Sunday 30 August 2020

Uttarakhand General Knowledge/ कुमाऊँ रेजिमेंट, गढवाल राइफल्स एवं बी.ई.जी. की सैन्य ताकत के रोचक तथ्य /Kumaon Regiment, Garhwal Rifles and B.E.G. Military strength in interesting facts

Uttarakhand General Knowledge/ कुमाऊँ रेजिमेंट, गढवाल राइफल्स एवं बी.ई.जी. की सैन्य ताकत के रोचक तथ्य /Kumaon Regiment, Garhwal Rifles and B.E.G.  Military strength in interesting facts

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दोस्तों आज हम आपके लिए उत्तराखंड की सैन्य ताकत से सम्बन्धित जानकारी लेकर आए है, Uttarakhand general knowledge in hindi हम आपके लिए कुछ बेहद ही महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर लेकर आए है जो आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले है।उत्तराखंड सामान्य ज्ञान प्रश्नावली Kumaon Regiment, Garhwal Rifles and B.E.G.  Military strength and interesting facts,  Objective Questions in Hindi ncert उत्तराखंड देवभूमी रही है और यहाँ अनेकों वीरों ने समय-समय पर जन्म लिया है।Kumaon Regiment in hindi उत्तराखंड की सैन्य परंपरा का अविर्भाव 326 ई . पूर्व से ही माना जाता है । गढवाली वीरों की शहादत के आगे सिकन्दर के विश्व विजय के सपने को सतलज के तट पर वीर गांगुड़ी सपूतों ने चूर - चूर कर दिया । Uttarakhand General Knowledge तब सिकन्दर को भारत से खाली हाथ लौटना पड़ा । जनवरी सन् 1804 ई . में खुडबुडा देहरादून में गोरखा आक्रमण के खिलाफ लडते हुऐ उत्तराखंड के 12000 रणवांकुरों ने महाराजा प्रधुम्न शाह के नेतृत्व में अपनी जान की बाजी लगा दी थी । Uttarakhand General Knowledge मुगल सम्राट शहजहां के सेनापति निवावत खां ने सन् 1635 ई . में जब हमला किया था तो उत्तराखंड के वीरों के पराक्रम से घबराकर उसे आत्मसमर्पण करने के लिए विवश होना पड़ा । BEG Rudeki in hindi इसके बाद औरंगजेब ने जब सन् 1649-60 ई . में उत्तरांचल पर हमला किया तो उसे बुरी तरह हार का सामना करना पडा । Garhwal Rifles in hindi 

दोस्तों आज हम उत्तराखंड की सेना की ताकत और जज्बे का हम सूक्ष्म रूप से वर्णन कर रहे है , इस जानकारी और तथ्यों से आप उत्तराखंड के सैनिकों की सहादत को माप सकते है,इन प्रश्नों को आप अपनी सफलता का माध्यम भी बना सकते है।

1-कुमाऊं रेजिमेंट Kumaon Regiment in hindi 

● ब्रिटिश शासकों ने 27 अक्तूबर 1945 को कुमाऊं रेजिमेंट की स्थापना की थी। 

● भारत के विभाजन के दौरान कुमाऊं रेजिमेंट की बटालियनों ने जम्मू-कश्मीर के मोर्चे पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।

● मेजर शर्मा ऐसे प्रथम भारतीय सैनिक थे,जिन्हें उनकी शहादत एवं वीरता के लिए सर्वोत्तम सम्मान मिला।

● भारत-चीन युद्ध लद्दाख सन् 1962 में मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में कुमाऊँ सैनिकों ने चीनीयों के खिलाफ जबरदस्त मोर्चाबन्दी की थी। 

● पूर्वोत्तर सीमा में वालोंग में कुमाऊँ के 119 सैनिक शहीद हुए और 113 सैनिक घायल हुए थे ।

● भारत पाकिस्तान युद्ध में सन् 1962 में दम्ब में कुमाऊँ रेजिमेंट ने जीत हासिल की थी।

1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध में भी कुमाऊँ रेजिमेंट की सभी बटालियनों ने कयी लड़ाइयाँ लडी थी ।

● श्रीलंका में लिट्ठे के खिलाफ कुमाऊँ रेजिमेंट की 5 बटालियनों ने जबरदस्त मोर्चा बन्दी की थी ।

● कुमाऊँ रेजिमेंट ने ही भारतीय सेना को 3 सेनाध्यक्ष दिये है।

● स्वतन्त्रता के बाद कुमाऊँ रेजिमेंट को --- 2 परमवीर चक्र - 3 अशोक चक्र - 11 महावीर चक्र - 7 कीर्ति चक्र - 28 शौर्य चक्र - 151 सेना मैडल मिले।

2- गढवाल राइफल्स Garhwal Rifles in hindi 

● गढवाल राइफल्स का प्रस्ताव 1880 में गोरखाओं से अलग करने के लिए किया गया था। 

5 मई सन् 1887 में गढवाल बटालियन का गठन किया गया था ।

● सन् 1892 मे गढवाल बटालियन को बदलकर इसका नाम गढवाल राइफल्स रखा गया था।

● प्रथम विश्व युद्ध में गढवालियों की दोनों बटालियन मेरठ डिविजन की गढवाल बटालियन के नाम से फ्रांस भेजी गयी थी ।

● न्यू चैपल में रायफलमैन श्री गब्बर सिंह नेगी ने शत्रु रक्षा पंक्ति को ध्वस्त कर रक्षकों को मार गिराया था ।

● अदम्य वीरता को दिखाते हुए शहीद गब्बर सिंह नेगी को मरणोपरांत विक्टोरिया क्रास से सम्मानित किया गया ।

1917 में गढवाली सैनिकों को पश्चिम एशिया भेजा गया था ।

● गढवाल राइफल्स ने विभिन्न बटालियनों में पश्चिमी एशिया,  पूर्वी अफ्रीका,  इटली, मलाया, सिंगापुर,  और बर्मा मे कयी मोर्चो पर सफलता पायी थी। 

● सन 1962 के भारत - चीन युद्ध में गढवाली सैनिकों को नूरानांग युद्ध सम्मान के अलावा 2 महावीर चक्र और 7 वीर चक्र मिले थे।

3- बी.ई.जी.रूडकी  BEG Rudeki in hindi 

● हरिद्वार के रूडकी में  बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप एवं सैन्टर का मुख्यालय है। 

● बी.ई.जी. को 12 जनवरी 1979 को राष्ट्रपति ने ध्वज प्रदान किया था ।

1839 में  भी अफगानिस्तान के गजनी किले को ध्वस्त करने की स्मृति में बी.इ.जी. ने अपने मुख्यालय के सामने युद्ध स्मारक बनाया ।

● स्वतंत्रता के बाद अबतक बी.ई.जी. ने 80 युद्ध पुरस्कार,  11 थियेटर पुरस्कार,  13 परम विशिष्ट सेवा पदक, 13 शौर्य चक्र , 3 कीर्ति चक्र,  2 वीर चक्र,  37 अतिविशिष्ट सेवा पदक, 4 जीवन रक्षक पदक, 4 युद्ध सेवा मंडल और 8 अर्जुन पुरस्कार प्राप्त हुए है।


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