Tuesday 17 August 2021

Guru amrit vachan in hindi गुरु और माता-पिता का अनादर न करें? रखें इन बातों का ध्यान?नहीं तो उठाना पढेगा भारी नुकसान

Guru amrit vachan in hindi गुरु और माता-पिता का अनादर न करें? रखें इन बातों का ध्यान?नहीं तो उठाना पढेगा भारी नुकसान 

यह भी पढें 👉 परीक्षा के तनाव को दूर करने के उपाय 

नमस्कार दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं गुरु और माता-पिता के संस्कार और आशीर्वाद के बारे में अगर आप अपने गुरु और माता-पिता का अनादर अपमान करते है तो आपको इसका सबसे बडा पाप लगता है। आपको नर्क में जाना ही पढेगा। आपको जीवन में कभी सफलता नहीं मिलेगी। आपको जीवन में कष्ट ही उठाने पढेंगे। आपका कोई साथ नहीं  देगा। आप अनेकों रोगों से घिर जाओगे। याद रखिए अच्छे नागरिक के निर्माण में शिक्षक और माता-पिता की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। आज के परिदृश्य में शिक्षकों और माता-पिता के प्रति देखने को मिलता है,और विद्यार्थियों के बदलते नजरिये को देखकर यही कहा जा सकता है कि आप जीवन में कुछ हासिल नहीं कर सकते । आपका कहीं सम्मान नहीं होने वाला है। गुरु वचनो की अवहेलना करके आप कहाँ खुश रहने वाले हो। गुरु और माता-पिता की महिमा का वर्णन केवल शिक्षक दिवस पांच सितंबर को नहीं है, या mother's day  और fother पर नहीं की जा सकती इसके लिए तो हरदम हृदय में इनके लिए अपार श्रद्धा होनी आवश्यक है।तभी गुरू और माता-पिता का वास्तविक आशीर्वाद हमतक पहुंच पायेगा। अन्यथा हमारा जीवन भी पशु के समान ही व्यतीत होने वाला है।

माता-पिता और गुरु के लिए शिवपुराण में कही गयी इन बातों को अपने जीवन में उतारने का प्रयत्न कीजिए --

* गुरु के समक्ष श्रद्धा भाव से हाथ जोडकर खडे रहें।

*जब माँ-बाप आएं और आप बैठे रहें तो ए सबसे बडा अपराध है।

*आपके आदरणीय लोग आएं और आप पसरे रहें तो ये सबसे बडा अपराध है। 

*आपके गुरुजी आए और आप फिर भी बैठे रहे तो ए महान अपराध है।

*मां-बाप और गुरु के सामने इतने धीमे चलो कि तुम्हारे पैरों की आवज उनके कानों तक न पहुंचे। 

*जबतक मां-बाप या गुरु ‘बैठने’ की आज्ञा न दें न बैठें यानी उनके कहने पर बैठें।

*जिनके पैरों की आवाज माता पिता और गुरु के कानों में पढ जाए उनके सभी अच्छे कर्म उसी समय नष्ट हो जाते है।

*गुरु और माता-पिता के आगे से जब भी गुजरो आपका सर हमेशा झुका होना चाहिए तभी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

*गुरु व माता-पिता की तुलना शिष्य को सांसारिक भोग-विलासों से नहीं करनी चाहिए। 

*गुरु और माता-पिता के समीप बैठने पर आपके तलवे नहीं दिखने चाहिए और ना ही इनकी तरफ पैर करने चाहिए। 

*सुबह उठकर अगर सबसे पहले आप अपने माता-पिता और गुरु का स्मरण, पूजन, अभिवादन नहीं करते तो आपसे सभी देवता नाराज होते है।

* रात्रि के समय माता-पिता और गुरु के निद्राधीन हो जाने पर ही हमको को सोना चाहिए और प्रातः उनके जागने से पहले ही उठ जाना चाहिए।

*आप कभी भी अपने माता-पिता और गुरु के विरुद्ध कोई कार्य न करें अन्यथा आपको ये तीन ईश्वर तो माफ कर लेंगे,किन्तु ऊपर वाला ईश्वर कभी क्षमा नही करेगा। 

*हमें हमेशा माता-पिता और गुरु की आज्ञा के अधीन ही रहना चाहिए।

*कभी भी अपने माता-पिता और गुरु को सांसारिक,  भौतिक और आध्यात्मिक रुप से किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं देना चाहिए। 

*ध्यान रहे हम कभी भी माता-पिता और गुरु के समक्ष उच्चासन पर न बैठें।हमारा आसन हमेशा इनके चरणों में ही होना चाहिए। 

*कभी भी अपने स्वार्थ के लिए माता-पिता और गुरु की निंदा नहीं करनी चाहिए और ना ही सुननी चाहिए।

*गुरु और माता-पिता के सामने कभी अहंकार (घमण्ड) न करें। 

*गुरु और माता-पिता के वचनों का किसी भी कीमत पर पालन करें। 

*गुरु और माता-पिता के साथ हमेशा प्रेमवत आचरण करें। 

Guru amrit vachan

ध्यान रखने योग्य 👉

तो दोस्तों अगर हम अपने जीवन में इन शिवपुराण में कही गयी अमूल्य बातों को अपने जीवन में उतारने का प्रयत्न करते है तो अवश्य हमारा उद्धार हो जाएगा।गुरु और माता-पिता के बिना ज्ञान प्राप्त नही होता है, और माता पिता क रूप में हमारे प्रथम गुरु मिलते है, जो की हमे सही गलत की पहचान कराते है,हमें अज्ञान रूपी भवसागर से पार करा देते है। इसलिए माता पिता और गुरु की महत्ता को देखते हुए इनको ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है। ये तीनों ही ऐसे होते है, जो स्वय ईश्वर को पाने की राह दिखलाते है,और हमेशा अपना आशीर्वाद बनाए रखते है।

Guru amrit vachan

Guru amrit vachan

और पढे

0 comments: