Monday 17 May 2021

How to build confidence in children बच्चे का कॉन्फिडेंस बूस्ट बढाने के टिप्स | बच्चों को बुद्धिमान बनाने के लिए बढाएं उनका आत्मविश्वास

How to build confidence in children बच्चे का कॉन्फिडेंस बूस्ट बढाने के टिप्स | बच्चों को बुद्धिमान बनाने के लिए बढाएं उनका आत्मविश्वास 

नमस्कार दोस्तों आज हम आपके लिए बहुत ही मजेदार व दिलचस्प बाते लेकर आए है क्योंकि हम बात कर रहे है बच्चों में आत्मविश्वास कैसे बढाएं ।ये Parenting Tips in hindi आपके बच्चों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगा। क्योंकि  बचपन का अनुभव जीवन भर इंसान के कॉन्फिडेंस (Confidence) को बढ़ाता या घटाता है जिसकी कुछ वजहें खुद पेरेंट्स की गलतियां भी होती हैं। हम जो आज बच्चों को सिखाते है वही उनका कल बन जाता है। ऐसे में पेरेंटिंग के दौरान कुछ आदतों (Childrens Habits) को बदलना जरूरी है। अगर नजरअंदाज किया तो फिर जीवन तबाह हो सकता है। बच्चे पहले कुछ नहीँ जानते है,उनका पूरा भविष्य उनके pairents के हाथों में होता है। बच्चे का कॉन्फिडेंस बूस्ट करने के लिए पेरेंट्स फॉलो करें ये टिप्स जो बच्चो को सफलता दिलाने व काबिल बनाने में मदद करेगा।ऐसा नही की सभी बच्चे अच्छी आदतें वाले होते है,कुछ बच्चे बचपन से ही गलत आदतें व संगति में पढ जाते है। pairents की लापरवाही के कारण।

पैरेंटिंग (Parenting) का मतलब सिर्फ बच्चे को जन्म देकर उसे पालना ही नहीं होता बल्कि सामाज व सोसायटी में एक जिम्मेदार नागरिक भी बनाना होता है।वह किस तरह से अपने वसूलो पर खरा उतरता है। यह माता-पिता की अहम जवाबदारी है। कहा जाता है कि बच्चों की अच्छी परवरिश ही एक अच्‍छे समाज के निर्माण में सबसे बड़ा योगदान है।इसीलिए बचपन से ही उसमें आत्मविश्वास कॅ बढाने की आवश्यकता है। बचपन का अनुभव जीवन भर इंसान के आत्‍मविश्‍वास (Confidence) और आत्‍मनिर्भरता को बढ़ाता या घटाता है, और फिर वह सारा दोष या अच्छाई सभ माता-पिता को ही देता है। 

बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाना क्यों जरूरी है (Importance of Self Confidence in Hindi)

बच्चे जो सीखते है वही लागू करते है,इसलिए बच्चों में Confidence level इतना हाई होना चाहिए कि वह जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का सामना कर सके। अर्थात बच्चे का अपने आप पर विश्वास व नियंत्रण का कैसा होना चाहिए। हर माता-पिता को यह जरूर सोचना चाहिए। आत्मविश्वास लगभग सभी के जीवन में बहुत जरुरी है। विना Confidence level के व्यक्ति कुछ भी नहीं कर सकता। इसीलिए बच्चों के जीवन में भी यह बहुत बडी भूमिका रखता है। आजकल बच्चे हो या बडे सभी का जीवन काफी चैलेंज से बढ़ गए हैं। आज इस चुनौतीपूर्ण भरे जीवन में माता-पिता अपने बच्चों को हर तरह की प्रतियोगिता के लिए तैयार करना चाहते है। क्योंकि आजकल exams faith  करना बहुत मुश्किल हो गया है।  इसलिए माता-पिता को बचपन से ही बच्चों में अच्छे संस्कार,Sanskar, Civilization, Motivation, Kindness, Compassion, Chama, Cooperation, Philanthropy, Help, Belonging, Partnership, Self-Esteem, Character Development आदि विकास व सभ्यता भरने चाहिए ताकि उनकी झिझक खत्म हो जाए और धीरे-धीरे संस्कार की नींव मजबूत होने पर बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ने लगे।जो आज के समाज के लिए बहुत जरूरी हो गया है।

1.बच्चों का मजाक न बनाएं | Don't make fun of kids

बच्चे हमेशा सेंसिटिव होते है,वे जल्दी से खुश भी होते है,और दुखी भी हो जाते है।इसीलिए बच्‍चे की ग्रोथ‍ में माता पिता का मोटिवेशन बहुत मायने रखता है। क्योंकि माता-पिता ही बच्चों के प्रथम गुरू होते है। हर बच्‍चा अपने माता पिता से बडाई चाहता है। वह चाहता है की उसके माता-पिता उसकी प्रशंसा करें। उसके होने का महत्व समझे। आपके लिए बच्‍चे की छोटी मोटी चीजें मजाक की बात लगती हो लेकिन हो सकता है कि आपसे प्रशंसा पाने के लिए बच्‍चे ने बहुत मेहनत की हो।और आपका उसके प्रति नजरिया उसमे उसकी खुशी भर देगा। इसीलिए बच्चों की भावना को समझते हुए उनके हर काम को महत्व देते रहें और समय समय पर उन्हे खुद के हाथों पुरस्कृत भी करें।

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2- बच्चों की किसी से तुलना न करें | Don't compare kids to anyone 

जब हम दूसरे बच्चों से खुद के बच्चों को compare तुलना करते है तो वो जल्दी से चिड जाते है, या गुस्सा करने लगते है।यह लगभग सभी परिवार में देखने को मिलता है कि बच्‍चों की तुलना हर बात में की जाती है।तू उसके जैसा नहीं है,वो तेरे से अच्छा है आदि ऐसे में बच्‍चे के मन में दूसरे बच्‍चों के प्रति चिढ़ और जलन जैसी भावनाएं आ सकती है। हम छोटी-छोटी चीजों को नजरअंदाज कर देते है जबकि वही नासूर बन जाती है। ऐसे में तुलना करने से बचें। हो सके तो उनको हर बात या हर काम पर उनकी तारीफ करते रहें और उन्हें ही बेहतर समझे। 

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3- बच्चों के काम में कमी न  निकालें |Do not remove the work of children

बच्चे जितना कर रहें है उनहोंने उतना ही सीखा है।अगर आप बच्चो से जादा अपेक्षाकृत है तो उन्हें मौका दें।बचपन में कोई भी बच्‍चा हर चीज में परफेक्‍ट नहीं हो सकता।उसे सीखने का वातावरण दीजिए, ऐसे में अगर बच्चा कोई एक्टिविटी कर रहा है तो उसे करने दें और हर वक्‍त उनमें कमी ना निकालें।बल्कि उनके बिगडे हुए काम में भी उनका मनोबल बढाएं।  उनके खराब प्रोडक्ट या खराब प्रदर्शन को भी महत्व देकर साबासी दें। कमियां निकालने की जगह उसके द्वारा तैयार की गयी चीजों की तारीफ करें।

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4- दूसरों के सामने बच्चों की बुराई न करना |Doing no evil to children in front of others

बच्चों को खुद की बेईज्ज़ती पसंद नही होती वो भी उसके सम ऊम्र के बच्चों के सामने। कई माता पिता ऐसे होते हैं जो अपने सेटिस्‍फेक्‍शन के लिए बाहरी लोगों के सामने अपने बच्चों की शिकायतें करते रहते हैं।उन्हें लगता है ऐसे में उनके बच्चे सुधर जाएंगे। जबकी ऐसा नहीं इससे बच्चों में द्वेष भावना जागृत होती है।अक्सर माताओं को देखा गया है कि वे सिर्फ गपशप करने के इरादे से बच्‍चे की बुराई करने लगते हैं।ऐसे में बच्‍चों के मन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है।वे घर छोडकर भी जा सकते है। या आपसे मानसिक रूप से दूरी भी बना सकते है।यही बातें लंबे समय तक उनके मन में अटकी रह जाती है, जिसका बाद में उनके आत्मविश्वास पर असर पड़ता है।और उनका विकास नहीं हो पाता।

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5- बच्चों की पिटाई न करना |Not beating the kids

नकारात्मक भाव बच्चो में जल्दी घर कर जाते है। अगर आप बच्‍चों को हर बात पर पीटते है तो उनके मन में यह बात घर कर जाती है कि वे बहुत बुरे हैं। आप उन्हें अच्छा नहीं मानते उन्‍हें कोई पसंद नहीं करता।सब उनको गंधा माने है, वे खुद को सेफ महसूस नहीं करते और उनके अंदर असुरक्षा की भावना घर कर जाती है।उन्हें लगता है की सच में वे कमजोर है। इसका असर बड़े होने तक उनकी पर्सनैलिटी पर पड़ता है।लोग भी कहेंगे की इसकी परवरिश कैसे घर और समाज में हुयी है।

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