Thursday 18 February 2021

Super Love Stories in hindi सच्ची प्रेम कहानी/ प्रेम की अनूठी दास्तान

Super Love Stories in hindi सच्ची प्रेम कहानी/ प्रेम की अनूठी दास्तान 

दोस्तों प्यार तो सभी करते हैं किन्तु प्यार करने का तरीका अलग होता है।आज मैं ऐसी ही सच्ची प्रेम की अनूठी दास्तान लेकर आया हूं जिसे पढकर आपको कुछ सीखने को अवश्य मिलेगा। कहानी अच्छी लगे तो कमेन्ट और शेयर अवश्य करें। 

दोस्तों आज मै किसी और की नहीँ बल्कि खुद की सच्ची प्रेम कहानी लेकर आया हूं क्योंकि यह प्रेम कहानी अपने आप में एक एहसास है जो आंतरिक वत्सल्यता को उकेर कर रख देती है। इस कहीनी में शारीरिक प्रेम तो आंशिक रूप से भी नहीं है,यह एक ऐसी प्रेम कहानी है जो दो आत्माओं का मिलन हो,जिसमें वात्सल्यता छलक रही है। नजाने उस लडकी में ऐसा क्या था कि वह उसे अपनी आंखो के सामने रखना चाहता था। वह अपनी प्रेमिका को वैश्या निगाहों से नही बल्कि देवी स्वरूप मानता था।कहानी इस प्रकार है।अच्छी लगे तो शेयर जरूर करें। 

बात लगभग 2002 की है जब मैंने कक्षा 6 में दूसरे गांव में किसी सहकारी स्कूल में प्रवेश लिया था। नया-नया स्कूल था ,काफी उमंग भी मन में  थी,क्योंकि नया स्कूल था। एक दो दिन ऐसे ही बीत गये । तीसरे दिन मैने एक लडकी को देखा तो मेरा मन उसी में समाहित हो गया न जाने मेरे को क्या हो गया,कुछ तो ऐसा था उसमें जो वह पहली ही नजर मे मेरे मन मे समा गयी। वह मेरे से एक कक्षा आगे थी उसका नाम (कविता) था। काफी सुन्दर और सुशील थी। उससे भी अधिक उसकी आवाज बहुत सुन्दर थी। उस दिन उससे बात तो नहीँ हो पायी पर वह मुझे अच्छी तरह जानती थी। क्योंकि मेरे पिता उसी गाँव में शिशु मंदिर में प्रिंसिपल थे। ऐसा कयी दिनों तक चलता रहा। वह मेरे को देखकर मुस्कुरा देती थी। मै कुछ नहीँ कहता पर मन से प्रफ्फुलित हो जाया करता था। धीरे-धीरे दिन बीतते गये। मै उसके घर भी जाने लगा। उसकी माँ से अच्छी बनती थी। 

हमारी एक तरफा प्रेम कहानी ऐसे ही चलती रही। कयी महीने बीत गये। एक दूसरे से खूब बाते किया करते थे। एक दूसरे की भावनाओं को समझते थे। सुख दुख सांझा किया करते थे। ऐसा लगता था मानों जीवन की बहुत बडी खुशी माल गयी हो। उसे सामने देखता था। तो मन हर्षित हो उठता था।वह हर नववर्ष पर ग्रेटिंग कार्ड दिया करती थी । क्योंकि उस जम्ने में मेरे या उसके पास फोन नहीं था।  ऐसे करते करते कयी साल बीत गये।पर हम एक दूसरे को यह नहीँ बता पाये कि आपस में प्रेम करते है। अपना प्रेम इजहार नही कर सका जबकी यह भी मालूम था कि हम एक दूसरे से प्रेम करते है।लेकिन प्रेम इतना करते थे कि मानो हम एक दूसरे के लहू में समाहित हो गये हों।कयी साल तक यूं हीं ताक-झांक प्रेम कहानी चलती रही। 

अचानक से जीवन में एक मोड आता है। क्योंकि वह मुझसे एक साल बढी थी तो उसका इण्टर (12) जल्दी हो गया। और वह पढने के लिए दिल्ली चली गयी। आखिरी मलाकात भी सही प्रकार से नहीं हो पायी। अब मेरा मन उस स्कूल में नहीं लगता था। फोन भी नहीं हो पाता था। उसकी बहिन से पता चा कि उसने फोन ले लिया है। लेकिन मेरी हिम्मत नही हुयी की उसका नंबर मांग सकू। एक साल ऐसा ही चला। फिर मै देहरादून पढने के लिए चला गया। मैने वहाँ से शास्त्री परीक्षा (B.A) पास की ।इन 4 सालो तक उससे कोई बात नहीँ हो पाई ।लेकिन ऐस कोक दिन नहीँ था जब मै उसे याद नहीँ करता था। और मुझे आज भी एहसास हो जाता था कि वो भी मुझे याद करती है।

मैने अपने घर में भी बता दिया था की उसी से शादीकरूंगा और राजी भी हो गये थे। मेरे भैया भाभी मुझसे बहुत प्रेम करते थे। और मै अपने भाई के साथ ही देहरादून में रहता था। लेकिन मेरे जीवन मे एक आकस्मिक घटना घटित होती है। मेरे भाई की मृत्यु हो जाती है। मै और मेरा परिवार पूरी तरह से टूट जाता है।और साथ में टूट जाते है मेरे सारे सपने। अब घर में सबसे बडा मैं  ही था और भाई की कुछ ही महीने पहले शादी हुयी थी। फिर मैने फैसला लिया कि सबसे पहले परिवार की जिम्मेदारी निभानी है।मेरी भाभी मेरे सामने बिलख-बिलख कर रो रही थी। उस रात मैने बहुत सोचा और फैसला लिया की मै अपनी भाभी से शाई करूंगा। शादी हो जाती है। 

फिर मैने उसको भूलने का मन बना लिया था। फिर अचानक से जीवन में एक नया मोड आता है।मै एम.ए.द्वितीय वर्ष की परीक्षा दे रहा था। अचानक से मुझें 7 साल बाद कविता वहाँ दिख जाती है।क्योंकि वह भी वहाँ से एम.ए. की परीक्षा दे रही थी। मन को काफी प्रसन्नता हुयी। उससे बातचीत हुयी । उसके भावों को समझ गया था जैसा कि मानों कितनी शिकायते छुपी हुयी है उसकी आंखों में।  लेकिन कुछ बोल न पायी। मैने उससे कहा कि मेरी शादी हो गयी है। पूरी घटना उसे सुनायी। मन कर रहा था कि उसको देखता ही रहूँ।  उसने का मेरी सगाई हो गयी है। दो-तीन दिन तक हम मिलते रहे। फिर उसका नंबर भी लिया परन्तु उससे अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाया। और नाही वह कर पायी। उसने निशानी के रूप में मुझे गणेश दिया। कुछ दिनों तक बात होती  रही। लेकिन शादी के बाद उसने नंबर बदल दिया। 

उसके प्रति अभी भी दिल में प्यार है। क्योंकि वह प्यार ही अलग तरह का था। जो संसारिक सु औ उपयोगों से परे था। फिर शादी के बाद 8 साल तक उससे कोई बात नहीँ हो पायी। लेकिन मै हर दिन उसे याद करता था। और ओ भी मुझे शायद याद करती होगी। कहीँ से मैने उसका नंबर ढूंढा और उससे बात हुयी । आज भी उसकी आवाज सुनकर मन को सुकून मिला। और मालूम हुआ की ओ भी मुझे याद किया करती थी। यही मेरी कहानी है।

दोस्तों ए छोटी सी मेंरी सच्ची कहानी थी।लेकिन दोस्तों मै आज भी मेरी ऊम्र 30 साल की हो गयी है लेकिन अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाया।कहानी अच्छी लगे तो सेयर व कमेन्ट अवश्य करें 

धन्यवाद।

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