Wednesday 22 September 2021

जानिए कुण्डली में चंद्रमा ग्रह का सम्पूर्ण अध्ययन गुण दोष, उपाय, लाल किताब के अचूक उपाय तथा सभी भावों के प्रभाव chandrma grah upay in hindi

नमस्कार दोस्तों आज हम चंद्रमा ग्रह के बारे में बात कर रहे है कि चंद्रमा ग्रह के उपाय क्या है? चंद्रमा ग्रह के दोष क्या है? चंद्र ग्रह शान्ति के उपाय क्या है? चंद्रमा का प्रभाव? चंद्र ग्रह का मंत्र क्या है? नीच चंद्र ग्रह के उपाय क्या है? चंद्र दोष के लक्षण क्या है? आदि चंद्र ग्रह का सम्पूर्ण अध्ययन हम करने जा रहे है। जैसा कि वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन और माता तथा सुन्दरता का कारक माना जाता क्या है। चंद्रमा के प्रभाव से ही जातक मन विचलित व स्थिर होता है।जैसे भाव में होगा वैसा ही प्रभाव जातक की कुंडली में डालता है। मन को अगर आपने नियंत्रण अपने वस में कर लिया तो सब कुछ आसानी से प्राप्त हो जाता है, किन्तु मन अस्थिर हो तो कार्य पूर्ण होने में परेशानियां आने लगती है, व्यक्ति संकटों से घिर जाता है,पढाई का व्यवधान होता है। सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है आदि अनेकों कष्टों से जूझना पढता है। 

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वहीं अगर कुण्डली में चंद्रमा शुभ स्तिथी मे हो तो सुख-शान्ति, मनचाहा सुख, नौकरी, सुन्दरता, आरोग्यता,  मां का स्वास्थ्य अच्छा करता है। शास्त्रों की माने तो समुद्र मंथन में 14 रत्नों में चन्द्रमा रत्न भी निकला था जिसे शिव भगवान ने अपने सिर पर धारण किया इसीलिए चद्रमा ग्रह शिव का ही कारक व स्वरूप माना जाता है।

जानिए कुण्डली में चंद्रमा ग्रह का सम्पूर्ण अध्ययन गुण दोष, उपाय, लाल किताब के अचूक उपाय  तथा सभी भावों के प्रभाव chandrma grah upay in hindi 

चन्द्र ग्रह को कर्क राशी का स्वामी है, और शिव का वार भी माना जाता है,चन्द्रमा के मित्र ग्रह सूर्य और बुध है। चन्द्रमा ग्रह मंगल, गुरु, शुक्र व शनि में अच्छे तथा समान संबन्ध रखते है,और विशेष फल प्दान करते है।और चन्द्र अगर वृषभ राशि में हो तो शुभ और वृश्चिक राशि में होने पर नीच कहा जाता है। अलग-अलग राशि तथा भाव में अलग-अलग प्रभाव डालता है।चन्द्रमा मजबूत एवं बली होने पर व्यक्ति के समस्त कार्यों में सफलता दिलाता है और मन से प्रसन्न करता है। पद प्राप्ति व पदोन्नति, जलोत्पन्न, तरल व श्वेत पदार्थों के कारोबार से लाभ मिलता है,माता को सुख तथा सन्तान पक्ष से सुख का अनुभव कराता है।

कुण्डली में चतुर्थ भाव कारक चन्द्रमा ग्रह के गुण, स्वभाव 

विद्या, राज्य,घर, यात्रा, वाहन, माता, कृषि कर्म, जमीन जयदात, मनोवृती,  उपयोभोग, पिता की आयु, जनता, मातृ पक्ष, कीर्ति,  लोकप्रियता,  अपना गडा धन, पैतृक सम्पत्ति, झूठा आरोप,जनता का हित परिणाम, गृह प्रवेश, यात्रा भ्रमण, विश्वास, शिल्पकला, भोज्य पदार्थ,  हस्त कौशल आदि प्रभाव व गुण माने जाते है और इसी के अनुसा जातक के जीवन में घटित होता है।

चन्द्रमा ग्रह के जातक की कुंडली में सकारात्मक प्रभाव 

चन्द्रमा बलवान होने पर जातक को सम्पूर्ण सुखो की अनुभूति होती है। मानसिक सुख तथा भौतिक सुखों का उपभोग करता है। माता का स्वास्थ्य अच्छा रहता है तथा माता के साथ मधुर सम्बन्ध बनते है। सफलता हासिल करता है। नौकरी के योग बनते है। जातक की सोचने की क्षमता तीव्र होती है तथा गूढ रहस्यों से भरपूर रहता है।

कुण्डली में चन्द्रमा का नकारात्मक प्रभाव 

चन्द्रमा अगर कुण्डली में गलत भाव में है तो व्यक्ति को अनेकों कष्टों से जूझना पढता है। मानसिक तनाव बढता है। कार्य सफल नहीं हो पाते है। व्यक्ति डिप्रेशन, तनाव तथा बेचैनी का शिकार होता है। सांसारिक सुख प्राप्त नहीं हो पाते है। सफलता नहीं मिल पाती है। कार्य अवरुद्ध होने लगते है।

चन्द्रमा ग्रह के विशेष गुण 

● मनुष्य का मन तथा भावनाएँ विकसित करना।

● अगर जातक कुण्डली में चन्द्रमा की स्थिति ठीक करता है तो उसकी मानसिक स्थिति में अपार मजबूती आ सकती है।

