Happy New Year poem in hindi नव वर्ष पर कविता
दोस्तों हर कोई चाहता है कि उसके नये साल की शुरुआत अच्छी तरह से हो और उसके जीवन मे आने वाला नया सवेरा, नयी उमंगे और नए साल के उपलक्ष में नव वर्ष पर कविता प्रस्तुत कर रहे हैं। आशा है कि नव वर्ष की ये कवितायें आपके मन को छू लेंगी क्यूंकि सभी कविताओं में नववर्ष की सुन्दरता और इसके महत्व को दर्शाया गया है। लेकिन इस कविता में भारतीय संवत्सर की महता व उपयोगिता बतायी गयी है।
करके इरादा मजबूत हमें अब,
अपने लक्ष्य को पाना है ।
भूल के अंग्रेजी न्यूयर को,
हमें चैत्र संवत्सर को अपनाना है।
ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं,
है अपना ये त्यौहार नहीं ।
भूल के रीति-रिवाजों को,
हम क्यो विदेशी गुलाम बने ।
पेडों के पत्ते सब उजड गये,
सब फूल बाग भी मुरझाए।
ऐसा संवत्सर क्यों मान करें हम,
जिसमें न कोई उमंगें हो।
पौष मास के नव वर्ष में,
है कहाँ वो हर्ष उल्लास भरा ।
जो चैत्र मास के संवत्सर में है,
धरा भी खुशबू से महक रही।
जिस वर्ष का आरम्भ हो काला,
हो सर्द हवाओं का आतप ।
हर कोई घरों में दुबक रखा,
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीँ।
जब आयी उमंग धरा में हो,
तब बाग-बगीचे महक उठे ।
हो युक्ति प्रमाण से स्वयं प्रसिद्ध,
नव वर्ष हमारा प्रसिद्ध बने।
भारत की रीत पुरानी है,
हर मन में गीत सुहाना है।
जब योगों में भी महायोग बने,
उस संवत्सर को अपनाना है।
करके इरादा मजबूत हमें
अपने लक्ष्य को पाना है।
भूल के अंग्रेजी न्यूयर को,
हमें चैत्र संवत्सर को अपनाना है।
अरूण सेमवाल
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