Monday 7 September 2020

कब,क्यों, कैसे करें करवा-चौथ का व्रत /When, why, how to fast Karva Chauth, करवा-चौथ का महत्व, पूजन विधि एवं मंत्र /Importance of Karva-Chauth, worship method and mantra

कब,क्यों, कैसे करें करवा-चौथ का व्रत /When, why, how to fast Karva Chauth, करवा-चौथ का महत्व, पूजन विधि एवं मंत्र /Importance of Karva-Chauth, worship method and mantra

नमस्कार दोस्तों हिन्दू धर्म में कयी ऐसे पौराणिक व्रत त्यौहार है जो हमारी संस्कृति और सभ्यता को दर्शाती है, Pooja vidhi of karwachauth in hindi भारत में पेड-पौधे,पहाड़, झरने,तालाब,वनस्पतियां, पत्थर आदी सभी पूजे जाते है,क्योंकि हम भारतीयों की आस्था व विश्वास इतना मजबूत है कि मनुष्य को मृत्यु के द्वार से भी वापस ला सकते है।और इसी आस्था व विश्वास का एक पवित्र व सौभाग्यशाली व्रत है।Karwachauth Poojan in hindi करवा-चौथ का जो कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान हमारे शास्त्रों में  है। इस व्रत को सुहागिन स्त्रियाँ अपने पती की लम्बी आयु के  लिए करती है। और जो विवाह योग्य है,या किसी का समर्पित प्रेम-प्रसंग चल रहा तो वे भी इस व्रत को रखती है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। यह व्रत स्त्रियों का सबसे पवित्र व महत्वपूर्ण व्रत माना गया है,हर स्त्री इस व्रत के लिए महीनों पहले से ही तैयारी करने में जुट जाती है। Pooja vidhi of karwachauth in hindi यह व्रत कम से कम 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। इसे रोकना अपशगुन माना जाता है,अगर आपके यहाँ सूतक है फिर भी इसके विधान को करना ही पढता है। Karwachauth Poojan in hindi 

जब इस व्रत की अवधि पूरी होती है,तो उसके पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है।और शास्त्रों के अनुसार जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। यह व्रत प्रेम के अटूट बन्धन को मजबूती देता है। इसीलिए सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षार्थ के लिए इस व्रत का सतत पालन करें।और पती की लम्बी उम्र की कामना करती है व हमाशा सुहागिन रहने का वरदान मांगती है । Karwachauth Poojan in hindi

शास्त्रों के अनुसार करवा-चौथ /Karva-Chauth according to scriptures

भारत देवभूमी है और यहाँ वास्तव में आज भी यहाँ देवता निवास करते है,क्योंकि हमारी आस्था और मान्यताएँ जुडी हुई है। इसीलिए हिंदू धर्मग्रंथों, पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रादि के अनुसार हर महीने कोई न कोई उपवास, कोई न कोई पर्व, त्यौहार या संस्कार आदि आता ही है,भारत में हर वर्ष, हर महीने, हय दिन त्यौहार ,व्रत व उपवास है। लेकिन हमारे शास्त्रों में कार्तिक मास को अधिक महत्व दिया गया है,कार्तिक महात्म्य का जितना महत्व है उसी प्रकार महिलाओं के लिए करवा-चौथ का है जो कि कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आती है,और इसका उपवास किया जाता है। इस व्रत का सुहागिन स्त्रियों के लिये बहुत अधिक महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन यदि सुहागिन स्त्रियां उपवास रखें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन सुखद होने लगता है। लगभग यह सम्पूर्ण भारत में बडी आस्था के साथ मनाया जाता है।  फिर भी कुछ राज्यों में इसे अधिक महत्व दिया गया है -- उत्तर भारत खासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि में तो इस दिन अलग ही नजारा होता है। ऐसा प्रतीत होता है। मानो सारी सुहागिनो का एक साथ स्वयंवर हुआ होगा।

करवा का महत्व व अर्थ /Importance and Meaning of Karva

इतना तो हम जानते ही है कि भारत में हर त्यौहार का अलग महत्व है। उसी प्रकार से करवा चौथ का ई अपना ही महत्व है।करवा चौथ के पूजन में धातु के करवे का पूजन श्रेष्ठ माना गया है।क्योंकि आजकल आर्टिफिशियल या मिट्टी के करवे मिल जाते है जिसका उतना महत्व नहीँ है।करवा चौथ व्रत विधान भी बताया गया है,और विधि विधान से की गयी पूजा ही सार्थक मानी जाती है।व्रत रखने वाली स्त्री को नित्यकर्म के बाद संकल्प लेकर यह कहे कि मैं अपने सौभाग्य एवं पुत्र-पौत्रादि तथा निश्चल संपत्ति की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत करूंगी।  इस व्रत का महत्व इसलिए भी माना गया है क्योंकि इसमें शिव-पार्वती, कार्तिकेय और गौरा का पूजन करने का विधान बताया गया है।चंद्रमा, शिव, पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और गौरा की मूर्तियों की पूजा करने से अधिक लाभ व महत्व इस व्रत से मिलता है।


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