Tuesday 16 June 2020

जानिए बच्चे बिगडैल क्यों बनते है? इन 21 कारणों से बिगड़ते है बच्चे Know why children become baddies?

जानिए बच्चे बिगडैल क्यों बनते है?
इन 21 कारणों से बिगड़ते है बच्चे
Know why children become baddies?
Children deteriorate due to these 21 reasons

दोस्तों बच्चे हमारा ही नहीं बल्कि देश और सृष्टि के भविष्य होते है। अगर वे विगड गये तो समझो उनको सुधारना मुश्किल हो जाएगा। प्रत्येक माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे शिक्षित, सभ्य, प्रतिभाशाली और सच्चरित्र बनें। इसके लिए वे शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन, खेलकूद एवं भौतिक सुख-सुविधाओं का ढेर लगाते हैं। बच्चों को अगर समय पर सही दिशा और ज्ञान मिल जाए तो उनकी राह सुधर सकती है।

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आजकल सोच को बदलना बडा असम्भव कार्य है ,लोग सोचते हैं कि अच्छे विद्यालय में भर्ती करा देने एवं साधन-सुविधाएं देने से बच्चे अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार प्राप्त कर लेंगे किंतु इसके विपरीत बच्चोंं में नशा, ईष्र्या, आलस्य, चोरी, अशिष्टता जैसी प्रवृत्तियां पनप जाती हैं और माता पिता बच्चों की बुरी आदतों से अनजान बने रहते हैं। प्रेम के कारण बच्चों के हर गुनाह को नजर अंदाज कर देते है, बच्चों से माता पिता की बडी आशाएं जगी हुई है, जैसा चाहा गया है अगर बच्चे वैसा न बन पायें तो माता-पिता के सपने तो टूटते ही हैं, बच्चों का भविष्य भी अंधकारमय हो जाता है।

क्यों बिगडते है बच्चे
Why do children deteriorate
बच्चों को दिशा कम उम्र मे ही सही दी जा सकती है, जिस दिशा में उनका बचपन जाएगा बही राह वो आजीवन पकड लेते है।बच्चे जब छोटी उम्र में गलतियाँ करते हैं,तब उनके अभिभावक उनकी गलतियों को बच्चे समझकर नजर अंदाज कर देते हैं,जिससे बच्चों को उसके होने वाले नुकसान के बारे मे पता नहीं चल पाता है, और फिर उन्हें इन गलतियों का अहसाह नही हो पाता और वो आवश्यक जानकारी के आभाव में गलत कार्यों से सचेत नही हो पाते है, यही बच्चे बडे होकर बडा जुर्म करने को भी उद्धत हो जाते है,(क्योंकि बच्चों को सही गलत,अच्छे बुरे का बोध नही होता) और फिर वो और गलतियाँ करते जाते हैं और धीरे धीरे यह उनकी मानसिकता बन जाती है और फिर बडे़ होकर(जब उनकी खुद की समझ विकसित होती है तब) उन्हें इस मानसिकता से छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है,क्योंकि तब तक यह उनकी आदतों का रुप ले चुका होता है,और हमें पता है कि बडे़ होनें के बाद चाहकर भी आदतों से छुटकारा पाना मुश्किल होता है,और इस तरह वे ना चाहते हुए भी उन् गलतियों को दुहराते रहतें हैं क्योंकि उनका दिमाग उसके लिए कभी सचेत ही नही हुआ होता। इसीलिए जहां तक हो सके हमें उन्हें बचपन से ही प्रेरित करने की जरूरत है।

1- बच्चो को हर सम डांट-फटकार न लगाएं उन्हें उनके हिसाब से जिम्मेदारी दे ।

2- कभी भी बच्चों का भावात्मक पक्ष कमजोर न होंने दें उनकी मनो स्थिति को ठेस न पहुंचाएं। 

3 – बच्चो को अनुशासन (डिसिप्लिन) में रहना सिखाये।

4- बच्चों के द्वारा किए गये गलत कार्यों के लिए उन्हें प्रोत्साहन नहीँ बल्कि उससे होने वाले अवगुणों के बारे में बताएं। 

5– बच्चे मारने-पीटने से और बिगडते है और वह आंतरिक मन से मजबूत बन जाते है,इसलिए उन्हें जहां तक हो सके समझाने का प्रयास कीजिए। 

6– बच्चो को हमेशा समाज या आस पडोस मे घट रही अच्छी बातें व अच्छी आदते सिखाये ।

7– बच्चो किताबी कीडा नहीँ बल्कि दया , करूणा और सामाजिक भावना का विकास कराने का प्रयास कीजिए। 

8– अच्छे कार्यो के लिए बच्चो को हमेशा प्रोत्साहन करेंऔर उनका धन्यवाद कीजिए। 

9– बच्चों को सभी चीजों से अवगत कराएं अच्छे, बुरे, गलत-सही ,जुर्म-कानून जैसी बातों को बताएं।

10- दोस्तों के बीच लोकप्रिय होने के लिए उसे कुछ भी करने दीजिए,रोकिए नहीं। 

11- उसकी मौजूदगी में अकसर झगड़िए । लिहाज़ा घर के टूटने पर उसे कोई अचरज नहीं होगा । 

12- वह जितना पैसा माँगे , उसे दीजिए । उसे पैसे की कीमत कभी न समझाइए । इस बात का पूरा ध्यान रखिए कि उसे वैसी दिक्कतों का सामना कभी न करना पड़े , जिनका सामना हमको करना पड़ा था । 

13- खाने , पीने और ऐशोआराम की सारी शारीरिक जरूरतों को यह सोच कर फ़ौरन पूरा कीजिए कि चीजें न मिलने पर वह हताश होगा । 

14- पड़ोसियों और अध्यापकों के सामने यह सोच कर हमेशा उसका पक्ष लीजिए कि हमारे बच्चे के लिए उनके में मैल है । 

15- उसे यह सोच कर किसी बात पर मत टोकिए कि अनुशासन से आजादी छिन जाती है ।

16- उसे बताइए कि हर चीज़ की एक क़ीमत होती है । लिहाज़ा एक दिन वह अपनी ईमानदारी को बेच देगा । 

17- उसे किसी भी बात पर दृढ़ न रहने की शिक्षा दीजिए । लिहाजा वह हर चीज़ पर फिसलेगा । 

18- उसे सिखाइए कि जिंदगी में कामयाबी ही सब कुछ है ; लिहाजा वह हर तिकड़म करके क़ामयाब होने की कोशिश करेगा । 

19- जब वह गदे लफ़्जों का इस्तेमाल करे , तो उस पर हँसिए । इससे वह खुद को चतुर समझने लगेगा । 

20- उसे नैतिकता सिखाने के बजाए , उसके 21 साल का होने का इंतज़ार कीजिए , ताकि वह अपने बारे में खुद फैसला कर सके । 


21- उसे सही दिशा का ज्ञान कराए बिना चुनाव करने की आजादी दीजिए । उसे यह कभी न सिखाइए कि हर चुनाव का एक नतीजा भी होता है ।


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