Saturday 28 August 2021

Pukhraj stone benifit in hindi वृहस्पति ग्रह -पुखराज रत्न के अनेकों लाभ,विधि,समय कब किसे धारण करने से होगी धन वर्षा मिटेगी गरीबी

दोस्तों वृहस्पति ग्रह का रत्न पुखराज माना गया है। जो अपने नाम के अनुसार ही व्यक्ति के समस्त अंधकार को दूर करता है।पुखराज रत्न गरीबी को दूर करता है और समाज में दिलाता है मान सम्मान,जिस तरह गुरु शिष्य पर अपनी दृष्टि बनाए रखता है उसी प्रकार यह जातक को समस्त सांसारिक गुणों और सुख सुविधाओं से सुशोभित करता है।पुखराज एक चमकदारी रत्न है । यह लगभग जितने पुष्प है उतने रंगो में उपलब्ध है,यह कयी रंगों में उपलब्ध होता है इसका दूसरा नाम पुष्पराज भी है। इस रत्न को सभी रत्नों का राजा भी कहा जाता है यह पंच महारत्नो की संज्ञा में आता है,और मनुष्य का शरीर भी पञ्चमहाभूत (पञ्तत्व) से बना है, पुखराज रत्न की शास्त्रो और ग्रन्थो में महत्व,विधि,प्रयोग और लाभ बताये गये हैं।

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Pukhraj stone benifit in hindi वृहस्पति ग्रह -पुखराज रत्न के अनेकों लाभ,विधि,समय कब किसे धारण करने से होगी धन वर्षा मिटेगी गरीबी

Pukhraj stone benifit

ज्योतिष शास्त्र में पीले रंग का दिखने वाला पुखराज रत्न बेहद ही प्रभावशाली और सिद्धि दात्री माना जाता है। भगवान वृहस्पतिदेव की कृपा बनाए रखने के लिए और सभी सफलताओं कामयाबियों को हासिल करने के लिए पुखराज रत्न धारण किया जाता है,yellow sapphire पुखराज रत्न शक्ति,वाणी और धर्म तथा ज्ञान में वृद्धि करता है। पुखराज रत्न को धारण करने से बुद्धि सकारात्मक भाव उत्पन्न होती हैं तथा जीवन में खुशहाली आ जाती है। अब सवाल ये है कि पुखराज रत्न को कौन धारण कर सकता है? धारण करने के नियम व विधि क्या है? पुखराज रत्न की कीमत क्या है। पुखराज रत्न धारण करने के क्या लाभ हानी है? पुखराज रत्न के लिए कौन सी राशि शुभ है,कौन सी राशि अशुभ फल देगी। आदी सभी के जवाब से संतुष्ट हो जाइए और कमेन्ट अवश्य करें। पुखराज रत्न यहाँ से प्राप्त करें 

पुखराज रत्न धारण करने के चमत्कारी फायदे व लाभ

हर रत्न अपना प्रभाव अवश्य छोडता है। जिसके लिए काफी नियम और विधि भी है, किन्तु पुखराज वह रत्न है जो थोडे से नियम विधि से ही संतुष्ट हो जाता है। क्योंकि यह गुरु का स्वभाव है।पुखराज रत्न के लाभ इस प्रकार से है। 

👉 सबसे पहले यह व्यक्ति के मन को साफ करता है और इनसान सोज समझकर कार्य करता है। 

👉 पुखराज रत्न को लक्ष्य प्राप्ति का माध्यम भी बताया जाता है।

👉 पुखराज रत्न धारण करने से धन-वैभव से सम्पन्न होकर मान प्रतिष्ठा बढती है।

👉 पुखराज रत्न से व्यक्ति पूजा पाठ और धर्म अनुष्ठान के प्रति अग्रेषित होता है।

👉 पुखराज रत्न धारण करने से शिक्षा सम्बन्धित सभी परीक्षाओं में सफलता मिलने लगती है।

👉 वकीलों,  न्यायाधीशों,  अधिकारियों,  सरकारी नौकरी के जातकों को यह रत्न बहुत लाभदायक व भाग्यशाली होता है।

👉 पुखराज रत्न से धन, पुत्र,  यश, सन्तान, और मोक्ष प्राप्त होता है। 

👉 लीवर ठीक से काम न करने पर और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों से तुरन्त लाभ मिलता है।

👉 तेज बुखार, पीलिया, वातरोग, वीर्य में वृद्धि, बावाशीर, और गैस आदि रोगों से मुक्ति मिलती है। पुखराज रत्न यहाँ से प्राप्त करें 

पुखराज रत्न धारण करने की विधि समय,नक्षत्र,पक्ष,नियम व किसे धारण करना चाहिए किसे नहीं 

👉 कब धारण करें--पुखराज रत्न धारण करने का सही समय है बुधवार के दिन प्रातःकाल संध्या वंदन के बाद गौमूत्र व गंगाजल तथा दूध से पवित्र करके फिर इसे गुरूवार के दिन (ॐ वृहस्पते नमः) मंत्र का 108 बार जाप करके, शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरूवार को सोने या चांदी में दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए।

👉 किसे पहनना चाहिए-- पुखराज रत्न वृहस्पति ग्रह का है। और वृहस्पति की दो राशियाँ होती है। धनु राशि और मीन राशि  और जिनकी ग्रह स्थिति में अशुभ संकेत आ रहें  होंगे उन्हे ही पुखराज रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। यानी बिना ज्योतिष परामर्श के रत्न को धारण न करें पूरी विधि विधान के साथ ही रत्न धारण करें। 

👉 पुखराज की पहचान -- ध्यान रहे रत्न धारण करने से पहले पहचान कर लें वह खण्डित नही होना चाहिए और नाही कोई छेद हो। पुखराज रत्न हल चमकदार न होकर हल्के रंग का होता है और यह सक्त न होकर हलका लचीला होता है।इस रत्न पर रोशनी डालने से रोशनी आर पार होती है। चेक कर लें कि रत्न पारदर्शी है या नहीं। 

👉 पुखराज रत्न के नुकसान -- अगर हम किसी भी रत्न को विना ज्योतिष परामर्श के धारण करते है तो वह हमारे लिए शुभ या नहीं हमें पता नहीं चलता है और हर रत्न सभी के लिए शुभ नहीं होता। कुण्डली में गुरू कमजोर होने पर पुखराज अशुभ फल देता है। पुखराज पर सफेद धब्बे पढने से नुकसान देता है। पुखराज का रंग बदलने पर जातक को परेशानियां घेर लेती है।

👉 पुखराज रत्न के अन्य नाम -- पुखराज रत्न कयी नामों से विख्यात है। अंग्रेजी मे पुखराज रत्न को यैलो सैफायर कहते है। इस स्टोन को गुरू रत्न, पुष्परागम रत्न, कनकपुष्यरागम रत्न, और पीतामणि रत्न नाम से पुकारा जाता हैं।पुखराज रत्न यहाँ से प्राप्त करें 

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