Sunday 9 August 2020

उत्तराखंड के टिहरी जिले के 11 प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों का महत्व एवं वर्णन // Importance and description of 11 major religious and tourist places of Tehri district of Uttarakhand

उत्तराखंड के टिहरी जिले के 11 प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों का महत्व एवं वर्णन 
Importance and description of 11 major religious and tourist places of Tehri district of Uttarakhand


प्राचीन काल से ही उत्तराखंड देवभूमि के नाम से विख्यात रही है , हमारे धार्मिक ग्रंथों व पुराणों मे इसका उल्लेख मिलता है , tourist places of Tehri district of Uttarakhand in hindi स्कंद पुराण मे हिमालय के इस भू – भाग को केदारखंड के नाम से उल्लेखित किया गया है , पूर्व काल मे यहां पर छोटे - छोटे ठाकुरी राजाओं तथा थोकदारों के किले थे , जिन्हें गढ़ के नाम से जाना जाता है , इन गढ़ के स्वामियों को गढ़पति के नाम से जाना जाता है । जो कि अपनी शौर्य व वीरता के लिए प्रसिद्ध थे । इनमें से पंवार वंश के राजा अजयपाल ने अपने राज्य का विस्तार किया और छोटे - छोटे किलों पर विजय प्राप्त कर गढ़वाल राज्य की स्थापना की । पंवार वंश का प्रारंभ इनके शासनकाल से है । tourist places of Tehri district of Uttarakhand in hindi राजा कनकपाल धार मालवा से तीर्थाटन के लिए गढ़वाल आए थे । उस समय यहां पर अनेक छोटे किले थे । कनकपाल ने राजा भानुप्रताप से 888 ई . मे चांदपुर गढ़ का राज्यभार संभाला था । पंवार वंश ने गढ़वाल पर साठ पीढ़ियों तक राज किया । सन 888 ई . से 1830 तक सारा गढ़वाल राज्य राजपूतों के अधीन रहा । गढ़वाल को अनेक उतार - चढ़ाव के दौर से गुजरना पड़ा । प्रद्युम्नशाह का शासन काल 1697 ई . से 1804 ई . तक के शासनकाल में गोरखाओं ने आक्रमण करना शुरू किया , दूसरी ओर प्राकृतिक आपदाओं मे इसी वर्ष भयंकर भूकंप ने श्रीनगर की राजधानी को भी नष्ट कर दिया ।


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तो आइए आज हम उत्तराखंड के टिहरी जिले की भौगोलिक एवं धार्मिक स्थलों का वर्णन सुनते हैं जिससे हमारे धार्मिक स्थलों का महत्व और उन स्थलों की महिमा का वर्णन जान सके और उनकी उपयोगिता को महसूस कर के हम स्थानों  का भ्रमण कर सकें। 

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पर्यटक स्थलों का महत्व 

जनपद टिहरी गढवाल में पर्यटन का स्वरूप देखने से पहले यदि हम उत्तराखंड पर्यटन की दृष्टि से स्थिति जानी जाए तो अधिक उपयुक्त होगा। उत्तराखंड में चार पावन धाम है, (गंगोत्री,  यमनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ) जो कि बर्फ से आच्छादित हिमालय की चोटियों, झरनों, नदियाँ, परिचित पर्यटन स्थल, व सदाबहार वन एवं अनेकों घाटियाँ है जो मन को मोहित कर देती है। इन सभी की यात्रा करने से टिहरी गढवाल का प्रवेश द्वार कहा गया है। टिहरी गढ़वाल के पवित्र एवं पावन धामों तीर्थस्थलो का वर्णन हम यहाँ कर रहे है आशा है आपको यह सूक्ष्म जानकारी पसंद आएगी।

1- सेम - मुखेम - 

जनपद टिहरी के विकासखंड प्रतापनगर के अंतर्गत यह प्रमुख तीर्थ स्थल एवं सिद्धपीठ स्थल है । यह उत्तराखंड का पांचवां धाम भी माना जाता है। यह स्थल भगवान कृष्ण की क्रीड़ास्थली है । यहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या मे तीर्थ यात्री आते है । यहां पर नागराजा की प्राचीन भव्य मंदिर मुखेम में स्थित है । मुखेम से लगभग 05 किमी की पर पैदल चलकर सेम नागराजा का मंदिर स्थित है । जिसकी धार्मिक मान्यता दूर - दूर तक फैली है । वर्तमान मे राज्य सरकार इसे पांचवे धाम के रूप मे विकसित कर रही है । इस जगह में कयी रोमांचक पर्यटन स्थल है जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।


2-  खतलिंग ग्लेशियर  -

टिहरी के विकासखंड भिलंगना के अंतर्गत घनसाली से आगे घुत्तू नामक मोटर हेड से खतलिंग ग्लेशियर की पैदल यात्रा पर्यटन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो लगभग 100 किमी की दूरी पर है और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर । यह भिलंगना नदी का उदगम स्थल है । जहां प्रतिवर्ष हजारों देशी हजारों देशी - विदेशी पर्यटक प्रकृति का आनंद लेने जाते हैं । प्राकृतिक सौन्दर्य से ओत-प्रोत छटा बिखरी हुयी है। जहां जाने से व्यक्ति मंत्र मुग्ध हो जाता है।


