जानिए क्या है दहेज के दुष्परिणाम,अर्थ,उन्मूलन/Know what are the side effects of dowry, meaning, eradication-भारतीय समाज में दहेज प्रथा /Dowry system in Indian society
दहेज प्रथा भारत ही नही अपितु पूरे मानव समाज में एक घातक राक्षस का रूप धारण कर रहा है। कई कानून बनने के बाद भी आज लोगों की सोच नही बदल पायी है। आइए जानते है क्या है दहेज प्रथा?What is dowry system in hindi, दहेज प्रथा को रोकने के उपाय क्या है?What are the ways to stop dowry in hindi,दहेज का अर्थ Meaning of dowry in hindi है जो सम्पत्ति, विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ़ से वर को दी जाती है। दहेज को उर्दू में जहेज़ कहते हैं। यह प्रथा पूरे विश्व में अपना पांव पसार रही है। भारत ही नहीं यूरोप,अफ्रीका और दुनिया के अन्य भागों में दहेज प्रथा का लंबा इतिहास है। हमारे देश मे इस प्रथा की भी कयी प्रजातियां है। भारत में इसे दहेज, हुँडा या वर-दक्षिणा के नाम से भी जाना जाता है तथा वधू के परिवार द्वारा नक़द या वस्तुओं के रूप में यह वर के परिवार को वधू के साथ दिया जाता है। आज के आधुनिक समय में भी दहेज़ प्रथा नाम की बुराई हर जगह फैली हुई है। पिछड़े भारतीय समाज में दहेज़ प्रथा अभी भी विकराल रूप में है।और संकट का विषय बना हुआ है कि इसे कैसे रोका जा सके, लोगों के अन्दर अच्छी शोच का विकास कैसे करें।
दहेज प्रथा के दुष्प्रभाव व समाधान /Side effects and solutions of dowry
भारतीय पौराणिक कथाओं में विवाह के अवसर पर वधू के माता पिता द्वारा दिये जाने वाले उपहारों का वर्णन मिलता है । श्री राम के विवाह के अवसर पर राजा जनक ने भव्य उपहार दिये थे । पहले ये उपहार अपनी इच्छा से दिये जाते थे लेकिन आज इस प्रथा ने विकृत रूप धारण कर लिया है ।
दुर्भाग्य से आजकल दहेज का प्रचलन बढ़ता जा रहा है । पढ़ी लिखी कमाती हुई लड़कियों के माता - पिता से भी लाखों रूपया , कार , घर का सामान आदि माँगा जाता है ।जबरदस्ती से मांगा धन लड़की पक्ष को लाचार बना देता है ।
दहेज न मिलने पर लड़कियों पर अत्याचार किए जाते हैं , उन्हें जला तक दिया जाता है । एक ओर तो लड़कियों को उनके माता - पिता पढ़ा लिखा कर कमाने योग्य बनाते हैं उस पर भी लाखों रुपये विवाह के अवसर पर व्यय करने के लिए उन्हें कर्ज तक लेना पड़ता है । दहेज के अभाव में योग्य कन्याओं को अयोग्य वर मिलते हैं । दहेज घर की शांति चैन हर लेता है । वर पक्ष के लोगों की माँग पूरी करते - करते वधू पक्ष परेशान हो जाते हैं ।
दहेज प्रथा को रोकने के लिए सरकार ने कड़े - कदम उठाए हैं । धन लोलुप लोगों को आजीवन कारावास भोगना पड़ता है । लेकिन इस कुप्रथा को जड़ से समाप्त करने के लिए लड़कियों तथा लड़कों को मिलकर आगे आना होगा । लड़कियों को चाहिए कि वे पढ़े लिखे तथा नौकरी कर आत्मनिर्भर बनें । लड़कों को चाहिए वे लालचवश दूसरे से माल हड़पने की लालसा छोड़े तथा ऐसा करने वाले युवकों के खिलाफ आन्दोलन छेड़ दें ।
दहेज प्रथा निषेध विधेयक की जानकारी जन जन तक पहुँचाएं और खुलकर दहेज का विरोध करें ।तभी भारतीय समाज और भारतीय परम्परा का विकास हो सकेगा।
दहेज प्रथा उन्मूलन के लिए जरूरी कदम उठाएं /Take necessary steps to eradicate dowry
दहेज प्रथा समाज का वह अभिशाप है जो दो परिवारों सहित समाज को भी शोषित करता है।आप कुछ बातों को अपना कर समाज से इस बुराई को मिटा सकते है,और नारी सम्मान मे योगदान दे सकते है।
1- अपनी बेटियों को बेटों के समान शिक्षित करें।
2- बेटियों की भावनाओं को समझें और उन्हें प्रोत्साहन करें।
3- उन्हें अपने कैरियर चुनने का अवशर दे तथा उन्हें प्रोत्साहित करें ।
4- उन्हें स्वतंत्र और जिम्मेदार होना सिखाएं।
5- बेटियों को आत्मरक्षा और स्वः अधिकार का पाठ पढाते रहें।
6- अपनी बेटी के साथ बिना किसी भेदभाव के समानता का व्यवहार करें।
7- बेटियों को भी जिम्मेदारी व घर के कार्यों में भाग लेने का अवसर दें।
8- दहेज देने या लेने की प्रथा को प्रोत्साहित न करें।
9- बेटियों को दहेज आधारित घटनाओं से अवगत कराएं तथा उन्हें बचने का मार्ग बताएं ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अन्य सम्बन्धित लेख साहित्य-----
- भारतीय सैनिक कविता संग्रह
- भारत की तेजस्वी वीरांगनाएँ नारियां
- भारतीय नारी संस्कारों की जननी
- विवाह या व्यापार
- महाराणा प्रताप motivationl
- सफलता पाने का रहस्य
- मां की महानता/मां के उपकार
- महिला शसक्तिकरण/महिला अधिकार
- विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर)
अन्य सम्बन्धित लेख साहित्य---
- रामायण के 40 गुप्त रहस्य
- महाभारत के 17 अनसुने रहस्य
- रामायण की कथा हिन्दी में
- निरोगी तथा स्वास्थ्य जीवन जीने के उपाय
- केदारनाथ कैसे जाएं, केदारनाथ के 10 रहस्य
- सूर्य स्नान और सूर्य नमस्कार के फायदे
- हल्दी के प्रभावशाली गुण व फायदे
- तुलसी के फायदे व गुण
- अपने लक्ष्य को कैसे पहचाने
- गरूडपुराण के रहस्यमय श्लोक
- हनुमान चालीसा अर्थ सहित
0 comments: