Thursday 29 April 2021

5 special lockdowns in Indian tradition in hindi भारतीय संस्कृति में पहले से ही क्वारिनटाइन और लाॅकडाउन की व्यवस्था? जो बचाती है भयावह बीमारियों से

5 special lockdowns in Indian tradition in hindi भारतीय संस्कृति में पहले से ही क्वारिनटाइन और लाॅकडाउन की व्यवस्था? जो बचाती है भयावह बीमारियों से 

नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे ज्ञान से अवगत कराने जा रहा हूँ जिसे आज पूरी दुनियाँ मानने को तैयार है।आज भारतीय शास्त्रों तथा भारतीय परम्परा को पूरी दुनियाँ अपना रही है। पहले जहाँ हम खुद अपने शास्त्रों की बातों को अपवाद मानते थे।आज पूरी दुनियाँ की वो दिन चर्या बन कयी है। आज लाॅकडाउन शब्द सबके जुबान पर है। क्वारिनटाइन आदि बातों को मान रहे है,लेकिन भारती शास्त्रों में यही बात हजारों साल पहले बतायी गयी थी। आज उसकी अहमियत मालूम हो रही है,लेकिन अभी भी कुछ नहीँ बिगडा अगर सृष्टि को बचाना है। मानव जाती को बचाना है।तो भारतीय शास्त्रों, वेदों, पुराणों का अध्ययन करना होगा। आज हम कुछ ऐसे रोचक तथ्यों के बारे में बात करेंगे जो भारतीय शास्त्रों में पहले से ही मौजूद है।

भारतीय शास्त्रों का महत्व 

बात करे भारतीय शास्त्रों की तो यही संसार का मुखडा बताया गया है। धरती पर आज वर्तमान में जो भी टेक्नोलोजी बढ रही है,जितने संसाधन बढ रहे है उनकी जानकारी हमारे शास्त्रों में पहले से ही है।आज पूरा विश्व कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहा है और जो सावधानियाँ इस कोरोना वायरस में बरती जा रही है। वह हमारे शास्त्रों में पहले से ही मौजूद है, और हम उसका पालन भी करते है। लेकिन हमें उसकी अहमियत मालूम नहीं है। आज जान मुसीबत में आयी है तो फिर भारतीय शास्त्रों को सत्य मानना ही पढ रहा है। पूरा विश्व कितनी भी तरक्की क्यों न करदे लेकिन मुसीबत के समय भारत ही मददगार होगा। क्योंकि हर बीमारी और औद्योगिक की जानकारी भारती शास्त्रों में निहित है। 5 महत्वपूर्ण लाॅकडाउन भारतीय शास्त्रों में जो हमें मजबूत व बीमारियों से लडने में मदत कराती है। 

भारतीय परम्परा में 5 विशेष लाॅकडाउन 5 special lockdowns in Indian tradition

1- मृत्यु के बाद 13 दिन का लाॅकडाउन 13 day lockdown after death आज लाॅकडाउन शब्द से सभी परिचित है। भारतीय शास्त्रों में यह परम्परा पहले से ही मौजूद है। यानी जब किसी के घर में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। तो 13 दिन तक कोई उस घर का पानी तक नहीं पीता था। क्योंकि मृत्यु या तो बीमारी से होती थी या बुढापे के कारण जिससे उसका शरीर तमाम बीमारियों रोगो से घिर जाता था। वह रोग हर जगह न फैले इसीलिए उसे 14 दिन का क्वारिनटाइन किया जाता था।वह घर अशुद्ध माना जाता था।13 वें दिन शुद्ध होने के बाद ही लोग उस घर का अन्न जल ग्रहण करते थे।

2- 13 दिन तक सामाजिक दूरी Social distance up to 13 days भारतीय परम्परा में यह नियम पहले से ही मौजूद है। जब व्यक्ति के घर में किसी की मृत्यु होने पर जो शव को अग्नि देता था। जो क्रिया-कर्म करता है। वह व्यक्ति पूर्ण रूप से अछूत माना जाता है।क्योंकि उस व्यक्ति के अन्दर उस शव के बैक्टीरिया न आ जाए।इसीलिए वह 13 दिन तक अलग रहता है,अलग खाता है, किसी को छूता नहीं है,अपने कपडे बर्तन खुद ही धोता है,यहाँ तक की अपनी परछाई भी किसी दूसरे पर पडने नहीँ देता है। लेकिन तब हमें इसकी अहमियत मालूम नहीं थी।

3- शरीर की शुद्धि करना Body sanitizer जब घर में मृत्यु होती थी तो जो शव जलाने जाते थे वे सभी सर मुंवाते थे।खासकर जो शव को अगनी देता है। हवन करने के बाद ही शुद्ध माना जाता था।लेकिन तब आप सभी हंसे थे। लेकिन आज तरह-तरह के सैनिटाईजर इस्तेमाल कर रहे है।

4- बच्चा जन्म के बाद 11 दिन की सामाजिक दूरी Social distance of 11 days after childbirth

भारतीय परम्परा है कि जब किसी का बच्चा होता है तो कोई भी मां और बच्चे को 11 दिन तक नहीं छूता था। 11वें दिन हवन के बाद ही शुद्ध हो करके उस घर में लोग जाते थे। कारण यह था कि मां और बच्चे को कोई इन्फेक्शन न हो। लेकिन हम महज उसे सिर्फ ढकोकसला मानते थे।

5- मासिक धर्म महिलाओं का 7 दिन की सामाजिक दूरी 7-day social distance of menstrual (Peeriyad) women

जी हां भारतीय संस्कृति की अलग ही परम्परा है। जब महिला को हर महीने मासिक धर्म होता है तो वह 7 दिनों तक अशुद्ध मानी जाती है। पूजा वाले स्थान पर नहीं जाती है,खाना नहीं बनाती है।क्योंकि उस समय उसके अन्दर से खून के रूप में अनेकों बैक्टीरिया बाहर आते है।उसको और अन्य को कोई खतरा न हो इस लिए वह सब से दूरी बनाती थी ।लेकिन हम मानने को तैयार नहीं थे।

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