● चन्द्रमा के अंदर गुरुत्वाकर्षण शक्ति अपार होती है इसलिए शुभ होने पर जातक के भाग्य में वृद्धि करता है।

● चन्द्रमा ग्रह बच्चों की पढाई तथा माता के सुख का घोतक माना जाता है।

चन्द्रमा की यह स्थिति बनाती है जातक को कमजोर

कुण्डली ही व्यक्ति का भविष्य तय करती है,और चंद्रमा से ही राशि तथा सुख का प्रसार भी माना जाता है। अगर कुण्डली में चन्द्रमा 8वें,12वें तथा 6वें भाव में हो तो ऐसी दशा नीच मानी जाती है। और अगर कृष्ण पक्ष की अष्टमी से शुक्ल पक्ष की सप्तमी के अंतर्गत जातक का जन्म हुआ हो तो सुभ माना जाता है तथा अगर जन्म कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर शुक्ल पक्ष की सप्तमी तक जन्म हुआ हो तो अशुभ माना जाता है।

कुण्डली में खराब चन्द्रमा को ऐसे पहचानिए 

● माता को कष्ट पहुंचता है।

● दुधारू पशु की मृत्यु हो जाती है।

● घर में अशान्ति तथा क्लेष, झगडा बड जाता है।

● मानसिक तनाव बडता है, तथा मस्तिष्क संबंधी विकार उत्पन्न होते ।

● सफलता नहीं मिल पाती, पढने में व्वधान आ जाता है।

● अनैतिक कार्य तथा वचनों में अपवित्रता आ जाती है।

खराब चन्द्रमा के कारण उत्पन्न होने वाली बीमारियां 

चन्द्रमा हमेशा मन,हृदय तथा बाएं भाग से सम्बन्ध रखता है और खराब स्थिति में इन्हें ही सबसे अधिक प्रभावित करता है। इससे होने वाली अन्य बीमारियां है --

● मानसिक तनाव तथा घबराहट जैसी समस्याएं उतपन्न।होना।

● मन में बुरा खयाल आना तथा बार-बार आत्महत्या करने की सोचना।

● पागलपन बढना तथा मिर्गी के दौरे पढना।

● मासिक धर्म गडबडाना व चिडचिडापन सताना।

● बार-बार चक्कर आना तथा बेहोस हो जाना।

● सर्दी जुकाम की समस्या समाप्त न होना।

● कुछ भी याद न होना तथा बार-बार असफल होना।

● खुद से गुस्सा करना तथा खुद को नुकसान पहुंचाना।

कुण्डली में चन्द्रमा ग्रह के कमजोर होने के लक्षण --

चन्द्रमा ग्रह कुण्डली का केन्द्र तथा व्यक्ति की सफलता की कुंजी माना जाता है। इससे माता को लाभ तथा हानी भी उठानी पडती है और जातक को मानसिक तथा शारीरिक रूप से कयी सारी बीमारियों से जूझना पढता है। अगर हमारी कुण्डली में चन्द्रमा कमजोर हो तो इन समस्याओं को झेलना पढता है -

● लाख मेहनत करने पर भी सफलता हासिल न होना तथा पढाई में व्यवधान आना या पढाई छूट जाना।

● समाज में सम्मान न मिल पाना तथा भावनाओं की कद्र न हो पाना व मन को ठेस पहुंचना।

● आपके पालतु जानवर से कष्ट होना या उनका काटना।

● चल अचल सम्पत्ति से कष्ट होना वाहनों का बार-बार खराब होना।

● पहली सन्तान से आशाएं धूमिल होना उससे दूर रहना या पास रहकर भी कद्र न करना।

● आपको नहाना-धोना कम पसंद होगा तथा घर की सफाई में ध्यान नहीं रहेगा।

● सबका अच्छा करने पर भी लोग आपके साथ बुरा ही करेंगे। 

● भक्ति मे मन न लगना नास्तिक प्रवृति जागृत होना।

चन्द्रमा ग्रह को मजबूत करने के आसान उपाय 

अभी हमने पढा की चन्द्रमा अगर शुभ हो तो व्यक्ति की किस्मत जाग जाती है।और वह अगर खराब हो तो राजा भी रंक बन जाता है। चलिए जानते है चन्द्रमा को शुभ तथा मजबूत करने के उपाय --

● सोमवार के व्रत करें तथा शिवार्चन तथा शिव की भक्ति करें। 

● जब भी मां दिखे उनके पैर छूना तथा माता के साथ प्रेम पूर्वक रहना।

● घर में मोर पंख रखना तथा उसे कृष्ण का प्रतिबिम्ब मानना।

● चांदी को धारण करना।

● चांदी का शिवलिंग घर में स्थापित करना तथा नित्य-प्रतिदिन उसकी पजार्चना करना।

● घर में बुजुर्ग औरतों का सम्मान करना तथा उन्हें उपहार में कुछ देना।

● घर की छत के पीछे हैंडपम्प या कुंआ न लगाना।

● शिव चालीसा तथा शिवस्तोत्र और पञ्चाक्षर मंत्र का नित्य पाठ करना।

● घर में किसी भी वस्तु या बर्तन में पानी कॅ सडने न दें।

● चन्द्रमा के शुभ प्रभाव के लिए शरीर पर मून स्टोन या मोती धारण करने।

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