Thursday 6 August 2020

संस्कृत सुभाषितानी इन 33 श्लोकों में है पूरे भारत का परिचय (भारत-परिचय) एकात्मतास्तोत्रम् // Sanskrit Subhashitani is in these 33 verses (introduction to India

 संस्कृत सुभाषितानी इन 33 श्लोकों में है पूरे भारत का परिचय (भारत-परिचय) एकात्मतास्तोत्रम्
Sanskrit Subhashitani is in these 33 verses (introduction to India)

दोस्तों हम मनुष्य प्रतिदिन अपना जीवन अपनी पद्धति से व्यतीत करते हैं। अपने संस्कारों से ही हमारी पहचान बनती है, परन्तु उस जीवन में कुछ सात्विक आनन्द भी तो होना चाहिए। introduction to India in hindi और उस के लिए कुछ अच्छे श्लोक, सुभाषितानी, सूक्तियां,  गीत, चित्रकला, कथा, कविता इत्यादि के द्वारा हमें अपने मन को भी प्रफुल्लित करना चाहिए। और अपने ज्ञान में वृद्धि करते है।introduction to India in hindi इन श्लोकों में सम्पूर्ण भारत का वर्णन किया गया है, हमारे संस्कार, सभ्यता, और संस्कृति की झलक इन श्लोकों में ही देखने को मिलता है। 

जिस प्रकार विविध रंग रूप की गायें एक ही रंग का (सफेद) दूध देती है, उसी प्रकार से विविध ज्ञान एवं धर्मग्रंथों, श्लोकों, व आदर्श वचनों का एक ही तत्त्व की सीख देते है, और उनका एक ही मकसद होता है, श्रेष्ठ ज्ञान को प्राप्त करना। अत: इसी प्रकार संस्कृत श्लोक ज्ञानवर्धक और शिक्षा प्रद कथनों को इस "संस्कृत सुभाषितानि" में हिन्दी अर्थ, संस्कृत भावार्थ सहित समाहित करने का छोटा सा प्रयास किया गया है।Sanskrit sloks with meaning in hindi धर्म, ज्ञान और विज्ञान के मामले में भारत से ज्यादा समृद्धशाली देश कोई दूसरा नहीं। भारत ने दुनिया को सभी तरह का ज्ञान दिया और आज उस ज्ञान के कारण पश्‍चिम और चीन जगत के लोग अपना जीवनस्तर सुधारने में लगे हैं।Hindi Quotes ,संस्कृत सुभाषितानीसफलता के सूत्र, गायत्री मंत्र का अर्थ आदि शेयर कर रहा हूँ । जो आपको जीवन जीने, समझने और Life में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाते है,आध्यात्म ज्ञान से सम्बंधित गरूडपुराण के श्लोक,हनुमान चालीसा का अर्थ ,ॐध्वनि, आदि Sanskrit sloks with meaning in hindi धर्म, ज्ञान और विज्ञान के मामले में भारत से ज्यादा समृद्धशाली देश कोई दूसरा नहीं।gyansadhna.com


introduction to India in hindi 

श्लोक - १

ॐसच्चिदानन्दरूपाय नमोऽस्तु परमात्मने  

ज्योतिर्मयस्वरूपाय विश्वमाङ्गल्यमूर्तये      

भावार्थ - विश्व के जड़ - चेतन के लिए मंगलकारी , स्वयं प्रकाश रूप , सत्य रूपी अमूर्त किन्तु चेतन , आनन्दस्वरूप परब्रह्म परमात्मा के लिए मेरा नमन है । 


श्लोक -२

प्रकृतिः पञ्चभूतानि ग्रहाः लोकाः स्वरास्तथा  

दिशः कालश्च सर्वेषां सदा कुर्वन्तु मंगलम्  

भावार्थ -  तीनों गुणवाली प्रकृति , पाँचो तत्त्व , नवग्रह , तीनों लोक , सातों स्वर , दसों दिशाएँ , तीनों काल ये सभी सर्वदा सम्पूर्ण जगत का कल्याण करें ।


श्लोक -३

रत्नाकराधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम् । 

ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्यां वन्दे भारतमातरम् ॥ 

भावार्थ - अत्यन्त मूल्यवान रत्नों से भरा समुद्र जिस मातृभूमि के चरण धोता है तथा हिमालय मुकुट बनकर जिसके मस्तक पर शोभायमान है , जो अनेक रत्न रूपी ब्रह्मर्षि तथा राजर्षि जैसे तपस्वियों से समृद्धशाली है , ऐसी माँ भारती की मैं वन्दना करता हूँ ।


श्लोक -४

महेन्द्रो मलयः सह्यो देवतात्मा हिमालयः । 

ध्येयो रैवतको विन्ध्यो गिरिश्चारावलिस्तथा ।।

भावार्थ -   महेन्द्र पर्वत ( ओड़ीसा ) मलय गिरि ( कर्नाटक ) सह्याद्रि ( महाराष्ट्र ) और हिमालय जिसमें देवताओं की आत्मा निवास करती है , रैवतक पर्वत ( गुजरात ) विन्ध्याचल ( मध्य प्रदेश ) अरावली ( राजस्थान ) ये सभी पर्वत हमारे लिए वन्दनीय हैं तथा ध्यान करने योग्य हैं । 


श्लोक - ५

गङ्गासरस्वती सिन्धुर्बह्मपुत्रश्च गण्डकी  

कावेरी यमुना रेवा कृष्णा गोदा महानदी ।।

भावार्थ -  गंगा , सरस्वती , सिन्धु , ब्रह्मपुत्र , गण्डकी , कावेरी , यमुना , रेवा ( नर्मदा ) और गोदावरी नदियाँ वन्दनीया और ध्यान योग्य हैं । 


श्लोक -६

अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्चि अवन्तिका  

वैशाली द्वारिका ध्येया पुरी तक्षशिला गया ।।

भावार्थ - अयोध्या , मथुरा , माया ( हरिद्वार ) , काशी ( वाराणसी ) , काञ्चि , अवन्तिका ( उज्जैन ) , वैशाली , जगन्नाथपुरी , द्वारिका , गया तक्षशिला ये सभी आराधना के योग्य हैं । 


श्लोक -७

प्रयागः पाटलिपुत्रं विजयानगरं महत्   

इन्द्रप्रस्थं सोमनाथः तथा अमृतसरः प्रियम्  

भावार्थ -  प्रयाग ( तीर्थराज संगम ) पाटलिपुत्र ( पटना ) विजयनगर ( तुंगभद्रा नदी पर स्थित ) इन्द्रप्रस्थ ( दिल्ली ) सोमनाथ तथा अमृतसर ये सभी हमारे लिए वन्दनीय और स्मरणीय हैं । 


श्लोक -८

चतुर्वेदाः पुराणानि सर्वोपनिषदस्तथा  

रामायणं भारतं च गीता सदर्शनानि च  

भावार्थ -  चारों वेद , अठारह पुराण , सभी उपनिषद् , रामायण , महाभारत , गीता तथा दर्शन जो हमें सन्मार्ग दिखाते हैं , पठन एवं मनन योग्य हैं । 


श्लोक -९

जैनागमास्त्रिपिटका : गुरुग्रन्थः सतां गिरः । 

एषः ज्ञाननिधिः श्रेष्ठः श्रद्धेयो हृदि सर्वदा ॥ 

भावार्थ - जैन पंथ के प्रमाणभूत आगम ग्रन्थ , बौद्धमत के प्रमाणभूत ग्रन्थ त्रिपिटक ( विनय , सुत्त , अभिधम्म ) सिक्ख पंथ के गुरु ग्रन्थ साहिब आदि , संतों की वाणियाँ श्रेष्ठ ज्ञान का भण्डार हैं । इनके प्रति हृदयों में आस्था रहे ।


श्लोक -१०

अरुन्धत्यनुसूया च सावित्री जानकी सती  

द्रौपदी कण्णगी गार्गी मीरा दुर्गावती तथा  

भावार्थ -  महर्षि वसिष्ठ की पत्नी अरुन्धती , अत्रि - पत्नी अनुसूया , सत्यवान की पत्नी सावित्री , श्री राम की पत्नी सीता , द्रौपदी , कण्णगी , गार्गी , मीरा तथा दुर्गावती आदि देवियाँ वन्दनीय हैं । 


श्लोक - ११

लक्ष्मीरहल्या चन्नम्मा रुद्रमाम्बा सुविक्रमा  

निवेदिता सारदा च प्रणम्या मातृदेवताः ॥ 

भावार्थ -  महारानी लक्ष्मीबाई , अहल्याबाई , कर्नाटक की वीर महिला चन्नम्मा , रूद्रमाम्बा , भगिनी निवेदिता तथा रामकृष्ण परमहंस की पत्नी माँ शारदा आदि माताएँ वन्दनीया हैं । 


श्लोक - १२

श्री रामो भरतः कृष्णो भीष्मो धर्मस्तथार्जुनः ।

मार्कण्डेयो हरिश्चन्द्रः प्रह्लादो नारदो ध्रुवः ॥ 

भावार्थ - प्रभु राम , भरत , योगीराज कृष्ण , भीष्म पितामह , युधिष्ठिर , अर्जुन , मार्कण्डेय ऋषि , सत्यवादी हरिश्चन्द्र , भक्त प्रह्लाद , महर्षि नारद और ध्रुव की कीर्ति पुराणों में गायी गई है । 


श्लोक -१३

हनुमाञ्जनको व्यासो वसिष्ठश्च शुको बलिः  

दधीचिविश्वकर्माणौ पृथुवाल्मीकिभार्गवाः  

भावार्थ - महाबली हनुमान , विदेहराज जनक , वेदव्यास , गुरु वसिष्ठ , शुकदेव , महाराज पृथु , वाल्मीकि और भार्गव ( परशुराम ) की कीर्ति पुराणों में गायी गई है । 


श्लोक -१४

भगीरथश्चैकलव्यो मनुर्धनवन्तरिस्तथा  

शिविश्च रन्तिदेवश्च पुराणोद्गीतकीर्तयः  

भावार्थ -   महाराज भगीरथ , एकलव्य , महाराज मनु , धनवन्तरि , राजा शिवि तथा रन्तिदेव की कीर्ति पुराणों में गायी गई है । 


श्लोक -१५

बुद्धा जिनेन्द्रा गोरक्षः पाणिनिश्च पतञ्जलिः ।

शङ्करो मध्वनिम्बार्की श्रीरामानुजवल्लभौ ॥

भावार्थ -   बुद्ध के सभी अवतार , सभी तीर्थंकर , गुरु गोरक्षनाथ , पाणिनि , पतंजलि , शंकराचार्य , मध्वाचार्य , निम्बार्काचार्य , रामानुजाचार्य तथा वल्लभाचार्य आदि महान पुरुष सदैव समाज को श्रेष्ठ गुण प्रदान करें । 


श्लोक -१६

झूलेलालोऽथ चैतन्यः तिरुवल्लुवरस्तथा । 

नायन्मारालवाराश्च कम्बश्च बसवेश्वरः ।।

भावार्थ -  झूलेलाल , चैतन्य महाप्रभु , तिरुवल्लुवर , नायन्मार तथा आलवार सन्त परम्परा , कंब तथा बसवेश्वर आदि महान पुरुष सदैव समाज को श्रेष्ठ गुण प्रदान करें । 


श्लोक -१७

देवलो रविदासश्च कबीरो गुरुनानकः  

नरसिस्तुलसीदासो दशमेशो दृढव्रतः

भावार्थमहर्षि देवल , सन्त रविदास , कबीर , गुरुनानक , नरसी मेहता , तुलसीदास तथा दृढव्रती गुरु गोविंद सिंह आदि महान पुरुष सदैव समाज को श्रेष्ठ गुण प्रदान करें । 


श्लोक -१८

श्रीमत् शंकरदेवश्च बंधू सायण - माधवौ  

ज्ञानेश्वरस्तुकारामो रामदासः पुरन्दरः   

भावार्थ असम के वैष्णव सन्त श्रीमत् शंकरदेव , सायणाचार्य माधवाचार्य बन्धु , सन्त ज्ञानेश्वर , तुकाराम , समर्थ गुरु रामदास तथा पुरन्दरदास आदि महान पुरुष सदैव समाज को श्रेष्ठ गुण प्रदान करें । 


श्लोक -१९

बिरसा सहजानन्दो रामानन्दस्तथा महान्  

वितरन्तु सदैवैते दैवीं सद्गुण - सम्पदम्

भावार्थ -  बिरसा मुण्डा , स्वामी सहजानन्द तथा स्वामी रामानन्द आदि महान पुरुष सदैव समाज को श्रेष्ठ गुण प्रदान करें ।


श्लोक -२०

भरतर्षिः कालिदासः श्रीभोजो जकणस्तथा

सूरदासस्त्यागराजो रसखानश्च सत्कविः

भावार्थ - नाट्य शास्त्र के आदि गुरु भरत ऋषि , संस्कृत के विद्वान् कालिदास , महाराज भोज , जकण , महात्मा सूरदास , त्यागराज ( तमिलनाडु के ) तथा रसखान आदि महान पुरुष सदैव समाज को श्रेष्ठ गुण प्रदान करें । 


श्लोक -२१

रविवर्मा भातखण्डे भाग्यचन्द्रश्च भूपतिः  

कलावन्तश्च विख्याताः स्मरणीयानिरन्तरम्

भावार्थ - महान चित्रकार रविवर्मा तथा विख्यात वर्तमान संगीत कला के उद्धारक भातखण्डे , मणिपुर के राजा भाग्य चन्द्र आदि विख्यात कलाकर सर्वदा स्मरणीय हैं । 


श्लोक -२२

अगस्त्यः कम्बुकौण्डिन्यौ राजेन्द्रश्चोलवंशजः  

अशोकः पुष्यमित्रश्च खारवेलः सुनीतिमान्

भावार्थ - अगस्त्य , कम्बु , कौण्डिन्य , चोलवंशज राजेन्द्र , अशोक , पुष्यमित्र तथा नीतिज्ञ खारवेल आदि सभी स्मरणीय हैं । 


श्लोक -२३

चाणक्य -चन्द्रगुप्तौ च विक्रमः शालिवाहनः

समुद्रगुप्तः श्रीहर्षः शैलेन्द्रो बप्परावलः

भावार्थ -  चाणक्य , चन्द्रगुप्त , पराक्रमी विक्रम , शालिवाहन , समुद्रगुप्त , हर्षवर्धन , शैलेन्द्र तथा बाप्पा रावल आदि सभी पर हमें गर्व है । 


श्लोक -२४

लाचिद् भास्करवर्मा च यशोधर्मा च हूणजित् । 

श्रीकृष्णदेवरायश्च ललितादित्य उबलः

भावार्थ - लाचिद् बड़फूकन , भास्करवर्मा , हूणविजयी यशोधर्मा , श्रीकृष्णदेवराय तथा ललितादित्य आदि सभी पर हमें गर्व है । 


श्लोक -२५

मुसुनूरिनायकौ तौ प्रतापः शिवभूपतिः  

रणजित्सिंह इत्येते वीरा विख्यातविक्रमाः

भावार्थ -   मुसुनूरिनायकद्वय - प्रोलय नायक और कप्पयनायक , महाराणा प्रताप , महाराज शिवाजी तथा रणजीत सिंह ये देश के विख्यात पराक्रमी वीर आदि सभी पर हमें गर्व है । 


श्लोक -२६

वैज्ञानिकाश्च कपिलः कणादः सुश्रुतस्तथा  

चरको भास्कराचार्यो वराहमिहिरः सुधीः ।।

भावार्थ -   हमारे बुद्धिमान वैज्ञानिक कपिलमुनि , कणाद् ऋषि , सुश्रुत चरक , भास्कराचार्य तथा वराहमिहिर हैं । 