3- सहस्त्रताल - 

यह पर्यटक स्थल जैसा कि नाम से ही विदित है, यहाँ छोटे-छोटे कयी ताल (तालाब) है, इस स्थल पर प्राकृतिक कुण्ड एंव झीलें स्थित है , तथा कहीं - कहीं तो झुंड के झुंड ताल संपूर्ण क्षेत्र प्राकृतिक छटा से ओत - प्रोत है । यूं तो भिलंगना विकासखंड पूर्ण रूप से पर्यटन के क्षेत्र मे धनी है लेकिन यह क्षेत्र तो स्वर्ग तुल्य है । 


4- पंवाली कांठा - 

घूतू से लगभग 15 किमी की पैदल दूरी पर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह पैदल मार्गीय पड़ाव स्थल बहुत ही रमणीक है और दूर - दूर तक फैला हुआ हरा बुग्याल है । बूढाकेदार होकर गंगोत्री से आने - जाने वाले पैदल यात्री बू ढा के दार - धुत्त - पं वाली कांठा - त्रिजुगीनारायण होकर केदारनाथ जाते हैं ।


5- शिवपुरी  -

पवित्र धाम एवं गंगा नदी के किनारे बसा यह छोटा सा शहर, ऋषिकेश से 25 किमी की दूरी पर गंगा नदी के किनारे पर रीवर राफिटंग क्रिया का सर्वोत्तम स्थल है , जहां कई राष्ट्रीय स्तर की कंपनी स्थापित है । साहसिक पर्यटन के मानचित्र पर पर शिवपुरी की पहचान अब विदेशों तक हो चुकी है।


6- कैम्पटी फाल - 

कैम्पटी फाल जिले का दूसरा सर्वाधिक पर्यटन आर्कषण वाला स्थल है जो विख्यात पर्यटन स्थल मंसूरी से 13 किमी की दूरी पर स्थित है । यहां का प्राकृतिक झरना आर्कषण का केंद्र है । ग्रीष्मकाल मे लगभग 10 हजार पर्यटक प्रतिदिन यहां मनोरंजन के लिए आते है । यहां पर फोटोग्राफी का व्यवसाय काफी अच्छा है ।


7- व्यासी - 

ऋषिकेश से 31 किमी की दूरी पर स्थित बद्री - केदार मार्ग का यह प्रमुख एवं परम्परागत पड़ाव स्थल है । जो गंगा तट पर साल के घने जंगल से घिरा हुआ है । यहां पर मार्गीय सुविधा बहुतायत उपलब्ध है । 


8- देवप्रयाग - 

गढ़वाल के प्रमुख तीर्थ स्थलों में देवप्रयाग का नाम प्रमुखता से लिया जाता है । यह नगर पवित्र भागीरथी एंव अलकनंदा नदियों के संगम पर बसा है । यहां पर अन्य दार्शनिक स्थल संगमघाट , रघुनाथ मंदिर , टीण्डेश्वर एंव बेतालशिखा है । यहां पर यात्रियों के ठहरने के लिए पर्याप्त साधन हैं ।


9- धनोल्टी - 

जनपद टिहरी का प्राकृतिक सौंदर्य एवं जलवायु की दृष्टि से प्रथम स्थान प्राप्त यह छोटा सा करवा है । जो मंसूरी - चबा मोटरमार्ग के मध्य स्थित है । और पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है । ग्रीष्मकाल में यहां पर्यटकों का आगमन होता है । यहां देवदार के घने वन हिमाच्छादित हिमालय की लंबी श्रृंखला बहुत सुंदर व स्पष्ट दिखाई देती है और निःसंदेह मन को मोह लेती है । 


10 - सुरकंडा देवी  - 

मां दुर्गा का अनुपम स्थान जो गगनचुंबी पर्वत शिखर पर लगभग 10 हजार फुट की ऊंचाई पर भव्य सुरकंडा देवी का मंदिर विराजमान है , जो कि हजारों श्रालुओं का प्रतिदिन आस्था केंद्र है । यह धनोल्टी के समीप मुख्य मोटरमार्ग पर कद्दूखाल से 2 किमी की पैदल दूरी पर स्थित है । भगवान शिव की पत्नी सती की प्राचीन ऐतिहासिक कथा जुड़ा यह प्राचीन ऐतिहासिक सि ( पीठ है । जहां पर प्रदेश सरकार श्रालुओं की सुविधा के लिए रोपवे लगाने जा रही है ताकि वर्ष भर यहां पर पर्यटन व्यवसाए से जुड़े लोगों के लिए आजीविका का संसाधन बढ़ाए जा सके । 


11- कुंजापुरी -

ऋषिकेश से 28 किमी की दूरी पर स्थित यह दूसरा सिद्धपीठ है जहां सती का कंज गिरा था । ऋषकेश - टिहरी मोटरमार्ग पर हिंडोलाखाल नामक स्थान से 05 किमी के लिंक मार्ग पर एक पर्वत शिखर पर उक्त मंदिर स्थित है । जो हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है । नवरात्रों के दिनों में यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है ।



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