Wednesday 26 May 2021

जानिए किन कारणों से सौभाग्य बन जाता है दुर्भाग्य ।सौभाग्य लाने के 5 उपाय

जानिए किन कारणों से सौभाग्य बन जाता है दुर्भाग्य ।सौभाग्य लाने के 5 उपाय 

नमस्कार दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं कि मनुष्य का सौभाग्य कब दुर्भाग्य में बदल जाता है।सनातन धर्म में वर्णित 18 पुराणों में गरूड़ पुराण एक ऐसा पुराण है जिसमें वास्तु के साथ भाग्य और धन से जुड़ी हुई रोचक बातें लिखी गई हैं।हमारे पुराणों में जीवन की दिनचर्या निर्धारित की गयी है। भाग्य को लेकर गरूण में कुछ ऐसी बातों का भी स्पष्ट संकेत है जिसके आधार पर आसानी से पता लगा सकते हैं,लेकिन यह सवाल हमारे मन में उठता है, कि सौभाग्य और दुर्भाग्य कैसे प्राप्त होता है।यह सब हमारे कर्मों पर निर्धारित होता है लेकिन कुछ उपाय व समाधान करके हम दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते है। हम बताएँगे कि व्यक्ति की किस्मत खराब है या खराब होने वाली है? जीवन में सौभाग्य कैसे लाएं? व्यक्ति की कौन सी समस्याएं और वो किन बातों पर दुखी रहता है? दुख का कारण क्या है?कैसे दुर्भाग्य से बचा जाए? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए पढिए हमारा आर्टिकल जिसमें जीवन की सभी समस्याओं का समाधान बताया गया है।

ज्योतिष विद्या में सौभाग्य व दुर्भाग्य का उल्लेख

ज्योतिष विद्या सभी शास्त्रों में श्रेष्ठ मानी गयी है।और जो समाधान बताए गये है।वो सबसे कारगर साबित हो रहा है।ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि कई बार हमारा भाग्य बहुत अच्छा होता है।किन्तु कुंडली के ग्रह और जीवन की दशाएं भी उत्तम होती हैं,उन्हीं के अनुसार हमें शुभ और अशुभ फल प्राप्त होते है। तभी समय पर भाग्य काम नहीं करता, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे जीवन में कहीं न कहीं दुर्भाग्य भी होता है।समय पर उसका समाधान न किया गया तो,जीवन की सारी खुशियाँ तबाह हो जाती है। यह दुर्भाग्य हम खुद पैदा करते हैं और हमें पता नहीं होता। हम दुर्भाग्य को आने से रोक सकते हैं। बस कुछ सटीक उपाय व समाधान करने की जरूरत है।

1- संगति का भाग्य पर प्रभाव

जैस हमारा साथ होता है वैसा ही विकास होता है।और इसका सीधा प्रभाव आपके भाग्य पर पडता है। क्योंकि संगति के अनुसार ही हमारे अंदर सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। अच्छी संगति हमें ऊंचाईयों तक ले जाती है तो गलत संगति हमारे पतन का कारण बनती है,और साथ में परिवार वालों को भी कष्ट भोगना पढता है। इसीलिए हमेशा अच्छे लोग व अच्छी संगति चुने।

2- पिता धनवान किन्तु पुत्र का मूर्ख होना -

हर पिता यही चाहता है,और मेहनत करता है कि उसकी संतान को कोई कष्ट न हो उसकी परवरिश व पढाई अच्छी हो ताकी उसे जीविकोपार्जन करने में कठिनाई न हो। इसीलिए दिन रात मेहनत करता है। लेकिन इतना कुछ करने के बाद भी अगर पुत्र नालायक, मूर्ख निकले तो फिर उसे अपनी मेहनत पर पछतावा ही होता है। फिर वह यह सोचकर धन का दुरुपयोग करता है कि जब उसकी अपनी ही सन्तान लायक नहीं है तो फिन धन का क्या करना ।

3- जीवन साथी के कर्मों का प्रभाव 

कहते है रिश्ते ऊपर से बनकर आते है।जब दोनों का विवाह हो जाता है तो उन दोनों की भाग्य रेखा भी आपस मे जुड जाती है। उनके कर्मों के अनुसार ही हमारे जीवन में शुभ-अशुभ फल प्राप्त होते है। दाम्पत्य जीवन भी दुखों से भर जाता है। पारिवारिक कलह बडने लगता है। अच्छे काम भी उल्टी दिशा में जाने लगते है। ऐसी संकटमय स्थिति में आप रोज बिष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। 

4- पती-पत्नी का बेवजह झगडते रहना

जिसजिस जीवन में,  रिश्तों में या घर में हमेशा झगडा,क्लेष होता रहता हो उस घर में सारी नकारात्मक ऊर्जायें घर कर जाती है। उस घर से खुशियाँ कोशों दूर चली जाती है। आर्थिक संकट पूरे परिवार को घेर लेता है। बच्चों में बुरी भावनाएँ प्रवेश करती है। उस घर से देवता दूर हो जाते है। वह घर रोग-बीमारियों का केन्द्र बन जाता है। खास कर पति-पत्नी में कभी विवाद नही होना चाहिए। इससे लक्ष्मी रूठ जाती है।

5- दूसरों के साथ छल-कपट या धोखा-धडी करना

वो कहते है ना कि कीचड पर पत्थर मोरो तो वह अपने पर ही उछलता है।  यानी हम जो भी कर्म करते है,वह सूत समेत हमें वापस मिलते है।अगर हम किसी का हक छीनेंगे या किसी को नुकसान पहुंचायेगे तो वह घटना हमारे ऊपर भी लागू होगी।हमारा दुर्भाग्य तब सुरू हो जाता है जब हम किसी दूसरे के बारे में गलत सोचने लगये है। अकारण किसी को पीडा पहुंचाना ही दुर्भाग्य को संकेत देना है। इसीलिए न कभी किसी को गलत बोलो और न गलत करो।अच्छी सोच और विचार ही आपके भाग्य में वृद्धि करेगा।

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