Friday 23 July 2021

sad poem on love in hindi एक पति-पत्नी की दर्द भरी दास्तान पर कहानी-कविता सुनकर आंसू रोक नहीं पाओगे

sad poem on love in hindi एक पति-पत्नी की दर्द भरी दास्तान पर कहानी-कविता सुनकर आंसू रोक नहीं पाओगे

नमस्कार दोस्तों नारी को समाज का एक अभिन्न अंग माना जाता है जिसके बिना सृष्टि का सृजन हो पाना असम्भव है।नारी के अंदर अथाह प्रेम व त्याग छुपा हुआ है, जिसे अधिकतर लोग समझ नहीं पाते है।उनके रिश्ते में दरार आ जाती है। Pati Patni Ke Jhagde Ki Shayari आज हम आपको एक ऐसी कविता बताएंगे जो आपके अंदर के प्रेम को बाहर निकाल देगा। ( पति पत्नी के झगड़े पर कविता, विचार,शायरी ) अगर आप का पति पत्नी एक दूसरे से नाराज़ हो गये है तो आप इस पोस्ट को अवश पढें। ( Pati Patni Shayari ), पति पत्नी इमोशनल कविता, सुविचार,शायरी ( Pati Patni Emotional Shayari ), पत्नी के लिए शायरी ( Patni Ke Liye Shayari ),इस पोस्ट में हमने हर उस महिला की व्यथा ,दुख,दर्द को कविता के रूप में उकेर रखा है।( Pati Patni Status in Hindi ), Pati Patni Love poem inhindi, Pati Patni Ke dukh,dard Ki poem, suvicha, Pati Ke Liye Shayari in Hindi,तो दोस्तों  अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगे तो कमेंट करके हमें अवश्य अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हे.

पति का नाम भरोसा है,पत्नी का नाम समर्पण है ।
जो भाव रखे दिल में ऐसा,वो हृदय प्रभू को अर्पण है ।
एक नारी का दर्द बताता हूँ, दिल की गहराई से सुनना ।
बदल सकूँ हर भाव को मैं उस नारी की तुम कद्र करना ।
दुखिया की मारी नारी वो जो अपना दर्द बता न सकी ।
रिश्ता जुड गया था उससे जिसने न रिश्ते की लाज रखी ।
आया घर जब वो देर रात को,पत्नी का हृदय था सहमा ।
हर दुख दर्दों को भुला गयी पल में वो खुशियों में समा गयी।
गहरे अंदाज में बोला पति एक बात तुमसे करनी है।
वो बेचारी दुखयारी सहमी सी चुपचाप समने बैठ गयी।
अपने दुख से वो हार गयी अब हारने बाकी कुछ न रहा ।
बोला फिर कुछ ऐसा लब्ज जो हर नारी को अभिशाप लगे ।
तलाक चाहिए अब मुझको तुम बोझ बनी हो अब मुझपर ।
है कसूर क्या आखिर मेरा मुझसे ऐसी क्या खता हुई ।
आचार-विचार नहीं मिलते हम दोनों अजनवी जैसे है।
कैसे कटेगा लम्बा जीवन अब फैसला तुमको करना है।
बोली बेचारी 10 साल हो गये आज तुम्हें सुध आयी है।
या हुस्न मिल गया मुझसे सुन्दर जिस पर तुम इतराते हो ।
बोला पति ऑफिस में ही इक लडकी से इश्क वो करता है।
खुश रहूँगा मै कैसे आखिर तुम कांटा बनी हो जीवन में ।
बेचारी के जीवन में मानों दुखों का आज सैलाब पडा ।
खत्म हो गया सबकुछ अब जब अपना ही सौकार बना ।
छोड मुझे मझधार में यूं तुम किस खुशी की कामना करते ।
जो हुआ कभी न अपनों का, उसको ममता फिर कहाँमिले ।
राजी हुयी बेचारी तलाक को उस ने फिर एक बात रखी ।
तलाक होने तक हर रोज मुझे गोदी पर उठाकर अंदर लाना।
हामी भर दी फिर पती ने हर रोज वो ऐसा करने लगा ।
खुश होता बेटा देख के ए पिता मां को कितना प्यार करे।
दिन बीत गये पंद्रह फिर पत्नी उसको अच्छी लगने लगी।
जो सुन्दरता देखी मन की तन की खुशबू सब सिमट गयी ।
जो नहीं किया महसूस सालों में वो प्यार आज भर आया है।
ऑफिस के कामों में आखिर मैंने उसको ना समय दिया।
देख-भाल में मेरी उसने 10 साल अपने बरबाद किए ।
निहार के आज खुशी से पत्नी को जिसको वो जरूरत समझता था।
दिल से दिल के फिर तार मिले,आंखों से अश्रु बहने लगे ।
गया दौड ऑफिस वो फिर उस लडकी हकीकत बयां करी ।
दे सकता नहीं तलाक पत्नी को अब तुम ही दूरी बना के रखो ।
मारा थप्पड़ लडकी ने जब तब उसको यह एहसास हुआ ।
अपनों को देकर दुख आखिर कैसे जहाँ में वो आबाद रहे।
लेकर गुलदस्ता फूलों का ओ जब पास पत्नी के पहुंच गया। 
देखा तो बेचारी को बिस्तर पर जीवन की आखिरी सांस रूकी।
पता चला उसको जब पत्नी को  दो साल से कैंसर था ।
लडती रही वो खुद से और वो बाहर मस्ती करता रहा ।
जानती थी अबला बेचारी वो दिन चार उसके बाकी रहे।
रखे याद बेटा उम्र भर मां बाप में कितना प्यार बसा ।
समय के होते सम्भल जाना कहीँ देर बहुत ना हो जाए।
प्रेम में ही सब कुछ बसा है,तुम प्रेम की भाषा जान सको।

यह कविता कवि अरूण सेमवाल के अपने विचार है अगर अनजाने में यह कविता किसी के भावों को ठेस पहुंचाए या किसी के जीवन से सम्बन्धित हो तो आपका मै क्षमाप्रार्थी रहूंगा और कमेन्ट करके अपनी प्रतिक्रिया अवश्य करें धन्यवाद।

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