Tuesday 12 May 2020

निरोगी तथा स्वास्थ्य रक्षा के लिए महत्वपूर्ण 19 आसान उपाय स्वस्थ शरीर के लिए लाभदायक मंत्र, Mantra beneficial for healthy body

निरोगी तथा स्वास्थ्य रक्षा के लिए महत्वपूर्ण 19 आसान उपाय
स्वस्थ शरीर के लिए लाभदायक मंत्र
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mportant 19 Easy Measures for Health and Health
Mantra beneficial for healthy body
Arogya

दोस्तों आज की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में आदमी का सुख चैन खो गया है। व्यक्ति न तो समय पर खाना खा पाता है, न विश्राम कर पाता है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि मनुष्य को अनेक सामाजिक एवं मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। व्यक्ति शरीर एवं मन से बीमार होता जा रहा है।
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हमारे शास्त्रों में वर्णित एक प्रसिद्ध कहावत है --

प्रथम सुख निरोगी काया , दूजा सुख घर में हो माया ।। 
तीसर सुख कुलवन्ती नारी, चौथा सुख सुत आज्ञाकारी ।।
पंचम सुख भाई बलवीरा, छठवां सुख राज में सीरा ।।
सप्तम सुख हो वास सुवासा,अष्टम सुख हों पण्डित पासा ।।
नवम सुख हों मित्र घनेरे, ऐसे नर नहिं जग बहुतेरे।।

इस संसार में स्वास्थ्य मूल्यवान से मूल्यवान , सुन्दर - से - सुन्दर और बलवान - से - बलवान है । धनियों की धनिकता का रहस्य , सौन्दर्यशालियों के सौन्दर्य का रहस्य और महावीरों की वीरता का रहस्य स्वास्थ्य में है ।

निरोगी तथा स्वास्थ्य रक्षा के वैज्ञानिक उपाय-- 
कैसे आरोग्य प्राप्त करें ? हमारी सरकार की ओर से करोड़ों रुपये विदेशी ( एलोपैथिक ) चिकित्सा पर - उसकी शिक्षा पर और अस्पताल खोलने पर - प्रतिवर्ष व्यय होते हैं । परन्तु रोगियों की संख्या बढ़ती ही जाती है । अस्पतालों में तिल धरने को स्थान नहीं । डॉक्टर विवश हैं , रोगी निराश । रक्तचाप , क्षय , हृदय - रोग , मधुमेह आदि भयंकर रूप धारण कर चुके हैं । " मर्ज बढ़ता गया , ज्यों - ज्यों दवा की

आज से 30 - 40 वर्ष पहले जब सौ - सौ मील तक अस्पताल या डॉक्टर नहीं थे , बहुत कम रोगी होते थे । यदि कोई थोड़ा - बहुत रुग्ण हो भी जाता था तो वह अपनी घरेलू ओषधि प्रयोग करके ठीक हो जाता था । ऐसा क्यों ? विदेशी विद्या के कारण जहाँ हमने अपना रहन - सहन और खान - पान बदल लिया है , वहाँ हम अपने ऋषियों - मुनियों के बताये हुए सच्चे मार्ग को भूल चुके हैं । हमें भारतीय संस्कृति के प्रति घृणा पैदा हो चुकी है । 4000 मील से आयी हुई सभ्यता से प्रेम हो गया है । हम अच्छी आदतों को अपनाने की अपेक्षा बुरी आदतों में फंस चुके हैं ।

ब्रह्ममुहूर्त में उठने के बदले देर से उठना अच्छा समझते हैं , उष : पान के बदले ' बेड टी ' लेने लग गये हैं , दाँतुन को छोड़कर ' ब्रश - पेस्ट ' को अच्छा समझने लग गये हैं , तेल मालिश और व्यायाम करना छोड़ दिया है , दिन को सोना और रात्रि को देर तक जागना अच्छा लगता है , दूध और घी को छोड़कर चाय और वनस्पति घी का सेवन करने लग गय हैं । थोड़ी - सी बीमारी के लिए डॉक्टर या अस्पताल को दौड़ते हैं । उपवास करना छोड़ दिया । हमें नहीं पता कि क्या खाना और कैसे रहना चाहिए ।

स्वास्थ्य रक्षा के लिए 19 सर्वोपरि उपाय--
1- आयु - रक्षा के लिए नित्य ब्रह्म मुहूर्त में जागना चाहिए । 

2- रोग तथा वृद्धता से मुक्त होकर सौ वर्ष से अधिक जीने की इच्छा वाले को प्रातः ताम्र - पात्र में रात का रखा हुआ बासी पानी पीना चाहिए । 

3- दांत और मसूड़ों की रक्षा के लिये दातुन का प्रयोग ब्रुश से अच्छा है । 

4- प्रातः सैर करने से आयु , बल , बुद्धि बढ़ते हैं । 

5- नित्य तेल मालिश से शरीर . सुदृढ़ होता है और त्वचा के रोग नहीं होते । 

6- प्रात : काल नियमित व्यायाम से शरीर फुर्तीला बनता है । 

7- आलस्य - नाश और शरीर - स्वच्छता के लिये नित्य स्नान करना चाहिए । 

8- मनोबल के लिये नित्य स्वाध्याय और देव - पूजा करनी चाहिए । 

9- सतोगुण बढ़ाने के लिये नित्य दूध ही पीना चाहिए , चाय नहीं । 

10- स्वास्थ्य - रक्षा के लिये नित्य संतुलित और हितकर भोजन करना चाहिए । 

11- भोजन के पश्चात् धीरे - धीरे टहलना व बायीं करवट लेटना चाहिए । 

12- भोजन के तुरन्त बाद दौड़ - धूप व व्यायाम नहीं करना चाहिए । 

13- तम्बाकू व मादक ( नशीली ) वस्तुओं के प्रयोग से स्वास्थ्य बिगड़ता है । 

14- लम्बे बढ़े हुए नाखून कार्यकुशलता व स्वच्छता में बाधक हैं ।

15- मांस - मछली के प्रयोग से काम , क्रोध और वासना बढ़ती है । 

16- मद्य - प्रयोग से मस्तिष्क , फेफड़े , हृदय , यकृत और गुर्दो को आघात पहुँचता है । 

17- मल - मूत्र का वेग रोकने से पेट व मूत्राशय के रोग बढ़ते हैं । 

18- इन्द्रिय - संयम से मन : शान्ति व कार्यकुशलता बढ़ती है । 

19- तुलसी सर्व व्याधियों का नाश करती है । नीरोग रहने के लिये इसका नित्य - प्रति प्रातः प्रयोग करना चाहिए

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