया वहीं दूसरी ओर पश्चिमी जगत के प्रति जिज्ञासा तथा वैज्ञानिक आलोक से मानवीय धरातल के विभिन्न स्तरों को भी उजागर किया ।

अन्य सम्बन्धित लेख साहित्य--

0 comments: