Tuesday 18 August 2020

India's role in literacy in hindi / विश्व साक्षरता दिवस 8 सितंबर / World Literacy Day 8 September /साक्षरता में भारत का स्थान एवं भूमिका

India's role in literacy in hindi / विश्व साक्षरता दिवस 8 सितंबर / World Literacy Day 8 September /साक्षरता में भारत का स्थान एवं भूमिका 

दोस्तों आरत ही नहीं पूरे विश्व में 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है। India's role in literacy in hindi इसका उद्देश्य है कि विश्व में साक्षरता जो कि किसी देश या पूरे विश्व की नीव तथा भविष्य माना जाता है उसको दर्शाना।World Literacy Day 8 September in hindi विश्व में शिक्षा के महत्व को दर्शाने और निरक्षरता को समाप्त करने के उद्देश्य से 17 नवंबर 1965 को यह निर्णय लिया गया, कि प्रत्येक वर्ष 8 सि‍तंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप मे मनाया जाएगा। और इसकी बारीकियों तथा कमजोरियों को मध्य नजर रखते हुए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना। India's role in literacy in hindi और हर समुदाय हर वर्ग तक शिक्षा को पहुंचाना और जो अत्यंत ही कमजोर देश है वहां के बच्चों को शिक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाना। 

सन 1966 में पहला विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया था।और इसकी उपलब्धि यह रही की लोग साक्षरता के प्रति जागरूक हुए, और वर्ष 2009-2010 को संयुक्त राष्ट्र साक्षरता दशक घोषित किया गया।World Literacy Day 8 September in hindi इसी के परिणाम स्वरूप आज तक पूरे विश्व में 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है। और इसकी सार्थकता तभी सिद्ध हो सकती है जब हम सभी अशिक्षित वर्ग को ऊपर उठाना,कहा गया है कि किसी देश या समाज का भविष्य वहाँ के नौजवानों पर निर्भर करता है,  इसीलिए हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हर वर्ग को शिक्षित करना है।

भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता एवं महत्व / Quality and importance of Indian education

शिक्षा पर होने वाले विमर्शों में आमतौर पर बात सिद्धांत को समझ कर खत्म हो जाता है। लेकिन एक प्रैक्टिशनर के लिए चुनौती हमेशा बनी रहती है कि वह आखिर सिद्धांत को व्यवहार में कैसे उतारे । उसके मुताबिक अपने व्यवहार को कैसे संचालित करे। इसी के अनुसार वर्ष 2011 की जनगणना के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार देश में अब 82.1 फीसदी पुरुष और 64.4 फीसदी महिलाएं साक्षर हैं। आंकड़े बहुत अच्छे नहीं है, क्योंकि महिलाओं की शिक्षा मे अभी भी काफी कमी है। लेकिन फिर भी इसमे उम्मीद की किरण जागी है, और पिछले 10 वर्षों में ज्यादा महिलाएं(4 फीसदी) साक्षर हुई हैं। पहली बार जनगणना आंकडों में इस बात के सकारात्मक संकेत भी मिले हैं कि महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषों की साक्षरता दर से 6.4 फीसदी अधिक है।और इन्हीं आंकड़ों से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि देश तरक्की की ओर अग्रसर है। लेकिन कुछ राज्य है जहां अभी भी लोग शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं हो पाए है,इसी कारण अरुणाचल प्रदेश और बिहार में अब भी सबसे कम साक्षरता है। वहीं केरल और लक्षद्वीप में सबसे ज्यादा 93 और 92 प्रतिशत साक्षरता है। केरल को छोड़ दिया जाए तो देश के अन्य शहरों की हालत औसतन है, जिनमें से बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की हालत बहुत ही दयनीय है। अब हमें इन राज्यों में लोगों को मुहीम करने की आवश्यकता है, ताकी हमारा भारत पूर्णं रूप से शिक्षित हो सके।

अब बात करे स्वतन्त्रता से पहले की तो 1947 में स्वतंत्रता के समय देश की केवल 12 प्रतिशत आबादी ही साक्षर थी। वर्ष 2007 तक यह प्रतिशत बढ़कर 68 हो गया और 2011 में यह बढ़कर 74% हो गया लेकिन फिर भी यह विश्व के 84% से बहुत कम है। भारत विश्व गुरू कहा जाता है,अर्थात विश्व को ज्ञान देने वाला है वहां साक्षरता दर सर्वाधिक होनी चाहिए।  2001 की जनगणना के अनुसार 65 प्रतिशत साक्षरता दर के साथ ही देश में 29 करोड़ 60 लाख निरक्षर हैं,जो आजादी के समय की 27करोड़ की जनसंख्या के आसपास हैं। भारत ने कयी प्रयास किए जिसके बलबूते पर आज भारतीय शिक्षा में काफी सुधार आया है।

भारतीय शिक्षा के 9 आधारभूत सिद्धांत / 9 Basic Principles of Indian Education

भारतीय लोकतान्त्रिक मूल्यों के अर्थ स्पष्टता के लिए यह समझना श्रेयस्कर होगा,और इससे यह भी स्पष्ट हो रहा होगा कि ये किस ओर संकेत करते हैं और प्रयासों की दिशा क्या हो सकती है या होनी चाहिए,जिससे भारतीय शिक्षा की गरिमा ऊंचाइयां मिली है। आइए जानते है वो 9 आधारभूत सिद्धांत-- 

1-  प्रभुत्व संपन्न/Dominated

लोगों को अपने से जुड़े हर मामले में फैसला करने का सर्वोच्च अधिकार है । कोई भी बाहरी व्यक्ति भारत की सरकार को आदेश नहीं दे सकता । 

2- समाजवादी/Socialist

समाज में सम्पदा सामूहिक रूप से पैदा होती है और समाज में उसका बंटवारा समानता के साथ होना चाहिए । सरकार जमीन और उद्योग - धंधों की हकदारी से जुड़े कायदे – कानून इस तरह बनाये कि सामजिक - आर्थिक असमानताएं कम हों । 

3- पंथ-निरपेक्ष / Secular

नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने की पूरी स्वतंत्रता है । लेकिन कोई धर्म आधिकारिक नहीं है । सरकार सभी धार्मिक मान्यताओं और आचरणों को समान सम्मान देती है । 

4- लोकतंत्रात्मक /Democratic

सरकार का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोगों को समान राजनैतिक अधिकार प्राप्त रहते हैं , लोग अपने शासन का चुनाव करते हैं और उसे जवाबदेह बनाते हैं । यह सरकार कुछ बुनियादी नियमों के अनुरूप चलती है । 

5- गणराज्य /Republic

शासन का प्रमुख , लोगों द्वारा चुना हुआ व्यक्ति होगा न कि किसी वंश या राज - खानदान का । 

6- न्याय /The justice

नागरिकों के साथ उनकी जाति , धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता । 

7- स्वतंत्रता /Freedom

नागरिक कैसे सोचें , किस तरह अपने विचारों को अभिव्यक्त करें और अपने विचारों पर किस तरह अमल करें , इस पर कोई अनुचित पाबंदी नहीं है । 

8- समता /Parity

कानून के समक्ष सभी लोग समान हैं । पहले से चली आ रही सामाजिक असमानताओं को समाप्त होना होगा । सरकार हर नागरिक को समान अवसर उपलब्ध कराने की व्यवस्था करे । 

9-  बंधुता /Fraternity

हम सभी ऐसा आचरण करें जैसे कि हम एक परिवार के सदस्य हों । कोई भी नागरिक किसी दूसरे नागरिक को अपने से कमतर न माने ।



अन्य सम्बन्धित लेख साहित्य----

और पढे

0 comments: