Friday 18 September 2020

women's Day in hindi/नारी जीवन में सास-बहू के अतुलनीय प्रेम की कहानी /Story of incomparable love of mother-in-law in female life/ नारी जीवन में संस्कार /Sanskar in women's life

women's Day in hindi/नारी जीवन में सास-बहू के अतुलनीय प्रेम की कहानी /Story of incomparable love of mother-in-law in female life/ नारी जीवन में संस्कार /Sanskar in women's life

दोस्तों हम सभी की नीव नारी ही होती है,नारी का जीवन women's life in hindi वास्तव में कष्ट भरा है,किन्तु प्रेम की अनुयायी भी कही गयी है। नारी ही संस्कारों की जननी है,Sanskar in women's life in hindi नारी के बिना परिवार व समाज अधूरा हैं। और सास-शसुर के साथ प्रेम से रहे तो वे माता पिता के रूप बन जाते है। women's Day in hindiआज हम आपके लिए नारी जीवन से सम्बन्धित तथा पारिवारिक जीवन से सम्बन्धित ऐसी भावप्रद,(Emotional) करूणामयी,(Compassionate) ममता भरी,(Motherly)तथा दुनियााँ को सी देने वाली (World seer in hindi) प्रेम कहानी (love story in hindi)लेकर आए है। सास-बहू की प्रेम कहानी ( Mother-in-law's love story in hindi) लेकर आए आए।अमूमन हर किसी स्त्रि का सपना होता है कि उसे ऐसी सास मिले जो उससे प्रेम करे,लेकिन शादी के बाद न जाने क्या हो जाता है,दोनों रिश्तों में  अन-बन बनी रहती है। तो इसी सास-बहू के रिश्ते Mother-in-law relationship in hindi को मजबूत करने के लिए हम एक ऐसी सास-बहू के प्रेम की दास्ताँ Mother-in-law's love story  in hindi बताने जा रहे है जो आपके परिवार के रिश्ते Family relationships in hindi को मजबूती देने वाली है।

सास-बहू के प्रेम की कहानी/Mother-in-law's love story

यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित है एक लडका जो कि अपनी माता से बहुत प्रेम करता था पिता फौजी रिटायर होने के बाद घर में ही रहते थे। और बेटे को पढने के लिए दिल्ली भेज दिया कुछ सालों बाद लडके की पक्की नौकरी लग गयी और वह दिल्ली में ही रहने लगा। माता-पिता को बार-बार फोर्स किया की गांव छोडकर वे दोनों उसी के साथ रहे ,किन्तु माता-पिता नही माने। इसी बीच बेटे का प्रेम प्रसंग चल रहा था। जो कि माता-पिता पिता इस बात के सख्त खिलाप थे, वे ऐसी शादी को नही मानते थे। 

लेकिन बेटे ने माता-पिता को बिना बताये शादी कर दी । जब बेटा कयी शालो बाद घर नहीँ आया तो माता-पिता वहीं पहुंच गये। लेकिन उनको क्या पता था कि वे अपना दुख हल्का करने नहीं बल्कि बढाने जा रहे है। फिर भी माता-पिता का पुत्र प्रेम जाग उठा और इसी रिश्ते से सन्तोष होना पढा। 

लेकिन बहू का ब्रताव सही नही था। वह दूसरे दिन से ही उन्हे ताना मारने लगी। कहने लगे, अनपढ,गंवार , जाहिल आदी कयी शब्दों से पुकारने लगे।

लेकिन माता पिता करते भी क्या अपने बच्चे के खातिर सब कुछ सहते रहे,क्योंकि उनका बेटा बहुत खुश था। माता-पिता कुछ दिनों तक सबकुछ सहते रहे और फिर गांव चले गये बेटे ने बार-बार मना किया फिर भी न माने। कुछ दिनों तक सब शान्त रहा।

फिर अचानक एक दिन बेटे का फोन आता है कि आप बहुत दिनो से हमारे पास नही आए,तो आप कल ही आ जाइए। अब बेटे की बात कैसे टाल सकते थे। लेकिन अन्दर से बहू के ब्रताव का डर भी सता रहा था। फिर भी माता पिता वहाँ पहुँच गये ,बहू ने उनको स्वागत किया,और पानी पीने को दिया। माता-पिता दंग रह गये और सोचने लगे कि बेटे के सामने ऐसा कर रही है। बहू ने ससुर के लिए पानी गरम किया और सास को भी अपने हाथों  से नहलाया। फिर अच्छा सा खाना बनाकर बहू सास-ससुर के पास बैठकर दोनों के पांव दबाने लगी। माता-पिता कुछ समझ नहीं पा रहे थे। 

वह सास-ससुर की अच्छी प्रकार से सेवा करने लगी। आखिर ससुर ने कुछ दिनों बाद बहु से पूछ ही लिया कि बेटी जब हम पहली बार यहाँ आए थे तो आपका व्यवहार डाइन (अच्छा नही था) लेकिन अब आपको देखकर लगता है मानो आप बहू नही हमारी बेटी हो।जानते हो फिर बहू ने क्या कहा ----

( पिता जी सच में मै आज समझ पायी हूँ की सास-ससुर ही दूसरे माता-पिता होते है। और जैसा मै आपके साथ करूंगी वैसा ही मेरे सा भी होगा। क्योंकि कुछ महीने पहले मेरे भाई की शादी हुई और भाभी बहुत ही दुष्ट किस्म की है। माता-पिता को हर बार गाली गलौज करती है। इसीलिए मैने सोचा कि अगर मै, आपके साथ अच्छा व्यवहार करूंगी तो सायद उसका आशीर्वाद के स्वरूप मेरी भाभी का भी स्वभाव बदल जाए और वह भी मेरे माता-पिता को प्रेम करे।) 

बहु की बातें सुनकर दोनों माता-पिता ने उसे बाहों में भर दिया और कहा कि अब आपकी माता पिता के साथ भी जरूर अच्छा होगा।

दोस्तों सही कहा गया है कि हम रिश्तों को जिस नजर और कायदे से देखते है हमारे, साथ वही घठित होता है। रिश्तों को आप जितनी मजबूती दोगे उतनी ही रिश्तों की अहमता बढती जाएगी। आप सभी भी रिश्तों की गहराई को समझे, रिश्तों की भावनाओं को समझे तभी आपका जीवन सफल हो पाएगा। 

(जैसा दोगे, वैसा ही पाओगे।)


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