Thursday 3 September 2020

In Uttarakhand G.k/ उत्तराखंड के प्रसिद्ध वन्यजीव विहार एवं उत्तराखंड के अभ्यारण्य (प्रमुख जीवों का संरक्षण)/ Famous wildlife sanctuaries of Uttarakhand and sanctuaries of Uttarakhand (conservation of major organisms)

In Uttarakhand G.k/ उत्तराखंड के प्रसिद्ध वन्यजीव विहार एवं उत्तराखंड के अभ्यारण्य (प्रमुख जीवों का संरक्षण)/ Famous wildlife sanctuaries of Uttarakhand and sanctuaries of Uttarakhand (conservation of major organisms)

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दोस्तों हमारा प्यारा उत्तराखंड जो देवताओं का प्रसिद्ध स्थान माना गया है। उत्तराखंड एक अद्भुत पर्यटन स्थल है। सैलानियों को हर सीजन में अपनी ओर आकर्षित करता है।in uttrakhand G.K ऊंची-ऊंची पहाड़ियों के बीच खुद को फिर से जीवंत करने के लिए हर साल हजारों लोग वहां जाते हैं।यहाँ सुन्दरता और प्रकृति-प्रेम तथा सर्वस्व न्योछावर करने वाली धरा मानो स्वर्ग सा प्रतीत होती है। उत्तराखंड में पहाड़ पौधों और जानवरों की दुर्लभ प्रजातियों का घर हैं जो अभयारण्यों और भंडार द्वारा संरक्षित हैं।Binog Mountain Quail Wildlife Sanctuary in hindi क्योंकि उत्तराखंड के लोग मृदुल एवं शांत स्वभाव के होते है और जीवों पर दया करने वाले होते है।उत्तराखंड क्षेत्र के प्रमुख अभयारण्यों और भंडार जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, गोविंद राष्ट्रीय उद्यान, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान और असन बैराज पक्षी अभयारण्य हैं।आदी कयी ऐसे संरक्षण केन्द्र है जो एक पर्यटन स्थल का केन्द्र बने हुए है।Binog Mountain Quail Wildlife Sanctuary in hindi 

उत्तराखंड अपनी संस्कृति और सभ्यता को संजोये हुए, और विरासत के रूप में मिले इन जीवों, जानवरों तथा पालतु पशुओं में अपना जीवन समाए हुए है।Ascot Musk Deer Viharin hindi यहाँ पाए जाने वाले सबसे आम जानवर जंगली भेड़, बकरी, बैलों, मृगों और तितलियों हैं, लेकिन दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवर जैसे कि मस्क हिरण, हिम तेंदुआ, घोराल्स और मोनाल भी यहां पाए जाते हैं।जितनी खूबसूरत यह धरती है उतने ही सुन्दर यहाँ के जीव-जन्तु , पशु-पक्षि भी है।Vincer Wildlife Vihar in hindi 

जहां जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों की रक्षा के लिए एक आरक्षित क्षेत्र के रूप में ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित, आज कोई भी उन्हें अपने प्राकृतिक आवास में देख सकता है।और वहीं नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल का नाम दिया है। Govind Wildlife Vihar in hindi चूंकि फूलों की घाटी पूरी तरह से खिलने पर कश्मीर से मिलती है, यानी उत्तराखंड हर रूप से धरती का स्वर्ग माना जाता है,और लोगों को यहाँ आकर आभास हो जाता है कि मानो उनको मोक्ष प्राप्त हो गया हो।in uttrakhand G.K 

1- नदि वन्य जीव विहार - Sona Nadi Wildlife Sanctuary

पौडी- गढवाल में 301 वर्ग कीलोमीटर में फैले इस वन्य जीव विहार की स्थापना सन् 1987 में हुई । यहां हाथी , शेर , सांभर ,गुलदार, चीतल, काकड , अजगर , मगर , घडियाल आदि पाये जातें है । यह विहार 15 नवम्बर से 15 जून तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है । इसका मुख्यालय लैन्सीडौन में है । 

2- अस्कोट कस्तूरी मृग विहार - Ascot Musk Deer Vihar

 पिथौरागढ़ जिले में 600 वर्ग कीलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस विहार की स्थापना सन् 1986 में हुई । यहां हिम बाग , रीछ , लाल भालू , भरल , घार , कस्तूरी मृग आदि वन्य जीव पाये जातें है । यहां कोकलास , फीजेण्ट , मोनाल , पहाडी तितर , हिमायन स्नोकॉक , ट्रेगोपान आदि पक्षी पाये जाते है । यहां आने का सर्वोत्तम समय अप्रैल से नवम्बर तक है । इसका मुख्यालय पिथोरागढ में है । 

