वास्तुशास्त्र के महत्वपूर्ण सिद्धांत अपने सपनों के घर में करें इनका प्रयोग आएगी जीवन में खुशियाँ
दोस्तों घर हम सभी बनाते है और इसे बनाने में सारी जमा पूंजी लग जाती
है।वास्तु शास्त्र के सिद्धांत प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए हैं।
प्रकृति में विविध बल उपस्थित हैं जिनमें जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश
शामिल हैं,और अनेकों शक्तियां इनके बीच परस्पर क्रिया होती है, जिसका
व्यापक प्रभाव इस पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी पर पड़ता है।इसीलिए
हमें घर बनाने के साथ-साथ अनेकों सावधानियाँ बरतने की जरूरत होती है।
क्योंकि वास्तु ज्योतिष के अनुसार इस प्रक्रिया का प्रभाव हमारे दैनिक जीवन, कार्य प्रदर्शन, स्वभाव,मान-प्रतिष्ठा, भाग्य, दाम्पत्य जीवन एवं रोग व्याधिः के अन्य पहलुओं पर व्यापक रुप से पड़ता है। वास्तु शास्त्र कला, विज्ञान, खगोल विज्ञान और ज्योतिष का मिश्रण है।इसीलिए हर जगह का अपना महत्व है,कौन सी जगह कहाँ पर होनी चाहिए, किस दिशा में होनी चाहिए, कौन सा सामान घर में बरकत करेगा, धनागमन करेगा और कौन सा सामान घर में नहीं रखना चाहिए। वास्तुशास्त्र में इन नियमों का बढा महत्व है।
इसलिए कहा गया है -
(नमस्ते वास्तु पुरूषाय भूशय्या भिरत प्रभो मद्गृहं धन धान्यादि समृद्धं कुरू सर्वदा ।
1- घर के बाहर तुलसी का पौधा जरूर लगाएं।
2- अपने घर का मुख्यद्वार किसी अन्य मकान के मुख्यद्वार के ठीक सामने न बनवाएं।
3- रसोईघर, शौचालय तथा पूजा घर एक दूसरे के नजदी न बनाएं।
4- घर का मुख्य द्वार इस प्रकार बनवाएं, जिससे उस पर किसी की छाया न पढें।
5- कूड़ेदान सड़क की बत्ती या खम्भा या बड़ा मुख्यद्वार दरवाजे के सामने न रखें।
6- भवन के मुख्य द्वार पर मूर्ति लगाना शुभ माना जाता है। इसीलिए लोग मुख्य द्वार पर गणेश की मूर्ति लगवाते हैं।
7- कभी भी टूटा हुआ शीशा घर में नहीं रखना चाहिए।
8- गर्मी पैदा करने वाले उपकरण कमरे के दक्षिण-पूर्वी कोने में रखे।
9- घर के वास्तु दोष मिटाने के लिए पोछे के पानी में सेंधा नमक या सांभर मिला लेना चाहिए।
10- बच्चे अध्ययन करते समय उत्तर या दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पढें या लिखें।
11- बारिश का पानी या नाले के पानी की निकासी उत्तर-पूर्व या पूर्व-उत्तर की ओर ही होना चाहिए।
12- किसी बीम के नीचे न तो बैठना चाहिए और न ही सोना चाहिए। यदि ऐसा करना मजबूरी हो तो बीम पर फाल्स सीलिंग करवा लेनी चाहिए।
13- घर में जीने की सीढियों के नीचे पूजा घर या शौचालय नहीं होना चाहिए।
14- घर में घडियां पश्चिम, उत्तर या पूर्व दिशा की दीवारों पर टंगी होनी चाहिए।
15 घर में घडी हमेशा चलती रहनी चाहिए, क्योंकि बंद घडी अशुभ समय की ओर संकेत करती है।
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