Wednesday 21 April 2021

Most Educational Shubhashitani 20 शिक्षाप्रद एवं सदाचार सुभाषितानी-सूक्तयः एवं सुविचार

Most Educational Shubhashitani 20 शिक्षाप्रद एवं सदाचार सुभाषितानी-सूक्तयः एवं सुविचार 

दोस्तों! आज हम आपके लिए 20 संस्कृत में सूक्तियां-संस्कृत में सुभाषितानी sanskrit quotes in hindi नामक पोस्ट लेकर आये हैं। जो संस्कृत भाषा की प्रसिद्ध एव विश्व प्रसिद्ध सूक्तियां, सुभाषितानी एवं सुविचार proverbs या quotes का संग्रह लेकर आए है।यही हमें सुसाध्य और संस्कारित जीवन प्रदान करते है। sanskrit shlok in hindi हमारे वेद-पुराणों, शास्त्रों,व असंख्य धार्मिक ग्रंथों में ऋषि-मुनियों व प्रभुद्ध व्यक्तियों ने ढेरों ज्ञान की बातें संस्कृत श्लोकों, सुभाषितानी पाठ, सुभाषितानी श्लोक, ध्येयवाक्यानि, सुविचार,अनमोलवचन आदि के रूप में लिखी हैं। Hindi Quotes ,संस्कृत सुभाषितानीसफलता के सूत्र, गायत्री मंत्र का अर्थ आदि शेयर कर रहा हूँ । जो आपको जीवन जीने, समझने और Life में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाते है,आध्यात्म ज्ञान से सम्बंधित गरूडपुराण के श्लोक,हनुमान चालीसा का अर्थ ,ॐध्वनि, आदि Sanskrit sloks with meaning in hindi धर्म, ज्ञान और विज्ञान के मामले में भारत से ज्यादा समृद्धशाली देश कोई दूसरा नहीं।gyansadhna.com

Sanskrit shlok in hindi 

श्लोक - 

तृणानि भूमि रूदकं वाक् चतुर्थी च सूनृता

एतान्यपि सतां गेहे नोच्छिद्यन्ते कदाचन् ।।

भावार्थ - बैठने के लिए आसन ,भूमि जल और मधुर वाणी अतिथि का सत्कार करने के लिए इन चार चीजों का सज्जनों के घर में कभी भी अभाव नहीँ होता ।


श्लोक - 

नारिकेल समाकारा, दृश्यन्ते हि सुह्रृज्जनाः

अन्ये बदरिकाकाराः बहिरेव मनोहराः ।।

भावार्थ - सज्जन व्यक्ति नारियल के समान ऊपर से कठोर होता है, किन्तु भीतर से मीठे जल से भरा होता है। दुष्ट व्यक्ति ऊपर से बेरी के फल के समान और अन्दर से कठोर होता है।

Sanskrit shlok in hindi 

श्लोक - 

पृथिव्या त्रीणि रत्नानि जलमग्नं सुभाषितम्

मूर्खैः पाषाण खण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ।।

भावार्थ - जल, अन्न,  सुभाषितानी ये तीन पृथ्वी के रत्न माने गये है। किन्तु अज्ञानी लोगों ने पत्थर के टुकड़े को भी रत्न मानते है ।


श्लोक - सा विद्या या विमुक्तये ।।

भावार्थ - विद्या वही जो मुक्ति की ओर ले जाए,यानी मनुष्य को मुक्ति दिलाए वही सही विद्या है।

Sanskrit shubhasitani shlok in hindi 

श्लोक - माता भूमिः पुत्रोऽहम् पृथिव्याः ।।

भावार्थ - भूमि हमारी माता है,हण सभी इसके पुत्र है।


श्लोक - वीरभोग्या वसुन्धरा ।।

भावार्थ - इस पवित्र धरती पर वीर पुरूष ही भोगते (जन्म) लेते है।


श्लोक - उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।।

भावार्थ - मेहनत (परीश्रम) करने से सभी कार्य सिद्ध (सफल) होते है,सिर्फ़ कल्पना करने से कुछ नहीँ होता ।

Sanskrit shubhasitani shlok in hindi 

श्लोक - किं किं न साधयति कल्पलतेव विद्या ।।

भावार्थ - कल्पना की ही तरह विद्या कौन सा कार्य सिद्ध नहीं करती ।


श्लोक - परोपकाराय सतां विभूतयः ।।

भावार्थ - सज्जन लोगों की सम्पत्ति तो परोपकार ही होती है ।


श्लोक - अक्रोधेन जयते क्रोधम् ।।

भावार्थ - क्रोध न करके ही क्रोध पर विजय पायी जा सकती है ।


श्लोक - चिरनिरूपणीयो हि व्यकिस्वभावः ।।

भावार्थ - व्यक्ति का स्वभाव बहुत समय बाद पहचाना जाता है।  

Sanskrit shubhasitani shlok in hindi 

श्लोक - सत्यमेव जयते नानृतम ।।

भावार्थ - हमेशा सत्य की ही जय होती है,असत्य (झूठ) की नही ।


श्लोक - सर्वम् परवशम् दुखम् सर्वमात्मवशम् सुखम् ।।क

भावार्थ - स्वाधीनता (आजादी) ही सबसे बडा सुख है,पराधीनता (गुलामी) तो कष्ट बहुत देही है ।


श्लोक - स्वभावो दुरतिक्रमः ।।

भावार्थ - स्वभाव को बदलना सम्भव नहीं होता है ।


श्लोक - लोभः अनन्तकः व्याधिः ।।

भावार्थ - लोभ एक ऐसा रोग है जो अन्त समय मे भी साथ नहीं छोडता है ।

Sanskrit shubhasitani shlok in hindi 

श्लोक - अविचारितम् न कर्तव्य म् ।।

भावार्थ - किसी भी कार्य को विना विचारे-सोचे समझे नहीं करना चाहिए। 


श्लोक - उद्योगसम्पनम् समुपैति लक्ष्मी ।।

भावार्थ - परीश्रमी व्यक्ति के पास ही लक्ष्मी आती है।


श्लोक - क्रियासिद्धिः सत्वे भवति महतां नोपकरणे ।।

भावार्थ - महान लोगों के कार्य सिद्ध उनके पराक्रम, बल और बुद्धि से होते है,ना कि आधुनिक (बाह्य) संसाधनों से ।


श्लोक - असंहताः विंनश्यन्ति ।।

भावार्थ - जो लोग बिखर कर रहते है वे नष्ट हो जाते है।


श्लोक - साहसे हि श्रीः वसति ।।

भावार्थ - साहसी व्यक्ति के पास ही लक्ष्मी रहती है।

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