श्लोक -२७

नागार्जुनो भरद्वाज आर्यभट्टो बसुर्बुधः  

ध्येयो वेङ्कटरामश्च विज्ञा रामानुजादयः

भावार्थ -   नागार्जुन , भरद्वाज , आर्यभट्ट , जगदीश चन्द्र बसु , चन्द्रशेखर वेंकट रमन तथा रामानुजम् जैसे प्रतिभावान वैज्ञानिक स्मरणीय हैं । 


श्लोक -२८

रामकृष्णो दयानन्दो रवीन्द्रो राममोहनः । 

रामतीर्थोऽरविंदश्च विवेकानन्द उद्यशाः ॥ 

भावार्थ -   रामकृष्ण परमहंस , स्वामी दयानन्द , रवीन्द्रनाथ ठाकुर , राजा राममोहनराय , स्वामी रामतीर्थ , महर्षि अरविन्द तथा स्वामी विवेकानन्द आदि ये सभी महापुरुष सदैव स्मरणीय हैं । 


श्लोक -२९

दादाभाई गोपबन्धुः तिलकोगांधिरादृताः  

रमणो मालवीयश्च श्री सुब्रह्मण्यभारती ॥ 

भावार्थ -   आदरणीय दादाभाई नौरोजी , गोपबन्धु दास , लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक , महात्मा गाँधी , महर्षि रमण , महामना मदनमोहन मालवीय तथा सुब्रह्मण्य भारती आदि सभी महापुरुष सदैव स्मरणीय हैं ।


श्लोक -३०

सुभाषः प्रणवानन्दः क्रांतिवीरो विनायकः

ठक्करो भीमरावश्च फुले नारायणो गुरुः ॥ 

भावार्थ -   नेता जी सुभाषचन्द्र बोस , प्रणवानन्द , क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर , ठक्कर बाप्पा , भीमराव आम्बेडकर , ज्योतिराव फुले तथा नारायण गुरु आदि सभी महापुरुष सदैव स्मरणीय हैं । 


श्लोक -३१

संघशक्तिप्रणेतारौ केशवो माधवस्तथा  

स्मरणीयाः सदैवैते नवचैतन्यदायकाः ॥ 

भावार्थ -   संघ - शक्ति के प्रणेता परम पूजनीय केशव बलिराम हेडगेवार तथा माधव सदाशिवराव गोलवलकर हिन्दू समाज में नवीन चेतना प्रदान करने वाले महापुरुष सदैव स्मरणीय हैं । 


श्लोक -३२

अनुक्ता ये भक्ताः प्रभुचरणसंसक्तहृदयाः । 

अनिर्दिष्टा वीरा अधिसमरमुद्ध्वस्तरिपवः  

समाजोद्धर्तारः सुहितकर विज्ञान - निपुणाः

नमस्तेभ्यो भूयात् सकलसुजनेभ्यः प्रतिदिनम् ॥ 

भावार्थ -   प्रभुचरण में अनुरक्त रहने वाले अनेक भक्त जो शेष रह गये , देश की अस्मिता और अखण्डता पर प्रहार करने वाले शत्रुओं को युद्ध में परास्त करने वाले बहुत से वीर जिनका नाम निर्दिष्ट नहीं है , तथा अन्य समाजोद्धारक , समाज के हितचिंतक तथा निपुण वैज्ञानिक एवं सभी श्रेष्ठजनों को प्रतिदिन हमारे प्रणाम समर्पित हों ।।  


श्लोक -३३

इदमेकात्मतास्तोत्रं श्रद्धया यः सदा पठेत् । 

स राष्ट्रधर्मनिष्ठावान् अखण्डं भारतं स्मरेत् ॥ 

भावार्थ -  इस एकात्मता स्तोत्र का जो सदा श्रद्धापूर्वक पाठ करेगा , राष्ट्रधर्म में निष्ठावाला वह व्यक्ति अखण्ड भारत का स्मरण करेगा ।


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