3- बिनोग माउण्टेन क्वेल वन्य जीव विहार - Binog Mountain Quail Wildlife Sanctuary

१ ९९ ३ में स्थापित ३३ ९ .७४ वर्ग कीलोमीटर में फैला यह जीव विहार मसूरी के समीप है । यहां घुरल , काकड , बन्दर , सेही , सुअर , भालू , गुलदार आदि वन्य पशु पाये जाते है । विलुप्त घोषित माउण्टेन क्वेल ( काला तीतर ) को अन्तिम बार यहीं देखा गया था । यहां तीतर , वटेर , चकोर , जंगली मुर्गा आदि पक्षी पाये जाते है । यहां साल में दो बार मार्च से जून तथा सितम्बर से नवम्बर तक आया जा सकता है । इसका मुख्यालय देहरादून स्थित राजाजी राष्ट्रीय पार्क में स्थित है । 

4- गोविन्द वन्य जीव विहार -Govind Wildlife Vihar

1955 ई . में स्थापित यह विहार उत्तरकाशी जिले में 957.97 वर्ग कीलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है । यहां हिम बाग , कस्तूरी मृग , भरल , हिमालयन घार , गुलदार , चीता , बिल्ली , काला एवं भूरा भालू , काकड , सांभर , सेही आदि वन्य जीव पाये जाते है । इस विहार में 15 अक्तुबर से 15 जून तक का समय पर्यटकों के लिए सर्व श्रेष्ठ है । विहार का मुख्यालय देहरादून स्थित राजाजी नेशनल पार्क में है । 

5- विन्सर वन्य जीव विहार -Vincer Wildlife Vihar 

तेंदुआ , काला भालू , घुरल , काकड , जंगली बिल्ली के लए प्रसिध्द यह वन्य जीव विहार अल्मोडा जिले में 46 वर्ग कीलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है । सन् 1988 ई . में स्थापित इस विहार में अप्रैल से जून मध्य तथा सितम्बर से अक्तुबर तक पर्यटक भ्रमण कर सकतें है । इसका मुख्यालय अल्मोडा में है । 

6- केदार नाथ वन्य जीव विहार - Kedar Nath Wildlife Vihar

केदार नाथ यात्रा मार्ग के चारों ओर स्थित इस वन्य जीव विहार की स्थापना सन् 1972 ई . में हुई । चमोली और रूद्रप्रयाग जिलों के केदारखण्ड क्षेत्र में यह 957 वर्ग कीलोमीटर में फैला हुआ है । यहां हिम तेंदुआ , हिमालयन काला और भूरा भालू , जंगली सुअर , लोमडी , गीदड , पहाडी चूहा , कस्तूरी मृग आदि वन्य जीव पाये जाते है । चकोर , गोल्डन ईगल , मोनाल , कोकलास , कलीज आदि पक्षियों की प्रजातियां यहां मौजूद है । यहां अप्रैल से जून मध्य एवं सितम्बर से अक्तूबर तक आया जा सकता है । इसका मुख्यालय गोपेश्वर जिला चमोली में स्थित है । 

7- भारत रत्न पं . गोविन्द वल्लभ पन्त उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान - Bharat Ratna Pt.  Govind Vallabh Pant High Terrestrial Zoological Park

यह उत्तरांचल का एक मात्र प्राणी उद्यान है । नैनीताल जिले में स्थित यह प्राणी उद्यान 4693 हेक्टर में फैला हुआ है । सन् 1995 ई . में स्थापित इस प्राणी उद्यान में साइबेरियन टाइगर , लैपर्ड , जंगली बिल्ली , सिवेर कैट , भेडिया , तिब्बती भेडिया , पर्वतीय लोमडी , पहाडी काला भालू , सांभर , सिमाडियर , घुरल , बन्दर आदि विभिन्न प्रजाती के वन्य पशु है । प्राणी उद्यान में अभी अनेक उच्च स्थलीय वन्य जन्तुओं जैसे लाल पाण्डा , स्नो लैपर्ड आदि लाने के प्रयास चल रहें है । यहां आने का सर्वोत्तम समय ग्रीष्म ऋतु है । इसका मुख्यालय नैनिताल में स्थित है ।


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