Friday 30 July 2021

आलस्य को दूर कैसे करें? मनुष्य का सबसे बडा दुश्मन आलस्य को दूर करने के उपाय एवं प्रेरणादायक कहानी How to overcome laziness? Man's biggest enemy, Laziness, ways to overcome and inspirational story

How to overcome lazinessin hindi आलस्य को दूर कैसे करें? मनुष्य का सबसे बडा दुश्मन आलस्य को दूर करने के उपाय एवं प्रेरणादायक कहानी

दोस्तों इस बात से सभी दुखी है।हर कोई चाहता है कि उसके सभी कार्य समय पर ही पूर्ण हो,लेकिन आलस्य के कारण वह ऐसा नही कर पाता। आलस्य को आमतौर पर इंसान का सबसे बड़ा शत्रु कहा जाता है,यह हमारे शरीर में रहते हुए ही उसका नाश करता है। शरीर में आलस्य आने से कई बनते-बनते काम बिगड़ जाते हैं।उसी इच्छा शक्ति कमजोर हो जाती है। व्यक्ति का भाग्य रूक जाता है। व्यक्ति को सफलता नहीं मिल पाती है।लेकिन आलसीपन के कई कारण हो सकते हैं।उन कारणों को जानना और उसे भगाने के लिए प्रयास करना चाहिए। लोग अक्सर आलस्य को दूर भगाने के उपाय ढूंढते रहे हैं।जो सटीक उपाय उन्हें नहीं मिल पाता है, आज हम उनके लिए आलस्य को भगाने के लिए ऐसी प्रेरणादायक विचार व कहानी लेकर आएं है,जो आप इन उपाय बातों को अपने जीवन लागू करते है तो निश्चित ही आप आलस्य को भगाने मे सफल हो सकोगे । 

आलसी बालक पर प्रेरणादायक कहानी -

एक आलसी बालक था वह कभी भी अपना कार्य (Homework) नहीं करता था। वह हमेशा विद्यालय नहीं जाता था, और अपनी कक्षा का कार्य भी सही प्रकार से नहीं करता था। एक दिन उसने सोचा कि आज मैं विद्यालय नहीं जाऊंगा और मन  में ख्याल आता है कि आज मैं बगीचे यानी पार्क में घूमने जाता हूं। जैसे ही वह पार्क में जाता है वहां गेंद से खेलने लगता है। क्योंकि उसने देखा कि पार्क में कोई न था एक भी प्राणी वहां नहीं था। सिवाय उस बालक के उसने एक पेड़ पर कौए को बैठा देखा और कौवे से बोला कि यहां आकर मेरे साथ खेल खेलो। तो फिर कौआ कहता है कि अरे बालक इस समय मैं लोगों को उठाने के लिए जा रहा हूं। मेरे पास बहुत सारे काम है ।छुट्टी के बाद ही तुमसे मिल पाऊंगा । 

फिर क्या वह बालक नाराज हो जाता है, और बगीचे में एक कबूतर को देखता है और कबूतर से कहता है कि अरे मित्र आओ मेरे साथ खेल खेलो कबूतर कहता है। कि आज मैं भोजन इकट्ठा करने के लिए खेत में जा रहा हूं। मेरे पास तुम्हारे साथ खेलने का समय नहीं है तो बालक नाराज हो जाता है,और वही पर एक भंवरे को देखता है। और भंवरे से कहता है कि क्या तुम प्रतिदिन यह फूलों का रस इकट्ठा करते रहते हो आओ आज मेरे साथ थोड़ा खेल खेलो । भंवरा कहता है यदि मैं तुम्हारे साथ खेल खेल लूंगा तो फिर मैं फूलों से शहद कैसे इकट्ठा कर पाऊंगा तुम मुझे माफ करो मैं तुम्हारे साथ नहीं खेल सकता। 

फिर उसे एक चींटी दिखाई देती है। और चींटी उसके भाग्य को खोल देती है और चींटी उसको यह संदेश देती है, कि हमें आलस्य बनकर नहीं बैठना चाहिए। वह बालक अपने मन में विचार करता है कि इस संसार में चाहे पतंग हो , जीव जंतु हो या मानव हो सभी अपने कार्य में व्यस्त रहते हैं । कोई भी आलसी नहीं है तो फिर मैं किसलिए आलस करता हूं। और प्रण करता है कि आज के बाद मैं भी आलसी बनकर नहीं बैठूंगा । उसी दिन से वह विद्यालय जाना शुरु करता है और मन लगाकर पढ़ाई करता है। जिससे वह बहुत विद्वान बन जाता है। 

हमारे शास्त्रों में भी एक महान श्लोक में कहा गया है -- 
आलस्य ही मनुष्याणाम् शरीरस्थो महान रिपुः । 
नास्ति उद्यमसमो बन्धुः यं कृत्वा नावसीदति ।। 
अर्थात - मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु आलस होता है । वहां उसके शरीर में रह करके उसके शरीर को इतना कमजोर कर देता है कि वह कभी मेहनत नहीं कर पाता परीश्रम नही कर पाता। उसकी इच्छा काम करने की नहीं होती एकदम से अंदर से खोखला हो जाता है। इसलिए इस आलसी रूपी शत्रु को हमें अपने शरीर से मन से और आत्मा से हमेशा के लिए निकाल फेंकना चाहिए।

विशेष 👉 इस कहानी से हमें यह संदेश मिलता है कि हमें कभी भी अपने आप को खाली नहीं समझना चाहिए जब भी हमें लगे कि हम खाली हैं तो उस समय कुछ ना कुछ कार्य हमको करना चाहिए दोस्तों अगर यह आज हमारे अंदर प्रवेश करता है तो यह हमारी शक्ति को चिढ़ाने नष्ट कर देता है इस आलस्य को हमें दूर भगाना ही होगा और परिश्रम जी जान लगा कर के करना होगा तभी हम सफल हो पाएंगे। धन्यवाद

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