Thursday 4 February 2021

How To Control your Mind मन पर काबू कैसे करें? क्या है मन? मन के 3 अहम प्रकार

How To Control your Mind मन पर काबू कैसे करें?  क्या है मन? मन के 3 अहम प्रकार

दोस्तों नमस्कार आज हम बात कर रहे है, जीवन के सबसे महत्वपूर्ण टोपिक पर जिसका नाम है मन Mind जिससे लगभग सभी परेशान रहते है, लोग करना तो बहुत कुछ करना चाहते है,किन्तु हमारा चंचल मन हमे वह करने के लिए प्रेरित नहीं करते है। Control mind in Hindi मन को कैसे कंट्रोल करें? हम हमेशा यही सोचते है। हमारे मन को स्थिरता कैसे मिले? मन को काबू कैसे करें? मन को एकाग्र कैसे करें?How to concentrate the mind in hindi कहा जाता है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। मन अगर किसी के अपने वस में है तो सभ पर विजयी पा सकता है। कुछ चीजें हमारे जीवन में कयी (phrase Life) कई माइनें रखता है।और इनकी सत्यता पर कोई संदेह नहीं है क्योंकि सब कुछ मन और इंद्रियों के कारण ही होता है। लेकिन यह सबके साथ नहीं होता है। वास्तव में मन भटकने के कई कारण होते हैं, इसमें वातावरण,और आपके अतीत की घटनाओं (old memories in life) सहित कई अन्य चीजें भी शामिल होती हैं। जो हमारे मन को भटकने के लिए मजबूर करती है। मन की गति क्या है? मन क्यों भटकता है? मन के क्या लक्षण है? मन के कितने प्रकार है? इस बारे मे हम जानने का प्रयास कर रहे है। 

मन के प्रकार /Type of mind

हमारे शास्त्रों में मन के तीन प्रकार मानी गयी है। और इसी के अनुसार हमारे जीवन में घटनाएं घटित होती है। 

1- चेतन मन 

2- अचेतन मन

3- अर्द्ध चेतन मन 

व्यक्तित्व की दृष्टि से भी इसके ती प्रकार माना गया है। 

1- इदं (Id)

2- अहं (Ego) 

3- परम-अहम (super Ego) 

1- इदं (Id)

इदं को बहुत महत्व दिया गया है। यह जीवन और मृत्यु दोनों मूल प्रवृत्तियों का योग है। यह हमारे अंदर जन्म से ही होती है, यह हमारे अंदर इच्छाओं को जगाता है।और हम उन इच्छाओं से विमुख भी नहीँ हो सकते। यह कभी शान्त नहीँ होती है, बढती ही जाती है।

2- अहं (Ego)

इसे जीवन का आधार भी माना जाता है, अहं का अर्थ अहंकार नही बल्कि यह हमारे व्यवहार पर  नियंत्रण करता है। और यह हमारी इच्छाओं तथा वास्तविकताओं के बीच संतुलन बनाए रखता है। अहं का कार्य जीवन मे महत्वपूर्ण है जो रीड की हड्डी की तरह कार्य करता है। यह इदं और परम अहं के बीच पुल का कार्य करता है। यह दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करके चलता है। जैसे दांतों के बीच में जीभ। इसीलिए इसे मन Mind का शासक कहा जाता है।

3- परम अहं,Super Ego 

यह मन की गती का आखिरी पायदान है। और इसका विकास भी सबसे देर में होता है। इसे आदर्शवादी और नैतिकता की संज्ञा भी दी गयी है। यह ego मनुष्य के अंदर सामाजिक भावना का विकास करती है। और जब वह अपने अनुसार बनाए गयी रणनीति पर सफल नहीं होता है तो पछतावा भी उसे बहुत होता है। यह वह शक्ति है जो मनुष्य को समाज से जोडे रखती है।

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