Wednesday 2 September 2020

उत्तराखंड के प्रसिद्ध पंचबद्री धामों का वर्णन /Description of famous Panchbadri Dham of Uttarakhand (आदिबद्री,वृद्धबद्री,भविष्यबद्री, योगबद्री,बद्रीनारायण) in uttrakhand G.K

उत्तराखंड के प्रसिद्ध पंचबद्री धामों का वर्णन /Description of famous Panchbadri Dham of Uttarakhand (आदिबद्री,वृद्धबद्री,भविष्यबद्री, योगबद्री,बद्रीनारायण) in uttrakhand G.K 

Shri Adi Vadri in hindi,Sri Vriddh Vadri in hindi,Shri Bhavishya Vadri in hindi,Shree Yoga Meditation Vadri in hindi, Mr. Vadrinarayan or Mr. Vadri Vishal (Badrinath) पंचप्रयागों का विस्तृत वर्णन  / पवित्र धाम पंचकेदार / uttrakhand G.K in hindi 

दोस्तों हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार हमारे भारत वर्ष में अनेकों तीर्थ स्थल है, जहाँ अनेकों शक्तियां विराजमान हैं। Panchbadri Dham of Uttarakhand in hindi और अपनी अलौकिकता तथा सुन्दरता से श्रद्धालुओ को अपनी ओर आकर्षित करता है । Shri Adi Vadri in hindi उन्हीं में से प्रसिद्ध है,पंच बदरी हिन्दू धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिने जाते हैं। यही नहीं उत्तराखंड में प्रसिद्ध पंचकेदार भी है,और पंचप्रयाग भी प्रसिद्ध है जो वर्षों से आस्था का केन्द्र बना हुआ है। भगवान 'श्रीबदरी नारायण', 'आदि बदरी', 'वृद्ध बदरी', 'योग-ध्यान बदरी' और 'भविष्य बदरी' को ही 'पंच बदरी' कहा गया है। Sri Vriddh Vadri in hindi ये पांचो देव सृष्टि की रक्षा के लिअए नियुक्त किए गये है। देवभूमि उत्तराखण्ड में बदरी-केदार (बद्रीनाथ धाम) का जितना महात्म्य बताया गया है, उतना ही पंच बदरी और पंच केदार का भी है। Shri Bhavishya Vadri in hindi यानी अगर आपको अपने जीवन की सभी इच्छाओं की पूर्ति करनी है तो आप इन पंचबद्री धामों के दर्शन अवश्य कीजिए।Panchbadri Dham of Uttarakhand in hindi क्योंकि ये सभी पंचबद्री मंदिर भी बदरी-केदार धाम के ही अंग हैं। हालांकि इनमें से कुछ स्थल साल भर दर्शनार्थियों के लिए खुले रहते हैं, लेकिन शेष में चारधाम के समान ही कपाट खुलने व बंद होने की परंपरा है।Shree Yoga Meditation Vadriसर्वार्थसिद्ध और मनोकामना को पूर्ण करने वाले ये पंचबद्री धाम और मोक्षदा प्रदान करने वाले पंचकेदार तथा वैकुण्ठ का मार्ग दिखाने वाले पंचप्रयागों का दर्शन सभी शिव, विष्णु व अन्य देवो के भक्तों को इनके दर्शन अवश्य करने चाहिए तभी जीवन सार्थक हो सकेगा।

1- श्री आदि वद्री - Shri Adi Vadri

आदि बद्री भगवान विष्णु को समर्पित जो की उत्तराखंड के  चमोली जिले में कर्णप्रयाग से 18 कीमी आगे है। यहाँ कयी मंदिरों की श्रृंखला है। जिनका इतिहास गुप्तकाल से चला आ रहा है। और इन मंदिरों का निर्माण पांडुवों द्वारा कराया गया था। आदिबद्री का इतिहास यह है कि पांडवो को आदेश हुआ था की मंदिर का निर्माण केवल रात के समय होना है दैन में नही लेकिन किसी व्यक्ति ने रात के समय कार्य करते हुए देख लिया था । जिस कारण पांडवों ने मंदिर का निर्माण रोक दिया इसी लिए इसका नाम आदि बद्री पढा। इस बद्रीधाम का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह मंदिर पंडाल तथा अलकनंदा नदियोंके सगम पर स्थित है। मान्यता है कि पहले यहाँ 16 मंदिरों की श्रृंखला थी जो अब कुल 14 ही बचे है। यहाँ वर्ष भर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है। 

 2- श्री वृद्ध बद्री - Sri Vriddh Vadri

उत्तराखंड का प्रसिद्ध धामों में से एक बद्रीनाथ धाम से पहले पढता है , जो कि जोशीमठ से 7 कीमी आगे है। यहां भगवान विष्णु की पवित्र मूर्ति है और इनकी पूजा प्राचीन समय से की जा रही है। एक मान्यता यह भी है कि नारद मुनि ने भगवान विष्णु को प्रशन्न करने हेतु तपस्या की थी। और इस वृद्ध बद्री मान्यता हैं कि भगवान बद्री पहले इसी स्थान पर रहते थे। इस मंदिर का निर्माण विश्वकर्मा द्वारा किया गया था। यह मंदिर पूरे साल भर खुला रहता है।

सीधी भाषा में कहे तो यह वृद्ध वद्री पीपलकोटी - जोशीमठ मार्ग पर अनीमठ में स्थित हो जो प्राकृतिक सौन्दर्य को संजोये हुए है।

3- श्री भविष्य वद्री - Shri Bhavishya Vadri

यह पवित्र स्थान भी चमोली जिले के जोशिमठ मे स्थित है, प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण आदि गुरू शंकराचार्य जी ने कराया था। और खास ब्त यह है कि यह मंदिर प्रकृति की गोद में समाहित है यानी यह मंदिर घनाघोर जंगल में स्थित है। जहां पर साल के 12 महीनों में विष्णु के नर्सिंग अवतार की पूजा की जाती है। और पहुंचने के लिए श्रद्धालुओ को पैदल मार्ग भी तय करना पढता है। 

4- श्री योग ध्यान वद्री - Shree Yoga Meditation Vadri 

यह स्थान भी भगवान् विष्णु को समर्पित है जहाँ पर भगवान् विष्णु की योगध्यान मुद्रा वाली मूर्ती स्थापित है इसीलिए इस बरद्री धाम का नाम योग ध्यान बद्री पढा। यह स्थान उत्तराखंड के अलकनंदा नदी के किनारे गोविंद घाट पर स्थित है। मान्यता यह भी है कि इसी स्थान पर पांडु और कुंती ने विवाह रचाया था ।इस स्थान की समुद्र तल से ऊंचाई है लगभग 1920 मीटर है। इस मूर्ति की स्थापना पांडवों के पिता पांडु ने कराई थी ।

यह स्थान जोशीमठ से २४ किमी  पांडुकेश्वर नामक स्थान में स्थित है।

5-  श्री वद्रीनारायण अथवा श्री वद्री विशाल (बद्रीनाथ) Mr. Vadrinarayan or Mr. Vadri Vishal (Badrinath)

जी हां हम बात कर रहे है प्रसिद्ध धाम बद्रीनारायण की। जो की उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है जो कि पतित पावनी धरती कही गयी है। यह बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। जो कि विष्णु भगवान् जी का पवित्र एवं मोक्षदा प्रदान करने वाला स्थान माना गया है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3133 मीटर है। खास बात यह है कि यह पवित्र केवल छ माह तक ही श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है, क्योंकि यह धाम छ माह तक बर्फ से पूरा ढका रहता है। और सबसे रहस्यमय बात यह है कि छ माह कपाट बंद रहने के बावजूद भी यहाँ दीपक जलता रहता है जबकि मंदिर कोई भी नहीं रहता है। ये भगवान् विष्णु की ही शक्ति का असर है। 

मान्यता यह है कि छः माह कपाट बन्द होने पर भगवान विष्णु  की पूजा पांडुकेश्वर व जोशिमठ स्थित गरसिंह मंदिर में ही होती है। एक रहस्य यह भी है कि इस मंदिर को प्राकृतिक आपदा ने कयी बार मिटाने का प्रयास किया किन्तु मिट न सका । यह पवित्र धा दो पहाडियों के बीच में है जिनका नाम है, नर और नारायण है , भगवान विष्णु ने इन्ही नर और नारायण के अवतार के रूप में तपस्या की थी ।  

तो चलिए आप भी हमारे प्यारे,  एवं प्राकृतिक सुन्दरता व सौन्दर्य से ओत-प्रोत और धार्मिक स्थलों, रोमांचक पर्यटन स्थलों, व मनमोहक झरने तालाबों व बुग्यालों के दर्शन के लिए अवश्य आइये। क्योंकि जीवन केवल एक बार ही मिलता है , और इस जीवन में भी अगर तीर्थयात्रा, सद्कर्म न किए तो मानव जीवन लेना बेकार है।


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