Wednesday 21 April 2021

Poem on poverty and hunger गरीबी एवं भूख पर कविता gareeb par kavita

Poem on poverty and hunger गरीबी एवं भूख पर कविता 

Gareebi poems in hindi 

हाथ तेरे गंदे है, आजा मै तुझको खिलाता हूँ । 

सुना नहीं अब जिसने वो हाल तुझे सुनाता हूँ ।।

है भारत ये,भारत उनका जिनकी शानो-शौकत है।

ऐ गरीब तेरी इनायत क्या,तू तो बंदा परवर का है।।

यहाँ अमीर की बेटी पार्लर में इतना खर्चा करती है।

जितने में गरीब की बेटी अपने ससुराल को जाती है।।

है भारत ये भारत -------------------------- ।।1।।

सरकारें आती-जाती है,वादों से सपने सजाते है ।

भर के अपनी झोली को वो,फिर दबे पाँव चले जाते है।।

कहीँ अमीरी का आलम है,कहीँ घूसखोरी का आतंक ।

गरीब का दामन सूली पर है,और पंछी गाना भूल गये।।

है भारत ये भारत  ------------------------- ।।2।।

संस्कार-सभ्यता की रस्में अब गरीबों पर ही निर्भर है।

दुपट्टा चाहे कितना फटा हो,फिर भी उनके सर पर ही है।।

कुछ लोग जताने गरीबों के हक के लिए लडते-भिडते है।

कुछ पल में ही वो अमीर बनकर जाने किधर को जाते है।।

है भारत ये भारत  ------------------------ ।।3।।

सपनें,अरमान,उम्मीद,भरोसा  सबकुछ बांधे रहता हूँ।

है कोई नहीँ जग में मेरा क्यूँ आशाएं जगाए रखता हूँ।।

रोना-धोना क्या इस जग में,जब सोना उसी फुटपाथ पे है।

हम लाख गुना है उनसे जिनका न कभी पेट भरता है।।

है भारत ये भारत  ----------------------- ।।4।।

अन्य सम्बन्धित काव्य साहित्य (कवितायें)-----

0 comments: