Friday 4 June 2021

Hawan ke time kyon kiya jata hai swaha ka uchcharan हवन के दौरान क्यों किया जाता है स्वाहा शब्द का उच्चारण | जानिए अर्थ, महत्व एवं रोचक तथ्य

हवन के दौरान क्यों किया जाता है स्वाहा शब्द का उच्चारण | जानिए अर्थ, महत्व एवं रोचक तथ्य 

नमस्कार दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं हवन में बोला जाने वाला मंत्र शब्द स्वाहा का प्रयोग क्यो करते है। किन्तु क्या आपको पता है इसका मुख्य कारण क्या है हमारे शास्त्रों में बिना महत्व एवं प्रयोग के कुछ भी नहीं है वास्तव में अग्नि देव की पत्नी स्वाहा है।और देवताओं में सबसे शक्तिशाली देवी ही मानी जाती है। इसलिए हवन में हर मंत्र के बाद इसका उच्चारण किया जाता है।ताकी पाप ग्रहों तथा ऊपरी बाधाओं से निपटा जा सके स्वाहा का अर्थ है सही रीति से पहुंचाना। मंत्र पाठ करते हुए स्वाहा कहकर ही हवन सामग्री भगवान को अर्पित करते हैं।अग्नि देव की पत्नी संवाहक का काम करती है।

हमारे पवित्र वेदों में कहा गया है कि कोई भी यज्ञ तब तक सफल नहीं माना जा सकता है जब तक कि हवन का ग्रहण देवता न कर लें। चाहे कोई भी अनुष्ठान,पूजा -पाठ कर लो वह सफल हवन के बाद ही माना जाता है लेकिन देवता हवन ग्रास अग्निदे तथा उनकी पत्नी स्वाहा के माध्यम से ही फलीभूत होते है।

स्वाहा शब्द उच्चारण का महत्व व कथा

हमारे सनातन धर्म में हवन का बहुत महत्व है और हवन में स्वाहा का भी उतना ही महत्व है। सभी धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा पाठ में हवन ही सफल होने का एक माध्यम है, जैसे गृहप्रवेश, शादी व्याह,जात्रा,मेला,ऑफिस, मुण्डन आदि में हवन होना अनिवार्य है। और हवन आहुति में स्वाहा शब्द का उच्चारण भी उतना ही महत्व रखता है। आमतौर पर माने तो जरूरी पदार्थ को सही तरीके से उसके प्रिय तक पहुचाने का काम स्वाहा शब्द करता है।

शास्त्रों की माने तो तो जिस भी पूजा अनुष्ठान मे उसके नियत देवता ग्रहण न करे तो मनोकामना पूर्ण नहीं हो पाती है। प्रचलित कथाओं के अनुसार स्वाहा दक्ष प्रजापति की पुत्री थी जिसका विवाह अग्नि देव से हो जाता है। मान्यता है कि अग्नि देव अपनी पत्नी स्वाहा के माध्यम से ही हवन को ग्रहण करते है। तथा जजमान को अभीष्ट फल प्रदान करते है। अग्नि देव और पत्नी स्वा की ती सन्ताने हुयी जो  पावक,पवमान और शुचि नाम से विख्यात हुए। मान्यता यह भी है कि श्रीकृष्ण ने स्वाहा को वरदान दिया की उन्ही के माध्यम से देवता हविष्य को ग्रहण कर पाएंगे। 

इसीलिए जब हम हम अनुष्ठान या किसी भी पूजा के बाद हवन करे तो स्वाहा शब्द का उच्चारण हमारे मुख से भी हो और स्वाहा शब्द को हवन सामग्री हवन में डालते समय ऊंची आवाज में बोलना चाहिए। अन्यथा स्वाहा के साथ-साथ अग्नि देव भी रूष्ट हो जाते है।


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